Bindusar kiska putra tha

  1. रावण का परिवार :
  2. मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के इतिहास की जानकारी
  3. श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध होना, Makraksh Kiska Putra Tha, Makraksh Vadh
  4. अंगद किसका पुत्र था?
  5. बिन्दुसार की सम्पूर्ण जीवनी Bindusar Biography In Hindi
  6. अर्जुन का बेटा कौन था? Abhimanyu kiska putra tha
  7. रावण का परिवार :
  8. मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के इतिहास की जानकारी
  9. श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध होना, Makraksh Kiska Putra Tha, Makraksh Vadh
  10. बिन्दुसार की सम्पूर्ण जीवनी Bindusar Biography In Hindi


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रावण का परिवार :

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है जैसा की आप सब जानते हैं कि विजयादशमी क्यों मनाई जाती है। जी हाँ, इस दिन राम जी ने रावण का संहार किया था। भगवान् राम को कौन नहीं जनता? सारा जग उनकी महिमा का गुणगान करता है। पर शायद ही कोई उस युद्ध में मारे गए रावण के और उसके परिवार के बारे में जनता हो। अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं। हम आपके लिए लायें हैं रावण के परिवार की जानकारी लेख ‘ रावण का परिवार ‘ में :- रावण का परिवार रावण के नाम और उनके अर्थ रावण के जन्म के समय उसके दस सिर थे इस कारण उसका नाम दशानन या दशग्रीव रखा गया था। जिसमें ‘ दश ‘ का अर्थ दस और ‘ आनन ‘ का अर्थ मुख है। लंका का राजा होने के कारण उसे लंकापति या लंकेश भी कहा जाता है। सबसे प्रसिद्द नाम रावण का अर्थ है दूसरों को रुलाने वाला या गर्जन। यह नाम भगवान् शंकर ने उन्हें दिया था। पढ़िए :- ऋषि मार्कण्डेय जी की कहानी रावण का जन्म स्थान ऐसा माना जाता है की गौतम बुद्ध नगर जिले के अन्दर बिसरख नाम के गाँव में रावण का जन्म हुआ था। ऐसा भी माना जाता है की इस गाँव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है। पहले इस गाँव का नाम विश्रवा ही था मगर समय के बदलते इसका नाम बदलकर बिसरख हो गया। यहाँ पर एक शिवलिंग है जिसकी रावण और उसके पिता विश्रवा पूजा किया करते थे। ये स्वयंभू शिवलिंग 100 साल पहले ही धरती से निकल गया। यह अष्टकोण के आकार में है। यहाँ दशहरा नहीं मनाया जाता है। दशहरे के दिन यहाँ रावण की मृत्यु का मातम मनाया जाता है। रावण को समर्पित एक मंदिर यहाँ बनाया जा रहा है। जिसकी लागत 2 करोड़ रुपये है। इसमें 42 फुट लम्बा शिवलिंग होगा और 5..5 फुट का राव...

