अलाउद्दीन खिलजी

  1. अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पूरी जानकारी
  2. अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति पर प्रकाश डालें
  3. अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा
  4. अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी
  5. अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार
  6. अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति पर प्रकाश डालें
  7. अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पूरी जानकारी
  8. अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी
  9. अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार
  10. अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा


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अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पूरी जानकारी

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अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति पर प्रकाश डालें

3 इन्हें भी पढ़ें: अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति अलाउद्दीन खिलजी मध्य भारतीय इतिहास का एकमात्र ऐसा शासक था जिसने आर्थिक क्षेत्र में भी सुधार करने की कोशिश की. इसी कारण उसे एक महान राजनीतिक अर्थशास्त्री भी कहा जाता है. अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति उसके प्रशासनिक नीति का सबसे महत्वपूर्ण अंग थी. उसकी सैन्य व्यवस्था की सफलता उसके द्वारा बाजार पर नियंत्रण के द्वारा ही संभव था. उसने एक विशाल सेना का संगठन किया था. इस विशाल सेना संगठन को चलाने के लिए आर्थिक रूप से उनका मजबूत होना जरूरी था. हालांकि उसने प्रत्येक सैनिक को वेतन देता था लेकिन वह वेतन उन सैनिक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं था. अत: उसने बाजार नीति की घोषणा की. बाजार नीति को सफलता बनाने के लिए उसने निम्नलिखित चार प्रमुख कार्य किए:- वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण, वस्तु की आपूर्ति के व्यवस्था, वस्तुओं का उचित वितरण तथा बाजारों का प्रबंध. 1. वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण अलाउद्दीन खिलजी ने भूमि कर बढ़ाकर तथा अन्य प्रकार अन्य तरीकों से अपनी आय में पर्याप्त वृद्धि की थी. लेकिन यह आय उसके विशाल सैन्य संगठन के खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. अत: उसने उन हर वस्तुओं के मूल्य का निर्धारण करने का निश्चय किया जो कि एक सैनिक के दैनिक जीवन में काम आता था. उसने एक सैनिक के द्वारा उपयोग होने वाले हर छोटी-बड़ी वस्तुओं की सूची बनाएं बनाई तथा उन वस्तु का मूल्य कम करके उनका एक निश्चित मूल्य का निर्धारण किया गया. इसी प्रकार खाद्य पदार्थों, घोड़ा, गाय, बकरी, भैंस आदि जानवर की भी सूची बनाकर उनका मूल्य तय कर दिया गया, कपड़े और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं की भी मूल्य निर्धारण कर दी गई. अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा मूल्य निर्धारण करने ...

अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा

अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा (Alaudding Khilji History in Marathi): अलाउद्दीन खिलजी हा खिलजी राजघराण्याचा दुसरा शासक होता, जो खूप शक्तिशाली आणि महत्वाकांक्षी राजा होता. अलाउद्दीनने त्याचे काका जलालुद्दीन फिरोज खिलजीला ठार मारले, त्याच्या नावावर त्याचे सिंहासन घेतले आणि त्याने भारतामध्ये आपले साम्राज्य पसरवले आणि खिलजी राजवंशाचा वारसा पुढे नेला. त्याला स्वतःला दुसरा अलेक्झांडर म्हणणे आवडले. त्याला अलेक्झांडर-आय-सनी ही पदवी देण्यात आली. खिलजीने आपल्या राज्यात दारूची खुली विक्री बंद केली होती. तो पहिला मुस्लिम शासक होता ज्यांनी दक्षिण भारतात आपले साम्राज्य पसरवले आणि जिंकले. त्याच्या विजयाबद्दलची तळमळ यामुळेच त्याला युद्धात यश मिळाले, ज्यामुळे दक्षिण भारतात त्याचा प्रभाव वाढला आणि त्याच्या साम्राज्याचा विस्तार वाढला. खिलजीच्या वाढत्या शक्तीमुळे त्याच्या निष्ठावंतांची संख्याही वाढली. खिलजीच्या साम्राज्यातील त्यांचे सर्वात निष्ठावंत सेनापती मलिक काफूर आणि खुशराव खान होते. दक्षिण भारतात खिलजीची खूप दहशत होती, तो तेथील राज्यांमध्ये लूट करायचा, आणि तेथील राज्यकर्ते जे त्यांच्याकडून पराभूत झाले, खिलजी त्यांच्याकडून वार्षिक कर वसूल करायचे. अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा (Alaudding Khilji History in Marathi) जीवन परिचय बिंदू खिलजी चरित्र पूर्ण नाव अलाउद्दीन खिलजी दुसरे नाव जुना मोहम्मद खिलजी जन्म 1250 AD जन्म ठिकाण लकनौथी (बंगाल) वडिलांचे नाव शैबुद्दीन मसूद बायको कमला देवी धर्म मुसलमान मृत्यू 1316 (दिल्ली) मुले कुतिबुद्दीन मुबारक शाह, शाहिबुद्दीन उमर अलाउद्दीनचा जन्म 1250 मध्ये बंगालच्या बीरभूम जिल्ह्यात झाला, त्याचे नाव जुना मोहम्मद खिलजी असे होते. त्याचे वडील शाहिबुद्दी...

अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी

अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलाल-उद-दीन फिरुज खिलजी सिंहासन प्राप्त कर खिलजी वंश का दूसरा शासक बना (1296-1316)। अल्लाउद्दीन का असल नाम जूना खान था।अलाउद्दीन खिलजीने अपने युग के दौरान एक उथल-पुथल भरे किन्तु सफल शासनकाल का नेतृत्व किया।उसने खिलजी राजवंश का नेतृत्व कर भारतीय इतिहास में एक सम्माननीय मुकाम हासिल किया। अल्लाउद्दीन खिलजी को उनके चाचा द्वारा अलाहबाद शहर के नज़दीक कड़ा का राज्यपाल नियुक्त किया गया, और वह केवल भीलसा और देवगिरि पर चढ़ाई के बाद ही था कि अलाउद्दीन के मन में अगला सुल्तान बनने की इच्छा जागी। एक बरछी पर अपने चाचा के सिर के साथ दिल्ली के लिए उसका नाटकीय जुलुस भयानक था। उसने जलालुद्दीन के दोनों बेटों अर्कली खान और रुकुनुद्दीन को अँधा कर देने के हुक्म के साथ साथ उसकी विधवा मलिका जहां को कैद कर लिया और बलपूर्वक अमीरों का धन लूट लिया। यहां तक कि उसने ‘दूसरे सिकंदर’ के रूप में खुद की कल्पना कर ली और दुनिया भर में एक व्यापक साम्राज्य के संस्थापक का सपना देखने लगा, जो उसके दौर के टंकण में चित्रित है। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल के दौरान कई विजय अभियान किये, जिनमे से प्रमुख में शामिल है उसके सेनापतियों नुसरत खान और उलूग खान द्वारा 1297 ईस्वी में गुजरात की लूट, जिसमे उन्होंने न सिर्फ सोमनाथ मंदिर लूटा बल्कि पवित्र शिवलिंग भी खंडित कर दिया था। यहीं अल्लाउद्दीन खिलजी, जो माना जाता है कि समलैंगिक था, ने मालिक काफूर नामक एक दास लड़का खरीदा, जो बाद में खिलजी का प्रेमी और सेनानायक बना और उसे भविष्य में कई लड़ाइयों में मदद की। अल्लाउद्दीन की अगली मुख्य चढ़ाई रणथम्बोर में हम्मीर देवा के खिलाफ थी, जिसने अल्लाउदीन के बाग़ी सेनानायक मुहम्मद शाह को पनाह दी थी। 1299 में एक असफल प्रय...

