Asahyog andolan ke samay vaysaray kaun tha

  1. खिलाफत और असहयोग आंदोलन
  2. भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय कौन था?
  3. असहयोग आंदोलन की असफलता के चार कारण बताइये तथा इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  4. विधवा पुनर्विवाह अधिनियम
  5. Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha
  6. कौन सा नेता असहयोग आंदोलन में शामिल नहीं हुआ था?
  7. Non Cooperation Movement in Hindi
  8. Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha
  9. भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय कौन था?
  10. Non Cooperation Movement in Hindi


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खिलाफत और असहयोग आंदोलन

टैग्स: • • • • परिचय • जन आंदोलन: वर्ष 1919-1922 में भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करने हेतु खिलाफत और असहयोग, दो जन आंदोलन आयोजित किये गए थे। • दोनों ही आंदोलनों में भिन्न-भिन्न मुद्दें होने के बावज़ूद अहिंसा और असहयोग की एक एकीकृत योजना को अपनाया गया। • इस अवधि में कॉन्ग्रेस और मुस्लिम लीग का एकीकरण देखा गया। इन दोनों पार्टियों के संयुक्त प्रयास के तहत कई राजनीतिक प्रदर्शन आयोजित किये गए। • आंदोलनों के कारण: निम्नलिखित कारकों ने दो आंदोलनों की पृष्ठभूमि के रूप में कार्य किया: • सरकार के क्रूरतापूर्ण कार्य: रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act), पंजाब में मार्शल लॉ लागू करने और जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) ने विदेशी शासन के क्रूर और असभ्य चेहरे को उजागर करने का कार्य किया। • पंजाब में हो रहे अत्याचारों की जाँच हेतु गठित हंटर आयोग (Hunter Commission) की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट। • हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद के) में जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर जनरल डायर की कार्रवाई को उचित ठराया जाना। • असंतुष्ट भारतीय: द्वैध शासन की अपनी कुविचारित योजना के साथ मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (Montagu-Chelmsford Reforms) भारतीयों की स्वशासन की बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रहे। • आर्थिक कठिनाइयाँ: प्रथम विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में देश की आर्थिक स्थिति विशेषकर वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, भारतीय उद्योगों के उत्पादन में कमी, करों और किराये के बोझ में वृद्धि आदि के साथ और खतरनाक हो गई थी। • समाज के लगभग सभी वर्गों को युद्ध के कारण आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा रहा था जिससे लोगों में ब्रिटिश विरोधी रवैया और मज़बूत हो गया। खिलाफत का मुद्दा: • अंग्रेजों के खिलाफ तुर्की का गठब...

भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय कौन था?

Explanation : भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो था। भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त सन् 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरंभ हुआ। उस समय भारत के वाइसरॉय लार्ड लिनलिथगो थे। वाइसरॉय के तौर पर पर भारत में उनका कार्यकाल 1936 से 1943 तक चला। इतिहास History GK किसी भी परीक्षार्थी एवं प्रतिभागी के लिए सफलता पाने में अत्यधिक उपयोगी होता है। इससे संबंधित प्रश्न, एसएससी, यूपीएससी, बैंकिंग, डिफेंस, रेलवे इत्यादि प्रमुख सरकारी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसलिए अगर आपका सामान्य ज्ञान अच्छा है तो आसानी से बहुत कम समय में ज्यादा प्रश्न हल कर सकते हैं और अच्छे अंक ला सकते है। Tags :

