1857 की क्रांति के समय राजस्थान के शासक

  1. राजस्थान में 1857 की क्रांति के कारण और परिणाम
  2. 1857 की क्रांति – Historical Saga
  3. 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान
  4. राजस्थान में 1857 की क्रांति (The Revolution of 1857 in Rajasthan) – RPSC News
  5. राजस्थान में 1857 की क्रान्ति (Revolt of 1857 in Rajasthan)
  6. 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान
  7. 1857 की क्रान्ति
  8. राजस्थान मे 1857 की क्रांति (1857 Revolution in Rajasthan)
  9. Rajasthan me 1857 ki kranti question answer in hindi PDF
  10. राजस्थान में 1857 की क्रांति (The Revolution of 1857 in Rajasthan) – RPSC News


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राजस्थान में 1857 की क्रांति के कारण और परिणाम

1857 के विद्रोह में राजस्थान की भूमिका राजस्थान के अधिकांश शासकों ने ब्रिटिश सरकार की अधीनता स्वीकार कर ली थी , परन्तु अंग्रेजों की आन्तरिक हस्तक्षेप की नीति के कारण राजस्थान के शासकों में असन्तोष व्याप्त था। सामन्तों में भी ब्रिटिश-विरोधी भावना व्याप्त थी क्योंकि ब्रिटिश सरकार सामन्तों को शक्ति एवं प्रभाव को नष्ट करने के लिये प्रयत्नशील थी। अंग्रेजों को आर्थिक नीति एवं दमनकारी नीति के कारण जन-साधारण में भी असन्तोष फैला हुआ था। इस प्रकार 1857 की क्रान्ति के प्रारम्भ होने के समय राजस्थान में सभी वर्गों में अंग्रेज-विरोधी भावना व्याप्त थी। राजस्थान में 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण राजस्थान में 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे- 1. शासकों में असन्तोष- ब्रिटिश सरकार की आन्तरिक हस्तक्षेप की नीति के कारण राजस्थान के शासकों में असन्तोष व्याप्त था। जोधपुर के महाराजा मानसिंह में अंग्रेज-विरोधी भावना थी। इसी कारण उसने अंग्रेज-विरोधी मराठा सरदार अप्पा जी भौंसले तथा सिन्ध के अमीरों को मारवाड़ में शरण दी और 1831 में विलियम बैंटिंक द्वारा आयोजित समारोह में अजमेर दराबर में उपस्थित नहीं हुआ। जब 1839 में ब्रिटिश रेजीडेन्ट सदरलैण्ड ने मारवाड़ पर आक्रमण कर जोधपुर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया , तो इससे मारवाड़-राज्य की जनता में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ। इसी प्रकार ब्रिटिश सरकार ने डूंगरपुर के शासक जसवन्तसिंह को गद्दी से हटाकर राज्य के बाहर वृन्दावन भेज दिया जिससे राजस्थान के शासकों एवं सामान्य जनता में ब्रिटिश विरोधी भावना उत्पन्न हुई। 1835 में जयपुर में कप्तान ब्लैक की हत्या कर दी गई। यह घटना जयपुर राज्य में ब्रिटिश विरोधी भावना की प्रतीक थी। ब्रिटिश सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति से ...

1857 की क्रांति – Historical Saga

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1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान

