भारतीय प्राचीन लिपिमाला के लेखक

  1. [Solved] निम्नलिखित में से 'भारतीय प्राचीन लिपिमाला �
  2. भारतीय प्राचीन लिपिमाला
  3. [Solved] मुंशी प्रेमचंद का असली नाम क्या था?
  4. Rajasthan BSTC Answer Key 2020
  5. राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ
  6. भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था
  7. बात प्राचीन भारत में और सेक्स एजुकेशन की


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[Solved] निम्नलिखित में से 'भारतीय प्राचीन लिपिमाला �

सही उत्तर गौरीशंकर हीराचंद ओझा है। Key Points • 'भारतीय प्राचीन लिपिमाला' के लेखक गौरी शंकर हीराचंद ओझा हैं। • यह पुस्तक भारत के पुरालेख को समर्पित पहली पुस्तक है। • गौरी शंकर हीराचंद ओझा राजस्थान के इतिहासकार थे। • 1914 में उन्हें राव बहादुर की उपाधि से सम्मानित किया गया। • उन्हें 1937 में साहित्य वाचस्पति से सम्मानित किया गया था। • उन्होंने कविराज श्यामलदास को अपना गुरु माना और उनके अधीन ऐतिहासिक विभाग, उदयपुर के सहायक सचिव के रूप में काम किया। Additional Information • विश्वेश्वरनाथरेउ • उन्होंने गौरीशंकर हीराचंद ओझा के सहायक के रूप में शुरुआतकी। • उन्होंने भारत के प्राचीन राजवंश को क्रमशः 1920, 1921 और 1935 में जारी तीन खंडों के साथ प्रकाशित किया। • रामकर्ण असोपा • उन्होंने राजस्थानी ग्रंथों के संकलन में तसितोरी की मदद की थी। • मुनि जिनविजय • वह प्राच्यवाद, पुरातत्व, इंडोलॉजी और जैन धर्म के विद्वान थे। • उन्होंने एक जैन तपस्वी कांतिविजय के तहत संस्कृत और प्राकृत साहित्य सीखा। • साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 1961 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

भारतीय प्राचीन लिपिमाला

भूमिका. के प्रारंभ के लेखों को न समझ सकें, तो भी लिपिपत्रों की सहायता से थे प्राचीन लिपियों का पढ़ना सीस्व सकते हैं. दूसरा कारण यह है कि हिंदी साहित्य में अब तक प्राधीन शोधसंषंधी साहित्य का अभाव सा ही है. यदि हस पुसतक से उक्त अमाव के एक अशुमात्र अंश की भी पूर्ति हुईं तो मुझ जैसे हिंदी के तुच्छु सेषक के लिये विशेष आनंद की बात होगी. इस पुस्तक का क्रम ऐसा रक्‍्खा गया है कि ३. स. की चौथी शताब्दी के मध्य के आसपास तक की समरत मारतव्षे की लिषियों की संज्ञा ब्राह्मी रक्वी है. उसके बाद लेखनप्रवाह सर्प रूप से दो स्रोलों में विभक्त होता है, जिनके नाम “उत्तरी” और “दक्षिणी' रफ़्खे हैं, उत्तरी शैली में गुप्त, छुटिल, नागरी, शारदा और बंगला लिपियों का समावेश होता है और दक्तिणी में पश्चिमी, मध्यप्रदेशी, तेलुगु-कनड़ी, ग्रंथ, कलिंग और तामित्ठ लिपियां हैं. इन्दं सुख्य लिपियों से भारतबषे की समस्त অললাল (তু के अतिरिक्त ) लिपियां निकली हैं. भंत में खरोष्ठी लिपि दी गई है. १ से ७० तक के लिपिपन्नों के बनाने में क्रम ऐस्ला रक्खा गया है कि प्रथम स्वर, फिर रुपंजन, उसके पीछे क्रम से हलंत व्यंजन, स्वरामिलित व्यंजन, संयुक्त येजन, जिहवामलीय और उपध्मानीय के चिड्ों सहित व्यंजन और तमे योः का सांकेतिक चिकह्र ( यदि हो तो ) दिया गया है. १ से ५६ लक और ६५ से ७० तक के लिपिपपों में से प्रत्येक के अत में अभ्यास के लिये कुछ पंक्ियां सूल लेखादि से उद्धृत की गई हैं. उनमें शब्द समासों के अनुसार अलग अलग इस विचार से रकक्‍्खे गये हैं कि विद्यार्थियों को उनके पढ़न में सुभीता हो. उक्त पंक्षियों का नागरी अक्षरांतर भी पंकि কাল से प्रत्येक लिपिपन्न के वन के अंत में दे दिया है जिससे पढ़नेवालों को उन पंक्तियों के पढ़ने में कहीं संद...

[Solved] मुंशी प्रेमचंद का असली नाम क्या था?

