देवनागरी लिपि गिनती

  1. प्रमुख लिपियाँ
  2. Devanagari Fonts : Free download of hundreds of Devanagari fonts. Download Hindi (Indian), Nepali, Marathi, Sanskrit and other fonts. : Devanagari Fonts
  3. Devanagari Lipi
  4. देवनागरी लिपि। देवनागरी लिपि की विशेषताएं। देवनागरी लिपि का मानकीकरण » Hindikeguru
  5. 1 से 100 तक हिंदी में गिनती और लिखने की पद्धति के बारे में पूरी जानकारी


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प्रमुख लिपियाँ

टैग्स: • • • • • लिपि प्रतीक-चिह्नों की एक व्यवस्था है जिसके तहत भाषाओं को लिखा जाता है। • भारत में भीमबेटका के गुफा-चित्रों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि लेखन कला की शुरुआत चित्र-लिपि से हुई। • भारत में लिपि की उत्पत्ति हड़प्पा सभ्यता से मानी जाती है, किंतु आज तक मनुष्य उस लिपि को पढ़ने में कामयाब नहीं हो सका है। • इसके अलावा कुछ अन्य लिपियाँ हैं- ब्राह्मी लिपि • ब्राह्मी भारत की अधिकांश लिपियों की जननी है तथा इसका प्रयोग सम्राट अशोक के लेखों में हुआ है। • 5वीं सदी ईसा पूर्व से 350 ईसा पूर्व तक इसका एक ही रूप मिलता है, लेकिन बाद में इसके दो विभाजन मिलते हैं- उत्तरी धारा व दक्षिणी धारा। • ब्राह्मी की उत्तरी धारा में गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, शारदा और देवनागरी को रखा गया है। • दक्षिणी धारा में तेलुगु, कन्नड़, तमिल, कलिंग, ग्रंथ, मध्य देशी और पश्चिमी लिपि शामिल हैं। • ब्राह्मी लिपि बायें से दायें लिखी जाती थी। खरोष्ठी लिपि • भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में प्रचलित यह लिपि दायें से बायें लिखी जाती थी। • इसे विदेशी उद्गम लिपि यानी अरामाइक और सीरियाई लिपि से विकसित माना जाता है। • कुल 37 वर्णों वाली इस लिपि में स्वरों का अभाव था, यहाँ तक कि मात्राएँ और संयुक्ताक्षर भी नहीं मिलते हैं। • सम्राट अशोक के शहबाज़गढ़ी और मानसेहरा (पाकिस्तान) स्थित अभिलेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रमाण मिलता है। जेम्स प्रिंसेप (1799-1840):‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ के संस्थापक जेम्स प्रिंसेप आधुनिक युग में पहली बार ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने के लिये जाने जाते हैं। कुटिल लिपि • गुप्त लिपि का परिवर्तित रूप मानी जाने वाली इस लिपि को ‘न्यूनकोणीय लिपि’ तथा ‘सिद्ध मातृका’ लिपि भी कहा जाता है। • इस...

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Devanagari Lipi

Devanagari Lipi देवनागरी लिपि का जन्म और विकास भारत में तीन लिपियों के लेख मिलते हैं- सिन्धु घाटी, खरोष्ठी लिपि तथा ब्राह्मी लिपि। सिन्धु घाटी की लिपि अभी तक पूर्णत: पढ़ी नहीं गयी है। खरोष्ठी लिपि के प्रमाणों में मुख्य रूप से शहबाज गढ़ी तथा मान-सेता में खरोष्ठी के शिलालेख मिले हैं। इन दोनों का ही सम्बन्ध देवनागरी से नहीं है। ब्राह्मी लिपि (Brahmi Script) तीसरी लिपि है- ब्राह्मी, 500 ई. पू. से 350 पू. में ब्राह्मी लिपि भारत में प्रायः सर्वत्र ही प्रयुक्त होती रही है। आगे चलकर इसकी दो धाराएँ हो गईं-उत्तरी और दक्षिणी। उत्तरी भारत की चार प्रमुख लिपियों में ही एक का नाम ‘प्राचीन देवनागरी है। यह प्राचीन देवनागरी लिपि ब्राह्मी लिपि की उत्तरी धारा के एक रूप ‘कुटिल-लिपि’ से विकसित मानी जाती है। यह तो केवल ब्राह्मी की लिपियों का वर्णन है। ब्राह्मी तो इससे बहुत प्राचीन होनी चाहिए। प्राचीन नागरी लिपि ब्राह्मी लिपि की उत्तरी धारा की एक लिपि कुटिल लिपि से विकसित प्राचीन देवनागरी का प्रचार उत्तरी भारत में रहा है। इस लिपि का उद्भव 700 ई. के आसपास माना जाता है। आवागमन के कारण यह प्राचीन नागरी लिपि दक्षिण में भी गयी, जहाँ इसे, ‘नन्दि नागरी’ के नाम से जाना जाता था। इसका एक अन्य नाम ‘ग्रन्थम् लिपि’ भी है। वैसे दक्षिण में इसका प्रचार सोलहवीं सदी तक मिलता है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश आदि के शिलालेख इसी प्राचीन नागरी में उत्कीर्ण मिलते हैं। नवीं से बारहवीं शताब्दी तक तो यही प्राचीन नागरी लिपि प्रचलन में थी। बारहवीं शताब्दी से वर्तमान नागरी लिपि या देव नागरी लिपि का प्रचार बढ़ा। वर्तमान नागरी लिपि का उद्भव (Devanagari) वर्तमान देवनागरी लिपि और नागरी लिपि एक ही है। इसकी प्राचीन...

