आधुनिक काल में महिलाओं की स्थिति pdf

  1. नारी सशक्तिकरण पर निबंध
  2. भारतीय सामाज में महिलाओं की स्थिति
  3. भारत निर्माण में महिलाऐं
  4. महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध, भारतीय नारी, आधुनिक युग: women's role in society essay in hindi, indian society, modern society, 100, 200, 500 words
  5. प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति pdf
  6. आधुनिक काल में नारी की स्थिति,सती
  7. (PDF) भारतीय समाज में महिलाओं की स्तिथि और महिला सशक्तिकरण


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नारी सशक्तिकरण पर निबंध

आज का यह लेख नारी सशक्तिकरण पर निबंध ( Women Empowerment Essay In Hindi Pdf) के रूप में दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण जिन्हें नारी सशक्तिकरण के नाम से जाना जाता हैं, यहाँ पढ़िए यहाँ छोटा बड़ा नारी महिला वीमेन एम्पावरमेंट हिंदी एस्से यहाँ स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं. नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi Get Here Free Short Essay On Women Empowerment Essay In Hindi Pdf For School Students & Kids नमस्कार दोस्तों आज का निबंध महिला सशक्तिकरण पर निबंध Women Empowerment Essay In Hindi पर दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण अर्थात वीमेन एम्पोवेर्मेंटअर्थ महत्व पर आसान भाषा में स्टूडेंट्स के लिए यहाँ निबंध दिया गया हैं. यह जानना आवश्यक हैं आखिर महिला सशक्तिकरण हैं क्या ? सरल शब्दों में कहा जाए तो नारी (स्त्री,महिला) को उस स्तर तक ले जाना जहाँ से वह अपने निर्णय स्वय कर सके. वे अपने करियर, शादी, रोजगार, परिवार नियोजन सहित सभी विषयों पर बिना किसी के मदद व दवाब के निर्णय ले सके. उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो जो पुरुष वर्ग को हैं, वह किसी के भरोसे जीने की बजाय इस काबिल बन जाए कि स्वय अपना कार्य कर सकने में सक्षम हो, यहीमहिला सशक्तिकरण हैं. चलिएमहिला सशक्तिकरण (वीमेन एम्पोवेर्मेंट) के छोटे निबंध को. 150 शब्द, नारी सशक्तिकरण निबंध यदि हम अपने देश की ही बात करे तो आए दिन प्रति हजार लोगों पर स्त्रियों की संख्या निरंतर कम ही होती जा रही हैं. इसका दूसरा पहलु सरकार की ओर से कथित दलीले हैं. सरकार के कथनानुसार गाँव के लोगों तक 100 फीसदी शिक्षा पहुच चुकी हैं. Telegram Group जिससे कारण बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैं. मगर आज की स्थति बय...

भारतीय सामाज में महिलाओं की स्थिति

भूमिका (Introduction) महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रही हैं और वर्तमान में महिलाओं ने एक सशक्त नारी की छवि स्थापित की है। समाज में महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण वर्तमान परिस्थिति के आधार पर पूर्णरूपेण नहीं किया जा सकता। भारत में महिलाओं की स्थिति का विहंगावलोकन करने के लिए विभिन्न कालों, जैसे-वैदिक, मुस्लिम, ब्रिटिश एवं आधुनिक काल में उनकी स्थिति का अध्ययन करने के उपरान्त ही समाज में महिलाओं की स्थिति का ज्ञान किया जा सकता है। विभिन्न ऐतिहासिक काल क्रमों में महिलाओं की स्थिति भी अलग-अलग प्रकार की रही है। महिलाओं की स्थिति जानने का आधार मुख्य रूप से उनका सामाजिक आदर, शिक्षा व्यवस्था, परिवार में स्थान, लैंगिक भेदभाव का न होना, रूढ़ियों एवं कुप्रथाओं का न होना, आर्थिक संसाधनों पर नियन्त्रण, निर्णय लेने की क्षमता का प्रयोग एवं स्वतन्त्रता आदि में निहित होता है। वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति (Status of Women in Vedic period) प्राचीनकाल में लगभग 200 ई० पूर्व तक स्त्रियों को समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था और उनकी शिक्षा का प्रबन्ध करना माता-पिता का परम कर्तव्य माना जाता था। बालिकाएं 16 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण करती थी। अथर्ववेद में उल्लिखित है कि नारी विवाह के पश्चात् तभी सफल हो सकती है, जबकि उसे ब्रह्मचर्य की अवस्था में भली-भांति शिक्षित किया गया हो। यहाँ स्त्रियाँ कृषि कार्यों तथा युद्ध सम्बन्धी अस्त्रों के निर्माण का कार्य भी करती थीं। वे अपने पतियों के साथ युद्ध में भाग लेती थीं और धनु संचालन तथा अश्व संचालन में भी भाग लेती थीं। स्त्रियों को वेदाध्ययन करने, शास्त्रार्थ करने, पुराणों का अध्ययन करने, धार्मिक एवं सामाजिक कृत्यों के भाग लेने, यज्ञाद...

