Angen gatram sanskrit shlok

  1. shantakaram bhujagashayanam shlok
  2. कर्म पर संस्कृत श्लोक
  3. Sanskrit Shlok
  4. भगवान श्री राम के सभी संस्कृत श्लोक
  5. संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning
  6. सबसे अच्छी प्रेरणादायक 25 संस्कृत श्लोक सुभाषितानी,सुविचार व अनमोल वचन हिन्दी अर्थ सहित? Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi
  7. सबसे अच्छी प्रेरणादायक 25 संस्कृत श्लोक सुभाषितानी,सुविचार व अनमोल वचन हिन्दी अर्थ सहित? Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi
  8. कर्म पर संस्कृत श्लोक
  9. संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning
  10. shantakaram bhujagashayanam shlok


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shantakaram bhujagashayanam shlok

Vishnu Dhyan Mantra शान्ता कारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशम् विश्वा धारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभिर्ध्या नगम्यम् वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम् || Shaanta kaaram Bhujaga Shayanam Padma Naabham Suresham Vishvaa dhaaram Gagana Sadrsham Megha Varnnam Shubha Anggam | Lakssmii Kaantam Kamala Nayanam Yogi bhirDhyaana Gamyam Vande Vishnnum Bhava Bhaya Haram Sarva Lokaika Naatham || Hindi translation :- जिनका स्वरूप शांत है, जो शेषनाग पर विश्राम तथा बैठते है, जिनकी नाभि में कमल है और जो देवताओं के भी देव है। जो पूरे ब्रह्मांड तथा विश्व को धारण किए हुए है, जो सर्वत्र व्याप्त एवं विद्यमान है, जो नीलमेघ के समान नील वर्ण वाले है और जिनके अङ्ग – अङ्ग शुभ एवं मनमोहक है। जो लक्ष्मीजी के स्वामी ( पति ) है, जिनके नेत्र कमल के समान कोमल है और योगी जिनका निरंतर चिंतन करते है। ( ऐसे ) भगवान श्री विष्णु को में प्रणाम करता / करती हु, जो सभी भयो को हारते, नष्ट करते है तथा जो सभी लोकों के स्वामी है, पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर है। ( में प्रणाम करता / करती हु) English translation :- Whose nature is calm, Who sit on Sheshnag, Who has lotus in his navel and Who is also the god of gods. That holds the whole universe and the world, Who exists everywhere, Which is blue like the blue cloud And whose body parts are auspicious and Adorable. The husband of Lakshmi, Whose eye is as soft as a lotus, And yogis whose constant contemplation. I bow to Lord Vishnu, All those who destroy fear and who are the masters of all worlds. यह भी पढ़ें

कर्म पर संस्कृत श्लोक

Sanskrit Shlok on Karma with Hindi Meaning नास्तिकः पिशुनश्चैव कृतघ्नो दीर्घदोषकः । चत्वारः कर्मचाण्डाला जन्मतश्चापि पञ्चमः ॥ नास्तिक, निर्दय, कृतघ्नी, दीर्घद्वेषी, और अधर्मजन्य संतति – ये पाँचों कर्मचांडाल हैं । वागुच्चारोत्सवं मात्रं तत्क्रियां कर्तुमक्षमाः । कलौ वेदान्तिनो फाल्गुने बालका इव ॥ लोग वाणी बोलने का आनंद उठाते हैं, पर उस मुताबिक क्रिया करने में समर्थ नहीं होते । कलियुग के वेदांती, फाल्गुन मास के बच्चों जैसे लगते हैं । कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः । स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥ जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखते हैं, और कर्म में अकर्म को देखता हैं, वह इन्सान सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है; एवं वह योगी सम्यक् कर्म करनेवाला है । दाने शक्तिः श्रुतौ भक्तिः गुरूपास्तिः गुणे रतिः । दमे मतिः दयावृत्तिः षडमी सुकृताङ्कुराः ॥ दातृत्वशक्ति, वेदों में भक्ति, गुरुसेवा, गुणों की आसक्ति, (भोग में नहि पर) इंद्रियसंयम की मति, और दयावृत्ति – इन छे बातों में सत्कार्य के अंकुर हैं । कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ कर्म का स्वरुप जानना चाहिए, अकर्म का और विकर्म का स्वरुप भी जानना चाहिए; क्यों कि कर्म की गति अति गहन है । सुखस्य दुःखस्य न कोऽपि दाता परो ददातीति कुबुद्धिरेषा । अहं करोमीति वृथाभिमानः स्वकर्मसूत्रे ग्रथितो हि लोकः ॥ (जीवन में) सुख-दुःख किसी अन्य के दिये नहीं होते; कोई दूसरा मुजे सुख-दुःख देता है यह मानना व्यर्थ है । ‘मुजसे होता है’ यह मानना भी मिथ्याभिमान है । समस्त जीवन और सृष्टि स्वकर्म के सूत्र में बंधे हुए हैं । कर्म पर संस्कृत श्लोक सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत् । सर्वारम्भा हि दोषे...

