अखंड भारत श्लोक

  1. अखंड भारत की कहानी – History of India
  2. भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि Sanskrit Shlokas Nation Bharat India
  3. नए संसद भवन में अखंड भारत की तस्वीर पर बवाल, एस जयशंकर ने दिया पाकिस्तान को करारा जवाब, कहा उसके पास इतनी शक्ति भी नहीं
  4. प्राचीनकाल में कैसा था अखंड भारत, क्या फिर बन सकता है भारत अखंड...
  5. अखंड भारत ही हमारा स्वप्न
  6. अखंड भारत क्या है: ईरान से मलेशिया तक फैला अखंड भारत कैसे टूटा? Akhand Bharat का इतिहास जानें
  7. अखंड भारत ही हमारा स्वप्न
  8. अखंड भारत की कहानी – History of India
  9. प्राचीनकाल में कैसा था अखंड भारत, क्या फिर बन सकता है भारत अखंड...
  10. भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि Sanskrit Shlokas Nation Bharat India


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अखंड भारत की कहानी – History of India

आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया। अखंड भारत इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। ‘ कैलाश मानसरोवर ’ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर पर हैं। एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व ...

भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि Sanskrit Shlokas Nation Bharat India

राष्ट्र मातृभूमि भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में मैं भारत माता पर संस्कृत श्लोक ( Sanskrit Shloka about India ) का संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ। अपने राष्ट्र, मातृभूमि के गौरव/ महत्त्व के बारे में सुनकर किसके रोंगटे नहीं खड़े हो जाते हैं। आइये राष्ट्र के महत्व को बताते हुए संस्कृत के विविध श्लोकों से अपनी ज्ञान यात्रा को और सुगम करें; ॐ भद्रमिच्छंत ऋषयः स्वर्विदस्त्पो दीक्षामुपनिषेदुराग्रे । ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उपसन्नमंतु ॥ प्रकाशमय ज्ञान वाले ऋषियों ने सृष्टी के आरम्भ में लोक कल्याण की इच्छा करते हुए दीक्षापूर्वक तप किया उससे राष्ट्र, बल और ओज की उत्पत्ति हुई इस (राष्ट्र) के लिए देवगण उस (तप और दीक्षा) को अवतीर्ण कर (राष्ट्रिकों अर्थात देशवाशियों में) संस्थित अथवा, समस्त प्रबुद्ध जन इस राष्ट्रदेवता की उपासना करें । हिमालयं समारभ्य यावत् इंदु सरेावरम् । तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते ॥ हिमालय पर्वत से शुरू होकर हिन्द महासागर तक फैला हुआ यह ईश्वर निर्मित देश है जिसे “हिंदुस्थान” कहते हैं । यस्मिन् देशे न सन्मानो न प्रीति र्न च बान्धवाः । न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत् ॥ जिस देश में सम्मान नहीं, प्रीति नहीं, संबंधी नहीं और जहाँ विद्या मिलना संभव न हो वहाँ एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए । Sanskrit Slokas on Patriotism कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदं । कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तं यशो नृणां ॥ झगड़ों से परिवार टूट जाते हैं। गलत शब्द के प्रयोग करने से दोस्ती टूट जाती है। बुरे शासकों के कारण राष्ट्र का नाश होता है । बुरे काम करने से यश दूर भागता है। अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमि...

नए संसद भवन में अखंड भारत की तस्वीर पर बवाल, एस जयशंकर ने दिया पाकिस्तान को करारा जवाब, कहा उसके पास इतनी शक्ति भी नहीं

