10 अव्यय शब्द संस्कृत में

  1. MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण अव्यय
  2. Avyayebhav Samas in Sanskrit
  3. RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययम्
  4. Avyay In Sanskrit
  5. Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शब्द
  6. संस्कृत में प्रश्ननिर्माण / Sanskrit me prashna nirman / संस्कृत प्रश्ननिर्माण / Question formulation in Sanskrit
  7. RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययम्


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MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण अव्यय

MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण अव्यय-प्रकरण अव्यय (अविकारी शब्द) की परिभाषा संस्कृत में निम्न प्रकार से दी गयी है सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु व विभक्तिषु। वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥ अर्थात् जिन शब्दों में लिंग, कारक और वचन के कारण किसी प्रकार का परिवर्तन (विकार) नहीं होता और जो प्रत्येक दशा में एक समान रहते हैं, उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं। अव्ययों के भेद- १. उपसर्ग प्र, परा, अप इत्यादि २२ शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं। इनका वर्णन आगे के प्रकरण में किया जायेगा। २. क्रिया विशेषण जिन शब्दों से क्रिया के काल, स्थान आदि विशेषताओं का बोध होता है, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। ३. चादि च, वा, भूयः, खलु, तु, वै, मा, न इत्यादि। ४. समुच्चय बोधक अथ, उत, चेत्, नोचेत् इत्यादि। ५. विस्मयादि बोधक अहह, अहो, बत, हा, अरे, रे इत्यादि। वस्तुनिष्ठ प्रश्न बहु-विकल्पीय प्रश्न १. ‘अहम् अपि आपणं गच्छामि’ में अव्यय है (अ) अहम्, (ब) अपि, (स) आपणं, (द) गच्छामि। २. ‘इव’ अव्यय का उचित वाक्य-प्रयोग होगा (अ) अहम् इव करोमि, (ब) बालक: व्याघ्र इव अस्ति, (स) सः विद्यालयः इव धावति, (द) रामेशः कन्दुकेन इव क्रीडति। ३. ‘त्वं कदा गृहम् आगमिष्यसि?’ में अव्यय पद है (अ) त्वं, (ब) कदा, (स) गृहम्, (द) आगमिष्यसि। ४. ‘अद्य’ अव्यय का हिन्दी अर्थ होता है (अ) आज, (ब) कल, (स) परसों, (द) तरसों। ५. ‘कुतः’ अव्यय का उचित वाक्य प्रयोग होगा (अ) तत् पुस्तकं कुतः अस्ति, (ब) यथा कुतः राजा तथा प्रजा, (स) त्वं कुतः आगच्छसि? (द) रामः कुतः पुरुषोत्तमः आसीत्। उत्तर- १. (ब), २. (ब), ३. (ब), ४. (अ), ५. (स) रिक्त स्थान पूर्ति १. यथा राजा ………………. प्रजा। २. रामेण सह सीता ……………..”” अगच्छत्। ३. विद्यालये………………” उत्सवः भविष्यत...

Avyayebhav Samas in Sanskrit

अव्ययीभाव समास – Avyayebhav Samas Sanskrit Avyayebhav Samas Sanskrit: जब विभक्ति आदि अर्थों में वर्तमान अव्यय पद का सुबन्त के साथ नित्य रूप से समास होता है, तब वह अव्ययीभाव • इस समास का प्रथम शब्द अव्यय और द्वितीय संज्ञा शब्द होता है। • अव्यय शब्द के अर्थ की अर्थात् पूर्व पदार्थ की प्रधानता होती है। • समास के दोनों पद मिलकर अव्यय हो जाता है। • अव्ययीभाव समास नपुंसकलिङ्ग के एकवचन में होता है। अव्ययीभाव समास के उदाहरण – (Avyayebhav Samas Sanskrit Examples) • अव्ययपदम् – अव्ययस्यार्थः – विग्रहः – समस्तपदम् • अधि – सप्तमीविभक्त्यर्थे – हरौ इति – अधिहरि • उप – समीपार्थे – कृष्णस्य समीपम् – उपकृष्णम् • अनु – योग्यतार्थे – रूपस्य योग्यम् – अनुरूपम् • प्रति – वीप्सार्थे – दिनं दिनं प्रति – प्रतिदिनम् • निर्. – अभावार्थे – मक्षिकाणाम् अभावः – निर्मक्षिकम् • यथा– अनतिक्रमार्थे – शक्तिम् अनतिक्रम्य – यथाशक्ति Filed Under:

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययम्

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Avyay In Sanskrit

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Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions शब्द

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संस्कृत में प्रश्ननिर्माण / Sanskrit me prashna nirman / संस्कृत प्रश्ननिर्माण / Question formulation in Sanskrit

