भैया दूज कौन सी तारीख की है

  1. Bhai Dooj 2021: Why Yam Dwitiya Is Also Called Bhai Dooj
  2. भैया दूज क्यों मानते हैं? जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा।
  3. भैया दूज: यमराज और यमुना की पौराणिक कथा
  4. 26 या 27 अक्टूबर, भाई दूज के लिए कौन सा दिन रहेगा शुभ? I Bhai Dooj 2022 Date: Shubh Muhurat, Time, Story, Rituals and Significance
  5. Diwali 2022: धनतेरस से लेकर भैया दूज तक, नोट कर लें सभी त्योहारों की सही डेट और जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
  6. भाई दूज पर कौन से शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें सरल विधि व कथा
  7. भैया दूज
  8. Bhaiya Dooj 2018 Pooja Vidhi Shubh Muhurat Tarikh Hk


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Bhai Dooj 2021: Why Yam Dwitiya Is Also Called Bhai Dooj

Bhai Dooj 2021 : यम द्वितीया को क्यों मनाते हैं भाई-बहन का त्योहार भाई दूज, ऐसी है परंपरा Happy Bhai Dooj 2021: यम द्वितीया को भाई दूज या भैया दूज भी कहा जाता है, इसके पीछे एक कहानी है. इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की परंपरा है. इस साल भाई दूज यानी यम द्वितीया नवंबर महीने की 6 तारीख को मनाया जाएगा. जैसे राखी में भाइयों को तिलक लगाते हैं, इस दिन भी भाई का तिलक कर उसकी आरती उतारी जाती है. बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और तिलक लगाकर उसकी सलामती की कामना करती हैं. भाई, बहन के घर जाता है और तिलक करवा कर प्यार से बहनों को उपहार देता है. बहनें भी छोटे भाइयों को गिफ्ट देती है. इस तरह भाई-बहन का ये प्यारा सा पर्व मनाया जाता है. यम द्वितीया को क्यों कहते हैं भैया दूज भैया दूज को सभी यम द्वितीया भी कहते हैं. दरअसल पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि एक बार यम देव अपनी बहन यमुना या यामी से मिलने गए. बहन ने आरती कर भाई का स्वागत किया. यम देव के माथे पर तिलक लगाकर बहन ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर बढ़िया भोजन कराया. यमराज, बहन के इस स्वागत से खूब खुश हुए और बहन को उपहार देते हुए इस बात की घोषणा की कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाएंगे, बहने उनका आरती और तिलक कर स्वागत करें, इससे भाई सभी तरह की बुरी ताकतों से बचेंगे और उनका कल्याण होगा. तभी से इस दिन भाई-बहन का ये प्यारा त्योहार मनाया जाना लगा. भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त Listen to the इस साल द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 6 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस साल भाई दूज पर अपने भाइयों को तिलक करने का सबसे शुभ समय दोपहर 1 बजकर 10 से लेकर 3 ...

भैया दूज क्यों मानते हैं? जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा।

विषय सूची • • • भैया दूज क्यों मानते हैं? इसका पौराणिक कथा क्या हैं? भैया दूज का त्योहार भाई बहन के प्रेम को दर्शाता है। यह त्यौहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने वाले दो त्यौहार मनाये जाते हैं – जिनमे से एक है रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और दूसरा है ‘भैया दूज’ जिसमे बहनें अपने भाई की लम्बी आयु के लिये प्रार्थना करती हैं। भैया दूज का त्यौहार कार्तिक महीने की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहन अपने भाई के अच्छे स्वास्थ और उसकी लंबी आयु के लिये मंगल कामना करके उसे तिलक लगाती हैं। यदि इस बहने अपने हाथो से भोजन बनाकर भाई को खिलाये तो उनकी उम्र बढ़ती है और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व होता है। इसमें बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि आपके कोई बहन न हो तो आप गाय, नदी आदि में स्त्रीत्व भाव का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भी भोजन करे तो भी वह बहुत शुभ माना जाता है। भैया दूज क्यों मानते हैं? Bhaiya Dooj Kyon Manate hain? भैया दूज क्यों मानते है? भैया दूज के दिन यमराज तथा यमुना जी की पूजा का विशेष महत्व है। भारत में यह त्यौहार दिवाली के दूसरे दिन भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है। भैया दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते का एक अनुपम उदाहरण है। ——-भैया दूज क्यों मानते हैं?——- भैया दूज की पौराणिक कथा के अनुसार जो भी इस दिन यम देव की पूजा करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। हिंदु धर्म में बाकी सभी त्योहारों की तरह ही यह त्यौहार भी पौराणिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। भैया दूज क्यों मानते हैं? इसकी पौराणिक...

