Alankar kitne prakar ke hote hain

  1. शब्द अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? » Shabd Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain
  2. अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?
  3. Alankar in Hindi Grammar (अलंकार)
  4. सकर्मक और अकर्मक क्रिया उदाहरणों के साथ In Hindi
  5. Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? » HindiQueries
  6. Noun कितने प्रकार के होते है और इनकी परिभाषा
  7. व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं
  8. अलंकार किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं
  9. अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


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शब्द अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? » Shabd Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका प्रश्न है शब्द अलंकार कितने प्रकार के होते हैं मित्रों अलंकार मुक्ता दो प्रकार के होते हैं एक होता है शब्दालंकार और दूसरा होता है अर्थालंकार शब्दालंकार के मुक्ता तीन भेद होते हैं यमक अलंकार श्लेष अलंकार और अनुप्रास अलंकार aapka prashna hai shabd alankar kitne prakar ke hote hain mitron alankar mukta do prakar ke hote hain ek hota hai shabdalankar aur doosra hota hai arthalankar shabdalankar ke mukta teen bhed hote hain yamak alankar shlesh alankar aur anupras alankar आपका प्रश्न है शब्द अलंकार कितने प्रकार के होते हैं मित्रों अलंकार मुक्ता दो प्रकार के होत

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? । Alamkar kitne prakar ke hote hain?

आज इस आर्टिकल में हम अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar ke kitne bhed hote Hain), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? (Alankar kitne prakar ke hote hain?) अलंकार क्या है? इसके के बारे में जानेंगे। किसी भी भाषा का सही और गहन अध्ययन के लिए उसका व्याकरण आधार होता है। इसी प्रकार हिंदी भाषा मे भी व्याकरण बहुत ही प्रमुख होता है। हिंदी भाषा में और उसमें भी खास तौर पर कविता और कहानियों में भी अलंकार का इस्तेमाल होता है। कविता में पंक्तियों को सजाने के लिए अलंकार का इस्तेमाल होता है। आज इस लेख में हम अलंकार के बारे में ही जानेंगे। अलंकार क्या है? अलंकार कितने प्रकार के होते हैं यानी अलंकार के कितने भेद हैं? इसे और इसके सभी भेदो को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे – शाब्दिक अर्थ में अलंकार का मतलब होता है आभूषण। हम जो कुछ भी कहते हैं या लिखते हैं उस कथन को में सुंदर शब्दों का प्रयोग करके उसे प्रभावी और सुंदर बनाना चाहते हैं और इसी के लिए अलंकार का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शब्दों को सजाना और प्रभावी बनाना ही अलंकार है। मुख्य तौर से अलंकार का इस्तेमाल काव्य यानी कविताओं में ही किया जाता है। इसीलिए उस कारक को अलंकार कहा जाता है, जो काव्य यानी कविता की शोभा को बढ़ाते हैं। ‘ तौपे वारू उर्वशी, तू तो प्रभु के उर वशि ‘ ऊपर दी गई कविता की पंक्ति में अलंकार का इस्तेमाल है। अलंकार के कितने भेद होते हैं? (Alankar kitne prakar hote hain?) वैसे तो अलंकार के भेदो और उपभेदो की संख्या काव्य शास्त्रियों के अनुसार सैकड़ों हैं। परंतु मुख्य रूप से कुछ सीमित और निर्धारित भेेदों को ही अलंकार के भेदों के अंतर्गत पढ़ा जाता है। मुख्य रूप से अलंकार के तीन भेद ही होते हैं, तथा उनके कई सारे उप...

Alankar in Hindi Grammar (अलंकार)