भारत निर्माण में महिलाऐं

सन्दर्भ 8 मार्चकोसम्पूर्णविश्वमेंअंतर्राष्ट्रीयमहिलादिवशकेरूपमेंमनायाजाताहै। परिचय • भारतमात्रएकदेशनहींबल्किसंस्कृति , सभ्यतातथाआदर्शोकाएकसमुच्चयहैजिसकेनिर्माणमेंपुरुषोतथामहिलाओद्वारासमानरूपसेयोगदानदियागयाहै।भारतीयसंस्कृति, समाज ,विज्ञान, राजनीतिकेसभीआयामोंमेंमहिलाओकाअबिस्मरणीययोगदानरहाहै।प्राचीनकालमेंगार्गी ,अपालाजैसीविदुषियोंसेआधुनिककालमेंकिरणबेदी ,ममताबनर्जीजैसीमहिलाओकीएकसुखदपरम्परारहीहैजिन्होंनेदेशकीसर्वांगीणविकासमेंयोगदानदियाहै। • भारतमेंमहिलाओंकीस्थितिनेपिछलीकुछसदियोंमेंकईबड़ेबदलावोंकासामनाकियाहै।प्राचीनकालमेंपुरुषोंकेसाथबराबरीकीस्थितिसेलेकरमध्ययुगीनकालकेनिम्नस्तरीयजीवनऔरसाथहीकईसुधारकोंद्वारासमानअधिकारोंकोबढ़ावादिएजानेतक, आधुनिककालमेंसमानता ,स्वतंत्रतातथाअधिकारकेसिद्धांतोकेपथपरप्रगतिशीलहोतेहुएभारतमेंमहिलाओंकाइतिहासकाफीगतिशीलरहाहै। प्राचीनकालमेंभारतीयमहिलाऐं • सिंधुघाटीसभ्यतामेंमातृदेवीकीमूर्तियोंसेस्पष्टहैकिइससभ्यतामेंमहिलाओकोसम्मानप्राप्तथा। • वैदिककालमेंमहिलाओकोपुरूषोंकेसमानशिक्षा -दीक्षाकाअधिकारथाइसकालमेंगार्गी , अपालाजैसीविदुषीमहिलाओंकानामप्रमुखरहाहै।वेदोमेंअदिति (देवताओकीमाता ) कावर्णनभीमिलताहै।इसकालमेंबहुपत्नीतथाबहुपतिविवाहप्रचलनमेंथे। • महाजनपदकालआतेआतेराज्यनिर्माणतथायुद्धकीप्रवृत्तिमेंवृद्धिकेकारणस्त्रीसंतानकीइच्छाकमहोतीगईपरन्तुइसकालमेंभीमहिलाओकोसम्मानप्राप्तथा। • प्राचीनभारतकेप्रसिद्दराजागौतमी-पुत्रशातकर्णिसंभवतःमातृप्रधानवंशसेसम्बंधितथे।साक्ष्योंकेअनुसारगुप्तकालमेंप्रभावतीगुप्तप्रभावशालीमहिलारहीं। • परन्तुसमग्ररूपसेमहिलाओंकीस्थितिमेंगिरावटदेखनेकोमिलतीहै।महिलाओकोजोसम्मानवैदिककालमेंमिलावहसामंतकालआतेआतेकमहोजाताहैपरन्तुपत्नीतथामाताकेरूपमेंइससमयभीमहिलाओंकासम्मान...

महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध, भारतीय नारी, आधुनिक युग: women's role in society essay in hindi, indian society, modern society, 100, 200, 500 words

विषय-सूचि • • • • • • महिलाओंकीसमाजमेंभूमिकापरनिबंध, women’s role in society essay in hindi (100 शब्द) महिलाएंहमारेसमाजमेंउनकेजन्मसेलेकरजीवनकेअंततकविभिन्नप्रकारकीमहत्वपूर्णभूमिकाएँनिभातीहैं।आधुनिकसमाजमेंकुशलभूमिकामेंसभीभूमिकाएंऔरसमयपरनौकरीकरनेकेबादभी, वहकमजोरहैक्योंकिपुरुषअभीभीसमाजकासबसेमजबूतलिंगहैं। सरकारद्वारासमाजमेंबहुतसारेजागरूकताकार्यक्रमों, नियमोंऔरविनियमोंकेबादभी, उसकाजीवनएकआदमीकीतुलनामेंअधिकजटिलहै।उसेबेटी, पोती, बहन, बहू, पत्नी, माँ, सास, दादी, आदिकेरूपमेंअपनाऔरपरिवारकेसदस्योंकाख्यालरखनापड़ताहै।स्वयं, परिवारऔरदेशकेउज्ज्वलभविष्यकेलिएबाहरआनेऔरनौकरीकरनेमेंसक्षम। समाजमेंमहिलाओंकीभूमिकापरनिबंध, women’s role in modern society essay in hindi (150 शब्द) भारतीयसमाजमेंमहिलाओंकोप्राचीनकालसेदेवीमानाजाताहैलेकिनयहभीसचहैकिउन्हेंदेवीनहींमानाजाताहै।उन्हेंकईवर्षोंसेबीमारकियाजारहाहैऔरपुरुषोंकीइच्छाओंकोपूराकरनेकेलिएसिर्फचीजोंकेरूपमेंउपयोगकियाजाताहै।उन्हेंसमाजमेंपूर्णमहिलासशक्तिकरणदेनेकेलिएदेवीकेरूपमेंविचारकरनापर्याप्तनहींहै; हालाँकि, यहवास्तवमेंमहिलासशक्तिकरणलानेकेलिएपुरुषोंऔरमहिलाओंदोनोंकेसकारात्मकनिरंतरप्रयासऔरभागीदारीकीआवश्यकताहै। महिलाएंहरकिसीकेजीवनमेंएकमहानभूमिकानिभातीहैंजिनकेबिनाहमजीवनकीसफलताकीकल्पनानहींकरसकते।वेइसग्रहपरजीवनकीसफलनिरंतरताकेलिएअत्यधिकजिम्मेदारहैं।पहलेउन्हेंकेवलपत्नियोंऔरमाँकेरूपमेंमानाजाताथाजिन्हेंखानापकाना, घरसाफकरनाऔरपूरेपरिवारकेसदस्योंकीदेखभालअकेलेहीकरनीथी।लेकिन, अबहालतमेंथोड़ासुधारहुआहै, उन्होंनेपरिवारऔरबच्चोंकेअलावाकईगतिविधियोंमेंभागलेनाशुरूकरदियाहै। भारतीयसमाजमेंनारीपरनिबंध, essay on women’s role in modern india in hindi (200 शब्द) महिलाओंकेव्यवहार, सोचनेऔरक...

प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति pdf

प्राचीन भारत में नारी की स्थिति : हमारे देश में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नही रही है। इसमें युगानुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ थी , परिवार तथा समाज में उन्हे सम्मान प्राप्त था। पहले के समय में हमारे देश में ऐसी - ऐसी कुप्रथाएं थी जिन्हें आज के समय में सोचने पर भी रूह कांप उठती है। इनमे से एक है सती प्रथा जी हाँ दोस्तों एक समय था जब नारी को अपने पति की मौत के बाद उसे उनके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। इस कुप्रथा से निजात दिलाने हेतु राजा राममोहन राय ने नारी हित में पहली बार ठोस कदम उठाया और सती प्रथा पर रोक लगा दी गयी। इसके अलावा समाज में कुप्रथाओ के वाहक कुछ विशेष वर्ग के पुरुषों ने नारी को समाजिक सुख सुविधाओं व शिक्षा से दूर रखा और नारी गुलामी की प्रतीक बन गई। नारी को समाजिक गतिविधियों में शामिल होने की छूट नहीं थी। और उसे अपने घर के अंदर भी अपना चेहरा घूघंट में छिपाकर रखना पड़ता था। इन सब बातों को देखते हुए हमे आज भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाते है जहाँ पर नारी की बिलकुल भी कदर नही होती है। खासकर गाँव के इलाकों में तो आज भी कई प्रकार की कुप्रथाएं मौजूद है। इसलिए इस प्रकार की कुप्रथाओं से आज हमे लड़ने की सख्त जरूरत है। वर्तमान युग की नारी और उसका योगदान : अगर हम आज के समय की बात करें तो महिलाएं पुरुष वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की ओर अग्रसर हो रही है, वह समाज के लिए एक गर्व और सराहना की बात है। फिर चाहे वह कोई भी वर्ग हो जैसे - राजनीति, टेक्नोलोजी, सुरक्षा समेत हर क्षेत्र में जहां ...

आधुनिक काल में नारी की स्थिति,सती

आधुनिक काल में नारी की स्थिति भारतीय इतिहास में आधुनिक काल का आशय मुगल शासन की समाप्ति होकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासनारम्भ से लेकर वर्तमान समय से है। अंग्रेजों ने देशी शासकों को परास्त करके देश में दो प्रकार की शासन व्यवस्थाएं स्थापित कीं। पहली व्यवस्था में अंग्रेजों ने अपने द्वारा विजित क्षेत्रों को ब्रिटिश भारत कहा। देश के इस हिस्से पर अंग्रेजों के बनाए कानून लागू होते थे। दूसरे हिस्से को रियासती भारत कहा जाता था। इस हिस्से में छोटे-छोटे राज्य थे जिनमें राजाओं एवं नवाबों का शासन था। इन राज्यों को अधीनस्थ संधियों के माध्यम से ब्रिटिश सत्ता के अधीन लाया गया जिनमें पॉलिटिकल एजेंटों के माध्यम से अंग्रेजी कानून लागू करवाए जाते थे। अंग्रेजों के शासनकाल में भारतीय समाज में नारी का जीवन अत्यंत कठिन था। समाज में दहेज-प्रथा का प्रचलन था। विधवाओं का जीवन अंधकारमय था। पुरुषों में बहु-विवाह प्रचलित था तथा एक पत्नी की मृत्यु होने पर उसे दूसरा विवाह करने की छूट थी किंतु स्त्रियाँ पुनर्विवाह नहीं कर सकती थीं। अंग्रेजों ने भारत में परम्परागत रूप से चली आ रही कुप्रथाओं यथा, सती-प्रथा, बाल-विवाह प्रथा, पर्दा-प्रथा, कन्या-वध, अनमेल-विवाह प्रथा, दहेज प्रथा, देवदासी प्रथा, चेला बनाने की प्रथा, दास-प्रथा, बच्चों के बेचने की प्रथा आदि अनेक सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिए कानून बनाए। सती-प्रथा भारत में सती-प्रथा के उल्लेख महाभारत काल से मिलने लगते हैं। अधिकांश स्मृतियों में पतिव्रता स्त्री के लिए सती होना ही स्वर्गीय मार्ग बताया गया। संभवतः सती-प्रथा के आरम्भ में स्त्रियाँ धार्मिक भावना से प्रेरित होकर स्वेच्छा से सती हो जाया करती थीं। सती हो चुकी स्त्री को समाज में देवी माना जाता था। फिर भी...

(PDF) भारतीय समाज में महिलाओं की स्तिथि और महिला सशक्तिकरण

भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। विद्वानों का मानना है कि प्राचीन भारत में महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा हासिल था। हालांकि कुछ अन्य विद्वानों का नज़रिया इसके विपरीत है। पतंजलि और कात्यायन जैसे प्राचीन भारतीय व्याकरणविदों का कहना है कि प्रारम्भिक वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा दी जाती थी। ऋग्वेदिक ऋचाएं यह बताती हैं कि महिलाओं की शादी एक परिपक्व उम्र में होती थी और संभवतः उन्हें अपना पति चुनने की भी आजादी थी। ऋग्वेद और उपनिषद जैसे ग्रंथ कई महिला साध्वियों और संतों के बारे में बताते हैं जिनमें गार्गी और मैत्रेयी के नाम उल्लेखनीय हैं।