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के इतिहास की जानकारी

मुगलसाम्राज्यकेसंस्थापकबाबरकेइतिहासकीजानकारी– Babar History in Hindi Babur Images बाबरकाजीवनपरिचय– Babar ka Itihas नाम (Name) जहीर-उद-दीनमुहम्मदबाबर ( Babur) जन्म (Birthday) 14 फरवरी 1483 (अन्दिझान, उज्बेकिस्तान) माता (Mother Name) कुतलुगनिगारख़ानुम पिता (Father Name) उमरशेखमिर्जा 2, फरगानाकेशेख पत्नियाँ (Wife Name) • आयेशासुलतानबेगम, • जैनाबसुलतानबेगम, • मौसमासुलतानबेगम, • महमबेगम, • गुलरुखबेगम, • दिलदारबेगम, • मुबारकायुरुफझाई, • गुलनारअघाचा पुत्र/पुत्रियां (Children Name) • हुमायूं, • कामरानमिर्जा, • अस्करीमिर्जा, • हिंदलमिर्जा, • फख्र -उन-निस्सा, • गुलरंगबेगम, • गुलबदनबेगम, • गुलचेहराबेगम, • अल्तूनबिषिक, • कथितबेटा भाई (Brother Name) मृत्यु (Death) 26 दिसम्बर 1530 (आगरा, मुगलसाम्राज्य) बाबरभारतकेपहलेमुगलसम्राटथेजिनकापूरानामजहीरुद्दीनमोहम्मदबाबरथा।मुगलसाम्राज्यकेसम्राटबाबरफरगानाघाटीकेशासकउमरशेखमिर्जाकेसबसेबड़ेबेटेथे।पिताकीमौतकेबादमहज 11 सालकीउम्रमेंहीराज्यकीजिम्मेदारीसौंपदीगईउन्हेंकमउम्रमेंहीसिंहासनपरबिठादियागयाइसकीवजहसेउन्हेंअपनेरिश्तेदारोंकेविरोधकाभीसामनाकरनापड़ाथा। छोटीसीउम्रसेहीबहादुरयोद्धानेअपनेक्षेत्रोंकाविस्तारकरनेकेलिएसैन्यअभियानोंकीशुरुआतकरदीथी।हालांकिअपनेशुरुआतीअभियानोंकेदौरानइसवीरयोद्धानेफरगानाशहरमेंअपनानियंत्रणखोदियाथा। लेकिनउसनेइसशुरुआतीझटकेकोसत्ताकीतलाशमेंनाकामरहनेदियाऔरसफदीकशासकइस्माइलप्रथमकेसाथसाझेदारीकीऔरमध्यएशियाकेकुछहिस्सोंपरजीतहासिलकी।आखिरकारउन्होनेंभारतीयउपमहाद्धीपपरअपनीनजरेंगढ़ाईऔर इसीकेसाथभारतमें बाबरकाबचपनऔरशुरुआतीजीवन– Babar Biography in Hindi मुगलसम्राटबाबरकाजन्म 14 फरवरी 1483 कोआन्दीझानशहरकेफरगनाघाटीमेंजहीरुद्दीनमोहम्मदबाबरकेरुपमेंहुआथा।बाबरकेपि...

श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध होना, Makraksh Kiska Putra Tha, Makraksh Vadh

मकराक्ष रामायण का एक राक्षस था जो रावण का भतीजा और खर का पुत्र (Makraksh Father Name) था। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात उसके हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी (Makraksh Vadh)। जब से दंडकारण्य के जंगल में श्रीराम के द्वारा उसके पिता खर, काका दूषण की सभी सैनिकों के साथ हत्या कर दी गयी थी तब से वह श्रीराम से बदला लेने की चाह रखता था। जब श्रीराम रावण से युद्ध करने लंका पहुँच चुके थे (Makraksh Kaun Tha) तथा उनकी सेना के द्वारा महान योद्धाओं अकम्पन, दुर्मुख तथा प्रहस्त को मार गिराया गया था तब रावण को समझ नही आ रहा था कि वह अब युद्धभूमि में किसे भेजे। ऐसे समय में मकराक्ष ने रावण के सामने युद्धभूमि में जाने की इच्छा व्यक्त की (Makraksh Kiska Putra Tha)। मकराक्ष ने रावण को बताया कि जब से उसके पिता का वध हुआ है तब से उसकी माता ने अपने सुहाग व अन्य आभूषण वस्त्रों को नही उतारा हैं व उसने भी अपने पिता को अंतिम दर्पण नही दिया है। उसकी माता की इच्छा है कि उसका पुत्र मकराक्ष श्रीराम का मस्तक काटकर लेकर आए जिससे वह उसकी खोपड़ी में जल भरकर श्राद्ध अर्पण कर सके। मकराक्ष की अपने पिता के प्रति ऐसी भक्ति देखकर तथा उसकी माता का संकल्प सुनकर रावण प्रसन्न हुआ तथा उसे युद्धभूमि में जाने की आज्ञा दे दी। रावण से आज्ञा पाकर मकराक्ष युद्धभूमि (Makraksh Yudh) में चला गया। वह तेज गति से युद्धभूमि में गया तथा पागलों की भांति राम को पुकारने लगा। उसकी पुकार सुनकर अंगद व लक्ष्मण आये तथा उसे युद्ध की चुनौती दी लेकिन वह केवल श्रीराम से युद्ध करना चाहता था। उसने इसके लिए अपने माता के संकल्प की दुहाई दी तथा श्रीराम से युद्ध करने की इच्छा प्रकट की। इस पर लक्ष्मण तथा अंगद वानर सेना के साथ उसका उपहास करने लगे। ...