राजस्थान में 1857 का संग्राम व किसान आन्दोलन =======≠=≠=========≠========= • 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियां थी: नसीराबाद, नीमच, देवली, ब्यावर, एरिनपुरा एवं खेरवाड़ा जिनमें से 2 छावनियों ब्यावर, खेरवाड़ा ने क्रांति में भाग नहीं लिया । 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजस्थान की जनता एवं जागीरदारों ने विद्रोहियों को सहयोग एवं समर्थन दिया। • राजस्थान में क्रांति का प्रारम्भ 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी के 15 वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिकों द्वारा हुआ। नसीराबाद छावनी के सैनिकों में 28 मई, 1857 को विद्रोह कर छावनी को लूट लिया तथा अग्रेंज अधिकारियों के बंगलों पर आक्रमण किए। मेजर स्पोटिस वुड एवं न्यूबरी की हत्या के बाद शेष अंग्रेजों ने नसीराबाद छोड़ दिया था। • नसीराबाद की क्रांति की सूचना नीमच पहुँचने पर 3 जून, 1857 को नीमच छावनी के भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। उन्होंने शस्त्रागार को आग लगा दी तथा अंग्रेज अधिकारियों के बंगलों पर हमला कर एक अंग्रेज सार्जेन्ट की पत्नी तथा बच्चों का वध कर दिया। नीमच छावनी के सैनिक चित्तौड़, हम्मीरगढ़ तथा बनेड़ा में अंग्रेज बंगलों को लूटते हुए शाहपुरा पहुँचे। - • विद्रोही सैनिक ”चलो दिल्ली, मारो फिरंगी“ के नारे लगाते हुए दिल्ली की ओर चल पड़े। एरिनपुरा के विद्रोही सैनिकों की भेंट ‘खैरवा’ नामक स्थान पर आउवा ठाकुर कुशालसिंह से हुई। ठाकुर कुशालसिंह, जो कि अंग्रेजों एवं जोधपुर महाराजा से नाराज थे, ने इन सैनिकों का नेतृत्व करना स्वीकार कर लिया। • ठाकुर कुशालसिंह के आह्वान पर आसोप, गूलर, व खेजड़ली के सामन्त अपनी सेना के साथ आउवा पहुँच गये। वहाँ मेवाड़ के सलूम्बर, रूपनगर तथा लसाणी के सामंतों ने अपनी सेनाएँ भेजकर सहायता प्रदान क...

राजस्थान में 1857 की क्रांति (The Revolution of 1857 in Rajasthan) – RPSC News

21 अगस्त, 1857 को हुआ। इसी समय क्रान्तिकारियों ने एक नारा दिया ‘‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’’। इस समय जोधपुर के शासक तख्तसिंह थे। क्रन्तिारियों ने आऊवा के ठाकुर कुषालसिंह से मिलकर तख्तसिंह की सेना का विरोध किया। तख्तसिंह की सेना का नेतृत्व अनाड़सिंह व कैप्टन हिथकोट ने किया था। जबकि क्रान्तिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुशालसिंह चंपावत ने किया था। दोनो सेनाओं के मध्य 13 सितम्बर, 1857 को युद्ध हुआ। यह युद्ध बिथोड़ा (पाली) में हुआ। जिसमें कुशाल लसिंह विजयी रहें एवं हीथकोट की हार हुई। इस हार बदला लेने के लिए पेट्रिक लोरेन्स एरिनपुरा आए एवं क्रान्तिकारियाने ने इन्हे भी परास्त किया। लोरेन्स के साथ जोधपुर के मैकमोसन थे।क्रान्तिकारीयों ने मैकमोसन की हत्या कर इसका सिर आउवा के किले पर लटकाया। इस हार का बदला लेने के लिए लार्ड कैनिन ने रार्बट हाम्स आउवा सेना भेजी। इस क्रान्ति का दमन किया गया। यह क्रान्ति आउवा क्रान्ति या जनक्रान्ति के नाम से जानी जाती हैं। 15 अक्टूबर,1857 को कोटा में विद्रोह हुआ। कोटा के । मेजर बर्टन इनके समय में क्रान्तिकारियों की कमान जयदयाल (वकील) मेहराबखां (रिसालदार) के हाथ में थी। इन दोनो के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने मेजर बर्टन,उसके दो पुत्रव डाॅ. मिस्टर काटम की हत्या कर दी। मिस्टर राॅर्बटस ने इस क्रान्ति का दमन 1858 में किया। छः माह तक कोटा क्रान्तिकारियों के अधीन रहा। 11 दिसम्बर, 1857 को दूसरी बार राजस्थान आये। इस समय उन्होने बांसवाड़ा को जीता। मेजर ईंड़न को सूचना का पता चला तो वह तांत्या टोपे का पीछा करते हुए बांसवाड़ा पहुंचा। बांसवाड़ा से उदयपुर अन्त में तांत्या टोपे के विष्वासघाती मित्र मानसिंह नरूका ने धोखा किया व ईंड़न को टोपे का पता बता दिया एवं इन्हें फांसी की सजा...

