Adi guru shankaracharya in hindi

  1. Atma Bodh by Adi Shankaracharya : Rajanikant Chandwadkar ([email protected]) : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive
  2. आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय
  3. आदि शंकराचार्य जी का जीवन परिचय
  4. Who is Adi Guru Shankaracharya?
  5. Adi Guru Shankaracharya Quotes In Hindi
  6. आदि शंकराचार्य का जीवनी
  7. आदि शंकराचार्य की जीवनी, इतिहास
  8. आदि गुरु शंकराचार्य का जीवन परिचय


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Atma Bodh by Adi Shankaracharya : Rajanikant Chandwadkar ([email protected]) : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

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आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय

Shankaracharya Biography in Hindi: आदि शंकराचार्य जी एक ऐसे व्यक्तित्व वाले महापुरुष थे, जिन्होंने मानव जाति को ईश्वर की वास्तविकता का अनुभव कराया। इतना ही नहीं कई बड़े महा ऋषि मुनि कहते हैं कि जगतगुरु आदि शंकराचार्य स्वयं भगवान शिव के साक्षात अवतार थे। जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी के जीवन एवं उनके कार्यों के बारे में वर्णन करना समुंद्र के सामने एक छोटी सी बूंद के सामान है। shankaracharya biography in hindi जगतगुरु आदि शंकराचार्य (adi shankaracharya in hindi) ने मानव जाति को ईश्वर क्या है और ईश्वर की क्या महत्वता इस मृत्युलोक में है, इन सभी का अर्थ पूरे जगत को समझाया। आदि शंकराचार्य ने अपने पूरे संपूर्ण जीवन काल में ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनका महत्व हमारे भारत की संस्कृति के लिए वरदान के भाती है। आदि शंकराचार्य जी ने भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को बहुत ही खूबसूरती से निखारा है और इसका पूरे विश्व भर में प्रचार-प्रसार किया है। आदि शंकराचार्य जी ने अपने ज्ञान के प्रकाश को अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशमान किया और लोको सुबुद्धि और आस्था के प्रति सुदृढ़ रास्ता भी दिखाया। आदि शंकराचार्य जी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विभिन्न मठों की स्थापना किया और इसके साथ ही कई शास्त्र और उपनिषद की भी रचना की थी। आज हम इस लेख के माध्यम से जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी के संपूर्ण जीवन (Shankaracharya Biography in Hindi) के बारे में जानने का प्रयास करेंगे और उनके द्वारा किए गए कुछ प्रमुख और महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानेंगे। ऐसे अद्भुत व्यक्ति के जीवन परिचय को जानने के लिए हमारे इस लेख को अंतिम तक अवश्य करें। आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय | Shankaracharya Biography in Hindi विषय सूची • • • • •...

आदि शंकराचार्य जी का जीवन परिचय

तेजस्वी बालक का जन्म : अब से लगभग साढ़े बारह सौ वर्ष पूर्व केरल प्रान्त के एक ग्राम में एक बालक का जन्म हुआ जो असामान्य विद्या बुद्धि से सम्पन्न था । जैसे अब भी कोई-कोई बालक जिसको वैज्ञानिकगण ‘प्रोडिजी’ कहते हैं चार-पाँच वर्ष की आयु में ही कई भाषाओं का अथवा गणित, काव्य, संगीत आदि उच्च विद्याओं का ज्ञाता बन जाता है, उसी प्रकार इस बालक ने भी सात वर्ष की आयु में ही अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था । उसकी अद्भुत विशेषता को सुनकर देश के बड़े-बड़े विद्वान् और वहाँ का विद्यानुरागी राजा भी उनको देखने तथा उनकी अगाध विद्या के सम्बन्ध में फैली जनश्रुति कहाँ तक सत्य है, इसकी जाँच करने को आये । उन सबने इतनी छोटी आयु में इतना ज्ञान प्राप्त कर लेना एक दैवी चमत्कार ही समझा और वे उनको सम्मानपूर्वक नमस्कार करके चले गये। अल्पायु योग : ऐसे आश्चर्यजनक बालक का समाचार सुनकर कुछ ज्योतिषी भी यह जिज्ञासा लेकर आये, देखें किन ग्रहों के प्रभाव से उसे ऐसी अपूर्व शक्ति प्राप्त हो सकी। उन्होंने कुण्डली में स्थित ग्रहों की स्थिति को एक बहुत बड़े महापुरुष के योग्य तो पाया, पर साथ ही उसमें उनको एक बात ऐसी खेदजनक भी दिखलाई पड़ी जिससे उनकी मुखमुद्रा शोकपूर्ण हो गई । यह देखकर बालक की माता ने आशंकित होकर इसका कारण पूछा तो उन्होंने बड़े संकोच से कहा कि “वैसे तो ये दैवी ज्ञान से मंडित एक महापुरुष ही हैं, पर ग्रहों के फलानुसार इनकी आयुष्य केवल ८ वर्ष की है । अगर ये तपस्या करें तो वह आयुष्य ८ वर्ष और बढ़ सकती है। माँ से संन्यास की आज्ञा : वह बालक जिनका नाम शंकर था पहले ही देश और धर्म की सेवा के लिये अपना जीवन अर्पण करना चाहते थे । अब इस भविष्यफल के प्रकट हो जाने पर उन्होंने अपनी माता से अपनी मनोभिलाषा कह सुनाई ।...

