2023 में दीपावली कब की है

  1. दीपावली कब है जानें दीपावली तारीख की पूरी जानकारी (Diwali 2023 Date)
  2. Diwali 2023: साल 2023 में भी दिवाली को लेकर रहेगा कंफ्यूजन, जानें कब मनाया जाएगा दीपों का पर्व
  3. छोटी दिवाली का महत्व
  4. Chaturmas 2023: जानें कब शुरू होंगे चातुर्मास या चौमासा, 24 जून से क्यों लग जाएंगे मांगलिक कार्यों पर विराम
  5. दीपावली कब है 2023
  6. 2023 में कार्तिक पूर्णिमा कब है, पूजा विधि, सामग्री एवं कथा
  7. Deepawali Kab Ki Hai 2023


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दीपावली कब है जानें दीपावली तारीख की पूरी जानकारी (Diwali 2023 Date)

Rate this post नमस्कार दोस्तों आपका हमारा सपोर्ट वेबसाइट पर स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम जिस टॉपिक के बारे में बताएँगे वो आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है। क्योंकि आज का हमारा टॉपिक है दीपावली कब है? दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है और हिन्दू धर्म में इस त्यौहार के पर्व का बहुत महत्व है। अगर 2023 में दीपावली कब मनाई जाएगी इसके बारे में जनना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाला है क्योंकि हम आपको Diwali Kaun Se Mahine Mein Hai इससे सम्बंधित सारी जानकारी देने वाले हैं। विषयसूची • • • • सबसे पहले हम आपको बता दें कि यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में अमावस्या तिथि को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। पुरे भारत में इस पूर्व का अलग ही हर्ष और उल्लस देखने को मिलता है कि इस दिन एकादशी कब है? दीपावली कब है? क्या आप जनना चाहते हैं दोस्तों मन्यता है कि इस दिन भगवन श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्ति करने के बाद अयोधा वापस लौटे थे जिसकी खुशी में सभी नगरवासियों ने दीप जलाये थे। इसके साथ ही इसकी यह मन्यता भी है कि पुराणों के अनुशार समुध मंथन के दौरान कार्तिक माह में अमावस्या पर महा लक्ष्मी प्रकट हुयीं थीं। इसीलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी पुजा करने के बहुत बड़ा महत्व होता है। दीवाली आने से पहले ही घर में साफ़ सफाई और सजावट होने लगती है दीवाली की शाम को सुभ मूर्त पर लक्ष्मी गणेश कुवेर और माता सरस्वती जी की पुजा का विशेष महत्व होता है। लोगो के द्वारा ऐसी मन्यता है कि दीपावली की रात को माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं इसलिए दीवाली के दिन सभी लोग अपने घर को साफ सुथरा एवं प्रकश वांन रखना चाहिए। 2023 में ईद कब है? अपने घर के मुख्य दरवाजे प...

Diwali 2023: साल 2023 में भी दिवाली को लेकर रहेगा कंफ्यूजन, जानें कब मनाया जाएगा दीपों का पर्व

Diwali 2023 Date: हिंदू धर्म में दिवाली का खास महत्व है. कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है. दिवाली की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है और भाई दूज के दिन इसका समापन होता है. साल 2022 में सूर्य ग्रहण के चलते छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन मनाई गई है.वहीं, साल 2023 में दिवाली 12 नवंबर के दिन मनाई जाएगी. लेकिन अगले साल भी लोगों में दिवाली की तिथि को लेकर कंफ्यूजन होना स्वभाविक लग रहा है. जानें दिवाली 2023 में तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में. शास्त्रों में लिखा है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी धरती पर भक्तों के बीच होती हैं और भक्ती से प्रसन्न होकर उनके घरों में वास करती हैं. इस दिन लक्ष्मी जी लोगों के घरों में विचरण करती हैं. मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए ढेरों तैयारियां की जाती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. साल 2023 में कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर, रविवार को पड़ रही है. अमावस्या की तिथि दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक है. ऐसे में 12 नवंबर के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. दिवाली 2023 शुभ मुहूर्त बता दें कि दिवाली के दिन महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है. ऐसे में साल 2023 में दिवाली 12 नवबंर के दिन मनाना ही सही रहेगा. क्योंकि 13 नवंबक को प्रदोष काल तक तिथि का समापन हो जाएगा. ऐसे में 13 नवंबर दे दिन दिवाली नहीं मनाई जा सकती. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 17:40 मिनट से लेकर 19:36 मिनट तक अवधि : 1 घंटे 55 मिनट प्रदोष काल : 17:29 मिनट से लेकर 20:07 मिनट तक वृषभ काल : 17:40 मिनट से लेकर 19:36 मिनट तक महानिशीथ काल...

