25 tarikh ko grahan kab lagega

  1. Lunar Eclipse of 2023
  2. Aaj Ki Tithi
  3. Aaj Ki Tithi


Download: 25 tarikh ko grahan kab lagega
Size: 67.24 MB

Lunar Eclipse of 2023

About Lunar Eclipse Data If Lunar Eclipse starts before midnight but ends after midnight i.e. it covers two different dates on Gregorian calendar then the chosen Eclipse Day is when maximum of Lunar Eclipse occurs. Hence Penumbral Phase as well as Umbral Phase might start before midnight i.e. on the previous day. Moonrise and Moonset moments are corrected for Parallax and this correction gives better timings for the Eclipse sighting. Hinduism and Lunar Eclipse Unless Lunar Eclipse is visible to the naked eye, it is of no significance to Hindus and Hindus don't consider it for any religious activities. Penumbral Lunar Eclipses are not visible to the naked eye hence no rituals related to Chandra Grahan should be observed. If Lunar Eclipse is visible during Umbral Phase then only it should be considered for religious activities. Most Hindu Calendars don't list Penumbral Eclipses. If Chandra Grahan is not visible in your city but it is visible some city near to that then you should not observe it.

Aaj Ki Tithi

तिथि तिथि पंचांग का सबसे मुख्य अंग है यह हिंदू चंद्रमास का एक दिन होता है। तिथि के आधार पर ही सभी वार, त्यौहार, महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि आदि का निर्धारण होता है। एक तिथि तब पूर्ण मानी जाती है जब चंद्रमा सूर्य से 12 डिग्री पर स्थित होता है। तिथियां 16 होती हैं जिनमें अमवास्या व पूर्णिमा मास में एक बार ही आती हैं जबकि अन्य तिथियां दो बार आती हैं। वैदिक ज्योतिष में परिभाषित एक महीने में कुल 30 तिथियां होती हैं। पहले पंद्रह तीथों को शुक्ल पक्ष में, जबकि अगले पंद्रह तीथों को कृष्ण पक्ष में शामिल किया जाता है। 12 डिग्री पर चंद्रमा के झुकाव के साथ, माह के एक तिथि का समापन होता है। एक तिथि में पांच भाग होते हैं जिन्हें नंदा, भद्रा, रिक्ता, जया और पूर्णा कहा जाता है। पंचांग में तिथि का महत्व हिंदू कैलेंडर या पंचांग में तिथियों का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह लोगों को एक नया कार्य करने या उसकी शुरूआत करने के लिए शुभ समय प्रदान करती है। शुभ तिथियों के साथ-साथ अशुभ तिथियां भी होती हैं। तिथि दिन के अलग-अलग समय पर शुरू होती है और लगभग 19 से 26 घंटे की अवधि तक भिन्न हो सकती हैं। तिथियों के नाम इस प्रकार हैं – प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमवास्या और पूर्णिमा। पंचांग की 30 तिथियों हिंदू पंचांग की तिथियों को दो भागों में बांटा गया है - शुक्ल और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक में कुल 15 तिथि हैं। सामूहिक रूप से कैलेंडर में कुल 30 तिथियां हैं। अमावस्या और पूर्णिमा को छोड़कर सभी तिथियां महीने में दो बार आती हैं। आइए जानते हैं तिथियों के बारे में.. प्रथम / प्रतिपदा सभी प्रकार के शुभ और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए यह ...

Aaj Ki Tithi

तिथि तिथि पंचांग का सबसे मुख्य अंग है यह हिंदू चंद्रमास का एक दिन होता है। तिथि के आधार पर ही सभी वार, त्यौहार, महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि आदि का निर्धारण होता है। एक तिथि तब पूर्ण मानी जाती है जब चंद्रमा सूर्य से 12 डिग्री पर स्थित होता है। तिथियां 16 होती हैं जिनमें अमवास्या व पूर्णिमा मास में एक बार ही आती हैं जबकि अन्य तिथियां दो बार आती हैं। वैदिक ज्योतिष में परिभाषित एक महीने में कुल 30 तिथियां होती हैं। पहले पंद्रह तीथों को शुक्ल पक्ष में, जबकि अगले पंद्रह तीथों को कृष्ण पक्ष में शामिल किया जाता है। 12 डिग्री पर चंद्रमा के झुकाव के साथ, माह के एक तिथि का समापन होता है। एक तिथि में पांच भाग होते हैं जिन्हें नंदा, भद्रा, रिक्ता, जया और पूर्णा कहा जाता है। पंचांग में तिथि का महत्व हिंदू कैलेंडर या पंचांग में तिथियों का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह लोगों को एक नया कार्य करने या उसकी शुरूआत करने के लिए शुभ समय प्रदान करती है। शुभ तिथियों के साथ-साथ अशुभ तिथियां भी होती हैं। तिथि दिन के अलग-अलग समय पर शुरू होती है और लगभग 19 से 26 घंटे की अवधि तक भिन्न हो सकती हैं। तिथियों के नाम इस प्रकार हैं – प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमवास्या और पूर्णिमा। पंचांग की 30 तिथियों हिंदू पंचांग की तिथियों को दो भागों में बांटा गया है - शुक्ल और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक में कुल 15 तिथि हैं। सामूहिक रूप से कैलेंडर में कुल 30 तिथियां हैं। अमावस्या और पूर्णिमा को छोड़कर सभी तिथियां महीने में दो बार आती हैं। आइए जानते हैं तिथियों के बारे में.. प्रथम / प्रतिपदा सभी प्रकार के शुभ और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए यह ...