अलंकार किसे कहते हैं

  1. Alankar in Hindi
  2. अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण, अलंकार के प्रकार alankar in hindi, definition, examples, parts, hindi grammer
  3. भ्रांतिमान अलंकार
  4. अलंकार किसे कहते हैं? Alankar kise kahate hain
  5. अलंकार किसे कहते हैं, अलंकार कितने होते हैं ?, रूपक अलंकार, यमक अलंकार
  6. अलंकार (साहित्य)
  7. अलंकार किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण


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Alankar in Hindi

अलंकार वह शब्द होते है जिनके प्रयोग से कोई भी कविता या छंद आकर्षक हो जाते है। अलंकार शब्द का अर्थ होता है आभूषण या सजावट। जैसे आभूषण के प्रयोग से मनुष्य आकर्षक लगने लगते है, उनके सौन्दर्य में वृद्धि हो जाती है ठीक उसी प्रकार हिंदी के काव्य में अलंकार ( Alankar In Hindi) के प्रयोग से सौन्दर्य की वृद्धि होती है। किसी भी भाव को सुन्दर रूप में प्रस्तुत करने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। इसलिए आज हम ये ब्लॉग लेकर आये है। इस ब्लॉग के माध्यम से हमने अलंकार और उसके विभिन्न भेदों व उपभेदों के बारे में बहुत ही सरलता से समझाया है तो आइये शुरू करते है और Alankar Kise Kahate Hain के बारे जानते है। अलंकार किसे कहते हैं? जो तत्व किसी भी काव्य को शब्दार्थ से सजाते है, उन्हें सुन्दर बनाते है, वही तत्व अलंकार कहलाता है। काव्य में अपने मन के भावों को सुंदर रूप से दर्शाने या प्रस्तुत करने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। काव्य में सौन्दर्य वृद्धि के लिए कभी शब्दों का प्रयोग किया जाता है तो कभी अर्थ में चमत्कार करके सौन्दर्य वृद्धि की जाती है। इसी आधार पर अलंकार के प्रकार दो होते हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। हिंदी साहित्य में इन्ही दो अलंकारों के उपभेदों का मुख्य तौर पर प्रयोग किया जाता है जो कि है: अनुप्रास अलंकार, उपमा अलंकार, संदेह अलंकार, अतिश्योक्ति अलंकार आदि। Alankar Ke Udaharan- ‘पिया चाँद का टुकड़ा है।’- इसमें पिया के सौन्दर्य का वर्णन करने के लिए उसको चाँद के टुकड़े की उपमा दी गयी है। अलंकार की परिभाषा अलंकार का दूसरा नाम होता है आभूषण। जिस प्रकार मनुष्य अपने शरीर की सुंदरता बढ़ाने के लिए आभूषण का प्रयोग करता है, ठीक उसी प्रकार काव्य के सौन्दर्य में वृद्धि लाने के लिए, का...

अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण, अलंकार के प्रकार alankar in hindi, definition, examples, parts, hindi grammer