Who is Adi Guru Shankaracharya?

By India Today Web Desk: Prime Minister Narendra Modi inaugurated a 12-foot statue of Adi Shankaracharya at famous religious philosopher's samadhi, the final meditation-resting place, in Uttarakhand's Kedarnath. His samadhi was rebuilt after it was damaged in the 2013 Uttarakhand floods. "There was a time when spirituality and religion were believed to be associated only with stereotypes. But, Indian philosophy talks about human welfare, sees life in a holistic manner. Adi Shankaracharya worked to make society aware of this truth," PM Modi said in Kedarnath. Adi Shankaracharya is considered as a philosopher and preacher who influenced Hinduism like no other spiritual teacher. He is credited to have unified Hindu religious sects building institutions in four corners of the country, written all significant treatise on religion and established Sanatan Dharma practices through debates - accomplishing all of it in a short life span of 32 years. BIRTH Adi Shankaracharya is generally considered an eighth century religious teacher. But there are differences of opinion about this actual birthday. According to commonly held view, Adi Shankaracharya was born in 788 AD. On May 17 this year, a large number of his followers celebrated Adi Shankaracharya Jayanti or the 1233rd birth anniversary of Adi Shankaracharya with former Union Education Minister Ramesh Chandra Pokhriyal and Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath posting tweets on the occasion. However, many others dispute thi...

Adi Guru Shankaracharya Quotes In Hindi

आज की इस आर्टिकल में हमने Adi Guru Shankaracharya Quotes In Hindi का संकलन किया है। आदि शंकराचार्य भारत के सबसे प्रभावशाली धर्मगुरु थे। वे वेदान्त दर्शन के संस्थापक थे और भारतीय दर्शन के साथ ही वेदों के आधार पर भी काम करते थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक महत्वपूर्ण विचार रखे थे जो भारतीय संस्कृति और धर्म के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस लेख में, हम आदि शंकराचार्य के अनमोल विचारों के बारे में विस्तार से जानेंगे। Adi Guru Shankaracharya Quotes In Hindi ब्रह्म सत्यम जगत् मिथ्या - इस विचार के अनुसार, जगत् एक मिथ्या दृश्य है जो ब्रह्म के मायावी रूप को प्रतिबिम्बित करता है। इसलिए, वास्तविकता ब्रह्म में ही होती है जो सत्य है। जीवो ब्रह्मैव नापरः - इस विचार के अनुसार, जीवात्मा और परमात्मा एक ही होते हैं। जब जीवात्मा सम्पूर्ण तर्क और आध्यात्मिक ज्ञान से समझता है कि वह परमात्मा है, तब उसे मुक्ति प्राप्त होती है। वेदोऽखिलाधि विज्ञानम् - इस विचार के अनुसार, वेदों में सम्पूर्ण विज्ञान विद्यमान होता है। यह वेदों के उद्देश्य होता है। श्रद्धा विश्वास रूपेण श्रद्धयां वहति तत् - इस विचार के अनुसार, श्रद्धा एक अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है। जब आपके मन में पूर्ण विश्वास होता है कि ईश्वर सब कुछ सम्भव कर सकता है, तब आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चित्तं वश्यं जितेन्द्रियम् - इस विचार के अनुसार, चित्त को वश में करना आवश्यक है। इसके लिए आपको इंद्रियों का नियंत्रण करना होगा। इस विचार का पालन करने से आप मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। विद्वत्त्वम् च न साधुत्वम् - इस विचार के अनुसार, विद्वान और साधु होना एक समान नहीं होता। विद्वान केवल ज्ञान के लिए प्रशंसित होते हैं, जबकि...