असहयोग आंदोलन की असफलता के चार कारण बताइये तथा इसके महत्व की विवेचना कीजिए।

असहयोग आंदोलन की असफलता के चार कारण बताइये तथा इसके महत्व की विवेचना कीजिए। सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न • 'गाँधी जी का ही एकमात्र प्रभाव' किस प्रकार असहयोग आन्दोलन की सफलता का कारण बना है। • असहयोग आन्दोलन ब्रिटिश शक्ति के प्रति महज एक नैतिक विरोध था स्पष्ट कीजिये। • असहयोग आन्दोलन ने जनसाधारण में अदम्य साहस का संचार किया, स्पष्ट कीजिये। • असहयोग आन्दोलन का रचनात्मक कार्यक्रम किस प्रकार सफल रहा? असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारण 1919 ई. को प्रारम्भ हुआ असहयोग आन्दोलन शीघ्र ही एक व्यापक जन आन्दोलन बन गया परन्तु चौरी चौरा थाना पर हुए कांड के कारण यह अपने घोषित उद्देश्यों की पूर्ति में अन्तिम रूप से असफल ही रहा, इसकी निम्नलिखित कारण बताये जा सकते हैं - • गाँधी जी का एकमात्र प्रभाव - असहयोग आन्दोलन की विफलता का मूल कारण यह था कि इस आन्दोलन का प्रस्ताव पारित होने का आधार कांग्रेस के नेताओं की सर्वसम्मति न होकर केवल गाँधी जी का प्रभाव मात्र था। प्रस्ताव पर मतभेद के फलस्वरूप कांग्रेस के अनेक नेता अन्त तक इस आन्दोलन से अलग ही रहे। विपिनचन्द्र पाल, मोहम्मद अली जिन्ना, ऐनीबेसेण्ट इत्यादि नेता सदैव के लिए कांग्रेस से अलग ही हो गये। फलस्वरूप आन्दोलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और यह आन्दोलन महज गाँधी जी द्वारा संचालित आन्दोलन में तब्दील हो गया। • धर्म को राजनीति में सम्मिलित करना - इस आन्दोलन की दुर्बलता का एक अन्य प्रमुख कारण खिलाफत जैसे धार्मिक प्रश्न को राष्ट्रीय आन्दोलन जैसे राजनीतिक संग्राम के साथ सम्बद्ध करना भी था। यह गाँधी जी की एक बहत बड़ी राजनीतिक भूल थी। हिन्दू-मुस्लिम एकता के नाम पर गाँधी जी द्वारा किये गये इस प्रयास के कारण ही भारतीय राजनीति में धर्म का ही नहीं अपितु धर्मान्ध...

विधवा पुनर्विवाह अधिनियम

विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 ई. में पारित किया गया। यह अधिनियम लार्ड कैनिंग के कार्यकाल में पारित किया गया था। स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए भारतीय समाज सुधारकों ने विधवाओं के पुनर्विवाह पर बल दिया। इस कार्य में सर्वाधिक योगदान ब्रह्म समाज के सदस्य व कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के आचार्य “ईश्वर चन्द्र विद्यासागर” ने दिया। इसके अतिरिक्त पश्चिमी भारत में डी के कर्वे, मद्रास में वीरेसलिंगम पुण्टुलू ने इस दिशा में विशेष प्रयत्न किये। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के प्रयास ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा विवाह को मान्यता दिलाने के लिए पुराने संस्कृत लेखों व वैदिक उल्लेखों का तर्क दिया और यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि वेदों में विधवा विवाह को मान्यता दी गयी है। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने विधवा विवाह के समर्थन में लगभग एक सहस्त्र हस्ताक्षरों वाला एक प्रमाण पत्र तत्कालीन गवर्नर जनरल डलहौजी को दिया। इसके अतिरिक्त बर्दवान के राजा मेहताब चंद तथा नाडिया के राजा श्री चन्द्र ने भी विधवा पुनर्विवाह के लिए अपनी याचनाएँ सरकार को भेजी। जिसके फलस्वरूप लार्ड कैनिंग द्वारा 26 जुलाई 1856 ई. में “विधवा पुनर्विवाह अधिनियम-1856” पारित किया गया। जिसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गयी और उससे उत्पन्न पुत्र को भी वैध घोषित किया गया। डी. के. कर्वे के प्रयास पश्चिमी भारत में डी. के. कर्वे ने हिन्दू विधवाओं के उद्धार के लिए विशेष प्रयत्न किये। उन्होंने 1893 ई. में स्वयं एक विधवा से विवाह किया। वह विधवा पुनर्विवाह संघ के सचिव बने। डी. के. कर्वे ने 1893 ई. में “विधवा विवाह मण्डली” तथा 1899 ई. में पूना में “विधवा आश्रम” की स्थापना की। जिसमें विधवाओं को रोजगार देकर उनके जीवन में एक नया उत्साह भरने का प्रयत्न क...

Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha

asahyog andolan ka mukhya karan kya tha | असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत –हमारे पूर्वजो ने आजादी के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी. तथा इस लड़ाई में लाखो लोगो ने अपने जान की बाजी लगाई थी. इसलिए आजादी को अमूल्य कहा जाता है. और हमे आजादी की अहमियत को समझना चाहिए. देश की आजादी के प्रमुख नेता महात्मा गाँधी थे. जिसके विचारो ने अंग्रेजी सरकार की कमर को तोड़ दिया था. आजादी की इन लड़ाई में अनेक आन्दोलन हुए. जिसमे असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भारत की स्वत्रता की लड़ाई का महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आन्दोलन था. लेकिन आपको पता है की असहयोग आन्दोलन के कारन क्या थे. तो इस आर्टिकल में जानेगे की असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन क्या थे. और इसकी शुरुआत और अंत कैसे हुआ. अनुक्रम • • • • • असहयोग आन्दोलन क्या है? महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया सर्वप्रथम जन आन्दोलन असहयोग आन्दोलन था. इस आन्दोलन के तहत असहयोग की निति को अपनाया गया था. इस आन्दोलन को पुरे देश में समर्थन प्राप्त था. शहरी क्षेत्रो में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रो में किसान और आदिवासियों ने बापू के असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग दिया था. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत असहयोग आन्दोलन में पुरे देश के युवाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. विधार्थियों ने सरकारी स्कुलो और कॉलेजो मेंजाना बंद कर दिया. वकीलों ने अदालतों में जाने से इंकार कर दिया. शहरो और कस्बो के श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया था. पहाड़ी जनजातियो ने वन्य कानूनों की अवेहलना कर दी थी. किसानो ने कर देने से बिल्कुल इंकार कर दिया. इसके साथ ही कुमाऊ के क...

कौन सा नेता असहयोग आंदोलन में शामिल नहीं हुआ था?

असहयोग आन्दोलन संबंधी प्रश्न (Asahyog Andolan Most Important Questions) || Non-cooperation movement Important Questions • असहयोग आन्दोलन संबंधी प्रश्न (Asahyog Andolan Most Important Questions) || Non-cooperation movement Important Questions • • असहयोग आन्दोलन- • For The Latest Activities And News Follow Our Social Media Handles: • ये भी जाने: Madhya Pradesh Samanya Gyan • Get Madhya Pradesh Monthly Current Affairs 2020 विषयसूची Show • • • • • • दोस्तों इस पोस्ट में हम असहयोग आंदोलन से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण बहुविकल्पी प्रश्न उत्तर आप के साथ शेयर कर रही हैं यह प्रश्न उत्तर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूपीएससी एसएससी रेलवे एवं सभी राज्य स्तरीय परीक्षा हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है. असहयोग आन्दोलन- सितम्‍बर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्‍मा गांधी तथा भारतीय राष्‍ट्रीय कॉन्‍ग्रेस के नेतृत्‍व में असहयोग आंदोलन चलाया गया, जिसने भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की। जलियांवाला बाग नर संहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी ने अनुभव किया कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्‍याय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए उन्‍होंने ब्रिटिश सरकार से राष्‍ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई और देश में प्रशासनिक व्‍यवस्‍था पर प्रभाव हुआ। यह आंदोलन अत्‍यंत सफल रहा, क्‍योंकि इसे लाखों भारतीयों का प्रोत्‍साहन मिला। प्रश्न- गांधी जी की गिरफ्तारी निम्नलिखित कूटों में से अपना उत्तर चुने (a) 1, 2, 3 एवं 4 (b) 2, 1, 3 एवं 4 (c) 4, 1, 2 एवं 3 (d) 2, 1, 4 एवं 3 Ans-(a) BPSC (Pre) प्रश्न- चौरी चौरा किस जनपद में स्थित है? (a) देवरिया (b) गोरखपुर (...

Non Cooperation Movement in Hindi

राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी कई भारतीय क्रांतियों का हिस्सा थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के दिन का नेतृत्व किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण आंदोलनों और पहले प्रयासों में से एक Non Cooperation Movement in Hindi था। भारत के कई स्वतंत्रता सेनानी इस समय के साथ जुड़े थे। यह एक शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन था, लेकिन बाद में हिंसक कृत्यों में बदल गया। आइए Non Cooperation Movement in Hindi (असहयोग आंदोलन) के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ये भी पढ़ें : क्या है असहयोग आंदोलन ? Non Cooperation Movement in Hindi (असहयोग आंदोलन) 1920 में 5 सितंबर को शुरू किया गया था। इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था और ब्रिटिश उत्पादों के उपयोग को समाप्त करने, ब्रिटिश पदों से इस्तीफा लेने या इस्तीफा देने, सरकारी नियमों, अदालतों आदि पर रोक लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। यह आंदोलन अहिंसक था और जलियांवाला के बाद देश के सहयोग को वापस लेने के लिए शुरू किया गया था जलियांवाला बाग हत्याकांड और रौलट एक्ट । महात्मा गांधी ने कहा कि यदि यह आंदोलन सफल रहा तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है। यह एक जन आंदोलन के लिए व्यक्तियों का संक्रमण था। असहयोग को पूर्ण स्वराज पाने के लिए भी ध्यान केंद्रित किया गया जिसे पूर्ण स्वराज भी कहा जाता है। असहयोग आंदोलन अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ 1 अगस्त 1920 को गांधी जी द्वारा शुरू किया गया सत्याग्रह आंदोलन है। यह अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन में, यह स्पष्ट किया गया था कि स्वराज अंतिम उद्देश्य है...

Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha

asahyog andolan ka mukhya karan kya tha | असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत –हमारे पूर्वजो ने आजादी के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी. तथा इस लड़ाई में लाखो लोगो ने अपने जान की बाजी लगाई थी. इसलिए आजादी को अमूल्य कहा जाता है. और हमे आजादी की अहमियत को समझना चाहिए. देश की आजादी के प्रमुख नेता महात्मा गाँधी थे. जिसके विचारो ने अंग्रेजी सरकार की कमर को तोड़ दिया था. आजादी की इन लड़ाई में अनेक आन्दोलन हुए. जिसमे असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भारत की स्वत्रता की लड़ाई का महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आन्दोलन था. लेकिन आपको पता है की असहयोग आन्दोलन के कारन क्या थे. तो इस आर्टिकल में जानेगे की असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन क्या थे. और इसकी शुरुआत और अंत कैसे हुआ. अनुक्रम • • • • • असहयोग आन्दोलन क्या है? महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया सर्वप्रथम जन आन्दोलन असहयोग आन्दोलन था. इस आन्दोलन के तहत असहयोग की निति को अपनाया गया था. इस आन्दोलन को पुरे देश में समर्थन प्राप्त था. शहरी क्षेत्रो में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रो में किसान और आदिवासियों ने बापू के असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग दिया था. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत असहयोग आन्दोलन में पुरे देश के युवाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. विधार्थियों ने सरकारी स्कुलो और कॉलेजो मेंजाना बंद कर दिया. वकीलों ने अदालतों में जाने से इंकार कर दिया. शहरो और कस्बो के श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया था. पहाड़ी जनजातियो ने वन्य कानूनों की अवेहलना कर दी थी. किसानो ने कर देने से बिल्कुल इंकार कर दिया. इसके साथ ही कुमाऊ के क...

भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय कौन था?

Explanation : भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो था। भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त सन् 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरंभ हुआ। उस समय भारत के वाइसरॉय लार्ड लिनलिथगो थे। वाइसरॉय के तौर पर पर भारत में उनका कार्यकाल 1936 से 1943 तक चला। इतिहास History GK किसी भी परीक्षार्थी एवं प्रतिभागी के लिए सफलता पाने में अत्यधिक उपयोगी होता है। इससे संबंधित प्रश्न, एसएससी, यूपीएससी, बैंकिंग, डिफेंस, रेलवे इत्यादि प्रमुख सरकारी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसलिए अगर आपका सामान्य ज्ञान अच्छा है तो आसानी से बहुत कम समय में ज्यादा प्रश्न हल कर सकते हैं और अच्छे अंक ला सकते है। Tags :

Non Cooperation Movement in Hindi

राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी कई भारतीय क्रांतियों का हिस्सा थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के दिन का नेतृत्व किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण आंदोलनों और पहले प्रयासों में से एक Non Cooperation Movement in Hindi था। भारत के कई स्वतंत्रता सेनानी इस समय के साथ जुड़े थे। यह एक शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन था, लेकिन बाद में हिंसक कृत्यों में बदल गया। आइए Non Cooperation Movement in Hindi (असहयोग आंदोलन) के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ये भी पढ़ें : क्या है असहयोग आंदोलन ? Non Cooperation Movement in Hindi (असहयोग आंदोलन) 1920 में 5 सितंबर को शुरू किया गया था। इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था और ब्रिटिश उत्पादों के उपयोग को समाप्त करने, ब्रिटिश पदों से इस्तीफा लेने या इस्तीफा देने, सरकारी नियमों, अदालतों आदि पर रोक लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। यह आंदोलन अहिंसक था और जलियांवाला के बाद देश के सहयोग को वापस लेने के लिए शुरू किया गया था जलियांवाला बाग हत्याकांड और रौलट एक्ट । महात्मा गांधी ने कहा कि यदि यह आंदोलन सफल रहा तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है। यह एक जन आंदोलन के लिए व्यक्तियों का संक्रमण था। असहयोग को पूर्ण स्वराज पाने के लिए भी ध्यान केंद्रित किया गया जिसे पूर्ण स्वराज भी कहा जाता है। असहयोग आंदोलन अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ 1 अगस्त 1920 को गांधी जी द्वारा शुरू किया गया सत्याग्रह आंदोलन है। यह अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन में, यह स्पष्ट किया गया था कि स्वराज अंतिम उद्देश्य है...