राजस्थान में 1857 की क्रान्ति (Revolt of 1857 in Rajasthan)

राजस्थान में 1857 की क्रान्ति (Revolt of 1857 in Rajasthan): आज के आर्टिकल में हम 1857 की क्रांति ( 1857 ki Kranti) मैं राजस्थान के योगदान के बारे में जानेंगे। आज का हमारा यह आर्टिकल RPSC, RSMSSB, REET, SI, Rajasthan Police, एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है। राजस्थान में 1857 की क्रांति के से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गई है। 1857 के विद्रोह के कारण 1857 के विद्रोह को अक्सर भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में वर्णित किया जाता है। • चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग को 1857 की क्रांति का तात्कालीक कारण माना जाता है। • 1857 में ब्राउन बैस के स्थान पर ‘एनफील्ड रायफल’ का प्रयोग शुरू हुआ। इस रायफल के बारे में भारतीय सैनिकों में यह अफवाह फैली कि इनमें लगने वाले कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी लगी होती है। • कारतूस का प्रयोग करने से पूर्व उसके खोल को मुंह से उतारना पड़ता था जिससे हिंदू तथा मुस्लिमों का धर्म भ्रष्ट होता है। परिणाम स्वरूप 1857 का विद्रोह प्रारंभ हुआ। • 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी की 34वीं रेजीमेंट के सैनिक मंगल पाण्डे ने चर्बी लगे कारतूस का प्रयोग करने से मना कर दिया तथा उस पर दबाव डाले जाने के कारण उसने लेफ्टिनेट बाग तथा जनरल हयूसन की हत्या कर दी। • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी से हुई। अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को 1857 की क्रांति का नेता चुना गया। • 1857 की क्रान्ति का प्रतिक चिन्ह – ‘कमल का फुल’ तथा ‘रोटी’ को चुना गया। • 1857 की क्रांति के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था। राजस्थान में 1857 की क्रांति का योगदान सम्पूर्ण भारत में 562 देशी रियासते थी तथा राजस्थान में 19 देशी रियासत थी। ...

1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान

1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान (Contribution of Rajasthan in the Revolution of 1857 in Hindi) अत्यंत महत्वपूर्ण और अविष्मरणीय रहा है। राजस्थान में 1857 की क्रांति (The Revolt of 1857 in Rajasthan in Hindi) की शुरुआत 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी की 15वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के सैनिकों ने की थी। 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी के सैनिकों ने विद्रोह कर छावनी को लूट लिया और ब्रिटिश अधिकारियों के बंगलों पर हमला कर दिया। मेजर स्पोटिस वुड और न्यूबरी की हत्या के बाद बाकी अंग्रेज नसीराबाद छोड़कर चले गए। छावनी को लूटने के बाद विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली की ओर कूच किया। ये सैनिक 18 जून, 1857 को दिल्ली पहुंचे और दिल्ली को घेरने वाली ब्रिटिश पलटन को हरा दिया। इस लेख में हम 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान (Contribution of Rajasthan in the Revolution of 1857 in Hindi) , राजस्थान की वेशभूषा, खानपान, स्मारक, नृत्य, धार्मिक स्थलों, आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान (Contribution of Rajasthan in the Revolution of 1857 in Hindi) राजस्थान लोक सेवा आयोग और आरआरएमएसएसबी द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1857 की क्रांति में राजस्थान का योगदान (Contribution of Rajasthan in the Revolution of 1857 in Hindi) एक ऐसा टॉपिक है जिससे लगातार विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। Table of Contents • • • • • 1857 के विद्रोह की पृष्ठभूमि | Background of the Revolt of 1857 • 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 in Hindi) 10 मई, 1857 को मेरठ में एक सिपाही विद्रोह द्वारा छेड़ा गया था। विद्रोह एक साल तक चला और अंततः असफ...

