Brain stroke ke lakshan

  1. पेट में गर्मी होने के लक्षण और उपाय
  2. मस्तिष्काघात के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और बचाव
  3. शरीर में खून की कमी के लक्षण, संकेत और समस्याएं
  4. ब्रेन हेमरेज के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  5. ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, कारण, निदान,जांच, उपचार और बचाव
  6. हार्ट अटैक (Heart Attack), कारण, लक्षण, बचाव, उपचार
  7. नसों की कमजोरी के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  8. ब्रेन कैंसर के लक्षण, लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  9. ब्रेन फॉग के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज


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पेट में गर्मी होने के लक्षण और उपाय

• • भूख में कमी आना। • • पेट और गले में जलन होना। • छाती और • • • रेक्टल क्षेत्र में जलन होना। • • बेचैनी का अनुभव होना। • खाने के बाद छाती में दबाव महसूस होना। • खट्टी खट्टी डकार आना। • कब्ज की समस्या उत्पन्न होना। • हार्टबर्न (सीने में जलन) की समस्या। • मुंह और पीठ में या शरीर के किसी भी हिस्से में लाल दाने होना। (और पढ़ें – पेट में गर्मी होने के उपाय – Pait Mein Garmi Hone Ke Upay ऊपर दिए गए पेट में गर्मी के लक्षण दिखाई देने पर आप निम्न घरेलू उपायों को अपना सकते है। (और पढ़ें – पेट की गर्मीं दूर करने का उपाय छाछ – Pet ki garmi dur karne ka upay chhachh गर्मी के मौसम में छाछ पीना अधिकांश लोगों को पसंद होता है। पेट में गर्मी होने पर खाएं काला नमक – Pet me garmi hone par khayen kala Namak काला नमक (Black Salt) का सेवन करना हमारे पेट के लिए कई प्रकार से लाभदायक होता है। आप पेट की गर्मी को दूर करने के लिए गुनगुना पानी है पेट में गर्मी का घरेलू उपाय – Gungune pani se kare pet ki garmi ka ilaaj खाली पेट गुड़ स्वाद में मीठा होता है इसलिए बहुत से लोगों को यह पसंद होता है। गुड़ में पेट की गर्मी का घरेलू उपचार में ठंडी चीजों का करें सेवन – Pait mein garmi ka gharelu upchar thandi chijo ka sevan kare गर्मियों के सीजन में आप जितना हो सके ठंडी चीजों को खाएं। ये आपके शरीर को ठंडा रखने के साथ साथ पेट की गर्मी को भी ख़त्म करने में मदद करते करते है। इसके लिए आप

मस्तिष्काघात के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और बचाव

10 मस्तिष्काघात से बचाव (Prevention of Stroke in Hindi) मस्तिष्काघात क्या है ? (What is Stroke Disease in Hindi) वास्तव में यह स्थिति मस्तिष्क को रक्त पहुँचाने वाली विभिन्न रक्तवाहिकाओं में से किसी रक्तवाहिनी के दबाववश फटने अथवा उनमें रुकावट आने या फिर वाहिकाओं के सँकरा (Stenosis) हो जाने से बनती है। जब रक्तवाहिका फटती है (Rupture) है तो खून निकलकर मस्तिष्क के विभिन्न भागों में जम जाता है जिससे मस्तिष्क के कार्य प्रभावित होते हैं क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाएँ थक्का जमने के कारण अपना कार्य नहीं कर पाती हैं। तब शरीर के अन्य अंग जैसे–चेहरा, तालु, मुख, हाथ, पैर इत्यादि भी प्रभावित होते हैं। और उनमें लकवे की शिकायत हो जाती है। इसी तरह जब रक्तवाहिका सँकरी हो जाती है या उसमें थक्के के कारण कोई रुकावट आ जाती है तो मस्तिष्क को रक्त के द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएँ मरने लगती और इससे मस्तिष्क (Brain) के प्रभावित भाग के अनुसार शरीर के अंग निष्क्रिय हो जाते हैं अर्थात् उनमें लकवा लग जाता है। इसे हिन्दी में पक्षाघात भी कहा जाता है। रोग की गम्भीरता रक्तवाहिकाओं से रक्तस्राव की मात्रा एवं मस्तिष्क के प्रभावित हिस्सों पर निर्भर होती है। वास्तव में यह स्वयं मस्तिष्क का रोग न होकर मस्तिष्क को खून पहँचानेवाली रक्तवाहिनियों का रोग होता है जिसमें बाद में मस्तिष्क भी प्रभावित हो जाता है। इसलिए इस रोग को मस्तिष्क एवं रक्तवाहिनियों की दुर्घटना वाला रोग (Cerebro Vascular Accident) भी कहते हैं। मस्तिष्काघात और रक्तचाप (Stroke Causes and High Blood Pressure in Hindi) मस्तिष्काघात अधिकतर मामलों में उच्च रक्तचाप से सम्बन्धित होता है। न केवल उच्च रक्तचाप बल्कि निम्न रक्...