1.34 10 अन्योक्ति अलंकार ( Anyokti alankar ) Alankar in Hindi Grammar अलंकार का शाब्दिक अर्थ है ” आभूषण “. मनुष्य सौंदर्य प्रेमी है, वह अपनी प्रत्येक वस्तु को सुसज्जित और अलंकृत देखना चाहता है। वह अपने कथन को भी शब्दों के सुंदर प्रयोग और विश्व उसकी विशिष्ट अर्थवत्ता से प्रभावी व सुंदर बनाना चाहता है। मनुष्य की यही प्रकृति काव्य में अलंकार कहलाती है। मनुष्य सौंदर्य प्रिय प्राणी है। बच्चे सुंदर खिलौनों की ओर आकृष्ट होते हैं। युवक – युवतियों के सौंदर्य पर मुग्ध होते हैं। प्रकृति के सुंदर दृश्य सभी को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। मनुष्य अपनी प्रत्येक वस्तु को सुंदर रुप में देखना चाहता है , उसकी इच्छा होती है कि उसका सुंदर रूप हो उसके वस्त्र सुंदर हो आदि आदि। सौंदर्य ही नहीं , मनुष्य सौंदर्य वृद्धि भी चाहता है और उसके लिए प्रयत्नशील रहता है , इस स्वाभाविक प्रवृत्ति के कारण मनुष्य जहां अपने रुप – वेश , घर आदि के सौंदर्य को बढ़ाने का प्रयास करता है , वहां वह अपनी भाषा और भावों के सौंदर्य में वृद्धि करना चाहता है। उस सौंदर्य की वृद्धि के लिए जो साधन अपनाए गए , उन्हें ही अलंकार कहते हैं। उनके रचना में सौंदर्य को बढ़ाया जा सकता है , पैदा नहीं किया जा सकता। ” काव्यशोभा करान धर्मानअलंकारान प्रचक्षते ।” Alankar ki paribhasha:- अर्थात वह कारक जो काव्य की शोभा बढ़ाते हैं अलंकार कहलाते हैं। अलंकारों के भेद और उपभेद की संख्या काव्य शास्त्रियों के अनुसार सैकड़ों है। लेकिन पाठ्यक्रम में छात्र स्तर के अनुरूप यह कुछ मुख्य अलंकारों का परिचय व प्रयोग ही अपेक्षित है। अलंकार का महत्व :- 1. अलंकार शोभा बढ़ाने के साधन है। काव्य रचना में रस पहले होना चाहिए उस रसमई रचना की शोभा बढ़ाई जा सकती है अलंकारों क...

सकर्मक और अकर्मक क्रिया उदाहरणों के साथ In Hindi

Sakarmak Aur Akarmak Kriya में हमेशा जितना आसान हो सके उतने आसान शब्दों में समझाने की कोशिस करता हु ताकि जब भी आप परीक्षा में लिखने जाय तो तुरंत याद आ सके। एक बात हमेशा याद रखना की बिना समजे आप कभी लम्बे समय तक याद नहीं रख सकते। आप इस वेबसाइट के माध्यम से और भी व्याकरण के मुद्दे पढ़ सकते है। आप यहां से आसान भाषा में समज के लम्बे समय तक याद रख सकेंगे। सकर्मक क्रिया अकर्मक क्रिया सकर्मक क्रिया में कर्म होता है। अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता है। सकर्मक क्रिया में कर्म प्रभावित होता है। इसमें कर्म पे प्रभाव नहीं होता। Sakarmak Kriya सबसे पहले सकर्मक क्रिया को समज लेते हैं. जिस वाक्य में कर्ता, कर्म, और क्रिया तीनो उपस्थित हो वहा पर सकर्मक क्रिया होती है। यहां पे समजिये : क्रिया – क्रिया मतलब कार्य जो आप अभी पढ़ रहे तो यह क्रिया है। कर्म – आप क्या पढ़ रहे है ? ब्लॉग वेबसाइट तो यह कर्म है। और, कर्ता – जो पढ़ रहा है वो कर्ता है। मतलब जो क्रिया करने वाला है वो कर्ता है। अब समजिये उदाहरण से • मुकेश व्याकरण पढ़ रहा है। यहां पे कर्ता उपलब्ध है – मुकेश यहां पे कर्म उपलब्ध है – व्याकरण यहां पे क्रिया उपलब्ध है – पढ़ रहा है। मतलब की कर्ता द्वारा की गई क्रिया किसी कर्म को प्रभावित करती है तो उस क्रिया को सकर्मक क्रिया कहते है। यहां पे मुकेश पढ़ तो रहा है, लेकिन , वो व्याकरण पढ़ रहा है। यहां पे मुकेश की क्रिया व्याकरण को प्रभावित करती है इसलिए यह क्रिया सकर्मक क्रिया है। अब आप समज गए होंगे की सकर्मक क्रिया क्या होता है। • सकर्मक क्रिया के उदाहरण • पियूष सेब खा रहा है। यहां पे पियूष का कार्य सेब को प्रभावित कर रहा है, मतलब यह क्रिया सकर्मक क्रिया है। • राम धनुष चला रहे थे। यहां पे राम कर्ता है ...

Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? » HindiQueries

3 Conclusion अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kahate Hain) अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- ‘आभूषण’, जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है। संक्षेप में हम कह सकते हैं काव्यशरीर, अर्थात् भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनानेवाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते है। अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है- अलम + कार, यहाँ पर अलम का अर्थ होता है ‘ आभूषण। मानव समाज बहुत ही सौन्दर्योपासक है उसकी प्रवृत्ति ने ही नए अलंकारों को जन्म दिया गया है। अलंकार, कविता-कामिनी के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। उदहारण: भूषण बिना न सोहई – कविता, बनिता मित्त अलंकार कितने प्रकार के होते हैं (Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain) अलंकार के चार भेद हैं- • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार • पाश्चात्य अलंकार 1. शब्दालंकार जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्द अलंकार होता है। शब्दालंकार के मुखयतः छः प्रकार होते है – • अनुप्रास अलंकार • यमक अलंकार • पुनरुक्ति अलंकार • विप्सा अलंकार • वक्रोक्ति अलंकार • श्लेष अलंकार 2. अर्थालंकार जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहाँ अर्थालंकार होता है। यह प्रकार निम्नलिखित है – • उपमा अलंकार • रूपक अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • द्रष्टान्त अलंकार • संदेह अलंकार • अतिश्योक्ति अलंकार • उपमेयोपमा अलंकार • प्रतीप अलंकार • अनन्वय अलंकार • भ्रांतिमान अलंकार • दीपक अलंकार • अपहृति अलंकार • व्यतिरेक अलंकार • विभावना अलंकार • विशेषोक्ति अल...

