आस माता की कहानी सुनाओ

  1. Aas Mata ki Katha
  2. आस माता चौथ, Aas Mata Vrat Katha In Hindi, Aas Mata Ki Puja
  3. Aas Mata Ki Puja 2023 आस माता की पूजा कब करें? पढ़ें आस माता के व्रत की कहानी
  4. Know the story of Ahoi Mata, mothers will fast for the protection of their children
  5. देखा ना तुझे,फिर भी है मुझे प्रभु तेरा भरोसा भारी


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Aas Mata ki Katha

Aas Mata ki Katha आस माता की कहानी क्यों? एक समय की बात है एक गांव में एक आसलिया था। वह रो जुआ खेला करता था और वह हर बार हारे या जीते पर ब्राह्मण को जिमाता था। एक दिन उसकी भाभियाँ ने उससे कहा कि तुम तो हारो या जीतो पर दोनों पर भी ब्राह्मण जिमाते हो, ऐसे कब तक चलेगा और फिर सब ने सोचा की उसे घर से निकाल दिया। वह घर से निकलकर शहर में रहने लगा और आस माता की पूजा करने बैठ गया। सारे पुरे शहर में खबर फैल गई कि एक जुऐ का बहुत अच्छा खिलाड़ी आया है तो यह सुनकर वह का राजा खेलने आया। और फिर राजा ने जुए खेला और फिर राजा जुए में सारा राज पाट हार गया। आस माता कैसे बनाई जाती है? आसमाता की पूजा विधान सबसे पेले एक लोटा ले और फिर उस लोटे में चळवळ ढले फिर एक स्वास्तिक चिन्ह बनायें। गेहूँ के सात दानें हाथ में लेकर कहानी सुनें। हलवा, पूड़ी तथा रुपये रखकर बायना निकालकर सासुजी को चरण स्पर्श करके देना चाहिए। अब वह राजा बन गया और राज करने लगा। भाभियों के घर में अन्न और धन की कमी हो गई इसलिए वह उसे ढूंढने निकल गई और सब शहर पहुंच गए । वहाँ उन्होंने सुना कि एक आदमी जुए में राजा से जीत गया। तब वह उसे देखने के लिए गए । वहां उसकी माँ नेउससे कहा कि मेरा बेटा भी यहीं पर जुआ खेलता था। हमने उसको घर से निकाल दिया। वह बोला माँ मैं ही तुम्हारा बेटा हूं तुम्हारी करनी तुम्हारे साथ मेरी करनी मेरे साथ । उन लोगो ने अपने घर जाकर आस माता का उदपान करा दिया और सुख रहने लगे। हे आस माता जैसा आसलिया राजा को राजपाट दिया वैसा सबको देना| बोल आस माता की जय

आस माता चौथ, Aas Mata Vrat Katha In Hindi, Aas Mata Ki Puja

Aas Maata Ka Vrat Phaalgun Shukl Paksh Ke Pratipada Se Ashtamee Tak Ke Kisee Bhee Ek Tithi Ko Kiya Jaata Hai. Is Vrat Mein Aasaamaee Ka Poojan Karate Hain. Aisa Maana Jaata Hai Ki Jab Tak Hamaare Jeevan Mein Aasha Hai Tab Tak Hamaaree Sabhee Ichchhaayen Pooree Hotee Hai. Aasaamaee Kee Prasannata Se Hamaare Sabhee Kaam Poore Hote Hain. Or Hamen Hamesha Aasaamaee Ko Prasann Rakhana Chaahiye Evam Unaka Saath Kabhee Nahin Chhodana Chaahiye. Yah Vrat Striyon Ke Liye Hain. Is Vrat Ko Karane Vaalee Mahilaayen Gotiyon Vaala Mangalasootr Pahanakar Aasa Maata Ko Bhog Lagaatee Hai Tatha Vahee Bhog Anye Mahilaon Ko Detee Hai. Is Din Keval Meetha Bhojan Hee Karen. आस माता चौथ की हार्दिक शुभकामनाए सोचा करता था माँ, तेरी कृपा बिना कैसे जरूरते होंगी पूरी, तेरा आशीर्वाद मिला जो माँ, तो नही रही कोई हसरत अधूरी. आस माता की कहानी एक आसलिया नाम का व्यक्ति था | वह जुआ खेला करता था | वह हारे या जीते आस माता के नाम ब्रह्म भोज करता था | एक दिन उसकी भाभियों ने कहा तुम हारो या जीतो दोनों में ही ब्रह्म भोज करते हो इतना धन कहाँ से आएगा | भाई भाभीयों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया | वह घर से निकल कर शहर चला गया और आस माता की पूजा करने बैठ गया | आस माता की कृपा से सारे शहर में खबर फैल गई की शहर में एक जुआरी आया हैं तो यह सुनकर वहाँ का राजा आसलिया के साथ जुआ खेलने आया ,और आस माता की कृपा से राजा अपना सारा राज्य हार गया और आसलिया राजा बन गया और राज्य करने लगा | भाइ भाभीयों के घर में अन्न धन की कमी हो गई और अपने परिवार के साथ घर छोड़ आसलिया को ढूंढने लगे | शहर में पहुचने पर उन्होंने सुना की एक आदमी राजा से जुए...