शरीर में खून की कमी के लक्षण, संकेत और समस्याएं

Written by |Updated : June 10, 2022 5:35 PM IST • • • • • Signs and Symptoms of Anemia: ब्लड सर्कुलेशन या रक्त संचार (Blood Circulation) की प्रक्रिया में शरीर के हर हिस्से तक रक्त के साथ पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचते हैं। लेकिन, जब शरीर में खून की कमी हो तो यह प्रकिया भी ठीक तरीके से नहीं चल पाती।शरीर में खून की कमी की इस स्थिति को एनिमिया कहा जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत गम्भीर और कुछ मामलों में घातक भी साबित हो सकती है। (what is Anemia and how dangerous it can be?) शरीर में खून (Lack of blood) की कमी होना आपकी सेहत को कई तरीके से नुकसान पहुंचा सकता है। खून की कमी होना यानी आप एनीमिया (Anemia) के शिकार हैं। आपके शरीर में खून की मात्रा कितनी है, इसका पता हिमोग्लोबिन लेवल के जरिए पता चलता है। खून की कमी होने से अक्सर थकान, कमजोरी, चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं। हालांकि, ये कुछ शुरुआती और सामान्य लक्षण हैं, लेकिन लगातार आपका एनिमिक बने रहना घातक भी हो सकता है। खून की कमी (anemia or shareer me khoon ki kami ke lakshan in hindi) होने पर कई शारीरिक समस्याएं नजर आ सकती हैं। यहां पढ़ें कुछ ऐसी ही समस्याओं के बारे में जो शरीर में खून की कमी के संकेत हो सकती हैं। (khoon ki kami ke lakshan) शरीर में खून की कमी के संकेत और नुकसान (khoon ki kami ke lakshan in Hindi) हो सकता है एनीमिया शरीर में खून कम होने से आपको एनीमिया की समस्या हो सकती है। एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी होना। खून की कमी होने से आपको कई अन्य समस्याएं जैसे बेहोशी, चक्कर आने की शिकायत (Signs and Symptoms of Anemia) हो सकती है। Also Read • • • शरीर में हो जाता है ऑक्सीजन लो जब शरीर में खून कम होता है, तो ऑक्...

