बर्बरीक कौन था

  1. Barbarik पूर्व जन्म में कौन था। बर्बरीक को खाटू श्याम जी क्यों कहते हैं ?
  2. BARBARIK KI KATHA बर्बरीक की कथा
  3. BARBARIK KI KATHA बर्बरीक की कथा
  4. Barbarik पूर्व जन्म में कौन था। बर्बरीक को खाटू श्याम जी क्यों कहते हैं ?


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Barbarik पूर्व जन्म में कौन था। बर्बरीक को खाटू श्याम जी क्यों कहते हैं ?

Barbarik, पूर्व जन्म बर्बरीक महाभारत से बहुत पहले पूर्व जन्म में एक यक्ष थे । जिन्हें विष्णु भगवान का अपमान करने की वजह से ब्रह्मा जी ने श्राप दिया था। एक बार भगवान ब्रह्मा जी और कई अन्य देव बैकुंठ लोक आए और भगवान विष्णु से कहा की धरती पर अधर्म बढ़ रहा है।उन्हें रोकने और उनका अत्याचार बंद करने के लिए भगवान विष्णु की मदद लेने आए। भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि वह जल्द ही एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेंगे और सभी पृथ्वी को पाप मुक्त करेंगे ।लेकिन तभी एक यक्ष ने देवताओं से कहा कि इस कार्य के लिए भगवान विष्णु को पृथ्वी पर अवतार लेने क्या आवश्यकता है। वह अकेले ही सभी दुष्टों का संहार करने के लिए पर्याप्त है। यह सुन ब्रह्मा जी को बहुत दुख हुआ। भगवान ब्रह्मा ने यक्ष को श्राप दे दिया जब भी पृथ्वी पर पाप बहुत ज़्यादा बढ़ जाएगा। तब, दुष्टों , आतंकियों आदि का करने से पहले भगवान विष्णु पहले उसका वध करेंगे। और वह एक दैत्य जाति में जन्म लेगा। इस श्राप के अनुसार यक्षराज को किसी दैत्य कुल में जन्म लेना था।यक्षराज यह बात सुनकर घबरा गए। और उन्होंने ब्रह्मदेव देव से विनती करी कि: यक्ष गंधर्व और देवता सिर्फ अच्छे कामों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन दैत्य दुष्ट, अधर्मी होते हैं और आतंक के लिए जाने जाते हैं। इसलिए कृपया कृपया मुझे क्षमा करें और मुझे दैत्य कुल में जन्म लेने का श्राप ना दें। विष्णु जी का आशीर्वाद: बार-बार कहने पर ब्रह्मा जी को यक्षराज पर दया आ गई, लेकिन श्राप अब वापस नहीं हो सकता था। ब्रह्मा जी बोले की आप विष्णु भगवान की शरण में जाइये। वही कोई लीला रच कर आपकी मदद कर सकते हैं। यक्षराज बैकुंठ लोक पहुंचे और वहां विष्णु जी से भी यही विनती करी। विष्णु जी ने भी श्राप को वापस लेन...

BARBARIK KI KATHA बर्बरीक की कथा

BARBARIK KAUN HAI ? BARBARIK KE TEEN TEER KA KYA MAHATAV THA? बर्बरीक भीम और हिडिम्बा के पोत्र थे। उनके पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम मोरवी(अहिलावती) था जो कि मूर दैत्य की पुत्री थी। जब बर्बरीक ने जन्म लिया तो उसके बाल बब्बर शेर की तरह दिखते थे इसलिए घटोत्कच ने अपने पुत्र का नाम बर्बरीक रख दिया। बर्बरीक बहुत ही तेजस्वी थे। उन्होंने युद्ध कला अपनी माता मोरवी से प्राप्त की। उनकी मां उनकी गुरु थी। उनकी मां ने उन्हें शिक्षा दी थी कि सदैव हारने वाले पक्ष की सहायता करनी चाहिए। उन्होंने मां आदिशक्ति की बहुत तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्हें तीन बाण प्राप्त हुएं। इसलिए उन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। उन्हें एक दिव्य धनुष भी प्राप्त हुआ जो बर्बरीक को तीनों लोकों में विजय प्राप्त करने में समर्थ था। बर्बरीक को जब कौरवों और पांडवों के मध्य होने वाले युद्ध की सूचना मिली तो वह भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी मां से आशीर्वाद लिया और अपनी मां से वादा किया कि हारने वाले पक्ष का साथ देगा। बर्बरीक के तीन बाण BARBARIK KI TEEN BAAN जब बर्बरीक कहने लगे कि मैं पहला बाण उनको चिंहित करेगा जिनकी रक्षा करनी है। दूसरा बाण उनको चिंहित करेगा जिनका वध करना है। तीसरा बाण से वध करने वाले चिंहित योद्धाओं और सेना का वध करके वापिस मेरे तरकश में आ जाएगा। बर्बरीक कहने लगे कि उनके यह बाण सम्पूर्ण सेना को नष्ट कर सकते और उनके यह तीर पुनः उनके तरकश में वापस आ जाते हैं। श्री कृष्ण ने बर्बरीक के बाणों को परखने के लिए कहा कि वह सामने जो पीपल का पेड़ है उसके समस्त पत्तों में छेद करके दिखाएं। बर्बरीक ने अपने बाण को पीपल के पेड़ के पत्तों में छेद करने की आज्ञा दी। बाण सभी पत्तों को भेद कर श्री...