अंगद किसका पुत्र था?

Explanation : अंगद किष्किंधा के राजा बालि और तारा का पुत्र था। यह राम-रावण युद्ध में राम पक्ष का एक प्रमुख नायक था। अंगद का उल्लेख बाल्मीकि रामायण सहित अनेक पुराणों में आया है। वह राम का दूत बनकर रावण की सभा में गया था। एक उल्लेख के अनुसार वृहस्पति के अंग से उत्पन्न होने के कारण वह बड़ा सभा-चतर था। जिसका परिचय उसने रावण की सभा में दिया। सीता की खोज में वानरों का दल अंगद के नेतृत्व में ही गया था। राम-रावण युद्ध में अंगद ने इंद्रजीत, कुंभकर्ण आदि से मोर्चा लिया। तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' में रावण की सभा में अंगद के पैर टेकने का बड़ा रोचक वर्णन किया है। जिसके आधार पर 'अंगद का पांव' मुहावरा ही चल पड़ा। सुग्रीव के बाद अंगद किष्किंधा का राजा बना। Tags : सात घोड़े की तस्वीर रविवार के दिन लगाना चाहिए, क्योंकि यह दिन सूर्य देवता का दिन माना गया है। इसी के साथ रविवार के दिन सूर्य मंत्रों का 108 बार जाप करने से जीवन में अवश्य ही लाभ मिलता है तथा सभी मनोकामना की पूर्ति होती है। सात दौड़ते हुए घोड़ों की तस • गणेश चतुर्थी हर महीने दो बार क्यों मनाई जाती है? ज्योतिष और खगोल शास्त्र के विद्वान पंडित सूर्यनारायण व्यास का जन्म 2 फरवरी, 1902 को उज्जैन में हुआ था। 1932 में एक लेख में भविष्य में आने वाले 300 भूकंपों की सूची प्रकाशित कर दी थी, जो समय के साथ सच साबित होते रहे। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, राजे • मूलांक 9 का भविष्य 2022 : अदम्य साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति व व्यक्तित्व से सफलता जिन व्यक्तियों का जन्म किसी भी महीने की 8, 17 या 26 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक बनता है 8, जिसके स्वामी ग्रह हैं शनि। आने वाले वर्ष में अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित करें और फिर उन्हें प्राप्त करने के लिए सभी ...

