बंदूक के ट्रिगर यानि जिसे हिस्से को दबाकर फायर किया जाता है उसे आम बोलचाल में क्या कहा जाता है ?

  1. KBC Session 10 Episode
  2. Know full process for gun license online apply in india
  3. डॉक्टर अरुणाचलम कौन थे? – ElegantAnswer.com
  4. VIDEO: बंदूक पर लगा लिया ब्रश, ट्रिगर दबाकर साफ किए दांत, शख्स का जुगाड़ देखकर आ जाएगी हंसी
  5. गोली
  6. सेक्‍शन 397 आईपीसी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हथियार के उपयोग के लिए यह आवश्यक नहीं कि अपराधी ने वास्तव में उसे फायर किया या घोंपा हो, उसे दिखाना या लहराना ही पर्याप्त
  7. भारत में बंदूक का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें
  8. [Solved] जब बंदूक से गोली चलाई जाती है, तो बंदूक विपरीत �


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KBC Session 10 Episode

यहाँ पर हमने कौन बनेगा करोड़पति ( KBC ) के Episode - 1 में पूछे गए सभी महत्वपूर्ण प्रश्‍न व उत्तर अंकित किये है ये सभी ‘ KBC QUIZ’ पहले ही टेलीविज़न पर श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा पूछे जा चुके है यहाँ अंकित किये गए सभी ‘ KBC GK QUESTIOS’ आपको केबीसी की तयारीऔर विभिन्न परीक्षाओ व इंटरव्यू में आपके लिए महत्वपूर्ण होंगे.

Know full process for gun license online apply in india

देश का कोई भी जरूरतमंद नागरिक बंदूक के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन उसे अपने आवेदन पत्र में यह साबित करना होगा कि उन्हें बंदूक की आवश्यकता क्यों है. इसके बाद प्रशासन इस बात का फैसला करेगा कि आपको बंदूक खरीदने की अनुमति दी जानी चाहिए अथवा नहीं. यह भी पढ़िए: क्या है लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए आपको सबसे पहले एक आवेदन फॉर्म जमा करना होता है. सबे पहले आपको अपना आवेदन फॉर्म डीसीपी (लाइसेंसिंग) कार्यालय में जमा करना होता है. कई शहरों में आपको एसडीएम के पास अपना आवेदन फॉर्म जमा करना होता है. अगर आपका पुलिस कमिश्नरेट के तहत आता है, तो आपको आवेदन कमिश्नर ऑफिस में भेजा जाएगा. आपके इलाके का डीएम आपके आवेदन पत्र को एसपी ऑफिस में भेज देता है. यहां से यह आवेदन पत्र आवेदक के थाने में जाता है. थाने से जांच के बाद रिपोर्ट जारी की जाती है. इसके बाद यह आवेदन पत्र लाइसेंस अधिकारी को बेह्ज दिया जाता है. लेकिन कई स्थितियों में बहुत से आवेदन आवेदक की दलील सही न पाए जाने पर खारिज कर दिए जाते हैं. लाइसेंस बनवाने में कितनी फीस लगती है बंदूक का लाइसेंस बनवाने का शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि आप कसी बंदूक के लिए लाइसेंस बनवाना चाहते हैं. लाइसेंस बनवाने के लिए लगने वाली फीस की शुरुआत 10 रुपये से होती है और आवेदक से 10 से लेकर 300 रुपये तक लाइसेंस फीस वसूल की जा सकती है. आप नीचे दी गई रेट लिस्ट में लाइसेंस फीस देख सकते हैं. उदहारण के तौर पर आप रायफल बंदूक खरीदना चाहते हैं, तो आपको इसका लाइसेंस बनवाने के लिए मात्र 60 रुपये शुल्क के रूप में अदा करने होंगे. एक व्यक्ति कितनी बंदूकें खरीद सकता है भारत में कोई भी व्यक्ति अधिकतम तीन बंदूके खरीद सकता है. सरकार एक व्यक्ति के लिए...