आदि शंकराचार्य का जीवनी

उन्होंनेनसिर्फचारमठोंकीस्थापनामेंअपनाअभूतपूर्वयोगदानदिया, बल्किआधुनिकभारतकेविचारोकेविकासमेंभीउन्होंनेमहत्वपूर्णभूमिकानिभाईहै।उनकेविचारोकाज्यादातरप्रभावहिंदुत्वकेबहुतसेसंप्रदायोंपरपड़ाहै।तोआइएजानतेहैंआदिशंकाराचार्यजीकेजीवनकेबारेमेंकुछमहत्वपूर्णएवंरोचकबातें- भारतीयइतिहासकेसबसेमहानदार्शनिकएवंवेदोंकेप्रचंडविद्वान्आदिशंकराचार्यजीकाजीवनपरिचय– Adi Shankaracharya History in Hindi आदिशंकराचार्यजीकेबारेमेंएकनजरमें– Adi Shankaracharya Information जन्म (Birthday) 788 ईसवीकेरलकेकलादीग्राममें (जन्मकीतारीखप्रमाणितनहीं) पिता (Father Name) शिवागुरु माता (Mother Name) अर्याम्बा गुरु (Guru) गोविन्दयोगी मुख्यकाम (Work) हिन्दूधर्मकेप्रचार-प्रसारमेंमहत्वपूर्णभूमिका, चारपीठों(मठों) कीस्थापना मुख्यरचनाएं (Books) ब्रहा्सूत्र, उपनिषदएवंश्रीमदभगवतगीतापरभाष्यलिखे। आदिशंकराचार्यजीकाजन्मएवंप्रारंभिकजीवन– Adi Shankaracharya Biography भगवानभोलेशंकरकेसाक्षातअवतारआदिगुरुशंकराचार्यजी इसकेबादभगवानशिवनेप्रसन्नहोकरउन्हेंपुत्रवरदिया, हालांकिइसकेलिएउन्होंनेशर्तरखी।शर्तकेमुताबिकउन्होंनेसपनेमेंकहाकि”तुम्हारेयहांजन्मलेनेवालादीर्घायुपुत्रसर्वज्ञनहींहोगाऔरसर्वज्ञपुत्रअल्पआयुहोगा”जिसकेबादआदिशंकाराचार्यजीकेमाता-पितानेसर्वज्ञानीपुत्रकीमांगकी। इसकेबादभगवानशंकरनेउनकेपुत्रकेरुपमेंखुदअवतरितहोनेकीबातरखी।जिसकेकुछसमयबादमाताअर्याम्बाकीकोखसेमहाज्ञानीपुत्रआदिशंकाराचार्यजीकाजन्महुआ।जिनकानामशंकररखागया। इसकेबादउनकेमहानऔरनेककामोंकीवजहसेउनकेनामकेआगेआचार्यजुड़गयाऔरइसतरहवेआदिशंकाराचार्यकहलाए।शंकराचार्यजीजबबेहदछोटीउम्रकेथे, तभीउनकेसिरसेपिताकासायाउठगया।वेबचपनसेबेहदअसाधारणप्रतिभावालेअद्वितीयबालकथे। उनकेअंदरसीखनेकीअद्भुतशक्तिथी।पिताकेमृत्युक...

