चंद्र ग्रहण क्यों होता है

  1. Chandra Grahan 2022: इन ग्रहों के संयोग से होता है चंद्र ग्रहण, क्या है ज्योतिष और वैज्ञानिक कारण
  2. Chandra Grahan 2023 & Pregnant women: गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों अच्छा नहीं होता चंद्र ग्रहण?
  3. chandra grahan 2023: Why May 5 Lunar Eclipse Is Rare Know why the moon will turn black during the eclipse
  4. ग्रहण
  5. चंद्रग्रहण क्या है? : कब और कैसे लगता है? इसका कारण क्या होता है?
  6. चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव


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Chandra Grahan 2022: इन ग्रहों के संयोग से होता है चंद्र ग्रहण, क्या है ज्योतिष और वैज्ञानिक कारण

डीएनए हिंदीःसूर्य ग्रहण लगने के बाद अब साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है. धर्म ग्रंथों में भी सूर्य व चंद्र ग्रहण का वर्णन मिलता है. इस बार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 08 नवंबर को लगेगा जो भारत में दृश्यमान होगा. ज्योतिषविदों के अनुसार साल के आखिरी चंद्र ग्रहण के मौके पर ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है. भारतीय जनमानस के बीच ग्रहण से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं. कई लोग इसे शकुन-अपशकुन से जोड़कर भी देखते हैं. ग्रहण क्यों लगता है, इसे लेकर ज्योतिष शास्त्र, धर्म ग्रंथ व खगोल विज्ञान में अलग-अलग मत है. चलिए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र, धर्म ग्रंथ व खगोल विज्ञान का इस संदर्भ में क्या मत है? कब और कितने बजे लगेगा चन्द्र ग्रहण (LunarEclipse Date and Time) इस बार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और जो कि शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह भी पढ़ें- ज्योतिष शास्त्र से जानें क्यों होता है ग्रहण? (Astrology Reason For The Lunar Eclipse) ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब भी सूर्य-चंद्रमा के साथ राहु या केतु का योग बनता है तब सूर्य व चंद्र ग्रहण लगता है. हाल ही में हुए सूर्य ग्रहण के समय तुला राशि में सूर्य-चंद्रमा के साथ केतु भी था. साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को होने जा रहा है, इस दिन मेष राशि में चंद्रमा के साथ राहु के होने का योग बन रहा है. राहु-केतु को छाया ग्रह माना जाता है. ऐसे में जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है तो इन दोनों ग्रहों का संयोग जरूर बनता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार क्यों होता है ग्...

Chandra Grahan 2023 & Pregnant women: गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों अच्छा नहीं होता चंद्र ग्रहण?

ग्रहणकाल में गर्भवती महिलाओं का बाहर जाना सही नहीं वैसे तो ये खगोलीय घटना है जो कि हर साल अंतरिक्ष में घटित होती हैं लेकिन ज्योतिष के हिसाब से ग्रहण गर्भ में पल रहे शिशुओं के लिए अच्छा नहीं होता है इसलिए ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को काफी सावधान रहने के लिए कहा जाता है। हालांकि इसका कोई मेडिकल प्रूफ नहीं लेकिन इतना तय है कि ग्रहण के दौरान ब्रह्मांड में बहुत सारी ऊर्जाएं निकलती हैं,जो कि प्रेग्नेंट लेडी और उसके बच्चे के लिए सही नहीं होता है, इसलिए ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं का बाहर ना जाना ही उचित होता है। बच्चा कटे कान या नाक के साथ पैदा हो सकता है? इसके अलावा कहा जाता है कि ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को कैंची या चाकू प्रयोग वर्जित है या फिर उन्हें सिलाई का कोई काम नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से होने वाला बच्चा कटे कान या नाक के साथ पैदा हो सकता है। अब इसका भी कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं। आज तक ये प्रमाणित नहीं हो पाया है कि कोई बच्चा कटे हुए कान या कटे हुए नाक के साथ पैदा हुआ है तो उसका कारण ग्रहण हो। लेकिन इतना सच है कि काटने या सिलने का काम बहुत ज्यादा थकाने वाला है इसलिए महिलाओं को ये काम करने से रोका जाता है। वैसे भी ग्रहणकाल में वातावरण बहुत सारी ऊर्जाओं की वजह से गर्म होता है और गर्भवती महिला को नार्मल महिला से ज्यादा ही गर्मी लगती है, ऐसे में अगर वो ग्रहणकाल में काटने-सिलने का काम करेगी तो निश्चित तौर पर उसे थकान होगी, जो कि उसके बच्चे के लिए भी सही नहीं होगा इसलिए गर्भवती महिलाओं को ये काम करने से रोका जाता है। गर्भवती महिला जरूर करें ये काम ग्रहणकाल में हर गर्भवती महिला को ईश्वर का ध्यान करना चाहिए और अपने को प्रसन्न औऱ शांत करने वाले काम करन...