BARBARIK KI KATHA बर्बरीक की कथा

BARBARIK KAUN HAI ? BARBARIK KE TEEN TEER KA KYA MAHATAV THA? बर्बरीक भीम और हिडिम्बा के पोत्र थे। उनके पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम मोरवी(अहिलावती) था जो कि मूर दैत्य की पुत्री थी। जब बर्बरीक ने जन्म लिया तो उसके बाल बब्बर शेर की तरह दिखते थे इसलिए घटोत्कच ने अपने पुत्र का नाम बर्बरीक रख दिया। बर्बरीक बहुत ही तेजस्वी थे। उन्होंने युद्ध कला अपनी माता मोरवी से प्राप्त की। उनकी मां उनकी गुरु थी। उनकी मां ने उन्हें शिक्षा दी थी कि सदैव हारने वाले पक्ष की सहायता करनी चाहिए। उन्होंने मां आदिशक्ति की बहुत तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्हें तीन बाण प्राप्त हुएं। इसलिए उन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। उन्हें एक दिव्य धनुष भी प्राप्त हुआ जो बर्बरीक को तीनों लोकों में विजय प्राप्त करने में समर्थ था। बर्बरीक को जब कौरवों और पांडवों के मध्य होने वाले युद्ध की सूचना मिली तो वह भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी मां से आशीर्वाद लिया और अपनी मां से वादा किया कि हारने वाले पक्ष का साथ देगा। बर्बरीक के तीन बाण BARBARIK KI TEEN BAAN जब बर्बरीक कहने लगे कि मैं पहला बाण उनको चिंहित करेगा जिनकी रक्षा करनी है। दूसरा बाण उनको चिंहित करेगा जिनका वध करना है। तीसरा बाण से वध करने वाले चिंहित योद्धाओं और सेना का वध करके वापिस मेरे तरकश में आ जाएगा। बर्बरीक कहने लगे कि उनके यह बाण सम्पूर्ण सेना को नष्ट कर सकते और उनके यह तीर पुनः उनके तरकश में वापस आ जाते हैं। श्री कृष्ण ने बर्बरीक के बाणों को परखने के लिए कहा कि वह सामने जो पीपल का पेड़ है उसके समस्त पत्तों में छेद करके दिखाएं। बर्बरीक ने अपने बाण को पीपल के पेड़ के पत्तों में छेद करने की आज्ञा दी। बाण सभी पत्तों को भेद कर श्री...

Barbarik पूर्व जन्म में कौन था। बर्बरीक को खाटू श्याम जी क्यों कहते हैं ?

Barbarik, पूर्व जन्म बर्बरीक महाभारत से बहुत पहले पूर्व जन्म में एक यक्ष थे । जिन्हें विष्णु भगवान का अपमान करने की वजह से ब्रह्मा जी ने श्राप दिया था। एक बार भगवान ब्रह्मा जी और कई अन्य देव बैकुंठ लोक आए और भगवान विष्णु से कहा की धरती पर अधर्म बढ़ रहा है।उन्हें रोकने और उनका अत्याचार बंद करने के लिए भगवान विष्णु की मदद लेने आए। भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा कि वह जल्द ही एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेंगे और सभी पृथ्वी को पाप मुक्त करेंगे ।लेकिन तभी एक यक्ष ने देवताओं से कहा कि इस कार्य के लिए भगवान विष्णु को पृथ्वी पर अवतार लेने क्या आवश्यकता है। वह अकेले ही सभी दुष्टों का संहार करने के लिए पर्याप्त है। यह सुन ब्रह्मा जी को बहुत दुख हुआ। भगवान ब्रह्मा ने यक्ष को श्राप दे दिया जब भी पृथ्वी पर पाप बहुत ज़्यादा बढ़ जाएगा। तब, दुष्टों , आतंकियों आदि का करने से पहले भगवान विष्णु पहले उसका वध करेंगे। और वह एक दैत्य जाति में जन्म लेगा। इस श्राप के अनुसार यक्षराज को किसी दैत्य कुल में जन्म लेना था।यक्षराज यह बात सुनकर घबरा गए। और उन्होंने ब्रह्मदेव देव से विनती करी कि: यक्ष गंधर्व और देवता सिर्फ अच्छे कामों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन दैत्य दुष्ट, अधर्मी होते हैं और आतंक के लिए जाने जाते हैं। इसलिए कृपया कृपया मुझे क्षमा करें और मुझे दैत्य कुल में जन्म लेने का श्राप ना दें। विष्णु जी का आशीर्वाद: बार-बार कहने पर ब्रह्मा जी को यक्षराज पर दया आ गई, लेकिन श्राप अब वापस नहीं हो सकता था। ब्रह्मा जी बोले की आप विष्णु भगवान की शरण में जाइये। वही कोई लीला रच कर आपकी मदद कर सकते हैं। यक्षराज बैकुंठ लोक पहुंचे और वहां विष्णु जी से भी यही विनती करी। विष्णु जी ने भी श्राप को वापस लेन...