Akarkara ka paudha

  1. Akarkara: Benefits, Uses, Ayurvedic Indications, Dosage, and Side Effects
  2. पारिजात वृक्ष की संपूर्ण जानकारी: धार्मिक व औषधीय, Parijat Tree Benefits In Hindi
  3. Madar Plant: मदार के पौधे का चमत्कारिक उपाय
  4. Akarkara : Benefits, Precautions and Dosage
  5. घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए
  6. हरसिंगार (पारिजात) के फायदे, औषधीय गुण, लाभ, नुकसान, परहेज


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Akarkara: Benefits, Uses, Ayurvedic Indications, Dosage, and Side Effects

Sexual problems, loss of libido and impotence are the most reported issues in men, owing to the growing dependency on sedentary lifestyle packed with intense work load and stress. But before getting all worried and anxious and beating yourself up with the thought that this might be a life-long battle, worry not as you definitely don’t have to suffer long. Ayurveda, a 5000-year-old remedial science brings you a bounty of foods, herbs, spices and minerals, which are pivotal in treating and managing sexual woes in a jiffy. Sanctified with powerful What Is Akarkara? Akarkara, that goes by the botanical name Anacyclus pyrethrum, is a small perennial plant belonging to the Asteraceae family. The plant is mainly native to Arabia, and distributed widely in North Africa, Mediterranean region, Spain and India. In the Indian subcontinent, it is found along the Himalayas, in Jammu and Kashmir, Bengal and in other Northern regions. This herbaceous perennial plant resembles a lot like chamomile species in habitat and appearance. It thrives well in alpine regions and rocky gardens. Plant Description Akarkara is a small, hairy, stem less, herbaceous plant of perennial origin that normally grows to about 3-4 feet. Roots of this plant are almost cylindrical, tapering and often coffered with a tuft of grey hair. It usually exudes an aromatic odor with a pungent taste. From the outside, the roots are brown and wrinkled, with bright black spots. The plant has numerous stems with downy branches...

पारिजात वृक्ष की संपूर्ण जानकारी: धार्मिक व औषधीय, Parijat Tree Benefits In Hindi

हिंदू धर्म में पारिजात के वृक्ष को (Parijat Tree In Hindi) अत्यधिक पवित्र माना जाता हैं। यह माता लक्ष्मी का अत्यधिक प्रिय पौधा हैं तथा इनके फल-फूल भगवान विष्णु के श्रृंगार के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं। इसलिये इसका एक नाम हरसिंगार (Harsingar Ka Paudha) भी हैं। इससे जुड़ी कई प्राचीन कथाएं हैं जिनका संबंध सतयुग से लेकर द्वापर युग तक रहा हैं (Parijat Ke Fayde)। आइए इस वृक्ष की महत्ता तथा विशेषता के बारे में जानते हैं। पारिजात के वृक्ष के बारे में संपूर्ण जानकारी (Parijat Tree In Hindi) यह वृक्ष लंबाई में दस से पच्चीस फीट के आसपास होता हैं। कई जगह इसकी उंचाई पच्चीस फीट से भी ज्यादा हो जाती हैं (Parijat Ka Paudha Kaisa Hota Hai)। इस वृक्ष की विशेषता यह हैं कि यह संपूर्ण भारतवर्ष में उगता हैं तथा मुख्यतया इसे उद्यान आदि में देखा जाता हैं। इसमें कई सुगंधित पुष्प लगते हैं जो भगवान की पूजा में उपयोग में आते हैं। इसकी एक ओर विशेषता यह हैं कि एक दिन में इसमें इतने सारे पुष्प उगते है कि पूछिए मत (Parijat Tree Vastu)। साथ ही चाहे इससे सभी पुष्प तोड़ लो, अगले दिन वहां और पुष्प लगे मिलेंगे। पारिजात वृक्ष के अन्य नाम (Parijat Tree Meaning In Hindi) इस वृक्ष के कई अन्य नाम भी प्रचलन में हैं जैसे कि पारिजातक, हरसिंगार, शेफाली, विष्णुकांता, शेफालिका, रात की रानी, प्राजक्ता, शिउली आदि। यह नाम इस वृक्ष के गुणों तथा विभिन्न भारतीय भाषाओँ पर आधारित हैं। अंग्रेजी में इसका नाम नाईट जैस्मिन व उर्दू में गुलजाफरी हैं। पारिजात के पौधे को रात की रानी या नाईट जैस्मिन क्यों कहते हैं? (Importance Of Parijat Tree) आप सोच रहे होंगे कि ऐसी इसमें ऐसी क्या विशेषता हैं कि इसे रात की रानी कहा जाता हैं। दरअसल ...