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • • • अलंकारकीपरिभाषा (definition of alankar in hindi) काव्योंकीसुंदरताबढ़ानेवालेयंत्रोंकोहीअलंकारकहतेहैं।जिसप्रकारमनुष्यअपनीसुंदरताबढ़ानेकेलिएविभिन्नआभूषणोंकाप्रयोगकरतेहैंउसीतरहकाव्योंकीसुंदरताबढ़ानेकेलिएअलंकारोंकाउपयोगकियाजाताहै। अलनअर्थातभूषण करअर्थातसुसज्जितकरनेवाला अतःकाव्योंकोशब्दोंवदूसरेतत्वोंकीमददसेसुसज्जितकरनेवालाहीअलंकारकहलाताहै। अलंकारकेभेद (Types of Alankar) अलंकारकेमुख्यतःदोभेदहोतेहैं : • शब्दालंकार • अर्थालंकार 1. शब्दालंकार जोअलंकारशब्दोंकेमाध्यमसेकाव्योंकोअलंकृतकरतेहैं, वेशब्दालंकारकहलातेहैं।यानिकिसीकाव्यमेंकोईविशेषशब्दरखनेसेसौन्दर्यआएऔरकोईपर्यायवाचीशब्दरखनेसेलुप्तहोजायेतोयहशब्दालंकारकहलाताहै। शब्दालंकारकेभेद: • अनुप्रासअलंकार • यमकअलंकार • श्लेषअलंकार 1. अनुप्रासअलंकार जबकिसीकाव्यकोसुंदरबनानेकेलिएकिसीवर्णकीबार-बारआवृतिहोतोवहअनुप्रासअलंकारकहलाताहै।किसीविशेषवर्णकीआवृतिसेवाक्यसुननेमेंसुंदरलगताहै। जैसे : • चारुचन्द्रकीचंचलकिरणेंखेलरहीथीजलथलमें। ऊपरदियेगएउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैंकी ‘च’वर्णकीआवृतिहोरहीहैऔरआवृतिहोंसेवाक्यकासौन्दर्यबढ़रहाहै।अतःयहअनुप्रासअलंकारकाउदाहरणहोगा। • मधुरमधुरमुस्कानमनोहर , मनुजवेशकाउजियाला। उपर्युक्तउदाहरणमें ‘म’वर्णकीआवृतिहोरहीहै, एवंहमजानतेहैंकीजबकिसीवाक्यमेंकिसीवर्णयाव्यंजनकीएकसेअधिकबारआवृतिहोतीहैतबवहांअनुप्रासअलंकारहोताहै।अतएवयहउदाहरणअनुप्रासअलंकारकेअंतर्गतआयेगा। • कलकाननकुंडलमोरपखाउरपाबनमालबिराजतीहै। जैसाकीआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैंकीशुरूकेतीनशब्दोंमें ‘क’वर्णकीआवृतिहोरहीहै, एवंहमजानतेहैंकीजबकिसीवाक्यमेंकिसीवर्णयाव्यंजनकीएकसेअधिकबारआवृतिहोतीहैतबवहांअनुप्रासअलंकारहोताहै।अतएवयहउदाहरणअनुप्रासअलंकारकेअंतर्गतआएगा...

भ्रांतिमान अलंकार

Table of Contents • • • • • • भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं ? परिभाषा – जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय ( जिसकी तुलना की जाए) में उपमान ( जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब किसी पदार्थ को देखकर हम उसे उसके समान गुणों या विशेषताओं वाले किसी अन्य पदार्थ (उपमान) के रूप में मान लेते हैं तो वहाँ भ्रांतिमान भूल से उपमान समझ लिया जाए। जैसे – अँधेरे में किसी ’रस्सी’ को देखकर उसे ’साँप’ समझ लेना भ्रांतिमान अलंकार है। भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण – 1.’’ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान।’’ प्रस्तुत पद में हंसिनी को ओस बिन्दुओं ( मोती ( भ्रांतिमान अलंकार है। 2.’’भ्रमर परत शुक तुण्ड पर, जानत फूल पलास। शुक ताको पकरन चहत, जम्बु फल की आस।।’’ 3.’’नाक का मोती अधर की कान्ति से, बीज दाडिम का समझकर भ्रान्ति से। देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है।।’’ यहाँ नाक के आभूषण के मोती में अनार (दाडिम) के बीज का भ्रम उत्पन्न हो रहा है, अतः यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है। 4.’’कपि करि हृदय विचारि, दीन्हि मुद्रिका डारि तब। जानि अशोक अंगार, सीय हरषि उठि कर गहेउ।।’’ यहाँ सीता को मुद्रिका में अशोक पुष्प (अंगार) का भ्रम उत्पन्न हो रहा है, अतः यहाँ भ्रांतिमान अलंकार है। 5. विधु वदनिहि लखि बाग में, चहकन लगे चकोर। वारिज वास विलास लहि, अलिकुल विपुल विभोर।।’’ प्रस्तुत पद में किसी चन्द्रमुखी नायिका को देखकर चकोरी की उसके मुख में चन्द्रमा का भ्रम हो रहा है तथा उसके वदन में कमल की सुगंध पाकर (समझकर) भ्रमर आनंद विभोर हो गया है। अतः यहाँ उपमेयों (मुख व सुवास) में उपमानों (चन्द्रमा व कमल-गंध) का भ्रम उत्पन...