ब्रेन हेमरेज के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

ब्रेन हेमरेज क्या है? ब्रेन हेमरेज एक तरह का मानसिक दौरा ( (और पढ़ें - मनुष्य का दिमाग खोपड़ी के अंदर होता है। दिमाग से खून बहने के कारणखोपड़ी और दिमाग के बीच दबाव पैदा होताहै जो दिमाग के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। दिमाग में जबकिसीरक्त वाहिका के फटने के कारण खून बहताहै तोउसे हेमरेज स्ट्रोक (hemorrhagicstroke) कहते हैं। ब्रेन हेमरेज जिन लोगों को ब्रेन हेमरेज हुआ है उन्हें स्ट्रोक के जैसे ही लक्षण होते हैं। साथ ही शरीर के एक हिस्से में कमज़ोरी, बोलने में परेशानी या शरीर का सुन्न पड़ना महसूस हो सकता है। दैनिक कार्य करने में परेशानी होना, जैसे चलते-चलते गिर जाना भी ब्रेन हेमरेज का लक्षण है। ब्रेन हेमरेज एक जानलेवा अवस्था है और इसका तुरंत इलाज कराना बहुत ज़रूरी होता है। ब्रेन हेमरेज कितने प्रकार का होता है? ब्रेन हेमरेज कुछ प्रकार का होता है। दिमाग से खून बहने वाले हिस्से केआधार पर उसका प्रकार निर्भर करता है - • इंट्रासेरेब्रल हेमरेज - दिमाग के अंदर रक्तस्त्राव। • सबरकनॉइड हेमरेज - दिमाग और उसे सुरक्षित करने वाली झिल्ली (मेम्ब्रेन) के बीच रक्तस्त्राव। • सबड्यूरल हेमरेज - ड्यूरा (दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आस-पास कीझिल्ली) की निचली सतह और दिमाग के ऊपरी हिस्से केबीच रक्तस्त्राव। • एपीड्यूरल हेमरेज - खोपड़े और दिमाग के बीच myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। ब्रेन हेमरेज के लक्षण क्या हैं? ब्रेन हेमरेज के कई लक्षण हो सकते हैं। ब्रेन हेम...

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, कारण, निदान,जांच, उपचार और बचाव

Brain Tumor in Hindi आज के समय में ब्रेन ट्यूमर एक बढ़ती हुई गंभीर समस्या है, जिसकी पहचान और उपचार समय पर किया जाना आवश्यक होता है। लोगों के मन में ये गलत धारणा होती है, की ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव नहीं है। यदि ब्रेन ट्यूमर का पता उसकी प्रारम्भिक अवस्था में लगा लिया जाये, तो उसका इलाज संभव है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि ब्रेन ट्यूमर क्या है, इसके कारण क्या होते है, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, प्रकार, निदान और उपचार के बारे में। ब्रेन ट्यूमर क्या है – What is Brain Tumor in Hindi Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर वह समस्या है जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होती है। मस्तिष्क (ब्रेन) बहुत कठोर खोपड़ी के अंदर होता है। अतः खोपड़ी के अंदर कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। ब्रेन ट्यूमर अलग-अलग प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर मुक्त (कम घातक) (noncancerous) (benign) होते हैं, और कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर सम्बन्धी (घातक) (cancerous, malignant) होते हैं। ब्रेन ट्यूमर जब मस्तिष्क से शुरू होता हैं तो उसे प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर कहते है और यदि कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों से शुरू होकर मस्तिष्क तक पहुँचता है, तब इस प्रकार के कैंसर से होने वाले ब्रेन ट्यूमर को सेकेंडरी, या मेटास्टैटिक (metastatic) ब्रेन ट्यूमर कहते है। Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर जितनी तेज़ी से बढ़ता है, वह उतनी ही तेजी से तंत्रिका तंत्र के कार्यों को प्रभावित करता है। ब्रेन ट्यूमर का उपचार उसके आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करता है। (और पढ़े – ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण – Brain Tumor Symptoms in Hindi Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण अन्य बीमारी के लक्षणों से काफी भिन्न होत...

