चार मीनार किसने बनवाया था

  1. चारमीनार: हैदराबाद की पहचान
  2. चार मीनार का इतिहास
  3. क़ुतुब मीनार ( Qutub Minar In Hindi )
  4. चारमीनार का इतिहास और रोचक बातें
  5. चारमीनार कहाँ स्थित है? चार मीनार का इतिहास
  6. कुतुबमीनार का इतिहास, कितना पुराना है और किसने बनवाया, जानिए इसके ध्रुव स्तंभ होने का सच
  7. 10 Lines on Charminar in Hindi । चारमीनार पर 10 लाइन निबंध
  8. चारमीनार पर 10 लाइन (10 lines on Charminar In Hindi) – HistoryDekho.com
  9. कुतुबमीनार का इतिहास, कितना पुराना है और किसने बनवाया, जानिए इसके ध्रुव स्तंभ होने का सच


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चारमीनार: हैदराबाद की पहचान

चारमीनार और हैदराबाद शहर दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। पुराने शहर के चौराहे पर स्थित चार मीनार सदियों से लोगों को रोमांचित करता रहा है। चार दिशावाले चारमीनार के अंदर एक मस्जिद भी है।इस स्मारक ने हैदराबाद शहर को बसते, उजड़ते और फिर बसते देखा है। इसलिये इसे सामुहिक स्मिर्तियों का इस्मार्क भी कहा जा सकता है । चार मीनार सुल्तान मोहम्मद क़ुली क़ुतुब ने सन 1592 में बनवाया था। चार मीनार की कहानी शुरु होती है चार कि.मी. दूर गोलकुंडा क़िले से। गोलकुंडा क़िला किसी समय मछलीपट्टनम बंदरगाह की तरफ़ जाने वाली सड़क पर एक पथरीली जगह हुआ करता था। 16वीं शताब्दी में गोलकुंडा क़ुतुब शाही वंश का गढ़ बन गया था। इस राजवंश का संस्थापक क़ुली क़ुतुब-उल-मुल्क ईरान में हमादान का रहने वाला था। वह दक्षिण में आकर बीदर के सुल्तानों बहमनी के यहां काम करने लगा। सुल्तान मोहम्मद क़ुली क़ुतुब | विकिमीडिआ सन 1518 में बहमनी साम्राज्य के पतन के बाद क़ुली क़ुतुब-उल-मुल्क ने राजवंश से ख़ुद को आज़ाद कर गोलकुंडा को अपनी राजधानी बना लिया। कृष्णा घाटी का हीरा पूरे विश्व में गोलकुंडा हीरा नाम से मशहूर हो गया था और आंध्रा के कपड़े की वजह से गोलकुंडा विश्व का सबसे अमीर साम्राज्य बन गया था। 18वीं शताब्दी के अंत तक ब्राज़ील में हीरे की खान मिलने के पहले तक गोलकुंडा ही विश्व में हीरे का एकमात्र स्रोत हुआ करता था। हीरे की खान की वजह से सारी दुनिया से लोग गोलकुंडा आते थे और इस तरह गोलकुंडा एशिया का एक महत्वपूर्ण शहर बन गया था। लेकिन गोलकुंडा की संपदा और समृद्धी की वजह से शहर में भीड़ होने लगी और बीमारियां भी फैलने लगी थीं। सन 1590 तक धनवान लोग शहर छोड़कर जाने लगे। उन्होंने शहर से निकलकर मुसी नदी की दूसरी तरफ़ बाग़ा वाले घर बनाने...