अलंकार किसे कहते हैं? Alankar kise kahate hain

अलंकरोति इति अलंकार : अर्थात शोभाकारक पदार्थ को अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार आभूषणों के द्वारा शरीर की शोभा में वृद्धि होती है, उसी प्रकार शब्दगत और अर्थगत चमत्कार के द्वारा काव्य की शोभा में वृद्धि होती है। Alankar ki paribhasha : परिभाषा : शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय) को अंलकार कहते हैं। अलंकार के भेद : अलंकार मुख्यतः दो भागों में विभाजित हैं • शब्दालंकार • अर्थालंकार कहीं-कहीं एक ही अलंकार में शब्द और अर्थ दोनों का रञ्जन होता है, वहाँ ये तीसरे अलंकार के रूप में जाने जाते हैं, अर्थात उभयालंकार । 1. शब्दालंकार जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है। शब्दालंकार के भेद : (i) अनुप्रास, (ii) यमक, (iii) श्लेष । (i) अनुप्रास : जहाँ पर वर्णों की आवृत्ति हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है, जैसे – मुदित महीपति मन्दिर आये। सेवक सचिव सुभत बुलाये ।। इस चौपाई में पूर्वार्द्ध में म की और उत्तरार्द्ध में स की तीन-तीन बार आवृत्ति हुई है, पर इनमें स्वरों का मेल नहीं है। कहीं-कहीं स्वर भी मिल जाते हैं, जैसे – सो सुख सुजस सुलभ मोहिं स्वामी । इसमें स की आवृत्ति पाँच बार हुई है, पर स्वरों का मेल (सुख, सुजस सुलभ) केवल तीन बार हुआ है। (अ) छेकानुप्रास- जहाँ स्वरूप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृत्ति एक बार हो, वहाँ छेकानुप्रास होता है। छेक का अर्थ है विदग्ध या चतुर और चतुर व्यक्तियों को यह अलंकार प्रिय है। इसमें व्यंजनवर्णों का उसी क्रम में प्रयोग होता है। ‘रस’ और ‘सर’ में छेकानुप्रास नहीं है ‘सर-सर’ में वर्णों की आवृत्ति उसी क्रम और स्वरूप में हुई है, अतएव यहाँ छेकानुप्रास है। जैसे – बंदउँ ग...

अलंकार किसे कहते हैं, अलंकार कितने होते हैं ?, रूपक अलंकार, यमक अलंकार

अलंकार किसे कहते हैं, अलंकार कितने होते हैं? हिंदी साहित्य के अलंकार. अलंकार PDF. अलंकार in English. अलंकार मराठी, अलंकार Class 9. अनुप्रास अलंकार, श्लेष अलंकार अलंकार के बारे में पूरी जानकारी यहाँ दी गई है. अलंकार किसे कहते हैं अलंकार किसे कहते हैं– काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं। अलंकार के मुख्य दो भेद हैं—शब्दालंकार और अर्थालंकार। जहाँ शब्दों के कारण चमत्कार आ जाता है वहाँ शब्दालंकार तथा जहाँ अर्थ के कारण रमणीयता आ जाती है वहाँ अर्थालंकार होता है। (Alankar kise kahate hain) शब्दालंकार के प्रकार शब्दालंकार के तीन भाग हैं- • अनुप्रास अलंकार • यमक अलंकार • श्लेष अलंकार अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं अनुप्रास अलंकार– जहाँ व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति हो, चाहे उनके स्वर मिलें या न मिलें वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास अलंकार के पाँच भेद होते हैं- • छेकानुप्रास • वृत्त्यनुप्रास • श्रुत्त्यनुप्रास • लाटानुप्रास • अन्त्यानुप्रास छेकानुप्रास अलंकार उदाहरण सहित जहाँ एक या अनेक वर्णों की आवृत्ति केवल एक बार होती है वहाँ छेकानुप्रास होता है। उदाहरण- राधा के बर बैन सुनि चीनी चकित सुभाइ। दाख दुखी मिसरी मुई सुधा रही सकुचाइ। यहाँ ब, च, द, म और स वर्णों की एक एक बार आवृत्ति हुई है, अतः छेकानुप्रास है। वृत्त्यनुप्रास अलंकार जहाँ एक अथवा अनेक वर्णों की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो, वहाँ वृत्त्यनुप्रास होता है। उदाहरण- तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये। इसमें शब्द और अर्थ वही है, परन्तु अन्वय करने से अर्थ में भिन्नता आ जाने के कारण लाटानुप्रास है। विशेष– लाट प्रदेश के कवियों द्वारा खोजे और फिर प्रचलित किये जाने के कारण यह अलंकार लाटानुप्रास कहलाता है. गुजरात ...