1857 की क्रान्ति

1857 की क्रान्ति अग्रेजों की अधीनता स्वीकार करने वाली प्रथम रियासत - करौली(1817) सम्पूर्ण भारत में 562 देशी रियासते थी तथा राजस्थान में 19 देशी रियासत थी। 1857 की क्रान्ति के समय ए.जी.जी. - सर जार्ज पैट्रिक लारेन्स(राजस्थान, ए. जी. जी. का मुख्यालय - अजमेर में) राजपुताना का पहला ए. जी. जी. - जनरल लाॅकेट 1857 की क्रान्ति का तत्कालीन कारण - चर्बी वाले कारतुस 1857 की क्रान्ति में रायफल ब्राउन बेस के स्थान पर चर्बी वाले कारतुस राॅयल एनफिल्ड नामक कारतुस का प्रयोग करते है। 1857 की क्रान्ति का प्रतिक चिन्ह - कमल का फुल व रोटी 31 मई 1857 विद्रोह की योजना बनाई नाम -दिल्ली चलो नेतृत्व - बहादुरशाह जफर(अंतिम मुगल शासक) 10 मई 1857 को मेरठ के सैनिक ने विद्रोह कर दिया जिसे यह समय से पहले शुरूआत होने पर इसकी असफलता का मुख्य कारण था। राजस्थान में 1857 की क्रान्ति में छः सैनिक छावनी थी। • नसीराबाद - अजमेर • ब्यावर - अजमेर • नीमच - मध्यप्रदेश • देवली - टोंक • खैरवाड़ा - उदयपुर • एरिनपुरा - पाली खैरवाड़ा व ब्यावर सैनिक छावनीयों ने इस सैनिक विद्रोह में भाग नहीं लिया। 1857 की राजस्थान में क्रान्ति राजस्थान में क्रान्ति का प्रारम्भ नसीराबाद में 28 मई 1857 को सैनिक विद्रोह से होता है। 1. नसीराबाद - 28 मई 1857 (अजमेर) नेतृत्व - 15 वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री न्यूबरो नामक एक अंग्रेज सैनिक अधिकारी की हत्या कर दि और दिल्ली के ओर चले। 2. नीमच - 3 जुन 1857 (मध्यप्रदेश) नेतृत्व - हीरा सिंह 3. देवली - 4 जुन 1857 (टोंक) देवली और नीमच के सैनिक टोंक पहुंचते है और टोंक की सेना ने विद्रोह किया इससे राजकीय सेना का सैनिक मीर आलम खां के नेतृत्व में टोंक के नवाब वजीर अली के खिलाफ विद्रोह किया। और टोंक, देवली व नीम...

राजस्थान मे 1857 की क्रांति (1857 Revolution in Rajasthan)

• • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राजस्थान मे 1857 की क्रांति (1857 Revolution in Rajasthan) राजस्थान मे 1857 की क्रांति ( 1857 Revolution in Rajasthan)–भारतीय गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग ने क्रांति से पूर्व यह आशंका व्यक्त की कि हमें यह कदाचित नहीं भूलना चाहिए कि भारत के इस शांत आकाश में कभी भी एक छोटी सी बदली उत्पन्न हो सकती है जिसका आकार पहले तो मनुष्य की हथेली से बड़ा नहीं होगा किन्तु जो उत्तरोत्तर विराट रूप धारण करके अंत में वृष्टि विस्फोट के द्वारा हमारी बर्बादी का कारण बन सकती है । • 1857 की क्रांति की रूप रेखा कानपुर के शासक नानासाहेब के मित्र अजीमुल्ला खां तथा सतारा के शासक रंगोजी बापू के द्वारा लंदन में बनाई गई थी, जिसे नेपाल से क्रियान्वित किया गया था। • इस योजना के अनुसार 31 मई 1857 को सामूहिक विद्रोह का फैसला लिया गया था जिसका नाम दिल्ली चलो रखा गया इस विद्रोह का नेतृत्व की कमान अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को दी गई • जिसके लिए चौकीदारों और सैनिकों को प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी • इसमें कमल का फूल व रोटी को प्रचार चिन्ह बनाया था परंतु इसी बीच 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे द्वारा चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में मेजर ह्यूसन तथा लेफ्टीनेंट बाग की हत्या कर दी गई थी यह इस क्रांति का पहला विस्फोट था। • इस घटना के कारण 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। मंगल पांडे 1857 की क्रांति का पहला शहीद था। • क्रांति की विधिवत शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से हुई थी। जिसे इस क्रांति की समय से पहले शुरूआत होने पर इसकी असफलता का मुख्य कारण था। 1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत ( Different views in reference to the revolt of 1857 ) • सर जॉन ...