चार मीनार का इतिहास

हैदराबाद का चारमीनार आंध्र प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है. जितना पेरिस का एफिल टावर प्रसिद्ध है उतना ही हैदराबाद का चारमीनार प्रसिद्ध है. चारमीनार का अर्थ चार टावर होता है. हैदराबाद का चारमीनार मुसी नदी के किनारे पर स्थित है. चार मीनार को सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था. चारमीनार को तकरीबन 450 साल पहले ही बनाया गया था. जो चारमीनार आज हैदराबाद के बीचो बीच स्थित है. जब चार मीनार का निर्माण किया गया था.उसके बाद चार मीनार के चारों और उसके आसपास शहर भी बनवाया गया था. चारमीनार के उत्तर में प्रमुख मुख्य द्वार है जहां चार प्रवेश द्वार है. जिसे चार कमान बोलते हैं. हैदराबाद शहर का निर्माण 1591 में कुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था. चारमीनार की वजह से हैदराबाद पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. गोलकुंडा और पोर्ट शहर मछलीपट्टनम के ऐतिहासिक व्यापार मार्ग को जोड़ने के लिए चार मीनार का निर्माण किया गया था. चारमीनार को बनाने के पीछे एक और कारण भी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि उस समय हैदराबाद के आसपास प्लेग रोग बहुत ही अधिक फैल गया था. और इस बीमारी से निपटने के लिए वहां के सुल्तान कुली कुतुब शाह ने बहुत ही कड़े कदम उठाए थे. और वे इस बीमारी से बहुत हद तक कम भी कर दिए थे. कब प्लेग बीमारी के अंत होने के चिन्ह के रूप में ही कुतुब मीनार का निर्माण किया गया था. चारमीनार बनने के बाद से ही हैदराबाद और चारमीनार शहर एक दूसरे का पर्याय बन चुके थे. हैदराबाद की चारमीनार की संरचना वर्गाकार है. इसका हर साइड 20 मीटर लंबा है. चारमीनार में हर दिशा में एक एक दरवाजा है. जो अलग-अलग बाजारों की ओर खुलता है. इसके प्रत्येक कोण में 56 मीटर ऊंची मीनार बन...

प्रश्नसमुच्चय

सामग्री • १ आधुनिक भारत का इतिहास • २ मध्यकालीन भारत • ३ मराठा राज्य • ४ मुगल साम्राज्य • ५ सूफी आंदोलन • ६ भक्ति आंदोलन • ७ विजयनगर साम्राज्य • ८ सल्तनत काल • ९ पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) • १० पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत) आधुनिक भारत का इतिहास [ ] • किसके काल में ‘बोर्ड ऑफ रेवन्यू’ की स्थापना हुई — हेस्टिंग्स के • किस अंग्रेज को प्रशासनिक सेवा का जनक कहा जाता है — कॉर्नवालिस को • कलकता में स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना किसने की — लॉर्ड वेलेजली ने • टैंसी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम कब लागू हुआ — 1822 में • बैरकपुर में सैन्य विद्रोह कब आरंभ हुआ — 1824 में • किस गर्वनर जनरल का कार्यकाल शिक्षा सुधारों के लिए माना जाता है — विलियम बैंटिंक • कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना कब और किसने की — 1835 ई., विलियम बैंटिंक ने • बालिका हत्या पर प्रतिबंध कब लगाया गया — 1830 में • किसे ‘भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता’ कहा जाता है — लॉर्ड चाल्र्स मेटकॉफ को • ‘इनाम कमीशन’ की स्थापना किसने की — लॉर्ड डलहौजी ने • किस कर व्यवस्था के अंतर्गत किसानों से उपज का 50% वसूला जाता था — रैयतवाड़ी व्यवस्था • नरबलि प्रथा का अंत किस गवर्नर के काल में हुआ —लाॅड डलहौजी • भारत से ब्रिटेन की ओर ‘संपत्ति के अपवहन’ का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया — दादाभाई नौरोजी • भारत में टेलीग्राफ लाइन किसके द्वारा शुरू की गई — कलकत्ता व आगरा,लाॅड डलहौजी • भारत में पहली सूती वस्त्र मिल कहाँ स्थापित की गई — mumbai • भारत में अंग्रेजों की लूट किस महत्वपूर्ण घटना के बाद शुरू हुई — प्लासी के युद्ध के बाद • भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसने बिछवाई — जार्ज क्लार्क • भारत में ब्रिटिश भू-राजस्व प्रणाली का अधिक लाभ किसे प...

क़ुतुब मीनार ( Qutub Minar In Hindi )