बिन्दुसार की सम्पूर्ण जीवनी Bindusar Biography In Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • • Bindusar Biography History In Hindi चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिन्दुसार 297- 98 ईसापूर्व में सत्तारूढ़ हुआ व कहा जाता है कि सत्ता में आते समय यह अवयस्क था एवं इसने 272/273/268 ईसापूर्व तक लगभग 26 वर्ष शासन किया जब 52/47 वर्षीय अवस्था में इसकी मृत्यु हुई। बिन्दुसार के अन्य नाम सिंहसेन्, मद्रसार व अजातशत्रु वरिसार सहित सम्भवतः अमित्रघात भी था। पिता का पुत्र एवं पुत्र का पिता बिन्दुसार को ‘पिता का पुत्र एवं पुत्र का पिता’ भी कहा गया क्योंकि यह पराक्रमी चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र एवं शक्तिशाली चक्रवर्ती मौर्य साम्राज्य में प्राय: चंद्रगुप्त मौर्य व अशोक के रूप में दादा-पोते का ही नाम अधिक लिया गया है इसलिये भी बिन्दुसार के बारे में अधिक प्रामाणिक जानकारियों की कमी है एवं उपलब्ध विवरणों में भी विरोधाभास दृष्टिगत होता है। Bindusar Biography History In Hindi Bindusar आचार्य चाणक्य के बुद्धि-कौशल से चंद्रगुप्त मौर्य ने सोलह महाजनपदों के राजाओं व सामन्तों से उनके राज्यक्षेत्र छीनकर अखण्ड भारत की स्थापना की थी। बिन्दुसार के पास पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र तक के भूभाग का क्षेत्र था। तिब्बती लामा तारनाथ एवं जैन अनुश्रुति के अनुसार बिन्दुसार का जन्म लगभग 320 ईसापूर्व में जन्मा बिन्दुसार जन्म से ही अपने माथे पर बिन्दु का चिह्न लेकर आया था क्योंकि माता दुर्धरा ने बिन्दुसार के पिता चंद्रगुप्त का जूठा भोजन कर लिया था जिससे उसकी मृत्यु हो गयी क्योंकि चंद्रगुप्त की बाल्यावस्था से ही आचार्य चाणक्य इसे मंद विष सेवन कराया करते थे ताकि इसका शरीर इस कारण चंद्रगुप्त का शरीर स्वयं में दूसरों के लिये विषाक्त बना हुआ था। मृत हो चुकी दुर्धरा के गर्भ में पल रहे श...

अर्जुन का बेटा कौन था? Abhimanyu kiska putra tha

अर्जुन का बेटा कौन था? अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु था।अभिमन्यु की माता का नाम सुभद्रा था । अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़ना तो जानता था, परंतु वापस निकलना नहीं जानता था जिसके कारण युद्ध में वह वीरगति को प्राप्त हुआ और महारथी अर्जुन ने अभिमन्यु के मृत्यु के प्रतिशोध में जयद्रथ नामक योद्धा को युद्ध में मारा था।

रावण का परिवार :

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है जैसा की आप सब जानते हैं कि विजयादशमी क्यों मनाई जाती है। जी हाँ, इस दिन राम जी ने रावण का संहार किया था। भगवान् राम को कौन नहीं जनता? सारा जग उनकी महिमा का गुणगान करता है। पर शायद ही कोई उस युद्ध में मारे गए रावण के और उसके परिवार के बारे में जनता हो। अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं। हम आपके लिए लायें हैं रावण के परिवार की जानकारी लेख ‘ रावण का परिवार ‘ में :- रावण का परिवार रावण के नाम और उनके अर्थ रावण के जन्म के समय उसके दस सिर थे इस कारण उसका नाम दशानन या दशग्रीव रखा गया था। जिसमें ‘ दश ‘ का अर्थ दस और ‘ आनन ‘ का अर्थ मुख है। लंका का राजा होने के कारण उसे लंकापति या लंकेश भी कहा जाता है। सबसे प्रसिद्द नाम रावण का अर्थ है दूसरों को रुलाने वाला या गर्जन। यह नाम भगवान् शंकर ने उन्हें दिया था। पढ़िए :- ऋषि मार्कण्डेय जी की कहानी रावण का जन्म स्थान ऐसा माना जाता है की गौतम बुद्ध नगर जिले के अन्दर बिसरख नाम के गाँव में रावण का जन्म हुआ था। ऐसा भी माना जाता है की इस गाँव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है। पहले इस गाँव का नाम विश्रवा ही था मगर समय के बदलते इसका नाम बदलकर बिसरख हो गया। यहाँ पर एक शिवलिंग है जिसकी रावण और उसके पिता विश्रवा पूजा किया करते थे। ये स्वयंभू शिवलिंग 100 साल पहले ही धरती से निकल गया। यह अष्टकोण के आकार में है। यहाँ दशहरा नहीं मनाया जाता है। दशहरे के दिन यहाँ रावण की मृत्यु का मातम मनाया जाता है। रावण को समर्पित एक मंदिर यहाँ बनाया जा रहा है। जिसकी लागत 2 करोड़ रुपये है। इसमें 42 फुट लम्बा शिवलिंग होगा और 5..5 फुट का राव...