विदेश मंत्री एस जयशंकर एक बार फिर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते नजर आए हैं. इस बार उन्होंने नए संसद भवन में लगी ‘अखंड’ भारत की तस्वीर को लेकर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए पाकिस्तान को लताड़ लगाई है. उनका कहना है अखंड भारत की ये तस्वीर अशोक सम्राज्य की सीमा को दर्शाती है. इसके अलावा ये एक जिम्मेदार और लोगों की भलाई के लिए काम करने वाली सरकार के विचार को भी दर्शाती है. जयशंकर का कहना है कि, पाकिस्तान इस बात को नहीं समझ सकता क्योंकि उसमें समझने की शक्ति नहीं है. एस जयशंकर ने ये बयान गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया. दरअसल देश के नए संसद भवन में एक भित्ति चित्र बनाया गया है जिसे ‘अखंड’ भारत का नक्शा कहा जा रहा है. इस नक्शे पर पाकिस्तान के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश और भूटान जैसे देशों ने भी नाराजगी जताई थी. इन देशों ने इस पर भारत से सफाई मांगी थी. क्यों मचा है हंगामा? इस नक्शे में गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी और तक्षशिला जैसी जगहों को दर्शाया गया है. इसके अलावा पुरूषपुर और सौवीर जैसी जगहों को भी दर्शाया गया है जो फिलहाल पाकिस्तान के पेशावर और सिंध प्रांत हैं. लुंबिनी वर्तमान में नेपाल में स्थित है और तक्षशिला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिण्डी जिले में है. इसके अलावा इसमें उन जगहों को भी दिखाया गया है जो फिलहाल फगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में है. नए संसद भवन में बना अखंड भारत को दर्शाने वाला भित्ति चित्र (फोटो- ट्विटर) बाकी देश समझ गए, पाकिस्तान के पास ये शक्ति भी नहीं- एस जयशंकर विदेश मंत्री से जब इस नक्शे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, हमने बाकी देशों को इस भित्ति चित्र का अर्थ समझाया और वो समझ गए हैं. हमने उन्हें समझाया है कि य...

प्राचीनकाल में कैसा था अखंड भारत, क्या फिर बन सकता है भारत अखंड...

1. जम्बूद्वीप का एक खंड है भारतवर्ष : अखंड भारत शब्द तब प्रचलन में आया जबकि भारत खंड खंड हो गया। पुराणों के अनुसार धरती 7 द्वीपों की है- जम्बू, प्लक्ष, शाल्म, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर। इसमें बीचोंबीच जम्बूद्वीप है जिसके नौ खंड है- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। इन 9 खंडों में नाभिखंड को अजनाभखंड और बाद में भारतवर्ष बोला जाने लगा। 2. ऋषभ पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर भारतवर्ष : भारतवर्ष को जम्बूद्वीप का एक हिस्सा माना गया है। भारतवर्ष के अंतर्गत आर्यावर्त नामक एक स्थान है। राजा अग्नीध्र जम्बूद्वीप के राजा था। अग्नीध्र के पुत्र महाराज नाभि एवं महाराज नाभि के पुत्र ऋषभदेव थे जिनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। 3. प्राचीन भारत की सीमा : चक्रवर्ती सम्राट भरत के भारतवर्ष की सीमा प्राचीन काल में भारत की सीमा ईरान, अफगानिस्तान के हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक। कुछ विद्वान दूसरी ओर अरुणाचल से लेकर इंडोनेशिया, मलेशिया तक सीमा होने का दावा भी करते हैं। इस संपूर्ण क्षेत्र में 18 महाजनपदों के सम्राटों का राज था जिसके अंतर्गत सैंकड़ों जनपद और उपजनपद थे। मार्केन्डय पुराण के अनुसार संपूर्ण भारतवर्ष के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की ओर समुद्र है जो कि उत्तर में हिमालय के साथ धनुष 'ज्या' (प्रत्यंचा) की आकृति को धारण करता है। 4. चाणक्य के काल में भारत : युधिष्ठिर के शासन के बाद आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में 321-22 ईसा पूर्व बिघरे हुए भारत को मिलाकर एक 'अखंड भारत' का निर्माण सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने किया था। इसके बाद उत्तर में सम्राट हर्षवर्धन और दक्षिण में पुलकेशिन द्वीतीय के शासन में ...