Aas Mata Ki Puja 2023 आस माता की पूजा कब करें? पढ़ें आस माता के व्रत की कहानी

Aas Mata Ki Puja आस माता की पूजा हिंदु पंचांग के फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तिथि के मध्य किसी भी दिन आस माता का व्रत एवं पूजन किया जा सकता है। इस दिन आस माता का पूजन किया जाता है। आस माता का व्रत और पूजन करने वाले के जीवन में कोई कष्ट नही आता, जो भी विपत्ति आती है वो आस माता की कृपा से बड़ी आसानी से टल जाती है। Aas Mata Ki Puja Ka Mahatva आस माता की पूजा का महत्व हिंदु मान्यता के अनुसार आस माता की पूजा और व्रत करने वाले मनुष्य का कभी अनिष्ट नही हो सकता। इस व्रत और पूजन के विषय में ज्यादा लोग नही जानते। यह व्रत बहुत दुर्लभ है। इसकी विधि बहुत ही आसान है। इस व्रत करने वाले जातक को आस माता का सरंक्षण मिल जाता है। आस माता सदैव उसकी सहायता करती है। आस माता का व्रत एवं पूजन बहुत ही शुभ परिणाम देने वाला माना जाता है • इस व्रत और पूजन को करने वाले जातक का कभी अनिष्ट नही होता। • उसका सदैव मंगल ही होता है। • जीवन में उसे सभी प्रकार के सुख साधन प्राप्त होते है। वो एक सुविधापूर्ण जीवन जीता है। • वो हमेशा विजयी होता है। • उसको कभी धन-धान्य की कमी नही होती। • जीवन में प्रसन्नता आती है। • पारिवारिक सम्बंधों में मधुरता आती है। How to worship Aas Mata? आस माता की पूजा कैसे करें? फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से अष्टमी तक के बीच में आप जिस दिन भी यह व्रत और पूजन करना चाहें, उस दिन इस विधि से व्रत और पूजन करें। • व्रत के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। • पूजास्थान पर के चौकी बिछाकर उस पर एक जल से भरा कलश स्थापित करें। • धूप-दीप जलाकर कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाकर उसपर चावल चढ़ायें। • फिर गेहूँ के सात दाने हाथ में लेकर...

Know the story of Ahoi Mata, mothers will fast for the protection of their children

जानिए अहोई माता की कहानी, संतान की सुरक्षा के लिए माताएं रखेंगी व्रत वास्तव में अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना. भारतीय सनातनी इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि नारी शक्ति में इतना सबल सामर्थ्य रहा है कि उन्होंने कई बार अनहोनी को बदला है. कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखने का विधान है. यह व्रत माताएं अपनी संतान की रक्षा और उनकी दीर्घायु की कामना के लिए रखती हैं. • कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखने का विधान है. • यह व्रत माताएं अपनी संतान की रक्षा और उनकी दीर्घायु की कामना के लिए रखती हैं. • कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की करवा चौथ के बाद अष्टमी को यह व्रत रखा जाता है. • इस व्रत में अहोई माता के साथ भगवान शिव और पार्वती की भी पूजा की जाती है. नई दिल्लीः वैसे तो भारत वर्ष में प्रत्येक दिन त्योहार है, लेकिन विशेष रूप से आश्विन और कार्तिक मास व्रत-उपवास के साथ उल्लास के दिन कहलाते हैं, जहां आश्विन मास में नवरात्र प्राकृतिक, मानसिक व आध्यात्मिक शक्तियों को पहचानने के दिन हैं वहीं कार्तिक मास उल्लास के प्रतीक कई पर्वों का समूह है. अभी हाल ही में माताओं का सबसे प्रसिद्ध व्रत करवाचौथ बीता है, अब आगे अहोई अष्टमी है. अहोई अष्टमी का व्रत माताएं रविवार को रखेंगीं. यह है अहोई की कथा एक साहूकार की बेटी मिट्टूी काटने खेत पर गई थी. जिस जगह वह मिट्टी काट रही थी, वहीं साही अपने साथ बेटों से साथ रहती थी. मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से साही का एक बच्चा मर गया. इस पर गु्स्से में साही ने कहा कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी. साही ने बांध दी कोख साही के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभिय...

देखा ना तुझे,फिर भी है मुझे प्रभु तेरा भरोसा भारी

I am a Youtuber and a Blogger. I write old Marwadi and Hindi Bhajans on my blog and I sing them and upload it on my youtube channel. these are very old and folk songs and bhajans of India. you can visit my youtube chennal on "Pushpa Rathi आपांणी धरोहर" and my blog is "https://bhajaninhindi.blogspot.com/"