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के इतिहास की जानकारी

मुगलसाम्राज्यकेसंस्थापकबाबरकेइतिहासकीजानकारी– Babar History in Hindi Babur Images बाबरकाजीवनपरिचय– Babar ka Itihas नाम (Name) जहीर-उद-दीनमुहम्मदबाबर ( Babur) जन्म (Birthday) 14 फरवरी 1483 (अन्दिझान, उज्बेकिस्तान) माता (Mother Name) कुतलुगनिगारख़ानुम पिता (Father Name) उमरशेखमिर्जा 2, फरगानाकेशेख पत्नियाँ (Wife Name) • आयेशासुलतानबेगम, • जैनाबसुलतानबेगम, • मौसमासुलतानबेगम, • महमबेगम, • गुलरुखबेगम, • दिलदारबेगम, • मुबारकायुरुफझाई, • गुलनारअघाचा पुत्र/पुत्रियां (Children Name) • हुमायूं, • कामरानमिर्जा, • अस्करीमिर्जा, • हिंदलमिर्जा, • फख्र -उन-निस्सा, • गुलरंगबेगम, • गुलबदनबेगम, • गुलचेहराबेगम, • अल्तूनबिषिक, • कथितबेटा भाई (Brother Name) मृत्यु (Death) 26 दिसम्बर 1530 (आगरा, मुगलसाम्राज्य) बाबरभारतकेपहलेमुगलसम्राटथेजिनकापूरानामजहीरुद्दीनमोहम्मदबाबरथा।मुगलसाम्राज्यकेसम्राटबाबरफरगानाघाटीकेशासकउमरशेखमिर्जाकेसबसेबड़ेबेटेथे।पिताकीमौतकेबादमहज 11 सालकीउम्रमेंहीराज्यकीजिम्मेदारीसौंपदीगईउन्हेंकमउम्रमेंहीसिंहासनपरबिठादियागयाइसकीवजहसेउन्हेंअपनेरिश्तेदारोंकेविरोधकाभीसामनाकरनापड़ाथा। छोटीसीउम्रसेहीबहादुरयोद्धानेअपनेक्षेत्रोंकाविस्तारकरनेकेलिएसैन्यअभियानोंकीशुरुआतकरदीथी।हालांकिअपनेशुरुआतीअभियानोंकेदौरानइसवीरयोद्धानेफरगानाशहरमेंअपनानियंत्रणखोदियाथा। लेकिनउसनेइसशुरुआतीझटकेकोसत्ताकीतलाशमेंनाकामरहनेदियाऔरसफदीकशासकइस्माइलप्रथमकेसाथसाझेदारीकीऔरमध्यएशियाकेकुछहिस्सोंपरजीतहासिलकी।आखिरकारउन्होनेंभारतीयउपमहाद्धीपपरअपनीनजरेंगढ़ाईऔर इसीकेसाथभारतमें बाबरकाबचपनऔरशुरुआतीजीवन– Babar Biography in Hindi मुगलसम्राटबाबरकाजन्म 14 फरवरी 1483 कोआन्दीझानशहरकेफरगनाघाटीमेंजहीरुद्दीनमोहम्मदबाबरकेरुपमेंहुआथा।बाबरकेपि...

श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध होना, Makraksh Kiska Putra Tha, Makraksh Vadh