भैया दूज: यमराज और यमुना की पौराणिक कथा

एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे कि वही म्रत्यु हो जाती और बहू विधवा, इस तरह उसके छह बेटे मर गये। सातवे कि शादी होनी बाकी थी। इस तरह अपने बेटों के मर जाने के दुःख से बूढ़ीमाई रो-रो के अंधी हो गयी थी। भाई दूज आने को हुई तो भाई ने कहा कि मैं बहिन से तिलक कराने जाऊँगा। माँ ने कहा ठीक है। उधर जब बहिन को पता चला कि, उसका भाई आ रहा है तो वह खुशी से पागल होकर पड़ोसन के गयी और पूछने लगी कि जब बहुत प्यारा भाई घर आए तो क्या बनाना चलिए? पड़ोसन उसकी खुशी को देख कर जलभुन गयी और कह दिया कि,” दूध से रसोई लेप, घी में चावल पका। ” बहिन ने एसा ही किया। उधर भाई जब बहिन के घर जा रहा था तो उसे रास्ते में साँप मिला। साँप उसे डसने को हुआ। भाई बोला: तुम मुझे क्यू डस रहे हो? साँप बोला: मैं तुम्हारा काल हूँ। और मुझे तुमको डसना है। भाई बोला: मेरी बहिन मेरा इंतजार कर रही है। मैं जब तिलक करा के वापस लौटूँगा, तब तुम मुझे डस लेना। साँप ने कहा: भला आज तक कोई अपनी मौत के लिए लौट के आया है, जो तुम आऔगे। भाई ने कहा: अगर तुझे यकीन नही है तो तू मेरे झोले में बैठ जा| जब मैं अपनी बहिन के तिलक कर लू तब तू मुझे डस लेना। साँप ने एसा ही किया। भाई बहिन के घर पहुँच गया। दोनो बड़े खुश हुए। भाई बोला: बहिन, जल्दी से खाना दे, बड़ी भूख लगी है। बहिन क्या करे। न तो दूध कि रसोई सूखे, न ही घी में चावल पके। भाई ने पूछा: बहिन इतनी देर क्यूँ लग रही है? तू क्या पका रही है? तब बहिन ने बताया कि ऐसे-ऐसे किया है। भाई बोला: पगली! कहीं घी में भी चावल पके हैं, या दूध से कोई रसोई लीपे है। गोबर से रसोई लीप, दूध मे...

26 या 27 अक्टूबर, भाई दूज के लिए कौन सा दिन रहेगा शुभ? I Bhai Dooj 2022 Date: Shubh Muhurat, Time, Story, Rituals and Significance