Noun कितने प्रकार के होते है और इनकी परिभाषा

2. जातिवाचक संज्ञा Common noun – वह शब्द जो अपनी पूरी जाति का बोध कराते हों, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं. जैसे – किसान, मजदूर, लेखक, मोर, गाय, हाथी, नदी, पर्व, पुस्तक, शहर, सैनिक, विद्यालय, देश, सड़क, बगीचा आदि. 3. भाववाचक संज्ञा Abstract noun – वह शब्द जो किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, दोष, भाव, दशा व्यापार या मन के भाव का बोध कराते हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं. जैसे – मानवता, मित्रता, प्यास, दया, अहिंसा, बुढ़ापा, मिठास, गरमी, सरदी, सुख-दुख, यौवन, बचपन आदि भाव है. Noun कितने प्रकार के होते है? Noun को हिंदी में संज्ञा कहते हैं.संज्ञा (noun) उसे कहते है जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, गुण, दशा और कार्यकलाप के नाम हो. जैसे :- व्यक्ति (person) – रमेश (Ramesh) स्थान (Place) – पटना (Patna) वस्तु (Thing) – कलम (Pen) गुण (Quality) – ईमानदारी ( Honesty) दशा ( Condition) – बीमारी ( Illness) कार्यकलाप ( Action) – गति या चाल (Movement) संज्ञा के अन्य भेद भी माने जाते हैं. 1. द्रव्यवाचक 2. समूहवाचक या समुदायवाचक 1.समुदायवाचक – वह शब्द जो किसी समूह, झुंड या समुदाय का बोध कराये, उन्हें समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं. जैसे- भीड़; सेना, सभा, गुलदस्ता, कक्षा गोष्ठी, मंडल, जत्था, संघ आदि. 2.द्रव्यवाचक संज्ञा mass noun – जिनसे किसी, द्रव्य, पदार्थ अथवा धातु का बोध होता हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं. जैसे ताँबा, पीतल, चाँदी, कोयला, घी, दूध, तेल, चावल, दाल, आटा आदि. और पढ़े : गिनती के आधार पर Noun कितने प्रकार के होते है? 1.गणनीय संज्ञा Countable Noun 2.अगणनीय संज्ञा Uncountable Noun 1.गणनीय संज्ञा Countable Noun वह संज्ञा Noun जिसको गिना जा सकता है उसे हम गणनीय संज्ञा Countable Noun ...

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं

व्यंजन की परिभाषा (vyanjan in hindi) वे अ’ स्वर मिला होता है । व्यंजनों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाली वायु के मार्ग में रुकावट होती है। जैसे – क, च, ट इत्यादि। प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर पूर्णता उच्चरित होता है , उसमे से अ को निकल देने से उसका रूप हलन्त के साथ हो जाता है. जैसे- क्, ख्, ग्, घ् आदि। चलिए समझते हैं कि हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं? स्पर्श व्यंजन (sparsh vyanjan) जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतर विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन क से लेकर म तक संख्या में 25 हैं, जिन्हें 5 वर्गों में बांटा गया है । • क वर्ग- क ख ग घ ङ • च वर्ग- च छ ज झ ञ • ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण • त वर्ग- त थ द ध न • प वर्ग- प फ ब भ म इनका उच्चारण क्रमशः कन्ठ, तालु, मूर्द्धा, दंत्य, ओष्ठ इत्यादि के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से होता है। अन्तस्थ व्यंजन (antastha vyanjan) जिन वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतरी भागों को मामूली सा स्पर्श करता है अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो, उसे अंतस्थ व्यंजन कहते हैं । इनकी संख्या 4 होती है- य, र, ल, व । इन चार वर्णों में से य तथा व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह स्वरों की भांति उच्चरित किए जाते हैं । उत्क्षिप्त व्यंजन (utkshipt vyanjan) वे वर्ण जिनका उच्चारण जीभ के अग्र भाग के द्वारा झटके से होता है, उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या दो होती है – ड़ और ढ़। इन्हें द्विगुण व्यंजन भी कहते हैं ।यह व्यंजन उच्चारण की सुविधा के लिए ड, ढ के नीचे बिंदी (़) लगाकर बनाए जाते हैं । यह हिंदी के द्वारा विकसित किए गए व्यंजन है। अयोगव...