Rajasthan me 1857 ki kranti question answer in hindi PDF

Rajasthan me 1857 ki kranti question answer in hindi PDF Rajasthan me 1857 ki kranti :- राजस्थान में 1857 की क्रांति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह | राजस्थान GK के टॉपिक Rajasthan me 1857 ki kranti ke Question and Answer. Revolt of 1857 in Rajasthan (Hindi) 2020 Question Answer. राजस्थान में 1857 की क्रांति (1) 1857 की क्रान्ति के समय कोटा का शासक था (1) महाराव राम सिंह (2) महाराव राम सिंह II (3) महाराव माधों सिंह I (4) महाराव उम्मेद सिंह I (2) (2) 1857 के विप्लव के समय कौन कोटा राज्य का पॉलिटिकल एजेन्ट था? (1) जनरल राबर्ट्स (2) मेजर बर्टन राबर्ट्स (3) सेल्डर (4) जेम्स विलियम (2) (3) सन् 1857 ई. के विद्रोह के समय राजस्थान में सैनिक छावनियाँ थी? (1) 4 (2) 5 (3) 6 (4) 7 (3) (4) 1857 में कोटा में विद्रोह का नेता कौन था? (1) बख्त सिंह (2) कुशाल सिंह (3) रामसिंह (4) जयदयाल (4) (5) राजस्थान में 1857 का विद्रोह शुरू हुआ (1) कोटा से (2) देवली से (3) नसीराबाद से (4) जोधपुर से (3) Rajasthan gk questions in hindi PDF :- Post navigation

राजस्थान में 1857 की क्रांति (The Revolution of 1857 in Rajasthan) – RPSC News

21 अगस्त, 1857 को हुआ। इसी समय क्रान्तिकारियों ने एक नारा दिया ‘‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’’। इस समय जोधपुर के शासक तख्तसिंह थे। क्रन्तिारियों ने आऊवा के ठाकुर कुषालसिंह से मिलकर तख्तसिंह की सेना का विरोध किया। तख्तसिंह की सेना का नेतृत्व अनाड़सिंह व कैप्टन हिथकोट ने किया था। जबकि क्रान्तिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुशालसिंह चंपावत ने किया था। दोनो सेनाओं के मध्य 13 सितम्बर, 1857 को युद्ध हुआ। यह युद्ध बिथोड़ा (पाली) में हुआ। जिसमें कुशाल लसिंह विजयी रहें एवं हीथकोट की हार हुई। इस हार बदला लेने के लिए पेट्रिक लोरेन्स एरिनपुरा आए एवं क्रान्तिकारियाने ने इन्हे भी परास्त किया। लोरेन्स के साथ जोधपुर के मैकमोसन थे।क्रान्तिकारीयों ने मैकमोसन की हत्या कर इसका सिर आउवा के किले पर लटकाया। इस हार का बदला लेने के लिए लार्ड कैनिन ने रार्बट हाम्स आउवा सेना भेजी। इस क्रान्ति का दमन किया गया। यह क्रान्ति आउवा क्रान्ति या जनक्रान्ति के नाम से जानी जाती हैं। 15 अक्टूबर,1857 को कोटा में विद्रोह हुआ। कोटा के । मेजर बर्टन इनके समय में क्रान्तिकारियों की कमान जयदयाल (वकील) मेहराबखां (रिसालदार) के हाथ में थी। इन दोनो के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने मेजर बर्टन,उसके दो पुत्रव डाॅ. मिस्टर काटम की हत्या कर दी। मिस्टर राॅर्बटस ने इस क्रान्ति का दमन 1858 में किया। छः माह तक कोटा क्रान्तिकारियों के अधीन रहा। 11 दिसम्बर, 1857 को दूसरी बार राजस्थान आये। इस समय उन्होने बांसवाड़ा को जीता। मेजर ईंड़न को सूचना का पता चला तो वह तांत्या टोपे का पीछा करते हुए बांसवाड़ा पहुंचा। बांसवाड़ा से उदयपुर अन्त में तांत्या टोपे के विष्वासघाती मित्र मानसिंह नरूका ने धोखा किया व ईंड़न को टोपे का पता बता दिया एवं इन्हें फांसी की सजा...