छोटी दिवाली का महत्व

महत्वपूर्ण जानकारी • छोटी दिवाली 2023 • शनिवार, 11 नवंबर 2023 • चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2023 दोपहर 02:45 बजे कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। छोटी दीपावली वाले दिन को कई ओर त्योहर भी होते है जैसे धन तेरस और नरक चतुर्दशी। इस दिन लोग अपने घर में नये बर्तन व चाँदी खरीदनें का प्रचलन है। छोटी दीपावली का दिन भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस त्योहार का मुख्य घर में उजाला और घर के हर कोने को प्रकाशित करना है। कहा जाता है दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण के आने की खुशी में, एक दिन पहले से ही दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई थी और दीपावली के दिन भगवान श्री राम चन्द्र जी चैदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या आये थे तब अयोध्या वासियों ने अपनी खुशी के दिए जलाकर उत्सव मनाया व भगवान श्री रामचन्द्र माता जानकी व लक्ष्मण का स्वागत किया और इस दिन को बड़ी दीपावली भी कहा जाता है। श्रीकृष्ण की पूजा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था और और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है। यमराज की पूजा सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। शाम को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए। छोटी दीपावल की पूजा सूर्यादय से पहले आटा, तेल, हल्दी का उबटन मलकर स्नान करें। फिर एक थाली में एक चैमुखी दीपक तथा 16 छोटे दीपक लेकर उनमें तेल बाती डालकर जलावें। फिर रोली, खील, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल,...

Chaturmas 2023: जानें कब शुरू होंगे चातुर्मास या चौमासा, 24 जून से क्यों लग जाएंगे मांगलिक कार्यों पर विराम

रामकुमार नायक/महासमुंद. सनातन परंपरा में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले ज्योतिष शास्त्र और पंचांग के माध्यम से शुभ मुहूर्त देखा जाता है. मांगलिक कार्यों के लिए 23 जून आखिरी मुहूर्त है. इसके बाद एक बार फिर मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा. लोगों के पास अब शादी व अन्य शुभ कार्यों के लिए 23 जून तक समय है. यह बात महासमुंद के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने कही. ज्योतिषाचार्य मनोज शुक्ला ने बताया कि मांगलिक कार्यों को लेकर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचांगकर्ता विभिन्न तरह के नक्षत्र तिथि इत्यादि के अनुकूल मुहूर्त देखकर उनकी गणना करके पंचांग में बताते हैं. हमारे छत्तीसगढ़ की बहुत प्राचीन पंचांग श्रीदेव पंचांग के अनुसार मांगलिक कार्यों के लिए 23 जून इस बार आखिरी मुहूर्त है. उसके बाद चौमासा लगने वाला है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार श्रावण मास दो बार पड़ रहा है. पुरुषोत्तम मास है. उसके पहले जो देवशयनी एकादशी आती है उस तारीख से लेकर के मांगलिक कार्यों में विराम लग जाता है. इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी जिसको हम देवशयनी एकादशी कहते हैं वह 29 जून को है उस तारीख से चौमासा प्रारंभ हो जाएगा जो दीपावली के बाद मनाई जाने वाली देवउठनी एकादशी के पहले तक रहेगा. इस बीच मांगलिक कार्य बंद रहेंगे. उसके बाद फिर मांगलिक कार्य शुरू होंगे. . Tags: , , , CNN name, logo and all associated elements ® and © 2020 Cable News Network LP, LLLP. A Time Warner Company. All rights reserved. CNN and the CNN logo are registered marks of Cable News Network, LP LLLP, displayed with permission. Use of the CNN name and/or logo on or as part of NEWS18.com does not derogate from the intellectual property rights of Cabl...

