अधिक मास

  1. Adhik Maas 2020: 18 September
  2. अधिक मास 2020: 18 सितंबर
  3. Mangala Gauri Vrat 2023: सावन मास में कब
  4. अधिकमास
  5. adhik maas rare coincidence after 19 years 8 Shravan and New Year 2023 will be of 13 months


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Adhik Maas 2020: 18 September

हिन्दी में पढ़ें 18 September - 16 October, 2020 This year, from September 17 to October 16, there will also be Ashwin Adhik Maas. That means two Ashwin. Due to this, all the festivals after Shraddha Paksha like Navratri, Dussehra, Deepawali etc. will start from 20 to 25 days later. There will be a difference of about a month between Shraddha and Navratri. Dussehra will be celebrated on 25 October and Deepotsav on 14 November. Dev Prabodhini Ekadashi is on 25 November. After 19 years, Ashwin has come again in the form of Adhimas, then after 19 years in 2039, Ashwin will come as Adhimas, but Leap Year and Adhik maas have come together after 160 years. Before this coincidence was formed in the year 1860. No auspicious functions such as marriage, shaving, house entrance are performed in the Adhik mass. To know more about the Hindu religion and culture stay tuned with Bhaktibharat. Worship (Puja-Path) has special importance in Hindu religion. Through puja, people express respect and gratitude to God and as a result their wishes are fulfilled. People worship each god according to the day and seek their blessings. Puja is performed to show devotion to the God and is followed by the ritual of Aarti.

अधिक मास 2020: 18 सितंबर

Read in English 18 सितंबर - 16 अक्टूबर, 2020 आधिक-मास को प्रायः अशुभ महीना माना गया है, इस महीने में सभी प्रकार के शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध होता है। इसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास भी कहा जाता है। इस वर्ष अर्थात 2020 मे अधिक मास आश्विन-मास के रूप मे 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा। वर्ष 2020 मे पितृपक्ष समाप्त होते ही नवरात्रि प्रारंभ न होकर मलमास का महीना शुरू हो जाएगा। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगी। इस वर्ष, 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक, अश्विन प्रवेश मास भी रहेगा। इसका मतलब है कि दो अश्विन। इसके कारण, श्राद्ध पक्ष जैसे नवरात्रि, दशहरा, दीपावली आदि के बाद सभी त्योहार 20 से 25 दिन बाद शुरू होंगे। श्राद्ध और नवरात्रि के बीच लगभग एक महीने का अंतर होगा। 25 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपोत्सव मनाया जाएगा। देव प्रबोधिनी एकादशी 25 नवंबर को है। 19 वर्षों के बाद, अश्विन फिर से आदमियों के रूप में आए हैं, फिर 2039 में 19 वर्षों के बाद, अश्विन आदिमास के रूप में आएंगे, लेकिन लीप वर्ष और आधि मास 160 वर्षों के बाद एक साथ आए हैं। इससे पहले संयोग 1860 में बना था। भगवान विष्णु अधिक मास के पूज्य देव हैं, अतः इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य इस महीने में नहीं किए जाते हैं। हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। पूजा के माध्यम से लोग भगवान के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं और परिणामस्वरूप उनकी मनोकामना पूरी होती है। लोग दिन के अनुसार प्रत्येक भगवान की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पूजा भगवान के प्रति समर्पण दिखाने के लिए की जाती है और इसके बाद आरती की रस्म ह...

Mangala Gauri Vrat 2023: सावन मास में कब

Mangala Gauri Vrat 2023: श्रावण मास का माह काफी खास माना जाता है। मान्यता है कि सावन मास के दौरान भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस साल सावन का महीना काफी खास है, क्योंकि इस साल पूरे 59 दिन भगवान शिव की पूजा की जाएगी, जो 4 जुलाई से आरंभ हो रहे हैं और 31 अगस्त को समाप्त हो रहे हैं। इसके साथ ही सावन मास में मां पार्वती की पूजा करने का भी विधान है। इसी कारण इस मास में मां पार्वती को समर्पित मंगला गौर का व्रत रखा जाता है। जानिए इसकी तिथि के साथ शुभ मुहूर्त और महत्व। सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है मंगला गौरी व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास में पड़ने वाले सभी मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत पड़ता है। इस दिन मां पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस साल पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023 को पड़ रहा है। अधिक मास के कारण इस साल पूरे 9 मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं। सावन मंगला गौरी व्रत 2023 की तिथियां पहला मंगला गौरी व्रत –4 जुलाई 2023 दूसरा मंगला गौरी व्रत – 11 जुलाई 2023 तीसरा मंगला गौरी व्रत -18 जुलाई 2023 चौथा मंगला गौरी व्रत – 25 जुलाई 2023 पांचवा मंगला गौरी व्रत – 1 अगस्त 2023 छठा मंगला गौरी व्रत –8 अगस्त 2023 सातवा मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त 2023 आठवा मंगला गौरी व्रत –22 अगस्त 2023 नौवां मंगला गौरी व्रत – 29 अगस्त 2023 मंगला गौरी व्रत 2023 महत्व मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए ये व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। इस व्रत को रखकर महिलाएं विधि-विधान के साथ मां पार्वती की पूजा करती हैं और उनक...