अलंकार किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं

अलंकार किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं अलंकार किसे कहते हैं (परिभाषा, भेद व उदाहरण) Alankar in Hindi– आज हम आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी बतायेंगे क्योंकि यह जानकारी बहुत अच्छी है. और आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि यह जानकारी आपके एग्जाम में हर बार आती है. आए हर साल आपके एग्जाम में इस जानकारी में से कुछ ना कुछ जरूर आता है. तो आप के लिए जानकारी जानना और बहुत जरूरी है. मैं आज आपको इस पोस्ट में अलंकार के बारे में बताऊंगा अलंकार क्या होते हैं कितने प्रकार के होते हैं और इनको कैसे पहचाना जाता है .इनके बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बतायेगे. और इनके उदाहरण भी आपको साथ में बतायेगे. क्योंकि कई बार स्टूडेंट्स पहले तो ध्यान से पढ़ते नहीं है. और जब एग्जाम नजदीक आते .हैं तो एकदम से अपनी बुक्स उठाते हैं. वह उनमें दी हुई परिभाषा को सीधे ही पढ़ने लग जाते हैं. जिससे कि उनको याद करने में बहुत मुश्किल होती है. और ना ही उनको अच्छे से समझ पाते हैं. और एग्जाम के समय वे उनको भूल जाते हैं. तो हम आपको इस पोस्ट में सभी चीजें आपको विस्तार से एक-एक करके बताएंगे जिससे कि आपको अच्छी तरह से समझ में भी आएगा और आपको याद भी रहेगा तो. तो आप इस जानकारी को ध्यान से पढ़ें और. देखिए अलंकार क्या होते हैं. अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kehte Hai) वैसे तो अलंकार कई प्रकार की होती है लेकिन हम आपको इस पोस्ट में मुख्य रूप से जो प्रमुख अलंकार होते हैं उनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं. काव्य की शोभा को बढ़ाने के लिए जिस शब्द या तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है उसको हम अलंकार कहते हैं. अब आपको यह परिभाषा सीधे तौर पर तो समझ में नहीं आई होगी लेकिन हम आपको नीचे एक उदाहरण के साथ ...

अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

परिभाषा:- अलंकार का शाब्दिक अर्थ है “आभूषण “, मनुष्य सौंदर्य प्रेमी है, वह अपनी प्रत्येक वस्तु को सुसज्जित और अलंकृत देखना चाहता है। वह अपने कथन को भी शब्दों के सुंदर प्रयोग और विश्व उसकी विशिष्ट अर्थवत्ता से प्रभावी व सुंदर बनाना चाहता है। मनुष्य की यही प्रकृति काव्य में अलंकार कहलाती है। अलंकार का महत्व 1. अलंकार शोभा बढ़ाने के साधन है। काव्य रचना में रस पहले होना चाहिए उस रसमई रचना की शोभा बढ़ाई जा सकती है अलंकारों के द्वारा। जिस रचना में रस नहीं होगा , उसमें अलंकारों का प्रयोग उसी प्रकार व्यर्थ है. जैसे – निष्प्राण शरीर पर आभूषण। । 2. काव्य में अलंकारों का प्रयोग प्रयासपूर्वक नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर वह काया पर भारस्वरुप प्रतीत होने लगते हैं , और उनसे काव्य की शोभा बढ़ने की अपेक्षा घटती है। काव्य का निर्माण शब्द और अर्थ द्वारा होता है। अतः दोनों शब्द और अर्थ के सौंदर्य की वृद्धि होनी चाहिए। इस दृष्टि से अलंकार दो प्रकार के होते हैं ( शब्दालंकार और अर्थालंकार ) Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • १. शब्दालंकार परिभाषा:- जहां काव्य में शब्दों के प्रयोग वैशिष्ट्य से कविता में सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न होता है । वहां शब्दालंकार होता है । जैसे ( ‘ भुजबल भूमि भूप बिन किन्ही ‘ ) इस उदाहरण में विशिष्ट व्यंजनों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न हुआ है। यदि ‘ भूमि ‘ के बजाय उसका पर्यायवाची ‘ पृथ्वी ‘ , ‘ भूप ‘ के बजाय उसका पर्यायवाची ‘ राजा ‘ रख दे तो काव्य का सारा चमत्कार खत्म हो जाएगा। इस काव्य पंक्ति में उदाहरण के कारण सौंदर्य है। अतः इसमें शब्दालंकार है। शब्दालंकार के भेद • अनुप्रास अलंकार • यमक • श्लेश २. अर्थालंकार परिभाषा:- जहां कविता में...