दीपावली कब है 2023

Deepawali Kab Hai 2023: पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार साल 2023 में कार्तिक अमावस्या यानी 12 नवंबर. रविवार को दिवाली मनाई जाएगी। दीपावली का पर्व सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। दीपावली के पर्व पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली पर विधिपूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश और कीर्ति बनी रहती है और जीवन में धन की कमी दूर होती है। दीपावली कब है 2023? (Deepawali Kab Hai 2023) कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए इस साल दीपावली का त्यौहार 12 नवंबर, दिन रविवार को मनाया जाएगा। दीपावली तिथि 2023 (Deepawali Date 2023) दिन – रविवार, 12 नवंबर 2023 अमावस्या तिथि प्रारंभ – 12 नवंबर 2023 को 02:44 बजे अमावस्या तिथि समाप्त – 13 नवंबर 2023 को 02:56 बजे दीपावली महानिशीथ काल मुहूर्त 2023 (Deepawali Mahanishith Kaal Muhurat 2023) लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – 23:39:02 से 24:31:52 तक अवधि – 0 घंटे 52 मिनट महानिशीथ काल – 23:39:02 से 24:31:52 तक सिंह काल – 24:12:32 से 26:30:11 तक दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2023 (Deepawali Shubh Choghadiy Muhurat 2023) अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ) – 14:46:57 से 14:47:07 तक सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल) – 17:29:11 से 22:26:23 तक रात्रि मुहूर्त्त (लाभ) – 25:44:31 से 27:23:35 तक उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ) – 29:02:39 से 30:41:44 तक दीपावली लक्ष्मी पूजा की विधि ( Deepawali Laxmi Puja Vidhi) दीपावली के शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार दिए गए मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन स्न...

2023 में कार्तिक पूर्णिमा कब है, पूजा विधि, सामग्री एवं कथा

हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है और इस दिन वैदिक रीती रिवाजों के अनुसार पूजन करने से बहुत ही पुण्य मिलता है | कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है | हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है और इसके ठीक एक महीने बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सारे देवता धरती पर आते है और अपनी दिवाली मनाते है इसलिए इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है | कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने महा भयंकर राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन दान देने से आपके और आपके परिवार के लिए बहुत ही शुभ फल मिलता है | साथ ही इस दिन जो व्यक्ति सुबह जल्दी गंगा जी में या अन्य नदी में स्नान करके पूजा करता है उसको उसकी पूजा का कई गुना प्रतिफल मिलता है | कार्तिक पूर्णिंमा के महत्व के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत लिखा हुआ है इसलिए इस दिन स्नान, ध्यान, दान और पूजा कर आप भी अपने सिंचित पुण्य में इजाफा कर सकते है | अब यदि आप किसी मेट्रो सिटी में रहते है तो आप घर पर किसी भी तरह की पूजा करवाने के लिए ऑनलाइन ही पूजन सामग्री, पंडित और सजावट की व्यवस्था कर सकते है | जिसके बारे में पूरी जानकारी आपको कार्तिक पूर्णिमा के इस लेख के अंत में मिल जाएगी | कार्तिक पूर्णिमा का महत्व कार्तिक पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है खासकर इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है इसलिए इस दिन लोग पुरे दिन भर धार्मिक कर्मो, पूजा पाठ और दान धर्म में लगे रहते है | इस दिन परिवार के सभी सदस्यों को जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए | य...

Deepawali Kab Ki Hai 2023

Deepawali Kab Ki Hai 2023: दिवाली हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण और उज्ज्वल त्योहारों में से एक है। दीवाली को दीपावली और ‘रोशनी का त्योहार’ के रूप में भी जाना जाता है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व दीपावली इस वर्ष 12 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन सुख-समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है और भक्तों पर जीवन भर उनकी कृपा बनी रहती है। यह त्योहार कार्तिक (अमावस्या) के महीने में 15 वें दिन होता है जब सर्दियों का मौसम शुरू होता है। इसके बारे में विभिन्न मत हैं। जैनियों का मानना ​​है कि इसी दिन महावीर स्वामी स्वर्ग में गए थे और देवताओं ने उन्हें प्राप्त किया और इस प्रकार उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। हिंदू इसलिए मनाते हैं क्योंकि इस दिन श्री राम चंद्र लंका के राजा रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे और अयोधियाँ वासियो ने श्री राम के वापस लौटने की खुशी में दीप प्रज्वलित कर उनका स्वागत किया था। सिखों के लिए दिवाली बंदी छोड़ दिन का प्रतीक है। जब गुरु हर गोबिंद ने अपने और हिंदू राजाओं को किले ग्वालियर से, इस्लामिक शासक जहांगीर की जेल से छुड़वाया था और अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पहुंचे थे। तब सिखों ने बंदी मुक्त दिवस मनाया। यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। घरों, मंदिरों, दुकानों, और अन्य इमारतों को साफ़ कर विभिन्न रंगों से रंगा जाता है और चित्रों, खिलौनों और कागज के फूलों से सजाया जाता है। सभी लकड़ी की चीजों को पॉलिश किया जाता है। सभी इमारतों को रात में दीपो से प्रकाशित किया जाता है। लोग अपने घरों को ‘दीपको’ से रोशन करते हैं। बड़े शहरों में आतिशबाजी में पर काफी पैसा खर्च होता है। हर कोई ...