Sanskrit Shlok

Sanskrit Shlok in Hindi : दोस्तों ये बात तो आप भी बहुत अच्छे से जानते हैं, की संस्कृत भाषा का हम सभी लोगो के जीवन में अहम रोल है। जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के जो भी संस्कार होते हैं। वे सभी संस्कृत भाषा में होते हैं। संस्कृत भाषा प्राचीन काल से चलती आ रही है। पुराण उपनिषद व ग्रंथ भी संस्कृत में ही लिखे गए हैं। इसे देव भाषा भी कहते हैं। इन सभी बातों से पता चलता है की संस्कृत का ज्ञान होना हमारे लिए आवश्यक है। प्राचीन समय में ऋषि मुनि ज्ञान बढ़ाने हेतु संस्कृत में श्लोक का प्रयोग करते थे। जिन्हे पढ़कर वास्तव में मन को बड़ी ही शांति मिलती है। इसलिए दोस्तों आज की पोस्ट में हमने प्राचीन समय के कुछ चुनिंदा संस्कृत श्लोक और उनके अर्थ लिखे हैं। जिन्हे एक बार आपको जरूर पढ़ना चाहिए। तदा एव सफलता विषये चिन्तनं कुर्मः यदा वयं सिद्धाः भवामः!! अर्थ- तभी सफलता के विषय में चिंतन करे जब आप कार्य करके उसे पूरा कर पाए, वरना बिना कार्य किये सफलता के बारे में सोचना व्यर्थ है! निवर्तयत्यन्यजनं प्ररमादतः स्वयं च निष्पापपथे प्रवर्तते गुणाति तत्त्वं हितमिछुरंगिनाम् शिवार्थिनां यः स गुरु निर्गघते !! अर्थ- जो दूसरों को प्रमाद (नशा, गलत काम ) करने से रोकते हैं, स्वयं निष्पाप रास्ते पर चलते हैं, हित और कल्याण की कामना रखनेवाले को तत्त्वबोध (यथार्थ ज्ञान का बोध) कराते हैं, उन्हें गुरु कहते हैं! ॐ न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते !! अर्थ- इस सम्पूर्ण संसार में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ भी नहीं है। वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा !! अर्थ- जिनका एक दन्त टुटा हुआ है जिनका शरीर हाथी जैसा विशालकाय है और तेज सूर्य की किरणों की तरह है बलशाली है। उनसे मेरी प्रा...

भगवान श्री राम के सभी संस्कृत श्लोक

Shri Ram Mantra in Hindi : हिन्दू धर्म में राम नाम की महिमा अपरंपार है। कहा जाता है राम से बड़ा राम का नाम होता है और राम नाम को तो खुद ‘भगवान शिव’ भी मान चुके है। आज हम इस आर्टिकल में आपको श्री राम श्लोक अर्थ सहित (shri ram shlok) और श्री राम वंदना श्लोक (Shri Ram Vandana shlok) के बारे में बताने जा रहे है। हमें आशा है की इस राम श्लोक (ram shlok) के पढ़न से आपकी जिंदगी में सौभाग्य और सुख की प्राप्ति जरूर होगी । विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • भगवान श्री राम संस्कृत श्लोक | Shri Ram Mantra in Hindi हम यहाँ पर आपको श्री राम मंत्र इन संस्कृत (shri ram shlok in sanskrit with meaning) में अर्थ के सहित बताएँगे, जिससे आप उनके अर्थ सरलता से समझ सकेंगे। एक श्लोकी रामायण – Ek Shloki Ramayan आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद्‌ रावण कुम्भकर्ण हननम्‌, एतद्धि रामायणम्।। भावार्थ श्रीराम वनवास गए, वहां उन्होने स्वर्ण मृग का वध किया। रावण ने सीताजी का हरण कर लिया, जटायु रावण के हाथों मारा गया। ****** श्री राम वंदना श्लोक – Shri Ram Vandana shlok लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।। भावार्थ मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीडा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणा के भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं। ****** श्री राम गायत्री मंत्र – Shri Ram Gayatri Mantra ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि॥ तन्नो रामः प्रचोदयात्।। भावार्थ ॐ, दशरथ के पुत्र का ध्यान करें, माता सीता की सहमति, आज्ञा से मुझे उच्...

संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning

संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning • सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:। यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।। अर्थ — एक विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि किसी दुर्भाग्य से फल नहीं देता तो उसकी छाया कोई नहीं रोक सकता है। • मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा। क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः।। अर्थ — एक मुर्ख के पांच लक्षण होते है घमण्ड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों के लिए सम्मान में कमी। • • पुस्तकस्था तु या विद्या,परहस्तगतं च धनम्। कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम्।। अर्थ — किसी पुस्तक में रखी विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन। ये दोनों जब जरूरत होती है तब हमारे किसी भी काम में नहीं आती। • देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:। गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।। अर्थ — भाग्य रूठ जाये तो गुरू रक्षा करता है। गुरू रूठ जाये तो कोई नहीं होता। गुरू ही रक्षक है, गुरू ही शिक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं। • • निरपेक्षो निर्विकारो निर्भरः शीतलाशयः। अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भव चिन्मात्रवासनः।। अर्थ — आप सुख साधन रहित, परिवतर्नहीन, निराकार, अचल, अथाह जागरूकता और अडिग हैं। इसलिए अपनी जाग्रति को पकड़े रहो। Top Sanskrit Shlok With Hindi Meaning • विद्या मित्रं प्रवासेषु,भार्या मित्रं गृहेषु च। व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च।। अर्थ — विदेश में ज्ञान, घर में अच्छे स्वभाव और गुणस्वरूप पत्नी, औषध रोगी का तथा धर्म मृतक का सबसे बड़ा मित्र होता है। • • अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते ...

सबसे अच्छी प्रेरणादायक 25 संस्कृत श्लोक सुभाषितानी,सुविचार व अनमोल वचन हिन्दी अर्थ सहित? Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi

हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा (easy sanskrit slokas) में कई सारी बातें Sanskrit Shlokas in hindi) में लिखी है। तो आइये जानते हैं प्रेरणादायक नीति श्लोक हिंदी अर्थ सहित। संस्कृत भाषा भारत ही नहीं विश्व की प्राचीनतम भाषा होने के साथ ही सभी भाषाओं की जननी है। Sanskrit sloks with meaning in hindi संस्कृत भाषा में पग-पग पर विश्व कल्याण और मानवता का पाठ पढ़ाने वाले श्रेष्ठ वाक्यांश समाहित है। व्यक्ति के मार्गदर्शन के लिए तथा सभी पक्षों के विकस के लिए ( संस्कृत श्लोक,संस्कृत में सूक्तियां, संस्कृत में आदि कयी ऐसे महान हमारे ग्रंथों से लिये गये है। अत: इसी प्रकार संस्कृत श्लोक ज्ञानवर्धक और को इस " संस्कृत सुभाषितानि " में हिन्दी अर्थ, संस्कृत भावार्थ सहित समाहित करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। Sanskrit sloks with meaning in hindi धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं। भारत ने दुनिया को सभी तरह का ज्ञान दिया और आज उस ज्ञान के कारण पश्‍चिम और चीन जगत के लोग अपना जीवनस्तर सुधारने में लगे हैं। Sanskrit sloks with meaning in hindi } 50 संस्कृत सुभाषितानी सुविचार व अनमोल वचन } शास्त्रों के 65 संस्कृत सुभाषितानी संस्कृत सुविचार } मनुस्मृति के 31 महत्वपूर्ण शिक्षाप्रद सूक्तियां } 22 संस्कृत सुभाषितानी सुविचार एवं अनमोल वचन } जीवन पर 50 सर्वोच्च विचार व अनमोल वचन } 51 महत्वपूर्ण अंग्रेजी शिक्षाप्रद सूक्तियां } संस्कृत में 40 शिक्षाप्रद सूक्तियां अर्थ सहित Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi श्लोक - 1 आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः | आगमैः सदृशारम्भ आरम्भसदृशोदयः || अर्थात- जैसा उसका शरीर था, वैसी ही उसकी बुद्धि भी थी, जैसी...