अलंकार (साहित्य)

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · अलंकार, अलंकरोति इति अलंकारः' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है। व्यापक रूप में सौंदर्य मात्र को अलंकार कहते हैं और उसी से काव्य ग्रहण किया जाता है। ( काव्यं ग्राह्ममलंकारात्। सौन्दर्यमलंकार: - वक्राभिधेतशब्दोक्तिरिष्टा वाचामलं-कृति:।) अभिधानप्रकाशविशेषा एव चालंकारा:)। काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते)। सौंदर्य, चारुत्व, काव्यशोभाकर धर्म इन तीन रूपों में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है और शेष में शब्द तथा अर्थ के अनुप्रासोपमादि अलंकारों के संकुचित अर्थ में। एक में अलंकार काव्य के प्राणभूत तत्त्व के रूप में ग्रहीत हैं और दूसरे में सुसज्जितकर्ता के रूप में। अनुक्रम • 1 आधार • 2 स्थान और महत्व • 3 वर्गीकरण • 4 कुछ अलंकार • 4.1 उपमा अलंकार • 4.2 अतिशयोक्ति अलंकार • 4.3 रूपक अलंकार • 4.4 विभावना अलंकार • 4.5 अनुप्रास अलंकार • 4.6 यमक अलंकार • 4.7 श्लेष अलंकार • 4.8 वक्रोक्ति अलंकार • 4.9 प्रतीप अलंकार • 4.10 उत्प्रेक्षा अलंकार • 4.11 ब्याजस्तुति अलंकार • 4.12 दृष्टांत अलंकार • 4.13 भ्रांतिमान अलंकार • 4.14 ब्याजनिन्दा अलंकार • 4.15 पाश्चात्य अलंकार • 4.16 विशेषोक्ति अलंकार • 4.17 मानवीकरण अलंकार • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ आधार [ ] सामान्यत: कथनीय वस्तु को अच्छे से अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के विचार से अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इनके द्वारा या तो भावों को उत्कर्ष प्रदान किया जाता है या रूप, गुण, तथा क्रिया का अधिक तीव्र अनुभव कराया जाता है। अत: मन का ओज ही अलं...

अलंकार किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण

अलंकार कविता- कामिनी के सौंदर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है उसी प्रकार अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। शब्द तथा अर्थ की किस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं। अलंकार किसे कहते है? अलंकार का सामान्य अर्थ आभूषण होता है। जिसके द्वारा किसी व्यक्ति वस्तु अर्थात पदार्थ को अलंकृत किया जाता है उसे ही हम अलंकार कहते हैं। अगर हम स्पष्ट शब्दों में कहें तो जिस प्रकार आभूषण धारण करने से नारी के शरीर की शोभा बढ़ती है वैसे ही अलंकार के प्रयोग से कविता की शोभा बढ़ती है। अलंकार के कितने भेद हैं? अलंकार के भेद:- व्याकरण शास्त्र के मुताबिक अलंकार के दो भेद होते हैं:- शब्दालंकार और अर्थालंकार शब्दालंकार किसे कहते हैं? शब्दालंकार- शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है शब्द+अलंकार। जो अलंकार शब्दों के माध्यम से कार्य को अलंकृत करते हैं वह शब्दालंकार कहलाते हैं। यानी किसी काव्य में कोई विशेष शब्द रखने से सौंदर्य आए तो वह शब्दालंकार कहलाता है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द के रख देने से ना रहे उसे शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार के तीन भेद होते हैं:- 1 अनुप्रास अलंकार 2 यमक अलंकार 3 श्लेष अलंकार अनुप्रास अलंकार- जब किसी काव्य रचना को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ग की आवृत्ति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है। अनुप्रास अलंकार के उदाहरण:- मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो। कन्हैया किसको कहेगा तू मैया। कालिंदी कूल कदम की डरनी। चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में। मधुर मधुर मुस्कान मनो...