संस्कृत में प्रश्ननिर्माण एक सामान्य वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य बनाना ही प्रश्न निर्माण कहलाता है। जिस वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य बनाना जाता है उसके साथ प्रश्नवाचक (?) चिह्न का प्रयोग अवश्य करें। संस्कृत में प्रश्न निर्माण के लिए तीन विषयों का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है- 1. प्रश्नवाचक अव्यय 2. कति शब्दरूप 3.‘किम्’ शब्दरूप तीनों लिंगों में। क्रम से तीनों के बारे में विस्तार से समझते हैं- 1. प्रश्नवाचक अव्यय- अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है जिनके रूप बदलते नहीं हैं । अव्ययों में कुछ अव्यय ऐसे हैं जिनसे सामान्य वाक्य को प्रश्नवाचक में बदला जाता है। प्रश्नवाचक अव्ययों का प्रयोग एक निश्चित स्थान पर किया जाता है। प्रश्नवाचक अव्यय निम्न हैं- 1. किम्– क्या 2. कुत्र – कहाँ 3. कदा– कब 4. किमर्थम् - क्यों 5. कथम्– कैसे 6. कुत: - कहाँ से 1. किम्- क्या किम् अव्यय क्या प्रयोग उन शब्दों के साथ किया जाता है जिनका उपयोग हम खाने-पीने, पहनने किया जाता है और किसी काम को करने के लिए भी किम् अव्यय का प्रयोग करते हैं। जैसे- (क) मोहनः फलं खादति। मोहनः किंखादति ? (ख) लता पत्रं लिखति। लता किं लिखति ? (ग) उमा जलं पिबति। उमा किं पिबति ? 2. कुत्र- कहाँ जहाँ पर कोई व्यक्ति या वस्तु हो और जहाँ कोई जा रहा हो वहाँ पर कुत्र अव्यय का प्रयोग होता है। जैसे- (क) महेशः विद्यालयं गच्छति। महेशः कुत्र गच्छति ? (ख) रमा गृहे अस्ति। रमा कुत्र अस्ति ? (ग) फलानि वृक्षे सन्ति। फलानि कुत्र सन्ति ? 3. कदा- कब कदा अव्यय का प्रयोग समय से सम्बन्धित शब्दों के साथ होता है। जैसे- (क) उमेशः प्रातःकाले भ्रमति। उमेशः कदा भ्रमति ? (ख) गीता अष्टवादने विद्यालयं गच्छति। गीता कदा विद्यालयं गच्छति ? (ग) गौरव रात्रौ भोजनं खादति। गौरवः कदा भोजन...

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययम्

Rajasthan Board RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् अव्ययम् संस्कृतभाषायां शब्दप्रकारद्वयमस्ति- विकारी अविकारी च। ये शब्द: विभक्तिप्रत्यय-उपसर्गे: मिलित्वा रूपपरिवर्तन कुर्वन्ति ते ‘विकारी’ इति शब्देन निर्दिश्यन्ते। अविकारिण: तु कदापि रूपपरिवर्तनं न कुर्वन्ति । एते ‘अव्यय’-शब्देन कथ्यन्ते। अर्थात् येषु शब्देषु लिङ्गवचनकारकादि-सम्बन्धेन रूपपरिवर्तनां न भवति ते अव्ययानि सन्ति। उक्तं च-(संस्कृत भाषा में शब्द | के दो प्रकार हैं- विकारी और अविकारी। जो शब्द विभक्ति-प्रत्यय-उपसर्ग से मिलकर रूप परिवर्तन करते हैं वे ‘विकारी’ इस शब्द से निर्देशित किये जाते हैं। अविकारी तो कभी भी रूप परिवर्तन नहीं करते हैं। ये अव्यय शब्द कहे जाते हैं। अर्थात् इन शब्दों में लिङ्ग, वचन, कारक आदि के सम्बन्ध से रूप परिवर्तन नहीं होता है, वे अव्यय पद हैं। जैसा कि कहा है-) अव्ययानां अन्ते आगतानां र्-स्-वर्णानां स्थाने विसर्गः प्रयुज्यते यथा-उच्चैस्= उच्चैः, नीचैस्नीचैः, अन्तर= अन्तः पुनर्=पुन: इति । (अव्ययों के अन्त में आये हुए ‘र’ और ‘स्’ वर्गों के स्थान पर विसर्ग प्रयुक्त किया जाता है जैसे-उच्चैस्-उच्चैः, नीचैस्-नीचैः, अन्तर्-अन्तः, पुनर्पुनः आदि।) अव्ययानामपि प्रकार द्वयमस्ति- प्रथमं तावत् रूढ़म्, अव्युत्पन्नं वा। यथा-च, वा, विना, पृथगादीनि धातो: अव्युत्पन्नानि। द्वितीयं यौगिक व्युत्पन्नं वा। यथा पठित्वा, पठितुमादीनि धातो: व्युत्पन्नानि कृदन्दताव्ययानि । सर्वदा, चतुर्धादीनि नाम्नः व्युत्पन्नानि तद्विताव्ययानि च। तद्धिताव्ययानां भेदा अपि सन्ति । यथा- (अव्ययों के दो प्रकार हैं- पहला अधिकार रूढम् अथवा अव्युत्पन्नम् है। जैसे- च, वा, विना, पृथगादीनि धातु से अव्युत्पन्न हैं। दूसरा अधिकार यौगिक अथवा व्युत्पन्न है...