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार दो प्रकार के थे-बाजार व्यवस्था में सुधार एवं भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार। दिल्ली के सुल्तानों में अलाउद्दीन प्रथम सुल्तान था जिसने वित्तीय एवं राजस्व सुधारों में गहरी रुचि ली। अलाउद्दीन खिलजी को आर्थिक सुधारों की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई। क्योंकि वह साम्राज्य का विस्तार और एक शक्तिशाली शासन प्रबंध स्थापित करना चाहता था। इन दोनों उद्देश्यों की पूर्ति आर्थिक सुधारों के बिना सम्भव नहीं थी। साम्राज्य विस्तार के लिए उसे एक विशाल और संगठित सेना की आवश्यकता थी। सेना की विशालता को बनाये रखने के लिए आर्थिक साधनों की आवश्यकता थी। अतः अलाउद्दीन ने बाजार व्यवस्था तथा भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार किये। भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में अलाउद्दीन खिलजी पहला शासक था जिसने राजस्व सुधारों की ओर विशेष ध्यान दिया। उसने भूमि की पैमाइश कराकर उसकी वास्तविक उपज पर लगान निश्चित किया। उसने राजस्व कर प्रणाली को सुधारने के लिए “दीवान-ए-मुस्तखराज” विभाग की स्थापना की। इस विभाग का कार्य भू-राजस्व का संग्रह करना था। राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन खिलजी ने उन सभी भूमि अनुदानों को वापस लेकर खालसा भूमि में बदल दिया। जो मिल्क, इनाम और वक्फ के रूप दिये गये थे। इस कारण इसके शासनकाल में खालसा भूमि के क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि हुई। उसने मुकदमों (मुखिया), खूंतो (जमींदार) व बलाहरों से राजस्व वसूली के विशेषाधिकार वापस ले लिये। राजस्व वसूली राजस्व वसूली के लिए मुतसर्रिफ, कारकुन तथा आमिल अधिकारी होते थे। राजस्व वसूली में इनकी सहायता के लिए चौधरी (ग्राम स्तर पर) खूत (शिक स्तर पर) नियुक्त किये जाते थे। ये मध्यस्थ का कार्य करते थे। ये सभी अधिकारी दीवान...

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति पर प्रकाश डालें

3 इन्हें भी पढ़ें: अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति अलाउद्दीन खिलजी मध्य भारतीय इतिहास का एकमात्र ऐसा शासक था जिसने आर्थिक क्षेत्र में भी सुधार करने की कोशिश की. इसी कारण उसे एक महान राजनीतिक अर्थशास्त्री भी कहा जाता है. अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति उसके प्रशासनिक नीति का सबसे महत्वपूर्ण अंग थी. उसकी सैन्य व्यवस्था की सफलता उसके द्वारा बाजार पर नियंत्रण के द्वारा ही संभव था. उसने एक विशाल सेना का संगठन किया था. इस विशाल सेना संगठन को चलाने के लिए आर्थिक रूप से उनका मजबूत होना जरूरी था. हालांकि उसने प्रत्येक सैनिक को वेतन देता था लेकिन वह वेतन उन सैनिक परिवार के लिए पर्याप्त नहीं था. अत: उसने बाजार नीति की घोषणा की. बाजार नीति को सफलता बनाने के लिए उसने निम्नलिखित चार प्रमुख कार्य किए:- वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण, वस्तु की आपूर्ति के व्यवस्था, वस्तुओं का उचित वितरण तथा बाजारों का प्रबंध. 1. वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण अलाउद्दीन खिलजी ने भूमि कर बढ़ाकर तथा अन्य प्रकार अन्य तरीकों से अपनी आय में पर्याप्त वृद्धि की थी. लेकिन यह आय उसके विशाल सैन्य संगठन के खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. अत: उसने उन हर वस्तुओं के मूल्य का निर्धारण करने का निश्चय किया जो कि एक सैनिक के दैनिक जीवन में काम आता था. उसने एक सैनिक के द्वारा उपयोग होने वाले हर छोटी-बड़ी वस्तुओं की सूची बनाएं बनाई तथा उन वस्तु का मूल्य कम करके उनका एक निश्चित मूल्य का निर्धारण किया गया. इसी प्रकार खाद्य पदार्थों, घोड़ा, गाय, बकरी, भैंस आदि जानवर की भी सूची बनाकर उनका मूल्य तय कर दिया गया, कपड़े और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं की भी मूल्य निर्धारण कर दी गई. अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा मूल्य निर्धारण करने ...

अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पूरी जानकारी

• करंट अफेयर्स • प्रतियोगी परीक्षायें Menu Toggle • UGC NET परीक्षा • संघ लोक सेवा आयोग • उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग • उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा • उत्तर प्रदेश राजस्व लेखपाल भर्ती परीक्षा • साक्षात्कार • अथिति लेख • विषय Menu Toggle • हिंदी • राजव्यवस्था • इतिहास • भूगोल • अर्थशास्त्र • सामान्य विज्ञान • पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी • दर्शन शास्त्र • गणित • विधि • अंग्रेजी • सामान्य ज्ञान • कम्प्यूटर • खेल-जगत • महान व्यक्तित्व • राजस्व ज्ञान • रोचक जानकारी • Donate Us • Donate Us • करंट अफेयर्स • प्रतियोगी परीक्षायें Menu Toggle • UGC NET परीक्षा • संघ लोक सेवा आयोग • उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग • उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा • उत्तर प्रदेश राजस्व लेखपाल भर्ती परीक्षा • साक्षात्कार • अथिति लेख • विषय Menu Toggle • हिंदी • राजव्यवस्था • इतिहास • भूगोल • अर्थशास्त्र • सामान्य विज्ञान • पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी • दर्शन शास्त्र • गणित • विधि • अंग्रेजी • सामान्य ज्ञान • कम्प्यूटर • खेल-जगत • महान व्यक्तित्व • राजस्व ज्ञान • रोचक जानकारी अलाउद्दीन खिलजी ( Alauddin Khalji ) के बारे में पूरी जानकारी – अलाउद्दीन का जन्म 1266 ईo को सिरसा में हुआ था। इसके बचपन का नाम अली या अलीगुर्शप था। इसका राज्याभिषेक 3 अक्टूबर 1296 ईo को बलबन के लालभावन में हुआ। यह रुकनुद्दीन इब्राहिम को हटाकर शासक बना। इसने सिकंदर द्वितीय की उपाधि धारण की। अलाउद्दीन भारतीय इतिहास में अपनी बाजार व्यवस्था के प्रबंधन के लिए विख्यात है। 5 जनवरी 1316 ईo को इसकी मृत्यु हो गयी। अलाउद्दीन खिलजी के अभियान :- अलाउद्दीन एक साम्राज्यवादी सोच वाला शासक था, उसने अपने शासनकाल में बहुत से अभियान किये। ...

अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी

अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलाल-उद-दीन फिरुज खिलजी सिंहासन प्राप्त कर खिलजी वंश का दूसरा शासक बना (1296-1316)। अल्लाउद्दीन का असल नाम जूना खान था।अलाउद्दीन खिलजीने अपने युग के दौरान एक उथल-पुथल भरे किन्तु सफल शासनकाल का नेतृत्व किया।उसने खिलजी राजवंश का नेतृत्व कर भारतीय इतिहास में एक सम्माननीय मुकाम हासिल किया। अल्लाउद्दीन खिलजी को उनके चाचा द्वारा अलाहबाद शहर के नज़दीक कड़ा का राज्यपाल नियुक्त किया गया, और वह केवल भीलसा और देवगिरि पर चढ़ाई के बाद ही था कि अलाउद्दीन के मन में अगला सुल्तान बनने की इच्छा जागी। एक बरछी पर अपने चाचा के सिर के साथ दिल्ली के लिए उसका नाटकीय जुलुस भयानक था। उसने जलालुद्दीन के दोनों बेटों अर्कली खान और रुकुनुद्दीन को अँधा कर देने के हुक्म के साथ साथ उसकी विधवा मलिका जहां को कैद कर लिया और बलपूर्वक अमीरों का धन लूट लिया। यहां तक कि उसने ‘दूसरे सिकंदर’ के रूप में खुद की कल्पना कर ली और दुनिया भर में एक व्यापक साम्राज्य के संस्थापक का सपना देखने लगा, जो उसके दौर के टंकण में चित्रित है। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल के दौरान कई विजय अभियान किये, जिनमे से प्रमुख में शामिल है उसके सेनापतियों नुसरत खान और उलूग खान द्वारा 1297 ईस्वी में गुजरात की लूट, जिसमे उन्होंने न सिर्फ सोमनाथ मंदिर लूटा बल्कि पवित्र शिवलिंग भी खंडित कर दिया था। यहीं अल्लाउद्दीन खिलजी, जो माना जाता है कि समलैंगिक था, ने मालिक काफूर नामक एक दास लड़का खरीदा, जो बाद में खिलजी का प्रेमी और सेनानायक बना और उसे भविष्य में कई लड़ाइयों में मदद की। अल्लाउद्दीन की अगली मुख्य चढ़ाई रणथम्बोर में हम्मीर देवा के खिलाफ थी, जिसने अल्लाउदीन के बाग़ी सेनानायक मुहम्मद शाह को पनाह दी थी। 1299 में एक असफल प्रय...