241 Qutub Minar In Hindi :- हमारे भारत देश में कई ऐसे पर्यटन स्थल है, जो इतिहास द्वारा बनाए गए हैं। यह सभी स्थल देखने में भी काफी आकर्षक लगते हैं और भारत देश की संस्कृति को भी दर्शाते हैं। आज के इस लेख में हम ऐसे ही पर्यटक स्थल क़ुतुब मीनार की बात करने वाले हैं। आज भी कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें नहीं पता कि Qutub Minar Khan Sthit hai ? इसलिए आज के इस लेख में हम क़ुतुब मीनार से संबंधित जानकारी ( Qutub Minar In Hindi ) प्रदान करने वाले हैं। यदि आप भी क़ुतुब मीनार से संबंधित जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख में हमारे साथ अंत तक बने रहे। Inside Contents • • • • क़ुतुब मीनार कहां स्थित है ? ( Qutub Minar In Hindi ) क़ुतुब मीनार भारत देश के दिल्ली शहर में महरौली भाग में स्थित है। यह दिल्ली और विश्व की सबसे ऊंची मीनार है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर और व्यास 14.3 मीटर है। शिखर से इसका व्यास 2.75 मीटर हो जाता है। क़ुतुब मीनार का निर्माण 1193 में शुरू हुआ था और विभिन्न स्तरों पर इसका निर्माण पूरा हुआ। यह लाल बलुआ ईंट और मार्बल से बनी बहुत ही ऊंची मीनार है, जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस ऊंची मीनार में कुल 5 मंजिला है और हर मंजिल से पूरी दिल्ली को देखना काफी आकर्षक होता है। दिल्ली में केवल भारतीय पर्यटक ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटक भी इस क़ुतुब मीनार को देखने आते हैं। क़ुतुब मीनार में कुल 379 सीढ़ियां है। साथ ही इसके चारों तरफ कई भारतीय कलाकृतियां भी बनी हुई है, जो काफी आकर्षक लगती है। क़ुतुब मीनार किसने बनवाया था ? ( क़ुतुब मीनार बनने का इतिहास ) क़ुतुब मीनार का निर्माण 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था। कहा जाता है, कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में अंतिम ह...

चारमीनार का इतिहास और रोचक बातें

Contents • • • • • चार मीनार की जानकारी – Charminar Information in Hindi चार मीनार मुसि नदी के किनारे स्थित हैं। चारमीनार के बायीं तरफ लाड बाज़ार और दक्षिण तरफ मक्का मस्जिद है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि चार मीनार का शाब्दिक अर्थ होता है— चार टॉवर (Eng – Four Tower)। यह भव्य इमारत प्रचीन काल की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है। इस टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें हैं, जो कि चार मेहराब से जुड़ी हुई हैं। मेहराब मीनार को सहारा भी देता है। जब कुली कुतुब शाही ने गोलकुंडा के स्थान पर हैदराबाद को नई राजधानी बनाया, तब चारमीनार का निर्माण करवाया गया था। चार मीनार निर्माण के बारे में प्रसिद्द कथाए और इतिहास – Charminar History in Hindi 1). चारमीनार 1591 में शहर के अंदर प्‍लेग बीमारी की समाप्ति की खुशी में मोहम्‍मद कुली क़ुतुब शाह द्वारा बनवाई गई थी। माना जाता हैं की इस बीमारी की वजह से बहुत से लोग मर जातें थे इसलिए क़ुतुब शाह ने दुआ किये थी की ये बीमारी ठीक होने पर मस्जिद का निर्माण किया जाए। हैजा खत्म होने के बाद इसे शहर के बीचोंबीच बनाया गया था। 2). जाने-माने इतिहासकार मसूद हुसैन खान का कहना है की चारमीनार का निर्माणकार्य 1592 में पूरा हुआ था और हैदराबाद शहर की खोज 1591 में की गयी थी। किताब “डेज ऑफ़ द बीलव्ड” के अनुसार कुतुब शाह ने 1589 में चारमीनार का निर्माणकार्य शुरू किया था। इसका निर्माण उन्होंने उसी जगह पर किया था जहा उन्होंने अपनी भविष्य की रानी भागमती को पहली बार देखा था और रानी के इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद उन्होंने शहर का नाम हैदराबाद रखा था। लेकिन इस कहानी को इतिहासकारों और विद्वानों ने झूटी बताया था, लेकिन स्थानिक लोगो का इस कहानी पर काफी विश्वास था...

चारमीनार कहाँ स्थित है? चार मीनार का इतिहास

प्राचीन और आधुनिकता के मिश्रण के साथ, हैदराबाद शहर आधुनिक इमारतों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 400 साल पुरानी कुतुब शाही वास्तुकला की कुछ बेहतरीन इमारतो का मिश्रण है – जैसे जामी मस्जिद, मक्का मस्जिद, टोली मस्जिद, और निश्चित रूप से हैदराबाद की निशानी यानी चारमीनार। चारमीनार हैदराबाद की मुख्य इमारतो में से एक है। यह कहा जाता है कि चारमीनार की चार मीनारें इस्लाम के पहले चार खलीफाओं की प्रतीक हैं। कहा जाता है कि चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही पता है। चारमीनार का निर्माण 1591 ई में कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने किया। भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में बनी यह ईमारत एक स्मारक और मस्जिद है। वर्तमान में यह स्मारक हैदराबाद की वैश्विक धरोहर बनी हुई है और साथ ही चारमीनार भारत के मुख्य स्मारकों में भी शामिल है। चारमीनार का निर्माण मुसी नदी के पूर्वी तट पर किया गया है। चारमीनार के बायीं तरफ लाड बाज़ार और दक्षिण तरफ मक्का मस्जिद है। आर्कियोलॉजिकल एंड आर्किटेक्चरल ट्रेज़र में इसे “स्मारकों की सूची” में भी शामिल किया गया है। चारमीनार का इंग्लिश नाम उर्दू शब्द चार और मीनार के रूपांतर से बना हुआ है, इसका इंग्लिश नाम “फोर टावर” है। चार मीनार का इतिहास (Charminar History in Hindi) स्मारक को लेकर इतिहास में कई पौराणिक कथाये हैं आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) के अनुसार, चारमीनार के बारे फ़िलहाल यह रिकॉर्ड दर्ज किया गया है ...