मकराक्ष रामायण का एक राक्षस था जो रावण का भतीजा और खर का पुत्र (Makraksh Father Name) था। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात उसके हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी (Makraksh Vadh)। जब से दंडकारण्य के जंगल में श्रीराम के द्वारा उसके पिता खर, काका दूषण की सभी सैनिकों के साथ हत्या कर दी गयी थी तब से वह श्रीराम से बदला लेने की चाह रखता था। जब श्रीराम रावण से युद्ध करने लंका पहुँच चुके थे (Makraksh Kaun Tha) तथा उनकी सेना के द्वारा महान योद्धाओं अकम्पन, दुर्मुख तथा प्रहस्त को मार गिराया गया था तब रावण को समझ नही आ रहा था कि वह अब युद्धभूमि में किसे भेजे। ऐसे समय में मकराक्ष ने रावण के सामने युद्धभूमि में जाने की इच्छा व्यक्त की (Makraksh Kiska Putra Tha)। मकराक्ष ने रावण को बताया कि जब से उसके पिता का वध हुआ है तब से उसकी माता ने अपने सुहाग व अन्य आभूषण वस्त्रों को नही उतारा हैं व उसने भी अपने पिता को अंतिम दर्पण नही दिया है। उसकी माता की इच्छा है कि उसका पुत्र मकराक्ष श्रीराम का मस्तक काटकर लेकर आए जिससे वह उसकी खोपड़ी में जल भरकर श्राद्ध अर्पण कर सके। मकराक्ष की अपने पिता के प्रति ऐसी भक्ति देखकर तथा उसकी माता का संकल्प सुनकर रावण प्रसन्न हुआ तथा उसे युद्धभूमि में जाने की आज्ञा दे दी। रावण से आज्ञा पाकर मकराक्ष युद्धभूमि (Makraksh Yudh) में चला गया। वह तेज गति से युद्धभूमि में गया तथा पागलों की भांति राम को पुकारने लगा। उसकी पुकार सुनकर अंगद व लक्ष्मण आये तथा उसे युद्ध की चुनौती दी लेकिन वह केवल श्रीराम से युद्ध करना चाहता था। उसने इसके लिए अपने माता के संकल्प की दुहाई दी तथा श्रीराम से युद्ध करने की इच्छा प्रकट की। इस पर लक्ष्मण तथा अंगद वानर सेना के साथ उसका उपहास करने लगे। ...

बिन्दुसार की सम्पूर्ण जीवनी Bindusar Biography In Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • • Bindusar Biography History In Hindi चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिन्दुसार 297- 98 ईसापूर्व में सत्तारूढ़ हुआ व कहा जाता है कि सत्ता में आते समय यह अवयस्क था एवं इसने 272/273/268 ईसापूर्व तक लगभग 26 वर्ष शासन किया जब 52/47 वर्षीय अवस्था में इसकी मृत्यु हुई। बिन्दुसार के अन्य नाम सिंहसेन्, मद्रसार व अजातशत्रु वरिसार सहित सम्भवतः अमित्रघात भी था। पिता का पुत्र एवं पुत्र का पिता बिन्दुसार को ‘पिता का पुत्र एवं पुत्र का पिता’ भी कहा गया क्योंकि यह पराक्रमी चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र एवं शक्तिशाली चक्रवर्ती मौर्य साम्राज्य में प्राय: चंद्रगुप्त मौर्य व अशोक के रूप में दादा-पोते का ही नाम अधिक लिया गया है इसलिये भी बिन्दुसार के बारे में अधिक प्रामाणिक जानकारियों की कमी है एवं उपलब्ध विवरणों में भी विरोधाभास दृष्टिगत होता है। Bindusar Biography History In Hindi Bindusar आचार्य चाणक्य के बुद्धि-कौशल से चंद्रगुप्त मौर्य ने सोलह महाजनपदों के राजाओं व सामन्तों से उनके राज्यक्षेत्र छीनकर अखण्ड भारत की स्थापना की थी। बिन्दुसार के पास पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र तक के भूभाग का क्षेत्र था। तिब्बती लामा तारनाथ एवं जैन अनुश्रुति के अनुसार बिन्दुसार का जन्म लगभग 320 ईसापूर्व में जन्मा बिन्दुसार जन्म से ही अपने माथे पर बिन्दु का चिह्न लेकर आया था क्योंकि माता दुर्धरा ने बिन्दुसार के पिता चंद्रगुप्त का जूठा भोजन कर लिया था जिससे उसकी मृत्यु हो गयी क्योंकि चंद्रगुप्त की बाल्यावस्था से ही आचार्य चाणक्य इसे मंद विष सेवन कराया करते थे ताकि इसका शरीर इस कारण चंद्रगुप्त का शरीर स्वयं में दूसरों के लिये विषाक्त बना हुआ था। मृत हो चुकी दुर्धरा के गर्भ में पल रहे श...