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार दो प्रकार के थे-बाजार व्यवस्था में सुधार एवं भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार। दिल्ली के सुल्तानों में अलाउद्दीन प्रथम सुल्तान था जिसने वित्तीय एवं राजस्व सुधारों में गहरी रुचि ली। अलाउद्दीन खिलजी को आर्थिक सुधारों की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई। क्योंकि वह साम्राज्य का विस्तार और एक शक्तिशाली शासन प्रबंध स्थापित करना चाहता था। इन दोनों उद्देश्यों की पूर्ति आर्थिक सुधारों के बिना सम्भव नहीं थी। साम्राज्य विस्तार के लिए उसे एक विशाल और संगठित सेना की आवश्यकता थी। सेना की विशालता को बनाये रखने के लिए आर्थिक साधनों की आवश्यकता थी। अतः अलाउद्दीन ने बाजार व्यवस्था तथा भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार किये। भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में अलाउद्दीन खिलजी पहला शासक था जिसने राजस्व सुधारों की ओर विशेष ध्यान दिया। उसने भूमि की पैमाइश कराकर उसकी वास्तविक उपज पर लगान निश्चित किया। उसने राजस्व कर प्रणाली को सुधारने के लिए “दीवान-ए-मुस्तखराज” विभाग की स्थापना की। इस विभाग का कार्य भू-राजस्व का संग्रह करना था। राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन खिलजी ने उन सभी भूमि अनुदानों को वापस लेकर खालसा भूमि में बदल दिया। जो मिल्क, इनाम और वक्फ के रूप दिये गये थे। इस कारण इसके शासनकाल में खालसा भूमि के क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि हुई। उसने मुकदमों (मुखिया), खूंतो (जमींदार) व बलाहरों से राजस्व वसूली के विशेषाधिकार वापस ले लिये। राजस्व वसूली राजस्व वसूली के लिए मुतसर्रिफ, कारकुन तथा आमिल अधिकारी होते थे। राजस्व वसूली में इनकी सहायता के लिए चौधरी (ग्राम स्तर पर) खूत (शिक स्तर पर) नियुक्त किये जाते थे। ये मध्यस्थ का कार्य करते थे। ये सभी अधिकारी दीवान...

अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा

अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा (Alaudding Khilji History in Marathi): अलाउद्दीन खिलजी हा खिलजी राजघराण्याचा दुसरा शासक होता, जो खूप शक्तिशाली आणि महत्वाकांक्षी राजा होता. अलाउद्दीनने त्याचे काका जलालुद्दीन फिरोज खिलजीला ठार मारले, त्याच्या नावावर त्याचे सिंहासन घेतले आणि त्याने भारतामध्ये आपले साम्राज्य पसरवले आणि खिलजी राजवंशाचा वारसा पुढे नेला. त्याला स्वतःला दुसरा अलेक्झांडर म्हणणे आवडले. त्याला अलेक्झांडर-आय-सनी ही पदवी देण्यात आली. खिलजीने आपल्या राज्यात दारूची खुली विक्री बंद केली होती. तो पहिला मुस्लिम शासक होता ज्यांनी दक्षिण भारतात आपले साम्राज्य पसरवले आणि जिंकले. त्याच्या विजयाबद्दलची तळमळ यामुळेच त्याला युद्धात यश मिळाले, ज्यामुळे दक्षिण भारतात त्याचा प्रभाव वाढला आणि त्याच्या साम्राज्याचा विस्तार वाढला. खिलजीच्या वाढत्या शक्तीमुळे त्याच्या निष्ठावंतांची संख्याही वाढली. खिलजीच्या साम्राज्यातील त्यांचे सर्वात निष्ठावंत सेनापती मलिक काफूर आणि खुशराव खान होते. दक्षिण भारतात खिलजीची खूप दहशत होती, तो तेथील राज्यांमध्ये लूट करायचा, आणि तेथील राज्यकर्ते जे त्यांच्याकडून पराभूत झाले, खिलजी त्यांच्याकडून वार्षिक कर वसूल करायचे. अलाउद्दीन खिलजीचा इतिहास चरित्र कथा (Alaudding Khilji History in Marathi) जीवन परिचय बिंदू खिलजी चरित्र पूर्ण नाव अलाउद्दीन खिलजी दुसरे नाव जुना मोहम्मद खिलजी जन्म 1250 AD जन्म ठिकाण लकनौथी (बंगाल) वडिलांचे नाव शैबुद्दीन मसूद बायको कमला देवी धर्म मुसलमान मृत्यू 1316 (दिल्ली) मुले कुतिबुद्दीन मुबारक शाह, शाहिबुद्दीन उमर अलाउद्दीनचा जन्म 1250 मध्ये बंगालच्या बीरभूम जिल्ह्यात झाला, त्याचे नाव जुना मोहम्मद खिलजी असे होते. त्याचे वडील शाहिबुद्दी...