Madar Plant: मदार के पौधे का चमत्कारिक उपाय

लखनऊ। इसे मदार या आक कहते हैं। इसे जानवर भी नहीं चरते है एवं यह बंजर भूमि में भी आसानी से उग आता है। इसके फल से गर्म तासीर की कोमल चिकनी रूई निकलती है। इसमें विषाक्त दूध भरा होता है। यह पेड़ शिव को अति प्रिय है। इसमें गणेश जी का भी वाश कहा जाता है। यह श्याम व श्वेत दो प्राकर का होता है। श्वते मदार का तान्त्रिक रूप में विशेष प्रयोग किया जाता है। इसे विधि पूर्वक पूजा करके घर में रखा जाए तो विशेष हितकारी होता है। शुभ मुहूर्त में लाकर ही इसकी पूजा प्रारम्भ करें। पूजा करते समय गणपति मन्त्र का उच्चारण अवश्य करें। गंभीर रोग नाशक यदि कोई व्यक्ति गंभीर रोग से ग्रसित हो किन्तु रोग पकड़ में न आये तो रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में आक व अरण्ड की जड़ लायें फिर गंगाजल से धोकर उस पर सिन्दूर का लेपन करें तथा गूगल की धूप दें। इसके बाद गणेश मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप कर रोगी के सिर के उपर से 7 बार उतार कर किसी सुनसान जगह में संध्याकाल में जमीन में गाड़ दें। ये उपाय करने से रोग भी पकड़ में आयेगी और उसका यथा शीघ्र समाधान भी होगा।

Akarkara : Benefits, Precautions and Dosage

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घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए

घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए – Vastu Shastra Tips for Home in Hindi Ghar mein kaun se ped lagana chahiye : अक्सर लोगों के द्वारा पूँछा जाता है कि घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए ( Ghar mein kaun se ped lagana chahiye), घर में कौन से प्लांट लगाना चाहिए (Ghar mein kaun se plant lagana chahiye), Ghar mein kaun se pode lagaye, Ghar mein kaun se podhe lagaye. अगर आप के मन में भी यह सवाल है कि घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए (Ghar mein kaun se ped lagana chahiye) और आप भी जानना चाहते हैं कि घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए (Ghar mein kaun se ped lagana chahiye) तो हमारे इस लेख से आपको पूरी जानकारी मिलेगी कि घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए। घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए वैसे तो पेड़ – पौधे हम सभी लगाते हैं और देखा जाए तो पेड़ – पौधे हम सभी को लगाने भी चाहिए। घर में पेड़ – पौधे लगाने का वैज्ञानिक आधार के साथ – साथ धार्मिक महत्व भी है। पेड़ – पौधों के माध्यम से हमें जहाँ एक ओर ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है और हमारा वातावरण पवित्र रहता है वहीँ दूसरी ओर हमारे आस – पास जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होती है वह सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनको घर में अवश्य ही लगाना चाहिए। इन पौधों को घर में लगाने से घर में समृद्धि आएगी और महालक्ष्मी का वास भी होगा। आप समाज में मान – सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सकेंगे। आपके पास किसी चीज की कमी नहीं होगी। यह भी जरूर पढ़ें : • • Vastu Shastra Tips for Home in Hindi तो आइए आज हम आपको एक – एक कर बताते हैं कि घर में कौन से पेड़ लगाना चाहिए (Ghar mein kaun se ped lagana chahiye), घर ...

हरसिंगार (पारिजात) के फायदे, औषधीय गुण, लाभ, नुकसान, परहेज

हरसिंगार एक पुष्‍प देने वाला पौधा है जिसमें अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके सफेद फूलों की शांत और मनमोहक खुशबू कई लोगों को पसंद आती है। अपने औषधीय गुणों के कारण हरसिंगार को आयुर्वेद में अत्‍यधिक महत्‍व दिया गया है। इसे प्राजक्‍ता नाम से भी जाना जाता है एवं भारत की पौराणिक और लोक कथाओं में हरसिंगार का पेड़ रहस्‍यमयी महत्‍व रखता है। भागवत गीता और हरिवंश पुराण में पारिजात के फूलों और पौधे का उल्‍लेख मिलता है। भारतीय पौराणिक साहित्य के अनुसार पारिजात का वृक्ष सीधा स्‍वर्ग से धरती पर आया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पारिजात का पेड़ केवल रात में खिलता है और सुबह होतेही इसके सारे फूलझड़ जाते हैं। इस वजह से पारिजात को ‘रात की रानी’ भी कहा जाता है। हरसिंगार पौधे के वानस्‍पतिक नाम का अर्थ ‘दुख का वृक्ष’ है। हरसिंगार का पेड़ या पारिजात छोटे या बड़े वृक्ष के रूप में विकसित होता है। इसका छोटा पौधा 10-11 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है और इसमें एक कठोर छाल होती है जो परतदार और दिखने भूरे रंग की होती है। हरसिंगार के पत्ते और छाल का ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाता है। साइटिका रोग के इलाज में हरसिंगार को सबसे अधिक उपयोगी माना जाता है। हरसिंगार के बारे में तथ्‍य: • वानस्‍पतिक नाम: निक्‍टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस • कुल: ओलिऐसी • संस्‍कृत नाम: पारिजात, शेफाली, शेफालिका • सामान्‍य नाम: हरसिंगार, पारिजात, रात की रानी, दुखों का पेड़, नाइट जैसमीन, कोरल जैसमीन, शिउली • उपयोगी भाग: फूल, पत्तियां, बीज • भौगोलिक विवरण: हरसिंगार की उत्पत्ति दक्षिण एशिया में मानी जाती है। ये प्रमुख तौर पर उत्तरी भारत, नेपाल, पाकिस्‍तान और थाईलैंड में पाई जाती है। क्‍या आप जानते हैं? हरसिंगार के फूल भारत के पश्चिम बंगाल राज...