आदि शंकराचार्य की जीवनी, इतिहास

Contents • • • • • • • • • • • • आदि शंकराचार्य का परिचय – Adi Shankaracharya Information in Hindi उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं, किन्तु उनका दर्शन विशेष रूप से उनके तीन भाष्यों में, जो उपनिषद, ब्रह्मसूत्र और गीता पर हैं, मिलता है। गीता और ब्रह्मसूत्र पर अन्य आचार्यों के भी भाष्य हैं, परन्तु उपनिषदों पर समन्वयात्मक भाष्य जैसा शंकराचार्य का है, वैसा अन्य किसी का नहीं है। शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को व्यवस्थित करने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने हिंदुओं की सभी जातियों को इकट्ठा करके ‘दसनामी संप्रदाय’ बनाया और साधु समाज की अनादिकाल से चली आ रही धारा को पुनर्जीवित कर चार धाम की चार पीठ का गठन किया जिस पर चार शंकराचार्यों की परम्परा की शुरुआत हुई। लेकिन हिंदुओं के साधुजनों और ब्राह्मणों ने मिलकर सब कुछ मटियामेट कर दिया। अब चार की जगह चालीस शंकराचार्य होंगे और उन सभी की अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियाँ और ठाठ-बाट है क्योंकि उनके पीछे चलने वाले उनके चेले-चपाटियों की भरमार है जो उनके अहंकार को पोषित करते रहते हैं। प्रारंभिक जीवन – Adi Shankaracharya Biography in Hindi शंकराचार्य का जन्म दक्षिण भारत के केरल में अवस्थित निम्बूदरीपाद ब्राह्मणों के ‘कालडी़ ग्राम’ में 788 ई. में हुआ था। शंकराचार्य जी के जन्म की एक छोटी सी कथा है जिसके अनुसार, शंकराचार्य के माता-पिता बहुत समय तक निसंतान थे। कड़ी तपस्या के बाद, माता अर्याम्बा को स्वप्न मे भगवान शिव ने, दर्शन दिये और कहा कि, उनके पहले पुत्र के रूप मे वह स्वयं अवतारित होंगे परन्तु, उनकी आयु बहुत ही कम होगी और, शीघ्र ही वे देव लोक गमन कर लेंगे। कुछ समय के पश्चात विशिष्टादेवी ने एक सुंदर से बालक को जन्म दिया जिसका नाम शंकर रखा गया लेकिन इस बालक के...

आदि गुरु शंकराचार्य का जीवन परिचय

अद्वैत के संस्थापक आदि गुरु शंकराचार्य वैदिक धर्म तथा संस्कृति के उद्धारक आदि शंकराचार्य ने उपनिषद, ब्रह्मसूत्र तथा गीता पर भाष्य लिखकर सम्पूर्ण जनमानस को धर्म का यथार्थ रूप समझाया है । ज्ञान के साथ भक्ति का आविष्कार भी हम उनके जीवन में देख सकते है । उनकी दिव्य वाणी आज भी सभी को नई शक्ति तथा प्रेरणा देती है । उनका जन्म वैशाख शुक्ल पंचमी को अद्रा नक्षत्र में दक्षिण भारत के केरल राज्य के कालड़ी नामक ग्राम में ७८८ ईस्वी में ब्राह्मण दंपत्ति विशिष्टा और विश्वगुरु के घर में हुआ था । मात्रा आठ वर्ष की आयु में शंकर ने चरों वेदों में सम्पूर्णता हासिल कर ली थी । सोलह वर्ष की अल्पायु में ही शिक्षा पूरी करके उन्होंने षड्दर्शन का सांगोपांग अध्ययन कर लिया था । वैदिक धर्म के उत्थान का पूरा श्रेय इन्ही को जाता है । फलतः उनका मन बाह्य जगत से पूरी तरह विरक्त हो गया । उन्होंने जब संन्यास लेने का निश्चय किया, तब मां ने उन्हें रोका, लेकिन धर्म-संस्कृति के उद्वार की प्रबल आकांक्षा से प्रेरित बालक के क़दमों को मां की ममता भी न रोक सकी। वह नर्मदा के तट पहुंचे और विख्यात गौड़पद के आत्मज्ञानी गोविंद भागवतपद के शिष्य बन गए । यहीं पर उन्होंने गुरु के समक्ष अद्वैत वेदांत का अध्ययन भी किया था । इसके बाद उन्होंने दिग्विजय यात्राएं करके अनेक प्रकार के धार्मिक कार्य कराए । हिमालय से लेकर कन्याकुमारी और कश्मीर से आसाम तक उन्होंने पद यात्रा की । इस दौरान उन्होंने कई समकालीन प्रकांड विद्वानों को शास्त्रार्थ में पराजित भी किया । शास्त्रार्थ में उन्हें बौद्ध, मीमांशा, न्याय, सांख्य, तंत्र वैष्णव अदि दर्शन धाराओं के विद्वानों का सामना करना पड़ा । लेकिन शंकर की विद्वता के सामने सभी नतमस्तक हुए । इन्होंने हिन्दू धर्...