सबसे अच्छी प्रेरणादायक 25 संस्कृत श्लोक सुभाषितानी,सुविचार व अनमोल वचन हिन्दी अर्थ सहित? Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi

हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा (easy sanskrit slokas) में कई सारी बातें Sanskrit Shlokas in hindi) में लिखी है। तो आइये जानते हैं प्रेरणादायक नीति श्लोक हिंदी अर्थ सहित। संस्कृत भाषा भारत ही नहीं विश्व की प्राचीनतम भाषा होने के साथ ही सभी भाषाओं की जननी है। Sanskrit sloks with meaning in hindi संस्कृत भाषा में पग-पग पर विश्व कल्याण और मानवता का पाठ पढ़ाने वाले श्रेष्ठ वाक्यांश समाहित है। व्यक्ति के मार्गदर्शन के लिए तथा सभी पक्षों के विकस के लिए ( संस्कृत श्लोक,संस्कृत में सूक्तियां, संस्कृत में आदि कयी ऐसे महान हमारे ग्रंथों से लिये गये है। अत: इसी प्रकार संस्कृत श्लोक ज्ञानवर्धक और को इस " संस्कृत सुभाषितानि " में हिन्दी अर्थ, संस्कृत भावार्थ सहित समाहित करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। Sanskrit sloks with meaning in hindi धर्म, ज्ञान और विज्ञान के मामले में भारत से ज्यादा समृद्धशाली देश कोई दूसरा नहीं। भारत ने दुनिया को सभी तरह का ज्ञान दिया और आज उस ज्ञान के कारण पश्‍चिम और चीन जगत के लोग अपना जीवनस्तर सुधारने में लगे हैं। Sanskrit sloks with meaning in hindi } 50 संस्कृत सुभाषितानी सुविचार व अनमोल वचन } शास्त्रों के 65 संस्कृत सुभाषितानी संस्कृत सुविचार } मनुस्मृति के 31 महत्वपूर्ण शिक्षाप्रद सूक्तियां } 22 संस्कृत सुभाषितानी सुविचार एवं अनमोल वचन } जीवन पर 50 सर्वोच्च विचार व अनमोल वचन } 51 महत्वपूर्ण अंग्रेजी शिक्षाप्रद सूक्तियां } संस्कृत में 40 शिक्षाप्रद सूक्तियां अर्थ सहित Motivational Sanskrit shlok With meaning in hindi श्लोक - 1 आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः | आगमैः सदृशारम्भ आरम्भसदृशोदयः || अर्थात- जैसा उसका शरीर था, वैसी ही उसकी बुद्धि भी थी, जैसी...

कर्म पर संस्कृत श्लोक

Sanskrit Shlok on Karma with Hindi Meaning नास्तिकः पिशुनश्चैव कृतघ्नो दीर्घदोषकः । चत्वारः कर्मचाण्डाला जन्मतश्चापि पञ्चमः ॥ नास्तिक, निर्दय, कृतघ्नी, दीर्घद्वेषी, और अधर्मजन्य संतति – ये पाँचों कर्मचांडाल हैं । वागुच्चारोत्सवं मात्रं तत्क्रियां कर्तुमक्षमाः । कलौ वेदान्तिनो फाल्गुने बालका इव ॥ लोग वाणी बोलने का आनंद उठाते हैं, पर उस मुताबिक क्रिया करने में समर्थ नहीं होते । कलियुग के वेदांती, फाल्गुन मास के बच्चों जैसे लगते हैं । कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः । स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥ जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखते हैं, और कर्म में अकर्म को देखता हैं, वह इन्सान सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है; एवं वह योगी सम्यक् कर्म करनेवाला है । दाने शक्तिः श्रुतौ भक्तिः गुरूपास्तिः गुणे रतिः । दमे मतिः दयावृत्तिः षडमी सुकृताङ्कुराः ॥ दातृत्वशक्ति, वेदों में भक्ति, गुरुसेवा, गुणों की आसक्ति, (भोग में नहि पर) इंद्रियसंयम की मति, और दयावृत्ति – इन छे बातों में सत्कार्य के अंकुर हैं । कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ कर्म का स्वरुप जानना चाहिए, अकर्म का और विकर्म का स्वरुप भी जानना चाहिए; क्यों कि कर्म की गति अति गहन है । सुखस्य दुःखस्य न कोऽपि दाता परो ददातीति कुबुद्धिरेषा । अहं करोमीति वृथाभिमानः स्वकर्मसूत्रे ग्रथितो हि लोकः ॥ (जीवन में) सुख-दुःख किसी अन्य के दिये नहीं होते; कोई दूसरा मुजे सुख-दुःख देता है यह मानना व्यर्थ है । ‘मुजसे होता है’ यह मानना भी मिथ्याभिमान है । समस्त जीवन और सृष्टि स्वकर्म के सूत्र में बंधे हुए हैं । कर्म पर संस्कृत श्लोक सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत् । सर्वारम्भा हि दोषे...

संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning

संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning • सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:। यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।। अर्थ — एक विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि किसी दुर्भाग्य से फल नहीं देता तो उसकी छाया कोई नहीं रोक सकता है। • मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा। क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः।। अर्थ — एक मुर्ख के पांच लक्षण होते है घमण्ड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों के लिए सम्मान में कमी। • • पुस्तकस्था तु या विद्या,परहस्तगतं च धनम्। कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम्।। अर्थ — किसी पुस्तक में रखी विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन। ये दोनों जब जरूरत होती है तब हमारे किसी भी काम में नहीं आती। • देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:। गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।। अर्थ — भाग्य रूठ जाये तो गुरू रक्षा करता है। गुरू रूठ जाये तो कोई नहीं होता। गुरू ही रक्षक है, गुरू ही शिक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं। • • निरपेक्षो निर्विकारो निर्भरः शीतलाशयः। अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भव चिन्मात्रवासनः।। अर्थ — आप सुख साधन रहित, परिवतर्नहीन, निराकार, अचल, अथाह जागरूकता और अडिग हैं। इसलिए अपनी जाग्रति को पकड़े रहो। Top Sanskrit Shlok With Hindi Meaning • विद्या मित्रं प्रवासेषु,भार्या मित्रं गृहेषु च। व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च।। अर्थ — विदेश में ज्ञान, घर में अच्छे स्वभाव और गुणस्वरूप पत्नी, औषध रोगी का तथा धर्म मृतक का सबसे बड़ा मित्र होता है। • • अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते ...

shantakaram bhujagashayanam shlok

Vishnu Dhyan Mantra शान्ता कारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशम् विश्वा धारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभिर्ध्या नगम्यम् वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम् || Shaanta kaaram Bhujaga Shayanam Padma Naabham Suresham Vishvaa dhaaram Gagana Sadrsham Megha Varnnam Shubha Anggam | Lakssmii Kaantam Kamala Nayanam Yogi bhirDhyaana Gamyam Vande Vishnnum Bhava Bhaya Haram Sarva Lokaika Naatham || Hindi translation :- जिनका स्वरूप शांत है, जो शेषनाग पर विश्राम तथा बैठते है, जिनकी नाभि में कमल है और जो देवताओं के भी देव है। जो पूरे ब्रह्मांड तथा विश्व को धारण किए हुए है, जो सर्वत्र व्याप्त एवं विद्यमान है, जो नीलमेघ के समान नील वर्ण वाले है और जिनके अङ्ग – अङ्ग शुभ एवं मनमोहक है। जो लक्ष्मीजी के स्वामी ( पति ) है, जिनके नेत्र कमल के समान कोमल है और योगी जिनका निरंतर चिंतन करते है। ( ऐसे ) भगवान श्री विष्णु को में प्रणाम करता / करती हु, जो सभी भयो को हारते, नष्ट करते है तथा जो सभी लोकों के स्वामी है, पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर है। ( में प्रणाम करता / करती हु) English translation :- Whose nature is calm, Who sit on Sheshnag, Who has lotus in his navel and Who is also the god of gods. That holds the whole universe and the world, Who exists everywhere, Which is blue like the blue cloud And whose body parts are auspicious and Adorable. The husband of Lakshmi, Whose eye is as soft as a lotus, And yogis whose constant contemplation. I bow to Lord Vishnu, All those who destroy fear and who are the masters of all worlds. यह भी पढ़ें