बुद्धि विलास ग्रंथ के लेखक

  1. बुद्धि


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बुद्धि

लोगों की राय • चौकड़िया सागर Yes Arvind Yadav • सम्पूर्ण आल्ह खण्ड Rakesh Gurjar • हनुमन्नाटक Dhnyavad is gyan vardhak pustak ke liye, Pata hi nai tha ki Ramayan Ji ke ek aur rachiyeta Shri Hanuman Ji bhi hain, is pustak ka prachar krne ke liye dhanyavad Pratiyush T • क़ाफी मग " कॉफ़ी मग " हल्का फुल्का मन को गुदगुदाने वाला काव्य संग्रह है ! " कॉफ़ी मग " लेखक का प्रथम काव्य संग्रह है ! इसका शीर्षक पुस्तक के प्रति जिज्ञासा जगाता है और इसका कवर पेज भी काफी आकर्षक है ! इसकी शुरुआत लेखक ने अपने पिताजी को श्रद्धांजलि के साथ आरम्भ की है और अपने पिता का जो जीवंत ख़ाका खींचा है वो मनोहर है ! कवि के हाइकु का अच्छा संग्रह पुस्तक में है ! और कई हाइकू जैसे चांदनी रात , अंतस मन , ढलता दिन ,गृहस्थी मित्र , नरम धूप, टीवी खबरे , व्यवसाई नेता व्यापारी, दिए जलाये , आदि काफी प्रासंगिक व भावपूर्ण है ! कविताओं में शीर्षक कविता " कॉफ़ी मग " व चाय एक बहाना उत्कृष्ट है ! ग़ज़लों में हंसी अरमां व अक्सर बड़ी मनभावन रचनाये है ! खूबसूरत मंजर हर युवा जोड़े की शादी पूर्व अनुभूति का सटीक चित्रण है व लेखक से उम्मीद करूँगा की वह शादी पश्चात की व्यथा अपनी किसी आगामी कविता में बया करेंगे ! लेखक ने बड़ी ईमानदारी व खूबसूरती से जिंदगी के अनुभवों, अनुभूतियों को इस पुस्तक में साकार किया है व यह एक मन को छूने वाली हल्की फुल्की कविताओं का मनोरम संग्रह है ! इस पुस्तक को कॉफी मग के अलावा मसाला चाय की चुस्की के साथ भी आनंद ले Vineet Saxena • आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास Bhuta Kumar • पांव तले भविष्य 1 VIJAY KUMAR • कारगिल Priyanshu Singh Chauhan • सोलह संस्कार kapil thapak • सोलह संस्कार kapil thapak • कामसूत्रकालीन समाज एव...

बुद्धि

अनुक्रम • 1 प्रस्तावना • 2 बुद्धि की परिभाषा • 2.1 बुद्धि सामान्य योग्यता • 2.2 बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है • 2.3 बुद्धि समस्त विशिष्ट योग्यताओं का योग है • 3 बुद्धि के सिद्धान्त • 3.1 बिने का एक-कारक सिद्धान्त • 3.2 द्वितत्व सिद्धान्त • 3.3 त्रिकारक बुद्धि सिद्धान्त • 3.4 थार्नडाइक का बहुकारक बुद्धि सिद्धान्त • 3.5 थर्स्टन का समूह कारक बुद्धि सिद्धान्त • 3.6 थॉमसन का प्रतिदर्श सिद्धान्त • 3.7 कैटल का बुद्धि सिद्धान्त • 3.8 बर्ट तथा वर्नन का पदानुक्रमित बुद्धि सिद्धान्त • 3.9 गिलफोर्ड का त्रि-आयाम बुद्धि सिद्धान्त • 3.10 गार्डनर बहुबुद्धि सिद्धान्त • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें प्रस्तावना [ ] प्राचीन काल से ही बुद्धि ज्ञानात्मक क्रियाओं में चर्चा का विषय रहा है। कहा जाता है कि, 'बुद्धिर्यस्य बलं तस्य' अर्थात् जिसमें बुद्धि है वही बलवान है। बुद्धि के कारण ही मानव अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना जाता है। बुद्धि के स्वरूप पर प्राचीन काल से ही मतभेद चले आ रहे हैं तथा आज भी मनोवैज्ञानिकों तथा शिक्षाविदों के लिए भी बुद्धि वाद-विवाद का विषय बना हुआ है। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से भी बुद्धि के स्वरूप को समझने हेतु मनोवैज्ञानिकों ने प्रयास प्रारम्भ किए परन्तु वे भी इसमें सफल नहीं हुए तथा बुद्धि की सर्वसम्मत परिभाषा न दे सके। वर्तमान में भी बुद्धि के स्वरूप के सम्बंध में मनोवैज्ञानिकों के विचारों में असमानता है। अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप को अलग-अलग ढंग से पारिभाषित किया। बुद्धि की परिभाषा [ ] मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि की परिभाषाओं को तीन वर्गों में रखा है- • बुद्धि सामान्य योग्यता है। • बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है। • बुद्धि समस्त विशिष्ट योग्यताओं ...