अधिकमास

अनुक्रमणिका • १ विविध नावे • २ प्राचीन इतिहास-वैदिक काळ • ३ धार्मिक महत्त्व • ४ खगोलशास्त्रीय महत्त्व • ५ भारतातील प्रांतानुसार • ६ स्पष्टीकरण • ७ आणखी पद्धती • ८ इसवी सनाच्या २०व्या शतकाच्या उत्तरार्धातील अधिकमास (अपूर्ण यादी) • ९ इसवी सनाच्या २१व्या शतकातील अधिकमास (अपूर्ण यादी ) • १० त्यापुढील काही तारखा • ११ सन १९०१पासूनच्या पुढल्या काही वर्षांतील अधिक मास • १२ सन १९०१ सालापासून विशिष्ट महिन्यात आधिकमास येण्याचे कालांतर • १३ हे सुद्धा पहा • १४ बाह्यदुवे • १५ संदर्भ विविध नावे वैदिक काळात अधिक महिन्याला संसर्प, मलीमलूच असे म्हटले गेले आहे. प्राचीन इतिहास-वैदिक काळ अंधुक महिन्याचे संदर्भ वैदिक साहित्यात आढळतात.सौर कालगणना वेदकाळात अस्तित्वात होती आणि चंद्र कालगणना ही अस्तित्वात होती. वैदिक ऋषीनाही लक्षात आले की चांद्र आणि सौर कालगणना यांचा एकमेकांशी मेळ जुळण्यासाठी काही दिवसांचा फरक पडत होता. हे अंतर भरून काढण्यासाठी काही दिवस अधिक घ्यावे लागले. वैदिक काळातच हे अंतर भरून काढण्यासाठी दर ३ वर्षांनी कालगणनेमध्ये ३० दिवस अधिक घेतले गेले. हाच तो अधिक मास होय. धार्मिक महत्त्व या मासात मंगल कार्ये, काम्य व्रते इत्यादींचा त्याग करतात. त्यामुळे या मासास इहलोकात अनेक निर्भत्सनांना सामोरे जावे लागले. त्यामुळे व्यथित होऊन तो मास वैकुंठात विष्णूकडे गाऱ्हाणे घेऊन गेला. विष्णूने त्यास गोकुळात अधिक मास हा पुरुषोत्तम मास म्हणून ओळखला जातो. या विशिष्ट महिन्यात अधिक महिन्यात विविध मंगल कृत्ये करू नयेत असा संकेत रूढ आहे, त्यामुळे या महिन्यात विवाह, मुंज, बारसे असे संस्कार केले जात नाहीत. तसेच नव्या वस्तूंची खरेदी अथवा नव्या कपड्यांची खरेदी अशा गोष्टी न करण्याची परंपरा समाजात रूढ आहे. अधिक म...

adhik maas rare coincidence after 19 years 8 Shravan and New Year 2023 will be of 13 months

Adhik Maas 2023: हिन्दू विक्रम संवत कैलेंडर के हिसाब से नव वर्ष में प्रवेश करेंगे। इस बार विक्रम संवत 2080 का साल बारह महीनों के बजाय 13 महीनों का रहेगा। चूंकि साल 2023 में अधिक मास आ रहा है। इसे पुरुषोत्तम मास (अधिक मास, खरमास और मलमास) भी कहते हैं। इस साल हिंदू कैलेंडर में 13 महीने और श्रावण 60 दिन का होगा। 19 साल बाद बन रहा है ऐसा दुर्लभ संयोग तो 5 महीने में दो श्रावण मास, चातुर्मास होंगे। इस वर्ष 2023 में व्रत व पर्व मास अधिक होने के कारण विलंब से आएंगे। ऐसा दुर्लभ संयोग 2004 में बना था। Adhik Mas होने के कारण व्रत-त्योहारों की तिथि में भी परिवर्तन होगा। 60 दिन का होगा श्रावण मास, 8 सोमवार होंगे अंग्रेजी कलैण्डर वर्ष 2023 भारतीय कलैण्डर के अनुसार विक्रम संवत 2080 होगा। अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर देखा जाए तो श्रावण मास 60 दिनों का होता है। ऐसा संयोग 19 साल बाद बना है, जब श्रावण मास 60 दिन का होता है। इस बार 08 श्रावण सोमवार का व्रत रखा जाएगा, जो भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ है। दरअसल हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना आता है जिसे अधिकमास या मलमास के नाम से जाना जाता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। 18 जुलाई 2023 से लगेगा सावन का महीना पंचांग के अनुसार श्रावण मास का कृष्ण पक्ष 04 जुलाई से 17 जुलाई तक है। उसके बाद 18 जुलाई से और आयोजन होंगे। 16 अगस्त को अधिक मास होगा, जिस दिन अधिक मास समाप्त होगा। इसके बाद श्रावण मास का शुक्ल पक्ष शुरू हो जाएगा, जो 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। अधिक मास की गणना कैसे की जाती है? पंचांग के आधार पर देखा जाए तो प्रत्येक तीसरे वर्ष एक अतिरिक्त मास आता है, जिसे अधिक कहते हैं। एक सौर वर...