छत्तीसगढ़ी विवाह गीत

  1. छत्तीसगढ़ के लोक गीत, विवाह संस्कार, जन्म संस्कार, जनजातीय गीत


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छत्तीसगढ़ के लोक गीत, विवाह संस्कार, जन्म संस्कार, जनजातीय गीत

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकगीत /छत्तीसगढ़ी गीत ददरिया लोक गीत ददरिया लोकगीत को छत्तीसगढ़ी“लोकगीतों का राजा” कहते हैं। यह श्रृंगार रस प्रधान गीत है। बरसात में फसल बोते स्रमय युवक व युवतियाँ सवाल-जवाब की शैली में इस गीत के माध्यम स्रे अपने मन की बात एक-दूसरे को पहुंचाते हैं। इस गीत में युवक-युवतियों के परस्पर आकर्षण, प्रेम एवं सौन्दर्य का अत्यंत ही कोमल भाव अभिव्यक्त होता है, इसमें दो-दो पंक्ति के पद होते हैं, जिसे स्त्री-पुरुष मिलकर या अलग-अलग दलों में गाते हैं। दशहरे के अवसर पर जब एक गांव के युवा नर्तक दूसरे गाँव जाते है तब दूसरे गाँव की युवतियाँ दुदरिया गीत से इस दल का स्वागत करती हैं। चंदैनी गायन– संबंधित व्यक्तित्व - श्री शेख हुसैन, लक्ष्मण मस्तुरिया, दीलिप षडंगी, केदार यादव लोरिक-चंदा की प्रेमगाथा पर आधारित यह नाट्य एवं गायन की लोकशैली का क्षेत्रीय संस्करण है।जहां लोरिक को रीवा का और चंदा को आरंग का माना जाता है। टिमकी और ढोलक इस गाने में बजाए जाने वाले प्रमुख वाद्ययंत्र हैं। छत्तीसगढ़ में इस गाथा गीत को मूल रूप से राउत जाति के लोगों द्वारा गाया जाता है। संबंधित व्यक्तित्व - छत्तीसगढ़ में चिन्तादास्त चंदैनी के श्रेष्ठ एवं वरिष्ठ गायको में से एक है। भरथरी भरथरी लोकगाथा में उज्जैन के राजा भरथरी तथा रानी पिगला की प्रेमकथा (वैराग्य) का गायन किया जाता है। इस कथा के अनुसार राजा भरथरी की पत्नी पिगला जब किसी अन्य पुरुष से प्यार करने लगती है तब भरथरी सन्यास्री बनकर राज्य छोड़कर चले जाता है। भरथरी गायन किसी जाति विशेष के द्वारा नही बल्कि किसी भी जाति के लोगों द्वारा गाया जा सकता है। भरथरी गायक गीत में स्वयं को योगी कहते है। इकतारा, स्ारंगी, तबला, हारमोनियम व मंजीरा जैसे अनेक वाद्यों...