हार्ट अटैक (Heart Attack), कारण, लक्षण, बचाव, उपचार

• • • • हमारा हृदय यानी की दिल एक मस्कुलर अंग है, जो दिन में 1 लाख बार धड़कता है। हमारा दिल छाती के बाईं ओर होता है, जो कि 24 घंटों में पूरे शरीर में 5000 गैलन रक्त पंप करता है। हृदय का मुख्य कार्य हमारे टिश्यू को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करना है। अगर यह अंग अपने काम को पूरा करने में विफल रहता है, तो इसका परिणाम जीवन के लिए खतरा भी साबित हो सकता है। आइए हार्ट अटैक के बारे में विस्‍तार से जानते हैं- Also Read • • • क्या है हार्ट अटैक? What is heart attack: मेडिकल की भाषा में कहें तो हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इनफार्क्शन (Myocardial infarction) के रूप में जाना जाता है। 'मायो' शब्द का अर्थ है मांसपेशी जबकि ‘कार्डियल’हृदय को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर, 'इनफार्क्शन' अपर्याप्त रक्त आपूर्ति के कारण टिश्यू के नष्ट होने को संदर्भित करता है। टिश्यू के नष्ट होने से हृदय की मांसपेशियों को लंबे समय तक नुकसान पहुंच सकता है। दिल का दौरा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आमतौर पर हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी पूरी तरह से अवरुद्ध होने के कारण अचानक खून की सप्लाई बंद कर देती है। इससे हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं मर जाती हैं। धमनी में ब्लॉकेज यानी की रुकावट अक्सर प्लाक के जमा होने के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप कोरोनरी हार्ट डीजिज (सीएचडी) होती हैं। अगर इस स्थिति को बिना उपचार के छोड़ दिया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है। मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन या दिल के दौरे के कारण दिल के टिश्यू को होने वाले नुकसान की गंभीरता अटैक की अवधि (अटैक कितनी देर के लिए आया है) पर निर्भर करती है। अगर आप पहले ही इस स्थिति का निदान कर लेते हैं और उपाचर प्राप्त कर...

नसों की कमजोरी के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

नसों की कमजोरी क्या होता है ? "न्यूरोपैथी" (Neuropathy) एक मेडिकल शब्द है जिसका प्रयोगनसों के अलग-अलगविकारोंके लिए किया जाता है जिनमें शरीर के कुछ हिस्सों की नसों में कमजोरी हो जाती हैया वहगतिहीन हो जाती हैं। कुछ लोगों के लिए यह समस्या थोड़ेसमय के लिए होती है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह स्थायी भी हो सकती है। प्रभावित नस के प्रकार के आधार पर या तो नससे सम्बंधित शरीर काअंग ठीक से काम नहीं कर पाताया वह कुछ महसूस नहीं कर पाता। कुछ बीमारियों या इसकी वजह का इलाज करने से नसों की कमजोरी की समस्या ठीक की जा सकती है। इसके लिए दवाएं और अन्य थेरेपी भी उपलब्ध हैं। (और पढ़ें - पेरिफेरल (Peripheral) नसें क्या होती हैं? हमारे तंत्रिकातंत्र (Nervous System) के दो भाग होते हैं: • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) - मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी में जाने वाली नसें • पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) -मस्तिष्क वरीढ़ की हड्डीके बाहर मौजूदनसें पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र की नसों को "पेरिफेरल नसें" या परिधीय नसें भी कहा जाता है। नसों की कमजोरी के लक्षण क्या होते हैं ? नसों की कमजोरी के लक्षण निम्नलिखित हैं - • चुभन यागुदगुदी की भावना • दर्द (और पढ़ें - • • बिमारियों से लड़ने की क्षमता में कमी (और पढ़ें - • • सूंघने, देखने, स्वाद चखने, छूने या सुनने की क्षमता में कमी (और पढ़ें - • व्यवहार सम्बन्धी समस्याएं • मांसपेशियों की कमजोरी और थकावट (और पढ़ें - • झटके लगना नसों की कमजोरी महसूस होते ही डॉक्टर के पास जाएं। नसों में कमजोरी क्यों होती है ? नसों की कमजोरी निम्नलिखित कारणों से हो सकती है - • • • दवाओं के दुष्प्रभाव और विषाक्त पदार्थ (और पढ़ें - • दिमाग तक संकेत भेजने वाली नसों को प्रभ...