कुतुबमीनार का इतिहास, कितना पुराना है और किसने बनवाया, जानिए इसके ध्रुव स्तंभ होने का सच

Qutub MinarHistory of Vishnu dhruv stambha Qutub Minar : कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ या विष्णु स्तंभ कहे जाने की बात एक बार फिर उठी है। हिन्दू इतिहास के जानकार कहते हैं कि पहले यह एक वैधशाला थी जहां पर से खगोलीय घटनाओं को देखकर दर्ज किया जाता था। 2.5 मीटर ऊँची यह मीनार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारकों की सूची में भी शामिल है। आओ जानते हैं कि क्या यह सच है। 1. कहते हैं कि कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में शुरू करवाया था। इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिले जुड़वाई। फिर सन् 1386 में मीनार को दुर्घटना के बाद दुरुस्त करवाया फिरोजशाह तुगलक ने। कहते हैं कि इस इमारत का निर्माण शुरू करने वाला कुतुबद्दीन एबक मोहम्मद गोरी का गुलाम था और उसने अपने मालिक के लिए इसकी नींव रखी थी। 2. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर ही इस मीनार का नाम पड़ा जबकि कुछ बताते हैं कि बगदाद के संत कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर इस मीनार का नाम कुतुबमीनार पड़ा। यह भी कहते हैं कि अरबी में 'कुतुब' को एक 'धुरी', 'अक्ष', 'केन्द्र बिंदु' या 'स्तम्भ या खम्भा' कहा जाता है। कुतुब को आकाशीय, खगोलीय और दिव्य गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार कुतुब मीनार का अर्थ खगोलीय स्तम्भ या टॉवर होता है। 1. कुतुब मीनाकर के संबंध में प्रो. एमएस भटनागर गाजियाबाद ने दो लेख लिखे हैं जिनमें इसकी उत्पत्ति, नामकरण और इसके इतिहास की समग्र जानकारी है। इनमें उस प्रचलित जानकारियों को भी आधारहीन सिद्ध किया गया है जो कि इसके बारे में इतिहास में दर्ज हैं या आमतौर पर बताई जाती हैं। उन्होंने इस अद्वितीयी और अपूर्व इमारत के बारे में सच्चाई जाहिर करने का दावा किया है और इससे जुड़ीं सभी भ्रामक जानकारियों, व...

10 Lines on Charminar in Hindi । चारमीनार पर 10 लाइन निबंध

Table of Contents • • • • Charminar in Hindi चारमीनार भारत के ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। चारमीनार आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में स्थित है। यह हैदराबाद के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। चारमीनार का अर्थ है चार मीनारो वाला अर्थात Four Tower। इसका निर्माण लगभग 450 वर्ष पूर्व सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था। सुल्तान कुतुब शाही राजवंश के पांचवे शासक थे। मोहम्मद कुली कुतुब शाह इब्राहिम कुली कुतुब शाह के तीसरे पुत्र थे। कुली कुतुब शाह ने चारमीनार को 1591 में बनाया था। गोलकुंडा तब वहां की राजधानी हुआ करती थी। कुतुब शाह ने गोलकुंडा पर लगभग 31 वर्षों तक शासन किया था। चार मीनार के निर्माण के बाद इसके चारों ओर का शहर धीरे-धीरे विकसित हुआ। चारमीनार के उत्तर में इसका प्रमुख प्रवेश द्वार है, जिसे चार कमान कहते हैं। चार मीनार की स्थापना हेतु विख्यात फारसी आर्किटेक्चर को बुलाया गया था। इस मीनार को इस्लामिक वास्तुकला शैली में बनाया गया है पर कहीं-कहीं इसमें फारसी वास्तुकला के नमूने भी देखने को मिल जाते हैं। पहले इसका निर्माण एक मस्जिद और मदरसा के रूप में हुआ था। चार मीनार लगभग 48.7 मीटर ऊंचा है। चार मीनार के निर्माण के पीछे कहानी यह है कि इसका निर्माण इसलिए हुआ ताकि गोलकुंडा और मछलीपट्टनम के मार्ग को व्यापार के लिए जोड़ा जा सके। इसके निर्माण के पीछे दूसरी कहानी यह है कि उस वक्त हैदराबाद में प्लेग भयंकर रूप से फैल रहा था और उस वक्त सुल्तान कुली कुतुब शाह ने इसके निवारण के लिए बड़े ही सख्त प्रयास किए थे। उनकी कोशिशें रंग लाई और प्लेग से लोगों को छुटकारा मिल गया था मिसाल के तौर पर कुली कुतुब शाह ने एक मीनार बनवा दिया जोकि चारमीनार के नाम से प्रसिद्ध हुआ। चारमीनार के निर्माण ...