डॉक्टर अरुणाचलम कौन थे? – ElegantAnswer.com

डॉक्टर अरुणाचलम कौन थे? अरुणाचलम मुरुगनंतम नागरिकता भारतीय प्रसिद्धि कारण कम लागत सेनेटरी नैपकिन उत्पादित करने वाली मशीन के आविष्कर्ता जीवनसाथी शांति माता-पिता अ वनिताऔर स. मुरुगनंतम असली पैडमैन कौन है? इसे सुनेंरोकेंअसली पैडमैन अक्षय कुमार नहीं, बल्कि तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम हैं. ‘पैडमैन’ में अक्षय, अरुणाचलम मुरुगनाथम की भूमिका निभाने जा रहे हैं. अरुणाचलम मुरुगनाथम ने कम लागत वाले सेनेटरी पैड बनाने की मशीन का आविष्कार किया था. पैडमैन फिल्म कब बनी? इसे सुनेंरोकेंपैडमैन 9 फरवरी 2018 को रिलीज हुई भारतीय हिंदी जीवनी कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है जिसमें मुख्य भूमिकाओं में अक्षय कुमार, सोनम कपूर और राधिका आप्टे हैं। पैडमैन फिल्म में अक्षय कुमार का क्या नाम है? इसे सुनेंरोकेंनई दिल्ली: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फ़िल्म पैडमैन की कहानी प्रेरित है तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम की ज़िंदगी से, जिसने महिलाओं को सस्ते सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए खूब जद्दोजेहद किया. Padman में अक्षय कुमार उसी अरुणाचलम की भूमिका निभा रहे हैं लेकिन किरदार का नाम है लक्ष्मी. फिल्म पैड मैन में अक्षय कुमार के किरदार क्या बनाने के लिए एक सस्ती मशीन का अविष्कार किया था? इसे सुनेंरोकेंस्क्रीनिंग पुणे, सतारा और शोलापुर जनपदों में की गयी थी। बता दें कि आर बाल्की निर्देशित पैडमैन पिछले साल रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म में अक्षय का किरदार रियल लाइफ़ के पैडमैन अरुणाचलम मुरुगनंतम से प्रेरित था, जिन्होंने सस्ती कीमत से सैनेटरी पैड्स बनाने की मशीन का आविष्कार किया था। प्रश्न 2 फिल्म पैड मैन में अक्षय कुमार के किरदार क्या बनाने के लिए एक सस्ती मशीन का अविष्कार किया था? इसे सुनेंरोकेंचौथा सवाल- फिल...

VIDEO: बंदूक पर लगा लिया ब्रश, ट्रिगर दबाकर साफ किए दांत, शख्स का जुगाड़ देखकर आ जाएगी हंसी

सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए लोग अजीबोगरीब तरीके अपनाते हैं. इस वजह से तरह-तरह के वीडियोज को पोस्ट करते हैं जो आपको हंसाते हैं, रुलाते हैं और कई बार गुस्सा दिलाते हैं. मगर लोगों को ऐसे वीडियोज भी बहुत पसंद आते हैं जो हैरान करते हैं. हाल ही में एक शख्स का ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो ब्रश (Man fix brush on gun video) करने के अजीबोगरीब जुगाड़ (Weird ideas) से लोगों को हैरान तो रही ही रहा है, साथ में हंसने पर मजबूर भी कर दे रहा है. ट्विटर अकाउंट @AwardsDarwin_ पर आपको अक्सर मजेदार वीडियोज (amazing video) देखने को मिलते हैं. हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक शख्स का जुगाड़ लोगों को चौंका रहा है. मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक टूथब्रश (electronic toothbrush) काफी फेमस होते हैं. वैसे उनके दाम महंगी होते है. इन ब्रशों में खास बात ये होती है कि ये बैटरी से चलते हैं इस वजह से आपको उन्हें हाथों से पकड़कर मुंह के अंदर डालना पड़ता है और वो अपने आप दांतों की सफाई शुरू कर देते हैं. अब जिसके पास इलेक्ट्रिक टूथ ब्रश ना हो वो क्या करे? वायरल वीडियो में शख्स ने इसका उपाय बताया है मगर ये भी बेहद विचित्र है. — The Darwin Awards (@AwardsDarwin_) बंदूक पर फंसा दिया टूथब्रश वीडियो में शख्स ने एक बंदूक के ऊपरी हिस्से पर टूथब्रश लगा दिया है. अब ये तो नहीं पता कि वो बंदूक असली है या नहीं, मगर बिल्कुल असली बंदूक की तरह ही चल रही है. शख्स के ट्रिगर दबाने पर बंदूक का ऊपरी हिस्सा आगे-पीछे हो रहा है. वो ब्रश को मुंह के अंदर डालकर ट्रिगर चला रहा है जिससे ब्रश दांतों को साफ कर रहा है. इस तरह शख्स को हाथ हिलाने की जरूर ही नहीं पड़ रही है. वीडियो पर लोगों ने दी प्रतिक्रिया इस वीड...