chandra grahan 2023: Why May 5 Lunar Eclipse Is Rare Know why the moon will turn black during the eclipse

Is Lunar eclipse visible in India 2023: 5 मई को होने वाला चंद्रग्रहण उपच्छाया या पेनुमब्रल है। पेनुमब्रल ग्रहण और नॉर्मल चंद्र ग्रहण के बीच मुख्य अंतर पृथ्वी की छाया का वह हिस्सा है जिससे चंद्रमा गुजरता है। एक चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा गर्भ से होकर गुजरता है, जिससे यह लाल रंग का दिखाई देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का वातावरण सूर्य के प्रकाश को बिखेरता है और इसे चंद्रमा पर परावर्तित करता है, जिससे यह लाल रंग का हो जाता है। लगने जा रहा साल का पहला चंद्रग्रहण, इन 4 राशियों के जातकों के लिए कष्टकारी जबकि पेनुमब्रल ग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी के गर्भ से नहीं गुजरता है और इसलिए लाल नहीं होता है। इसके बजाय, यह पेनुम्ब्रा से होकर गुजरता है, जो पृथ्वी की छाया का बहुत हल्का और ज्यादा फैला हुआ हिस्सा है। पेनुमब्रल चंद्रग्रहण क्या भारत में आएगा नजर- साफ आसमान और अनुकूल मौसम में ही उपच्छाया चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस, मध्य और पूर्वी अफ्रीका, अंटार्कटिका और यूरोप के कुछ हिस्से भी इस दुर्लभ घटना को देख सकेंगे। हालांकि, ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका या यूरोप के ज्यादातर हिस्सों से बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगा, क्योंकि चंद्रमा पूरे समय तक क्षितिज से नीचे रहेगा, हमारा ग्रह चंद्र छाया में रहेगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण का भारत में शुरु व खत्म होने का समय- उपच्छाया चंद्र ग्रहण शुक्रवार को रात 8:45 बजे शुरू होगा और शनिवार को दोपहर 1:02 बजे खत्म होगा। ग्रहण शुक्रवार को भारतीय समयानुसार रात 10 बजकर 56 मिनट पर चरम पर होगा। चंद्रग्रहण को कैसे देखें- ग्रहण को नग्न आंखों से देखना सुरक्षित नहीं माना गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रहण को देखने ...