अखंड भारत ही हमारा स्वप्न

• 23 minutes ago • 43 minutes ago • 3 hours ago • 3 hours ago • 4 hours ago • 4 hours ago • 5 hours ago • 5 hours ago • 7 hours ago • 9 hours ago • 10 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 18 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 40.9°C Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Apr, 2022 12:24 PM • • • • हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे... पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के हम निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है : उत्तरं यत् समुद्रस्यए हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्। वर्ष तद् भारतं नामए भारती यत्र संतति।। अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं। पूरी पृथ्वी का जल और थल तत्वों में वर्गीकरण करने पर सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरैस्ट नाम ...

अखंड भारत क्या है: ईरान से मलेशिया तक फैला अखंड भारत कैसे टूटा? Akhand Bharat का इतिहास जानें

Akhand Bharat Ki Sampurn Jankari/अखंड भारत की सम्पूर्ण जानकारी: भारत में रहने वाले हिंदुत्ववादी हमेशा अपने गौरवान्वित इतिहास को याद करते हुए अखंड भारत की परिकल्पना करते हैं. वही अखंड भारत जो कभी उत्तर-पश्चिम में ईरान तो दक्षिण-पूर्व में मलेशिया के आगे तक फैला हुआ था. वही अखंड भारत जो सदियों पहले अमेरिका-ऑस्ट्रिया जैसे देशों जितना विशाल और समृद्ध हुआ करता था. वही अखंड भारत जिसका नक्शा नए संसद भवन में दर्शाया गया है. नए संसद भवन में बने अखंड भारत के चित्र से ही नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के सीने में सांप लोटने लगा है. ये मानाने को तैयार ही नहीं हैं कि ये नए देश कभी भारत का हिस्सा हुआ करते थे. इस नक़्शे को देखकर चीन की भीख में पलने वाला पाकिस्तान भारत को विस्तारवादी कह रहा है, भारत के एहसानों तले दबे नेपाल ने भी बदला लेने के लिए अपने संसद में ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगा दिया है और एहसानफरामोश बांग्लादेश की तो इतनी मजाल हो गई है कि वो इस अखंड भारत के नक़्शे को लेकर भारत से स्पष्टीकरण मांगने की जुर्रत कर रहा है. क्या नए संसद भवन में अखंड भारत का नक्शा है? नए संसद भवन में जो भारत का नक्शा है वह अखंड भारत का नक्शा नहीं है. भारत सरकार ने खुद इस नक़्शे को लेकर तर्क दिया है कि यह राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक नक्शा है जो मौर्यकाल के पराक्रमी सम्राट अशोक (The Great Ashoka) के साम्राज्य को दर्शाता है. इस नक़्शे में पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मयंमार, अफ़ग़ानिस्तान का कुछ हिस्सा दिखाया गया है. '''जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्याव्रत देशांतर्गते'' आप दुनिया के 7 महाद्वीपों के मॉर्डन नाम एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अंटार्टिका, और अफ्रीका जानते हैं. ले...

अखंड भारत ही हमारा स्वप्न

• 23 minutes ago • 43 minutes ago • 3 hours ago • 3 hours ago • 4 hours ago • 4 hours ago • 5 hours ago • 5 hours ago • 7 hours ago • 9 hours ago • 10 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 18 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 40.9°C Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Apr, 2022 12:24 PM • • • • हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे... पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के हम निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है : उत्तरं यत् समुद्रस्यए हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्। वर्ष तद् भारतं नामए भारती यत्र संतति।। अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं। पूरी पृथ्वी का जल और थल तत्वों में वर्गीकरण करने पर सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्द महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है जिसमें विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा गौरीशंकर है, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरैस्ट नाम ...

अखंड भारत की कहानी – History of India

आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया। अखंड भारत इतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है, परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। ‘ कैलाश मानसरोवर ’ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर पर हैं। एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व ...

प्राचीनकाल में कैसा था अखंड भारत, क्या फिर बन सकता है भारत अखंड...

