बाल पिटारा

  1. Bal Pitara app will help the workers
  2. CDPO did not open Bal Pitara app will fall
  3. बाल संरक्षण


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Bal Pitara app will help the workers

गाजीपुर, संवाददाता। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत लोक भवन लखनऊ के सभागार से शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्रों के शिलान्यास एवं लोकार्पण समारोह का लाइव प्रसारण किया गया। इसको जिले के अधिकारियों व कर्मचारियों ने जिला पंचायत सभागार में शुक्रवार को देखा। इस दौरान 199 आंगनबाड़ी केंद्रों का शिलान्यास व 501 आंगनबाड़ी केंद्रों का लोकार्पण करने के साथ ही पोषण मैनुअल व बाल पिटारा एप का भी शुभारंभ किया गया। नगर पालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य व अच्छी शिक्षा को सभी की आवश्यकता है। दोनों क्षेत्रों में सरकार की ओर से अभूतपूर्व कार्य किया जा रहा है। कोरोना संकट काल में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ओर से भूमिका महत्वपूर्ण रही है। कार्यकत्रियों ने जो भी शासन की ओर से दिशा निर्देश मिला, उसका बखूबी निर्वहन किया। उन्होने कहा कि बाल पिटारा एप से कार्यकत्रियों को कार्यों में सहायता मिलेगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए स्थान को चिंहित होने के बाद प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य का परीक्षण कराते रहे। कुपोषण को दूर करने के लिए वाटिका का निर्माण कर ताजा फल एवं सब्जियां का उत्पादन करें। इस दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी चंद्रावती, नेहरू युवा केंद्र के लेखा एवं कार्यक्रम सहायक सुभाष चंद्र प्रसाद, विनय कुमार सिंह, सुजीत कुमार पांडे, प्रभारी बाल विकास परियोजना अधिकारी सदर मंजू सिंह, मुख्य सेविका तारा सिंह, कमलावती देवी, सुशीला देवी, आशुतोष दिवेदी, सुधीर वर्मा सहित आदि मौजूद रहे।

CDPO did not open Bal Pitara app will fall

डीपीओ ने बताया 30 जनवरी के सापेक्ष 13 फरवरी को ली गई साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा में मामूली अंतर आया है। ऐसे में स्पष्ट है कि विभागीय जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन गंभीरता से नहीं कर रहे हैं। शहर सहित सभी 19 ब्लॉकों के परियोजना अधिकारियों, सुपरवाइजर्स व परियोजना समन्वयकों को चेतावनी देते हुए कहा वो 15 दिन में सभी केंद्रो पर तीन से छह वर्ष तक के आने वाले बच्चों का पंजीकरण करवाएं। कोथावां, मल्लावां व पिहानी ब्लॉकों की प्रगति शून्य होने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कार्यकत्रियों के कोर्स पूरा करने व प्रमाण पत्र प्राप्त करने की जानकारी भी तलब की।

बाल संरक्षण

हिंसा, शोषण, दुर्व्यवहार र उपेक्षाबाट सुरक्षित हुनु सम्पूर्ण बालबालिकाको अधिकार हो। तथापी, नेपालसहित विश्वभरका सबै प्रकारका आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभुमि, उमेर समुह, धर्म तथा संस्कृतिका लाखौं बालबालिका हिंसा, शोषण र दुर्व्यवहारबाट पिडित छन्। लाखौं अन्य बालबालिका जोखिममा यस्ता छन्। सबै बालबालिकाको सुरक्षाका लागि नीति तथा सेवाहरुमा सुधार ल्याउन युनिसेफ कार्यरत छ। यो संसारलाई बालबालिकाको लागि सुरक्षित स्थान बनाउन हामी लागिरहेका छौं। नेपालमा बाल संरक्षणसंग सम्बन्धित मुद्दाहरू विभिन्न स्वरुपमा पाइन्छः हिंसात्मक अनुशासन, बालबिवाह, बाल श्रम, बेचबिखन, महिला र बालिका विरुद्धको हिंसा, बालबालिकालाई अनावश्यक रुपमा अनाथालय वा सुधार गृहमा राखिनु, र बाल-मैत्री तथा लैंगिक संवेदनशील न्याय सेवामा अपुरो पहुंच। बाल संरक्षणको क्षेत्रमा नेपालको प्रगति मिश्रित छ। बालिकाहरूको विवाह हुने घट्दो क्रम संख्या, महिला तथा बालिकामाथिको हिंसा सम्बन्धी प्रहरीमा दर्ता भएका मुद्दाहरूमा आएको उल्लेखनीय वृद्धि, मानव वेचबिखनका प्रयासहरुमाथि बढ्दो कारवाही, नीति तथा कार्यक्रमहरूले बालबालिकालाई बढ्दो संरक्षण, न्यायको क्षेत्रमा बालबालिकाका लागि विशेष एकाईहरुको स्थापना हुनु र बालबालिका सम्बन्धी सुचनामा वृद्धि जस्ता सकारात्मक प्रगतिहरू भएका छन्। दुर्भाग्यवश, यस क्षेत्रमा चुनौतीहरू पनि छन्। नेपालका बालबालिकाहरूले अझै पनि धेरै चुनौतीहरूको सामना गर्नुपर्दछ: • बालबिवाहमा आएको गिरावटको क्रम घटेको छ। हरेक पाँच बालिकाहरूमध्ये दुई जनाको १८ वर्ष पुग्नुभन्दा अगावै विवाह हुन्छ। समुदायले स्विकार गर्नु, बालिकाहरूलाई उचित स्थान नदिने खालका सामाजिक रितिरिवाजहरू, र बलियो पितृसत्तात्मक समाजका कारण बालबिवाहको गिरावट दरलाई बढाउन र दिगो राख्न...

नन्हें

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क चंदौली। बरहनी ब्लॉक के खझरा गाँव में रहने वाले तीन से छह आयु वर्ग के कुछ बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र नहीं आते थे | क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रेशमी दुबे ने इन बच्चो के अभिभावकों के मोबाइल फोन में “बाल पिटारा एप” डाउन लोड किया | इस एप के जरिये बच्चो ने बौद्धिक शारीरिक भाषा एवं रचनात्मक विकास कि गतिविधियों व कहानियों का विडिओ देखा | इससे वह इस तरह प्रोत्साहित हुए कि अब वह शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खझरा आने लगे हैं | बाल पिटारा एप अभिभावक अपने मोबाइल में भी कर सकते हैं अपलोड यह कहानी सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र खझरा की ही नही अन्य केन्द्रों की भी है | बाल पिटारा एप से हो रही आनलाइन पढाई ने नन्हें-मुन्नों का शिक्षा के प्रति रूझान को बढ़ाया है | बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ ही यह एप उनकी शिक्षा के लिए वरदान बन रहा है | जिला कार्यक्रम अधिकारी जया त्रिपाठी बताती हैं कि बाल पिटारा एप से बच्चों को कविता, कहानी, भावगीत आदि के माध्यम से ज्ञानवर्धक बातें सिखाई जाती हैं । इस एप को अभिभावक अपने मोबाइल में भी अपलोड कर सकते हैं। इसके माध्यम से वह घर पर भी बच्चों को पढ़ा सकते हैं। इस तरह से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़ रहा है । आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अभिभावकों के एंड्रायड मोबाइल फोन में “बाल पिटारा” रेसपॉसिव पेरेंटिंग मोबाइल एप को अपलोड करने की सौपी गई जिम्मेदारी बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अभिभावकों के एंड्रायड मोबाइल फोन में इस एप को अपलोड कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों में अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन (ईसीसीई) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तीन से छह वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों के सर्वांगीण विकास में अभिभावकों के ...