चारमीनार पर 10 लाइन (10 lines on Charminar In Hindi) – HistoryDekho.com

• चारमीनार हमारे भारत देश के लोकप्रिय एतिहासिक स्थलों में से एक है। • भारत देश का यह लोकप्रिय एतिहासिक स्थल हैदराबाद शहर में स्थित है। • चारमीनार को सन 1591 में बनाया गया था। • इस एतिहासिक स्थल का निर्माण क़ुतुब शाही वंश के पांचवें शासक सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने किया था। • चारमीनार की ऊंचाई लगभग 56 मीटर तक है। • चारमीनार को हैदराबाद शहर का प्रतीक माना जाता है। • पर्यटन स्थल के रूप में यह एक लोकप्रिय स्थान है, जो अपनी आकर्षक बनावट से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। • इस एतिहासिक स्थल की हर एक भुजा करीब 20 मीटर लंबी है। • चारमीनार की शिल्पकला फारसी शिल्पकला से प्रभावित होकर बनाई गई है, जो इंडो-इस्लामिक शैली को दर्शाती है। • चारमीनार का निर्माण चूना पत्थर, ग्रेनाइट और चूर्णित संगमरमर पत्थर से किया गया है।

कुतुबमीनार का इतिहास, कितना पुराना है और किसने बनवाया, जानिए इसके ध्रुव स्तंभ होने का सच

Qutub MinarHistory of Vishnu dhruv stambha Qutub Minar : कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ या विष्णु स्तंभ कहे जाने की बात एक बार फिर उठी है। हिन्दू इतिहास के जानकार कहते हैं कि पहले यह एक वैधशाला थी जहां पर से खगोलीय घटनाओं को देखकर दर्ज किया जाता था। 2.5 मीटर ऊँची यह मीनार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारकों की सूची में भी शामिल है। आओ जानते हैं कि क्या यह सच है। 1. कहते हैं कि कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में शुरू करवाया था। इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिले जुड़वाई। फिर सन् 1386 में मीनार को दुर्घटना के बाद दुरुस्त करवाया फिरोजशाह तुगलक ने। कहते हैं कि इस इमारत का निर्माण शुरू करने वाला कुतुबद्दीन एबक मोहम्मद गोरी का गुलाम था और उसने अपने मालिक के लिए इसकी नींव रखी थी। 2. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर ही इस मीनार का नाम पड़ा जबकि कुछ बताते हैं कि बगदाद के संत कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर इस मीनार का नाम कुतुबमीनार पड़ा। यह भी कहते हैं कि अरबी में 'कुतुब' को एक 'धुरी', 'अक्ष', 'केन्द्र बिंदु' या 'स्तम्भ या खम्भा' कहा जाता है। कुतुब को आकाशीय, खगोलीय और दिव्य गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार कुतुब मीनार का अर्थ खगोलीय स्तम्भ या टॉवर होता है। 1. कुतुब मीनाकर के संबंध में प्रो. एमएस भटनागर गाजियाबाद ने दो लेख लिखे हैं जिनमें इसकी उत्पत्ति, नामकरण और इसके इतिहास की समग्र जानकारी है। इनमें उस प्रचलित जानकारियों को भी आधारहीन सिद्ध किया गया है जो कि इसके बारे में इतिहास में दर्ज हैं या आमतौर पर बताई जाती हैं। उन्होंने इस अद्वितीयी और अपूर्व इमारत के बारे में सच्चाई जाहिर करने का दावा किया है और इससे जुड़ीं सभी भ्रामक जानकारियों, व...