भाईदूजयाभैयादूजएकहिंदूत्योहारहैजोसभीभाइयोंऔरबहनोंद्वारामनायाजाताहै।साथहीआपकोबतादेंयह 5 दिनोंतकचलनेवालेदिवालीमहोत्सवकेअंतकाप्रतीकहैऔरसभीमहिलाओंद्वाराअपनेभाईकेमाथेपरतिलकलगाकरऔरउनकीलंबीउम्रकेलिएप्रार्थनाकरकेमनायाजाताहैआपइसकोरक्षाबंधनकेसमानहीसमझसकतेहै।हालांकिइसबारभाईदूजकीतारीखकोलेकरलोगोंमेंबड़ाकन्फ्यूजनहै, कुछलोग 26 अक्टूबरकोयेत्योहारमनानेकीबातकररहेहैतोकुछ 27 अक्टूबरको। Bhai Dooj परअपनीबहनकोगिफ्टकरेंये 5 गैजेट्स Bhai Dooj 2022 Date: Rituals And Significance इसदिनमहिलाएंसूर्योदयसेपहलेस्नानकरसूर्यदेवकोअर्घ्यदेतीहै।उसकेबाद, भाईदूजकेलिएरोली, अक्षत, कुमकुम, मिठाई, सुपारी, गोला (सूखेनारियल) केसाथथालीतैयारकीजातीहै।बहनोंकोअपनेभाईकेमाथेपरतिलकलगातीहै , उसेमिठाईखिलाकरऔरशुभमुहूर्तकोध्यानमेंरखतेहुएएकगोला (सूखानारियल) देतीहैऔरउनकीलंबीउम्रकीप्रार्थनाकरनीचाहिए। Bhai Dooj 2022 Date इससालकार्तिकशुक्लद्वितीयातिथि 26 और 27 अक्टूबरदोनोंदिनरहेगी।द्वितीयातिथिबुधवार, 26 अक्टूबरकोदोपहर 02 बजकर 43 मिनटसेशुरूहोगीऔरगुरुवार, 27 अक्टूबरकोदोपहर 12 बजकर 45 मिनटपरइसकासमापनहोगा।ऐसेमेंज्योतिषविदोंकाकहनाहैकिभाईदूजकात्योहारदोनोंतिथियोंपरमनायाजासकेगा।त्योहारमनानेसेपहलेदोनोंदिनकाशुभमुहूर्तजरूरदेखलें... Jio दिवालीधमाका! बजटस्मार्टफोनकीकीमतमेंपेशकियास्टाइलिश JioBook Laptop Bhai Dooj 2022 Date: 26 October Shubh Muhurat द्वितीयतिथि - October 26, 2022 - 02:42 PM द्वितीयतिथिखत्म - October 27, 2022 - 12:45 PM शुभमुहूर्त - October 26, 2022 - 04:17 PM to 05:41 PM Bhai Dooj 2022 Date: 27 October Shubh Muhurat शुभचौघड़िया - October 27, 2022 - 06:29 AM to 06:53 AM शुभमुहूर्त - October 27, 2022 - 12:04 PM to 02:52 PM अभिजीतमुहूर...

Diwali 2022: धनतेरस से लेकर भैया दूज तक, नोट कर लें सभी त्योहारों की सही डेट और जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

• • Faith Hindi • Diwali 2022: धनतेरस से लेकर भैया दूज तक, नोट कर लें सभी त्योहारों की सही डेट और जानें पूजा का शुभ मुहूर्त Diwali 2022: धनतेरस से लेकर भैया दूज तक, नोट कर लें सभी त्योहारों की सही डेट और जानें पूजा का शुभ मुहूर्त Diwali 2022: हिंदू धर्म में धनतेरस के दिन से दिवाली पर्व की शुरुआत होती है और यह पर्व भैया दूज तक चलता है. लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से इन त्योहारों की तारीखों में कुछ फेरबदल हुआ है. Diwali 2022: हिंदू धर्म में दिपावली सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है और देशभर में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन आता है और इससे पहले धनतेरस व नरक चतुर्दशी ( Dhanteras 2022 Date) का त्योहार आता है. ये सभी त्योहार अपना एक विशेष महत्व रखते हैं. दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा ( Govardhan Puja 2022 Date) और फिर भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस बार दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है जिसकी वजह से गोवर्धन पूजा की डेट में बदलाव हो गया हे. इसके अलावा धनतेरस से लेकर भैया दूज ( Bhai Dooj 2022 Date) तक हर त्योहार की डेट को लेकर लोगों के बीच काफी कंफ्यूजन है. आइए जानते हैं धनतेरस से लेकर भैया दूज किस दिन मनाया जाएगा कौन सा त्योहार? Also Read: • • • धनतेरस 2022 डेट (Dhanteras 2022) हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस बार यह तिथि 22 और 23 अक्टूबर दो दिन पड़ रही है. इसलिए कुछ लोग 22 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाएंगे और कुछ लोग 23 अक्टूबर को यह त्योहार मनाएंगे. हालांकि, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 22 अक्टूबर को धनतेरस मनाना बेहद ...