ग्रहण

सूर्य या चन्द्र ग्रहण तभी हो सकता है , जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा लगभग एक सीधी रेखा में हों । चूँकि चंद्रमा का कक्षा का तल पृथ्वी की कक्षा के तल से झुका हुआ है, इस लिए हर पूर्णिमा और अमावस्या को ग्रहण नहीं होते। ये दोनों कक्षाएँ जिन बिंदुओं पर मिलती हैं उन्हें चन्द्रपात कहते हैं। पृथ्वी के अपनी कक्षा में घूमने के प्रभाव को सूर्य के आभासी मार्ग द्वारा भी समझा जा सकता है , इसको ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य और चन्द्रमा चन्द्रपातों के निकट हों । ऐसा वर्ष में दो बार होता है । एक कैलेंडर वर्ष में चार से सात ग्रहण हो सकते हैं , एक 1901 और 2100 के बीच में एक वर्ष में अधिकतम सात ग्रहण हैं: • चार चंद्र (उपछाया ग्रहण) और तीन सूर्य ग्रहण: 1908, 2038 । • चार सूर्य और तीन चंद्र ग्रहण: 1918, 1973, 2094। • पांच सौर और दो चंद्र ग्रहण: 1934। उपछाया चंद्र ग्रहणों को छोड़कर, इसमें अधिकतम सात ग्रहण होते हैं: • 1591, 1656, 1787, 1805, 1918, 1935, 1982 और 2094। सूर्यग्रहण [ ] यदि सूर्य और चन्द्रमा बिलकुल सटीक चन्द्रपात पर हैं तो या तो पूर्ण सूर्य या वलयाकार सूर्य ग्रहण होंगे। चन्द्रमा के पृथ्वी के निकट होने पर पूर्ण और दूर होने पर वलयकार सूर्य ग्रहण होगा। चन्द्रमा में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता इसलिए वलयकार सूर्य ग्रहण भी लगभग पूर्ण सूर्य ग्रहण जैसा ही दिखाई देता है , बस इसमें पूर्णता से समय हल्का का सूर्य का किनारा दिखाई देता है जिसे अग्नि कुण्डल ( रिंग ऑफ़ फायर) कहते है। पूर्ण सूर्य ग्रहण तब दिखाई देता है दर्शक चन्द्रमा की छाया के गर्भ अर्थात प्रच्छाया में हो । उपछाया से देख रहे दर्शकों को आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखाई देता है। कभी कभी सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी के किसी भी भाग पर प्रच्छाया नहीं प...

चंद्रग्रहण क्या है? : कब और कैसे लगता है? इसका कारण क्या होता है?

मेरा नाम गीता मौर्या है। मैं कंप्यूटर बेसिक नॉलेज कोर्स से सर्टिफाइड हूँ। फिलहाल मै बीए कर रही हूँ। कंटेंट राइटिंग और सरल तरीके से नए विचारधारा का लेख लिखना मुझे पसंद है। मै सही और गलत वेबसाइट के मंच के ज़रिये यह चाहती हूँ की पुरे दुनिया भर में हिंदी भाषा और हिंदी लेख के माध्यम से हर तरह के ज्ञान का प्रसार किया जाए। July 24, 2019 August 5, 2019 March 6, 2019 May 20, 2018 March 22, 2020 January 2, 2018 February 14, 2019 July 11, 2020 January 12, 2020 January 5, 2020 February 19, 2019 March 2, 2019 May 19, 2018 May 29, 2020 April 7, 2019 March 12, 2018 March 30, 2018 July 3, 2020 February 17, 2019 June 15, 2020 April 4, 2020 July 24, 2019 April 8, 2021 July 7, 2018

चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

|| चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (What is lunar eclipse? Why it always happens on purnima? What should be done during lunar eclipse? What effect will Lunar eclipse have on different rashis?) || चंद्रग्रहण (lunar eclipse) को लेकर हमेशा से लोगों के मन में एक उत्सुकता बनी रही है। बहुत से लोग इसे महज एक वैज्ञानिक घटना मानते हैं, लेकिन अधिसंख्य ऐसे हैं जो हिंदू मान्यताओं पर विश्वास करते हैं। और जिन्हें लगता है कि चंद्र ग्रहण का उनके जीवन पर बड़ा असर पड़ता है। 8 नवंबर, 2023 को वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण लग रहा है। आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि चंद्र ग्रहण क्या होता है? चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण लगने पर क्या करना चाहिए? आदि। आइए, शुरू करते हैं- 1.14 इस चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर क्या असर पड़ेगा? चंद्र ग्रहण क्या होता है? (What is lunar eclipse) दोस्तों, यदि हम चंद्रग्रहण क्या होता है? (What is lunar eclipse?) इस सवाल का जवाब तलाशते हैं तो हमारे सामने चंद्रग्रहण लगने के दो पहलू सामने आते हैं। एक है चंद्रग्रहण लगने का वैज्ञानिक कारण (scientific reason) एवं दूसरा धार्मिक मान्यता (religious belief)। आइए, सबसे पहले बात विज्ञान से जुड़े पहलू की करते हैं। हम सभी ने अपने बचपन से विज्ञान की किताबों में पढ़ा है ही पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। यानी उसके चारों तरफ घूमती है। इसी प्रकार चंद्रमा हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता है। दोस्तों, इस प्रक्रिया में एक समय ऐसा आता है, जब चांद, पृथ्वी एवं सूरज तीनों एक ही स...