गोली

गोलियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि बंदूकों का। मूलतः, गोलियां धातु या पत्थर की गेंदें होती थीं जिनका उपयोग एक हथियार के रूप में और शिकार के लिए एक गुलेल में किया जाता था। अंत में जब बंदूकों का विकास हो गया, इन्हीं छोटी गेंदों को एक बंद ट्यूब के अंत में गन पाउडर के एक विस्फोटक चार्ज के सामने रखा जाने लगा। जैसे जैसे बंदूक तकनीकी रूप से अधिक उन्नत होने लगी, 1500 से 1800 तक गोलियों में बहुत कम परिवर्तन आया। वे सीसे (lead) की साधारण राउंड (गोल) गेंदे होती थीं, जिन्हें राउंड्स कहा जाता था, इनके केवल व्यास में भिन्नता मिलती थी। हाथ की कल्वेरिन (hand culverin) और मेचलोक आर्कवेबस (matchlock arquebus) के विकास के साथ प्रक्षेप्य के रूप में ढलवां सीसे की गेंदों का प्रयोग होने लगा. "बुलेट" शब्द की व्युत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द बुलेटे (boulette) से हुई है, जिसका अर्थ छोटी गेंद (ittle ball) होता है। बंदूक में प्रयुक्त मूल गोली एक गोल सीसे की गेंद थी जो एक बोर से छोटी होती थी, इसे ढीले फिट पेपर के पैच में लपेटा जाता था, जो बेरल में पाउडर के ऊपर गोली को दृढ़ता से पकड़ लेता था। (वे गोलियां जो पाउडर पर दृढ़ता से नहीं लगी होती थीं, उनके कारण फायरिंग के दौरान बैरल में विस्फोट होने का ख़तरा होता था, इस स्थिति को जल्दी शुरुआत (short start) कहा जाता था। इसीलिए, पुराने स्मूद बोर ब्राउन बेस और इसी तरह की सैन्य बंदूकों के साथ, गोलियों को बंदूक में लोड करना आसान होता था। दूसरी ओर, मूल मज़ल-लोडिंग राइफल, जिसमें ग्रूव्स को राइफल करने के लिए गोलियां ज्यादा नजदीकी से फिट की जाती थी, उसे लोड करना ज्यादा मुश्किल था, विशेष रूप से तब बैरल का बोर पिछली फायरिंग से खराब हो गया हो. इसी कारण से, प्रारंभिक ...

सेक्‍शन 397 आईपीसी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हथियार के उपयोग के लिए यह आवश्यक नहीं कि अपराधी ने वास्तव में उसे फायर किया या घोंपा हो, उसे दिखाना या लहराना ही पर्याप्त

सेक्‍शन 397 आईपीसी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हथियार के उपयोग के लिए यह आवश्यक नहीं कि अपराधी ने वास्तव में उसे फायर किया या घोंपा हो, उसे दिखाना या लहराना ही पर्याप्त | S.397 IPC: Use Of The Weapon Does Not Require That The Offender Should Actually Fire Or Stab, Mere Exhibition Or Brandishing of the...

भारत में बंदूक का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें

“भारत में गन लाइसेंस कैसे प्राप्त करें” इस विषय पर यह लेख Ishita Mehta द्वारा लिखा गया है। इस लेख का अनुवाद Ilashri Gaur द्वारा किया गया है। भारत में गन लाइसेंस प्राप्त करना 1959 के शस्त्र अधिनियम के तहत आता है। भारत के नागरिक जो बंदूक चलाना चाहते हैं, उन्हें केवल एनपीबी बंदूकें (गैर-निषिद्ध बोर) खरीदने की अनुमति है। यह अधिनियम नागरिकों को बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति देता है यदि उनके जीवन के लिए एक बड़ा खतरा है। लेकिन, खतरे को कैसे साबित किया जाए? Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • बंदूक का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें • पहला कदम एक आवेदन जमा करना है। व्यक्ति जिस राज्य में है, वहां के जिला पुलिस अधीक्षक से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। • आवेदन प्राप्त करने के बाद, पुलिस यह जांच करेगी कि क्या किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि के पिछले रिकॉर्ड हैं और वे यह भी जांच करेंगे कि दिया गया पता प्रामाणिक है या नहीं। • उस व्यक्ति के बारे में बहुत सारी जानकारी इकट्ठी की जाती है जो बंदूक प्राप्त करना चाहता है, जिसमें आसपास के या आस-पड़ोस के लोगों से यह पूछना भी शामिल है कि क्या उन्हें किसी प्रकार का दुर्भावनापूर्ण उपचार दिखाई देता है या यदि उन्होंने क्रोध के कारण व्यक्ति को झगड़े में शामिल होते देखा है। • यह निर्धारित करने के लिए कि व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार है या नहीं, डीसीपी उस व्यक्ति का साक्षात्कार करता है जो बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करना चाहता है। • साक्षात्कार में, मुख्य सवाल है- आपको बंदूक की आवश्यकता क्यों है? आत्म-रक्षा को एक प्रमुख कारण के रूप में माना जाता है और इसलिए ही भारत में अधिकांश लोग बंदूक क्यों चाहते हैं और इसे...

[Solved] जब बंदूक से गोली चलाई जाती है, तो बंदूक विपरीत �

• न्यूटन की गति का तीसरा नियम: प्रत्येक क्रिया बल में समान और विपरीत प्रतिक्रिया बल होता है जो एक साथ कार्य करता है। • उपरोक्त नियम के अनुसार, आगे बढ़ने वाली गोली बंदूक को फायरिंग के बाद पीछे की ओर ढकेलती है। बंदूक के इस पीछे हटने को इसकी पुनरावृत्ति कहा जाता है। • न्यूटन के पहले नियम में कहा गया है कि हर वस्तु एक सीधी रेखा में एक समान गति में रहती है जब तक कि किसी बाहरी बल की कार्रवाई से वह अपनी अवस्था को न बदले। • न्यूटन के गति के दूसरे नियम में कहा गया है कि किसी वस्तु के संवेग के परिवर्तन की दर बल की दिशा में लागू बल के समानुपाती होती है। यानी F=ma, जहाँ F लागू बल है, m निकायका द्रव्यमान है, और a त्वरण है।