भाई दूज पर कौन से शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें सरल विधि व कथा

भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। ये पर्व भाई टीका, यम द्वितीया, भाई द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल भाई दूज कौन सी तिथि को मनाई जाएगी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। भाई दूज के अवसर पर बहनें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, सुपारी और मिठाई आदि रखकर भाई के लिए तिलक का थाल सजाती हैं। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बना लें। शुभ मुहूर्त होने पर भाई को इस चौक पर बिठाएं और उनका तिलक करें। तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, बताशे, सुपारी और काले चने दें। इसके पश्चात् उनकी आरती उतारें। तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को भेंट दे। आप भी अपने भाई को तिलक लगाने के बाद भोजन कराएं। सूर्य के पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आगाज हुआ। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज उनके घर गए। उनके आने पर यमुना ने स्वादिष्ट भोजन कराया और फिर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। यमराज ने इसके बाद अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा और यमुना ने उन्हें हर साल उसी दिन घर आने के लिए कहा ताकि वो इसी तरह उनका तिलक करें और उनकी खुशहाली की कामना कर सकें। यमुना की बात सुनकर यमराज बहुत खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।

भैया दूज

अन्य नाम अनुयायी हिंदू, भारतीय उद्देश्य भाई की दीर्घायु के लिए प्रारम्भ पौराणिक काल तिथि धार्मिक मान्यता इस दिन प्रातःकाल चंद्र-दर्शन की परंपरा है और जिसके लिए भी संभव होता है वो यमुना नदी के जल में स्नान करते हैं। अन्य जानकारी कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है और चित्रगुप्त जयंती मनाई जाती है। अद्यतन‎ 15:20, 25 अक्टूबर 2022 (IST) भैया दूज महत्त्व हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक भैया दूज (भाई-टीका) पर्व काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। भाई-बहन के पवित्र रिश्तों के प्रतीक के पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं। इस पर्व पर जहां बहनें अपने भाई की दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना करती हैं तो वहीं भाई भी सगुन के रूप में अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट देने से नहीं चूकते। भैया दूज की कथा वर्ष 2022 में भैया दूज वर्ष बहुत-से स्थानों पर उदया तिथि के हिसाब से त्योहार को मनाया जाता है। ऐसे में जहां पर लोग उदया तिथि को मानते हैं, वहां पर 27 अक्टूबर को भी भाई दूज की पूजा कर सकते हैं। 27 अक्टूबर को जो लोग भाई दूज का पर्व मनाएंगे, उनके लिए शुभ मुहूर्त 11 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक ही रहेगा। इस तरह साल 2022 में मनाने की विधि इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चित्रगुप्त जयंती कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका-टिप्पणी और संदर्भ

Bhaiya Dooj 2018 Pooja Vidhi Shubh Muhurat Tarikh Hk

रक्षा बंधन की तरह ही भैया दूज का भी अपना ही महत्व है. राखी भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. वहीं दिवाली के बाद मनाए जाने वाले भैया दूज का भी हिंदू त्योहारों में काफी महत्व है. भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. इसे भाई बहन के प्यार और त्याग के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस साल भैया दूज 9 नवंबर को मनाया जाएगा. पूजा विधि भैया दूज के दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं. रोली, चांडाल, चावल, घी का दिया, मिष्ठान से थाल सजाएं. कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें. भाई के माथे पर तिलक लगाएं. भाई, बहन के लिए कुछ उपहार दें. भाई की लंबी उम्र की कामना करें. इसके बाद बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधे और भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन दें. इसलिए मनाया जाता है भैया दूज मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते. एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए मिलने चले गए. यमुना अपने भाई को देख खुश हो गईं. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया. बहन का प्यार देखकर यमराज इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए. यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और ...