देवनागरी लिपि। देवनागरी लिपि की विशेषताएं। देवनागरी लिपि का मानकीकरण » Hindikeguru

1.2 देवनागरी लिपि का मानकीकरण (devnagri lipi ka mankikaran in hindi) प्रत्येक भाषा की अपनी एक लिपि होती है , जिसमें उस भाषा को लिखा जाता है लिपि का आधार लिखित संकेत होता है हिंदी की लिपि देवनागरी है। देवनागरी लिपि का आविष्कार ब्राह्मी लिपि से हुआ। देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जय भट्ट के एक शिलालेख में हुआ है। यह लिपि हिंदी प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र व नेपाल में प्रचलित है गुजरात में सर्वप्रथम प्रचलित होने से वहां के पंडित वर्ग अर्थात नगर ब्रह्मांणों के नाम से इसे नागरे कहां गया। देव भाषा संस्कृत में इसका प्रयोग होने से इसके साथ जो शब्द जुड़ गया। देवताओं की उपासना के लिए जो संकेत बनाए जाते थे उन्हें देवनगर कहते थे। वे संकेत लिपि के समान थे वहीं से इसे देवनागरी कहा जाने लगा। => सर्वप्रथम महादेव गोविंद रानाडे ने लिपि सुधार समिति का गठन किया काका कालेलकर ने ‘ अ ‘ की बारहखड़ी का सुझाव दिया तथा स्वर ध्वनियों के संख्या को कम कर दिया। => श्यामसुंदर दास पंचमाक्षर के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करने का सुझाव दिया। जैसे हिन्दी-हिंदी , कण्ठ-कंठ। => हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ( 5 अक्टूबर 1941) ने लिपि सुधार हेतु एक बैठक की , जिसमें मात्राओं को उच्चारण क्रम में लगाने तथा छोटी ‘ इ ‘ की मात्रा को व्यंजन के आगे लगाने का सुझाव पेश किया। => वर्ष 1947 प्रदेश सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्षता नरेंद्र देव ने की जिसमें देवनागरी लिपि से संबंधित निम्न सुझाव पेश किए गए। ‘ अ ‘ की बारहखड़ी भ्रामक है। मात्रा यथास्थान रहें , परंतु उन्हें थोड़ा दाहिनी ओर लिखा जाए। अनुस्वार व पंचमाक्षर के स्थान पर बिंदी (ं) से काम चलाया जाए। दो तरीकों से लिखें जाने वाले अक्षरों में निम्न अक्षर...

1 से 100 तक हिंदी में गिनती और लिखने की पद्धति के बारे में पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों क्या आपको हिंदी में गिनती आती है ? यह सवाल आपको आस्चर्यचकित जरूर कर रहा होगा लेकिन वर्तमान की हकीकत यहीं है की बच्चे अंग्रेजी के बढ़ते प्रचलन के कारण लगातार हिंदी को भूलते जा रहें है और इसी तरह कई स्कूल तो पूरी तरह अंग्रेजी माध्यम में ही चल रही है जहाँ पर बच्चों का हिंदी से कोई लेना देना ही नहीं होता और इसी कारण आज गूगल पर हजारों लोग हिंदी में गिनती को सर्च कर रहें है और इसी तरह आप भी इस लेख तक पहुँचे है। दोस्तों 1 से 100 तक गिनती आसानी के साथ लिख सकते है लेकिन गिनती को हिंदी शब्दो में लिखना काफी मुश्किल होता है,क्यूँकि यह देवनागरी लिपि में लिखी हुई होती है और जिसे बोलते समय भी कई बच्चें अटकते है। इस लेख में 1 से 100 तक हिंदी में गिनती का मानक / शुद्ध रूप और भारतीय संख्या में गिनती के नंबरो को लिखने की पूरी जानकारी मिलेगी तो लेख को पूरा जरूर पढ़ें। हिंदी में गिनती लिखने की पद्धति 1 से 100 तक हिंदी में गिनती और लिखने की पद्धति के बारे में पूरी जानकारी सामान्यतः गिनती गणितीय अंको के रूप में लिखीं जाती है लेकिन हिंदी भाषा में इसे लिखने के लिए दशमलव पद्धति और देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है और इसके साथ गिनती के अंतरास्ट्रीय रूप को भी इस पद्धति में अपनाया गया है। दशमलव पद्धति के अनुसार गिनती को लिखने के लिए 10 अंको यानि 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का ही प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अब किसी भी बाहरी अंक को गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा और आपने देखा भी होगा अगर आप करोड़ लिखेंगे या अरब सभी में यही 10 अंक आएँगे कोई अन्य नहीं। इसके अलावा गिनती और पहाड़े का अंत भी 10 अंक पर ही होता है। इसीलिए हमने किसी से यह कहते नहीं सुना की 2 का पहाड़ा 13 बार तक सुना तो अब आप ...