1. जम्बूद्वीप का एक खंड है भारतवर्ष : अखंड भारत शब्द तब प्रचलन में आया जबकि भारत खंड खंड हो गया। पुराणों के अनुसार धरती 7 द्वीपों की है- जम्बू, प्लक्ष, शाल्म, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर। इसमें बीचोंबीच जम्बूद्वीप है जिसके नौ खंड है- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। इन 9 खंडों में नाभिखंड को अजनाभखंड और बाद में भारतवर्ष बोला जाने लगा। 2. ऋषभ पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर भारतवर्ष : भारतवर्ष को जम्बूद्वीप का एक हिस्सा माना गया है। भारतवर्ष के अंतर्गत आर्यावर्त नामक एक स्थान है। राजा अग्नीध्र जम्बूद्वीप के राजा था। अग्नीध्र के पुत्र महाराज नाभि एवं महाराज नाभि के पुत्र ऋषभदेव थे जिनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। 3. प्राचीन भारत की सीमा : चक्रवर्ती सम्राट भरत के भारतवर्ष की सीमा प्राचीन काल में भारत की सीमा ईरान, अफगानिस्तान के हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक। कुछ विद्वान दूसरी ओर अरुणाचल से लेकर इंडोनेशिया, मलेशिया तक सीमा होने का दावा भी करते हैं। इस संपूर्ण क्षेत्र में 18 महाजनपदों के सम्राटों का राज था जिसके अंतर्गत सैंकड़ों जनपद और उपजनपद थे। मार्केन्डय पुराण के अनुसार संपूर्ण भारतवर्ष के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की ओर समुद्र है जो कि उत्तर में हिमालय के साथ धनुष 'ज्या' (प्रत्यंचा) की आकृति को धारण करता है। 4. चाणक्य के काल में भारत : युधिष्ठिर के शासन के बाद आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में 321-22 ईसा पूर्व बिघरे हुए भारत को मिलाकर एक 'अखंड भारत' का निर्माण सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने किया था। इसके बाद उत्तर में सम्राट हर्षवर्धन और दक्षिण में पुलकेशिन द्वीतीय के शासन में ...

भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि Sanskrit Shlokas Nation Bharat India

राष्ट्र मातृभूमि भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में मैं भारत माता पर संस्कृत श्लोक ( Sanskrit Shloka about India ) का संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ। अपने राष्ट्र, मातृभूमि के गौरव/ महत्त्व के बारे में सुनकर किसके रोंगटे नहीं खड़े हो जाते हैं। आइये राष्ट्र के महत्व को बताते हुए संस्कृत के विविध श्लोकों से अपनी ज्ञान यात्रा को और सुगम करें; ॐ भद्रमिच्छंत ऋषयः स्वर्विदस्त्पो दीक्षामुपनिषेदुराग्रे । ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उपसन्नमंतु ॥ प्रकाशमय ज्ञान वाले ऋषियों ने सृष्टी के आरम्भ में लोक कल्याण की इच्छा करते हुए दीक्षापूर्वक तप किया उससे राष्ट्र, बल और ओज की उत्पत्ति हुई इस (राष्ट्र) के लिए देवगण उस (तप और दीक्षा) को अवतीर्ण कर (राष्ट्रिकों अर्थात देशवाशियों में) संस्थित अथवा, समस्त प्रबुद्ध जन इस राष्ट्रदेवता की उपासना करें । हिमालयं समारभ्य यावत् इंदु सरेावरम् । तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते ॥ हिमालय पर्वत से शुरू होकर हिन्द महासागर तक फैला हुआ यह ईश्वर निर्मित देश है जिसे “हिंदुस्थान” कहते हैं । यस्मिन् देशे न सन्मानो न प्रीति र्न च बान्धवाः । न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत् ॥ जिस देश में सम्मान नहीं, प्रीति नहीं, संबंधी नहीं और जहाँ विद्या मिलना संभव न हो वहाँ एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए । Sanskrit Slokas on Patriotism कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदं । कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तं यशो नृणां ॥ झगड़ों से परिवार टूट जाते हैं। गलत शब्द के प्रयोग करने से दोस्ती टूट जाती है। बुरे शासकों के कारण राष्ट्र का नाश होता है । बुरे काम करने से यश दूर भागता है। अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमि...