भारत-बांग्लादेश

  1. भारत और बांग्लादेश सीमावर्ती आबादी के वास्ते पांच संयुक्त विकास परियोजनाएं शुरू करने पर राजी – ThePrint Hindi
  2. India Bangladesh Friendship Pipeline Will Change Scnario In Energy Sector
  3. Bangladesh PM Sheikh Hasina Sent Mangoes To President Draupadi Murmu PM Modi And Sonia Gandhi
  4. भारत पर नेपाली नेता कुछ भी बोलने से बाज आएं, किसने दी चेतावनी?


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भारत और बांग्लादेश सीमावर्ती आबादी के वास्ते पांच संयुक्त विकास परियोजनाएं शुरू करने पर राजी – ThePrint Hindi

(दूसरे पैरे में तारीख में बदलाव के साथ) नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) भारत और बांग्लादेश के सीमा प्रहरी बलों ने दोनों तरफ के स्थानीय लोगों की मदद के लिए 4096 किलोमीटर लंबी सीमा पर पांच विकास परियोजनाओं पर साथ मिलकर निर्माण कार्य शुरू करने का ‘अहम’ निर्णय लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। यहां 11 जून को शुरू हुई चार दिवसीय सीमा वार्ता के समापन पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने यह भी कहा कि वे सीमावर्ती क्षेत्र में बांग्लादेशी नागरिकों के मारे जाने की घटनाएं ‘कम करने’ पर स्वतंत्र एवं संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। साल में दो बार यह वार्ता होती है। मौतों का यह मुद्दा दो पड़ोसी देशों के बीच अक्सर तनाव पैदा करने वाला विषय रहा है। इस सिलसिले में बीएसएफ का कहना है कि बदमाश या तस्कर सीमापार अपराधों में लगे रहते हैं एवं उसके कर्मियों पर हमला करते हैं। इस 53 वीं सीमावर्ता की अगुवाई बीएसएफ और बीजीबी के महानिदेशकों ने की तथा यहां छावला में बीएसएफ कैंप में ‘वार्ता के संयुक्त रिकार्ड’ पर दस्तख्त के साथ इसका समापन हुआ। बीएसएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘ इस सम्मेलन के दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा पर लोगों की जिंदगी पर बहुत सकारात्मक असर डालने वाले एक अहम निर्णय के तहत कुल पांच विकास परियोजनाओं पर सहमति बनी और दोनों पक्ष इस क्षेत्र की प्रगति की दिशा में मिलकर प्रयास करने पर राजी हुए।’’ बीएसएफ ने कहा, ‘‘ यह निर्णय आम जनजीवन की संपूर्ण गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक अहम कदम है और यह दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध की राह सुगम बनायेगा।’’ इन पांच विकास परियोजनाओं का संबंध असम, पश्चिम बंगाल , मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा में बेली पुल के निर्माण...

बांगलादेश

१ ऑॅगस्ट २०१५ रोजी भारत-बांगला देश भूसीमा कराराची अंमलबजावणी झाली. भारताच्या सीमेतील सुमारे ७११० एकर क्षेत्रफळाचे बांगला देशचे ५१ कसबे आणि बांगला देशच्या सीमेअंतर्गत १७१६० एकर जमीन व्यापलेले सुमारे १११ भारतीय कसबे बांगला देशात समाविष्ट करण्यात आले. या कसब्यांत कोणत्याही देशाच्या नागरिकत्वाशिवाय राहणाऱ्या सुमारे पन्नास हजार नागरिकांना कायमस्वरूपी आणि त्यांच्या पसंतीच्या देशाचे नागरिकत्व मिळाले. भूभागांची अदलाबदल केल्याने भारताला आपल्या सीमेवर काटेरी कुंपण घालता येऊन

India Bangladesh Friendship Pipeline Will Change Scnario In Energy Sector

मैत्री पाइपलाइन परियोजना से भारत-बांग्लादेश के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में ऐसे बदल जाएगी तस्वीर बांग्लादेश भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भी वृद्धि हुई है. जोकि वर्ष 2020-21 में 10.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था वह 2021-22 में बढ़कर 18.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पुंच गया है. प्रधानमंत्री मंत्री भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश का महत्वपूर्ण स्थान भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंध रहें हैं. भारत पहला देश था जिसने बांग्लादेश को एक अलग और स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी. दिसंबर 1971 में एक दोस्ताना दक्षिण एशियाई पड़ोसी के रूप में अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे.बांग्लादेश की सीमा के तीन तरफ से भारत के साथ लगते हैं और एक तरफ बंगाल की खाड़ी है. दोनों देशों के बीच 4096.7 किलोमीटर की सीमा रेखा है जोकि असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और पश्चिम बंगाल से लगते हैं. ये भारत का किसी भी अपने पड़ोसी देश के साथ सबसे लंबी सीमा है. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच कुल 54 नदियों के माध्यम से भी जुड़ाव है. भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश का महत्वपूर्ण स्थान है. बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध सभ्यतागत, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक हैं. ऐसा बहुत कुछ है जो दोनों देशों को जोड़ता है. इसमें साझा इतिहास और साझी विरासत, भाषाई और सांस्कृतिक संबंध, संगीत, साहित्य और कला शामिल है. इसके अलावा, रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश दोनों के राष्ट्रगान बनाए. हालांकि, अभी भी भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल विवाद (तीस्ता नदी जल बंटवारे), अवैध अप्रवासियों की सहायता और नशीली दवाओं के व्यापार जैस...

Bangladesh PM Sheikh Hasina Sent Mangoes To President Draupadi Murmu PM Modi And Sonia Gandhi

Sheikh Hasina Gift Mangoes To PM Modi: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने राष्ट्रपति बता दें कि, हिमसागर एक बहुत ही लोकप्रिय आम की किस्म है. यह भारत के पश्चिम बंगाल में और बांग्लादेश के राजशाही में मिलता है. ढाका में भारतीय उच्चायोग के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भी आम भेजे हैं. ममता बनर्जी को भी भेजे थे आम इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तोहफे के तौर पर 600 किलोग्राम आम भेजे थे. भेजे गए आमों में 'हिमसागर' और 'लंगड़ा' किस्म के आम शामिल थे. माना जा रहा है कि कूटनीतिक प्रयासों के तहत बांग्लादेश की पीएम ने ममता बनर्जी को आम भेजे हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हसीना ने पूर्वोत्तर के सभी मुख्यमंत्रियों को भी आम भेजे हैं. पिछले साल उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के मुख्यमंत्रियों को तोहफे के तौर पर आम भेजे थे. हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पीएम मोदी को तमाम किस्मों के चार किलो आम भेजे थे. नेफ्यू रिओ ने किया धन्यवाद नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रिओ ने ट्वीट कर कहा, "मैं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बेहतरीन गुणवत्ता वाले आम प्राप्त करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मुझे आशा है कि भारत-बांग्लादेश संबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और मजबूत होंगे. बांग्लादेश के लोगों को शुभकामनाएं." ये भी पढ़ें: Published at : 13 Jun 2023 10:25 PM (IST) Tags: हिंदी समाचार,

भारत पर नेपाली नेता कुछ भी बोलने से बाज आएं, किसने दी चेतावनी?

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल जब हाल ही में भारत आए थे तब उन्होंने कहा था कि उनका देश भारत से बांग्लादेश तक जाने का सीधा रास्ता चाहता है. नेपाली पीएम का मानना है कि भारत के साथ कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के विवाद को जमीन की अदला-बदली के जरिए सुलझाया जा सकता है. लेकिन नेपाल-भारत संबंधों के अंतरराष्ट्रीय कानूनी मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर सूर्य प्रसाद सुबेदी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक, लैंडलॉक देश नेपाल को भारत के जरिए बांग्लादेश तक पहुंच बिना जमीन की अदला-बदली के ही मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि नेपाल के नेताओं को संवेदनशील सीमा विवाद के मुद्दे पर ऐसे बयान देने से बचना चाहिए. ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून पढ़ाने वाले प्रोफेसर सुबेदी ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि क्षणिक राजनीतिक लाभ के लिए सीमा विवादों पर नेपाली नेताओं की टिप्पणी की परंपरा को खत्म करना जरूरी है. उन्होंने नेपाली नेताओं से आग्रह किया है कि वो इस तरह के बयान देने के बजाए इस विवाद से जुड़ी विदेश मंत्रालय की रिपोर्टों को देखें, ईपीजी ( Eminent Persons Group) की रिपोर्ट को पढ़ें और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का बारीकी से अध्ययन करें. भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद पर ईपीजी रिपोर्ट को भारत और नेपाल के प्रबुद्ध लोगों ने मिलकर तैयार किया था. प्रोफेसर का कहना है कि इस तरह के गहन अध्ययन से नेपाली नेताओं को व्यापक शोध और विश्लेषण पर आधारित अपनी एक स्थायी कूटनीति बनाने में आसानी होगी. बांग्लादेश तक सीधे पहुंच चाहता है नेपाल नेपाली पीएम दहल ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि सीमा विवाद के मुद्दों को सुलझाने का एक तरीका जमीन की अदला-बदली हो सकता है. उनके इस बयान से...