ब्रेन कैंसर के लक्षण, लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

एक व्यक्ति को जीवन भर में कई शारीरिक समस्याएँ या बीमारी हो सकती है जो कि कुछ समय से लेकर जीवन भर तक साथ रह सकती है। कैंसर भी ऐसी एक बीमारी है जो कि एक बार हो जाए तो उसके बाद अंतिम समय तक व्यक्ति के साथ ही रहती है और रोगी के मृत्यु का कारण भी बनती है।लेकिन वर्तमान समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि कैंसर को हराया जा सकता है , पर इसके लिए कैंसर की समय से पहचान करना जरूरी होता है। कैंसर के बारे में बात करें तो यह एक कई रोगों का समूह है जिसमे कोशिकाएं असाधारण रूप से बढ़ने लग जाती हैं। लगातार बढ़ती कोशिकाएं बढ़ कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं जो कि मूलतः असाधारण रूप से बढ़ी हुई चर्बी की एक गांठ होती है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में मौजूद कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। इसमें प्रभावित कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं या फिर फैलने लगती है। इसके परिणामस्वरूप ट्यूमर बढ़ने लगता है या फिर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। वैसे तो शरीर के किसी भी अंग में हुआ कैंसर जानलेवा होता है , लेकिन अगर बात करें मस्तिष्क कैंसर यानि ब्रेन कैंसर (BRAIN CANCER) कि तो यह काफी गंभीर होता है , क्योंकि इसकी वजह से पुरे शरीर पर सीधे नकारात्मक असर पड़ने लगता है। इसका दूसरा कारण यह भी है कि बाकी अंगों में होने वाले कैंसर की तुलना में ब्रेन कैंसर की पहचान काफी देर से होती है और जब तक इसकी पहचान हो पाती है तब तक रोगी की हालत काफी ज्यादा खराब हो चुकी होती है। लोगों को ब्रेन कैंसर के बारे में बहुत कम जानकारी है। कम जानकारी के कारण भी इस गंभीर रोग की पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है। आज इस लेख में हम आपको ब्रेन कैंसर से जुड़ी सारी जानकारी देने की कोशिश करेंगे। ब्रेन कैंसर क्या है ? What ...

ब्रेन फॉग के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

ब्रेन फॉग, हमारी चेतना या समझ की एक बदली हुई अवस्था है जिसमें व्यक्ति के सजग या चौकस रहने की क्षमता कम हो जाती है, जागरुकता में कमी आती है, सतर्कता में कमी आती है और व्यक्ति सामान्य से कम फोकस्ड हो जाता है। ब्रेन फॉग से पीड़ित व्यक्ति स्पष्ट रूप से सोचने, स्पष्ट रूप से संवाद करने या बातचीत करने या किसी काम में ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हो जाता है। साथ ही उस व्यक्ति को चीजों को याद रखने में भी परेशानी हो सकती है। ब्रेन फॉग को मेंटल फॉग, सजगता या चेतना में अवरोध, आदि रूपों में भी जाना जाता है और ब्रेन फॉग निम्नलिखित स्थितियों में उत्पन्न हो सकता है: • जब कोई व्यक्ति • कई बार कुछ गर्भवती महिलाओं को भी • • कई बार कुछ बीमारियों के कारण भी हमारा दिमाग फॉगी हो जाता है। दरअसल, ब्रेन फॉग कई तरह की सेहत से जुड़ी समस्याओं का भी एक लक्षण हो सकता है: • शरीर में पोषक तत्व संबंधी कमी जैसे- • • • • ब्रेन फॉग • • ब्रेन फॉग कुछ दवाइयों या उपचार के साइड-इफेक्ट के तौर पर भी हो सकता है जैसे- लक्षणों की बात करें तो ब्रेन फॉग से पीड़ित व्यक्ति को स्पष्ट रूप से सोचने, चीजों को याद रखने और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता महसूस होती है। कुछ लोग भटकाव भी महसूस कर सकते हैं और वे अपने परिवेश के बारे में सामान्य दिनों की तुलना में कम जागरूक भी हो सकते हैं। मरीज कई बार ऐसी शिकायत भी करते हैं कि मानो वे किसी घने कोहरे से गुजरते हुए अपने विचारों और यादों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हों। इस स्थिति में ज्यादातर लोगों की काम करने की गति धीमी हो जाती है और उनकी उत्पादकता में भी कमी आ जाती है। (और पढ़ें- ब्रेन फॉग शॉर्ट-टर्म यानी कुछ समय के लिए भी हो सकता है या फिर लंबे समय तक भी मौजूद रह सकता है। यह किसी...