सही उत्तर है धनपत राय श्रीवास्तव। Key Points • मुंशी प्रेम चंद • उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तवथा और वे कलम नाम मुंशी प्रेम चंद के तहत कविताएँ लिखते थे। • उनका अधिकांश साहित्य हिंदी-उर्दूभाषा में था। • उन्होंने कलम नाम "नवाब राय"के तहत लिखना शुरू किया,लेकिन बाद में "प्रेमचंद" में बदल गए। • गोदान, निर्मला, कफ़न, आदि।

Rajasthan BSTC Answer Key 2020

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से राजस्थान के किस जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सबसे छोटी है? उत्तर – बीकानेर प्रश्न 2 सिरोही राज्य प्रजामण्डल का संस्थापक था- उत्तर – गोकुल भाई भट्ट प्रश्न 3 राजस्थान का क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल के कितने प्रतिशत के लगभग है? उत्तर – 10.41 प्रतिशत प्रश्न 4 भील जनजाति राज्य के किस भाग में मुख्यत: निवास करती है? उत्तर – दक्षिणी भाग में प्रश्न 5 राज्य में आवास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ’राजस्थान आवासन मण्डल’ की स्थापना कब की गई? उत्तर – 24 फरवरी, 1970 प्रश्न 6 राजस्थान में मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की अधिकतम संख्या होती है- उत्तर – 30 प्रश्न 7 ’वाक्यांश के लिए एक शब्द’ के संदर्भ में संगत को चुनिए- उत्तर – जिसकी दोनों पक्षों में निष्ठा हो – उभयनिष्ठ प्रश्न 8 निम्नलिखित में कौनसा शब्द ’निर’ उपसर्ग से नहीं बना? उत्तर – निर्वाह प्रश्न 9 कवि का स्त्रीलिंग शब्द है- उत्तर – कवियित्री प्रश्न 10 ’अंधे की लकङी’ मुहावरे का सही अर्थ है- उत्तर – एकमात्र सहारा प्रश्न 11 निम्न में से कौनसा शब्द ’परि’ उपसर्ग से बना है? उत्तर – परिधि प्रश्न 12 निम्न शब्दों में किसकी वर्तनी शुद्ध है? उत्तर – अनुगृहित प्रश्न 13 शिक्षक एवं संस्था प्रधान एक दूसरे के- उत्तर – सहयोगी होते हैं प्रश्न 14 कक्षा में उचित संप्रेषण हेतु आवश्यक है कि आपका व्यवहार पूर्ण रूप से नाटकीय हो यह कथन है- उत्तर – सही प्रश्न 15 आपकी कक्षा में यदि सभी छात्र सही जवाब नहीं दे रहे हो तो आप क्या करेंगे- उत्तर – कक्षा में पाठ को दोहराएंगे प्रश्न 16 आप के मतानुसार ’’सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आमुखीकरण का अच्छा उपाय है’’ यह कथन है- उत्तर – सत्य प्रश्न 17 आप अध्यापन व्यवसाय की प्रगति के लिए सर्वोच्च महत...

राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ

Table of Contents • • • • • • • • यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ उपन्यास- हूँ गोरी किण पीवरी,खम्मा अन्नदाता, मिट्टी का कलंक,जमानी ड्योढ़ी हजार घोड़ों का सवार। तासरो घर (नाटक), जमारो (कहानी)। रांगेय राघव उपन्यास- घरौंदे, मुर्द़ों का टीला,कब तक पुकारुँ, आज की आवाज। मणि मधुकर उपन्यास- पगफैरों, सुधि सपनों के तीर।रसगंधर्व (नाटक)। खेला पालेमपुर (नाटक) विजयदान देथा (बिज्जी) उपन्यास- तीड़ो राव, मां रौ बादलौ।कहानियाँ अलेखूँ, हिटलर, बाताँ री फुलवारी। शिवचन्द्र भरतिया कनक सुंदर (राजस्थानी का प्रथम उपन्यास),केसरविलास (राजस्थानी का प्रथम नाटक)। स्व.नारायणसिंह भाटी कविता संग्रह साँझ, दुर्गादास, परमवीर,ओलूँ, मीरा। बरसां रा डिगोड़ा डूँगर लांघिया। श्रीलाल नथमल जोशी उपन्यास-आभैपटकी, एक बीनणी दो बींद। स्व. हमीदुल्ला नाटक दरिन्दे, ख्याल भारमली। इनकानवम्बर, 2001 में निधन हो गया। भरत व्यास रंगीलो मारवाड़। जबरनाथ पुरोहित रेंगती हैं चींटियाँ (काव्य कृतियाँ)। लक्ष्मी कुमारी चूँडावत कहानियाँ मँझली रात, मूमल,बाघो भारमली। चन्द्रप्रकाश देवल पागी, बोलो माधवी। सत्यप्रकाश जोशी बोल भारमली (कविता)। कन्हैयालाल सेठिया बोल भारमली (कविता)। पातळ एवं पीथळ,धरती धोरां री, लीलटांस ये चूरू निवासी थे। राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ राजस्थानी साहित्य रचनाकार सेनाणी मेघराज मुकुल राधा (युद्ध विरोधी काव्य) सत्यप्रकाश जोशी (1960 में प्रकाशित) बोल भारमली सत्यप्रकाश जोशी मींझर कन्हैयालाल सेठिया बोलै सरणाटौ, हूणियै रा सोरठा, बातां में ‘भूगोल’ हरीश भदाणी अमोलक वातां, कै रे चकवा बात, मांझल रात, लव स्टोरीज ऑफ राजस्थान लक्ष्मी कुमारी चुंडावत मैकती काया : मुलकती धरती,आँधी अर आस्था, मेवै रा रुख,अचूक इलाज अन्नाराम सुदामा...

भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में पिछले 9 वर्षों के दौरान भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे किए गए कई आर्थिक निर्णयों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन अब तेज गति से पटरी पर दौड़ने लगा है। लगभग समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भी लगातार बता रहे हैं कि आगे आने वाले समय में भारत में आर्थिक विकास की दर पूरे विश्व में सबसे अधिक रहने वाली है एवं आर्थिक क्षेत्र में केवल वर्तमान दशक ही नहीं बल्कि वर्तमान सदी ही भारत की रहने वाली है। एंगस मेडिसन दुनिया के जाने माने ब्रिटिश अर्थशास्त्री इतिहासकार रहे हैं। आपने विश्व के कई देशों के आर्थिक इतिहास पर गहरा अनुसंधान कार्य किया है। भारत के संदर्भ में उनका कहना है कि एक ईस्वी के पूर्व से लेकर 1700 ईस्वी तक भारत पूरे विश्व में सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित था। प्राचीन भारत में अतुलनीय आर्थिक प्रगति, भारतीय आर्थिक दर्शन के अनुसार चलायी जा रही आर्थिक नीतियों के चलते ही सम्भव हो सकी थी। भारत में पिछले 9 वर्षों के दौरान भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे किए गए कई आर्थिक निर्णयों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन अब तेज गति से पटरी पर दौड़ने लगा है। लगभग समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भी लगातार बता रहे हैं कि आगे आने वाले समय में भारत में आर्थिक विकास की दर पूरे विश्व में सबसे अधिक रहने वाली है एवं आर्थिक क्षेत्र में केवल वर्तमान दशक ही नहीं बल्कि वर्तमान सदी ही भारत की रहने वाली है। भारत में 60, 70 एवं 80 के दशकों के हम लगभग समस्त नागरिक हमारे बचपन काल से ही सुनते आए हैं कि भारत एक गरीब देश है एवं भारतीय नागरिक अति गरीब हैं। हालांकि भारत का प्राचीनकाल बहुत उज्ज्वल रहा है, परंतु आक्रांताओं एवं ब्रिटेन ने अपने शासन काल में भारत को लूटकर एक गरीब देश बना दिय...

बात प्राचीन भारत में और सेक्स एजुकेशन की

सेक्स…धीरे से बोलो! आमतौर पर भारतीय हमारे पास पर्याप्त पुरातात्विक प्रमाण और स्मारक हैं जिनसे साबित होता है कि एक समय में भारत में यौन शिक्षा खुले तौर पर दी जाती थी। यही कारण है कि हमारे प्राचीन हिंदू मंदिरों में सेक्स की तस्वीरें उकेरी गई हैं। उस समय में सेक्स को लेकर खुला दौर था इस बात का एक बड़ा प्रमाण ये मूर्तियां हैं। आचार्य वात्स्यायन रचित ‘कामसूत्र’ भारतीय ज्ञान संपदा की एक ऐसी अनमोल और अनूठी विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता इसके सृजन के शताब्दियों बाद भी बनी हुई है। यह महिलाओं की शिक्षा और यौन स्वतंत्रता के प्रति अपेक्षाकृत उदार दृष्टिकोण प्रकट करता है। तस्वीर साभारः प्राचीन भारतीय वास्तुकला, विशेष रूप से खजुराहो, कोणार्क, पुरी, आदि के भव्य मंदिरों में अलग-अलग सेक्स क्रियाओं में मशगूल मूर्तियां शामिल हैं। इन मूर्तियों के ज़रिये सेक्स के दौरान की अलग-अलग पोजीशन को उकेरा गया है। इतना ही नहीं लोग सामूहिक रूप से ऐसे खेल तक खेला करते थे जिनमें यौन क्रियाएं शामिलहोती थीं। सेक्स के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इन मूर्तियों को लगाया गया था। चूंकि इस ज्ञान को मंदिरों से जोड़ा गया था, इसलिए लोग इसे पवित्र मानते थे। मूर्तियां लोगों के लिए एक दृश्य पाठ के रूप में काम करती थीं। आज हम सुरक्षित सेक्स, गर्भनिरोधक गोलियां, कॉन्डम, परिवार नियोजन आदि पर जागरूकता कार्यक्रम देख सकते हैं। जबकि उस समय यह साधन नहीं था। केवल मंदिर ही नहीं, नालंदा और तेल्हारा जैसे कुछ प्राचीन विश्वविद्यालयों में भी ऐसी मूर्तियां मौजूद थीं। विश्वविद्यालयों में ऐसी मूर्तियों की उपस्थिति का एक समान उद्देश्य था। एक महत्वपूर्ण दस्तावेज ‘कामसूत्र’ कामसूत्र सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए लिखा गया थ...