Dhyan book by swami vivekananda in hindi

  1. Dhyan Tatha Iski Paddhatiya
  2. ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड
  3. Dhyan tatha Isaki paddhatiyan(Hindi) Meditation and its method [Paperback] Swami Vivekananda by Vivekananda
  4. swami vivekananda स्वामी विवेकानंद books pdf in hindi
  5. [PDF] Dhyan tatha Isaki paddhatiyan(Hindi) Meditation and its method
  6. स्वामी विवेकानंद राजयोग: ध्यान और समाधि
  7. स्वामी विवेकानन्द
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Dhyan Tatha Iski Paddhatiya

लोगों की राय • चौकड़िया सागर Yes Arvind Yadav • सम्पूर्ण आल्ह खण्ड Rakesh Gurjar • हनुमन्नाटक Dhnyavad is gyan vardhak pustak ke liye, Pata hi nai tha ki Ramayan Ji ke ek aur rachiyeta Shri Hanuman Ji bhi hain, is pustak ka prachar krne ke liye dhanyavad Pratiyush T • क़ाफी मग " कॉफ़ी मग " हल्का फुल्का मन को गुदगुदाने वाला काव्य संग्रह है ! " कॉफ़ी मग " लेखक का प्रथम काव्य संग्रह है ! इसका शीर्षक पुस्तक के प्रति जिज्ञासा जगाता है और इसका कवर पेज भी काफी आकर्षक है ! इसकी शुरुआत लेखक ने अपने पिताजी को श्रद्धांजलि के साथ आरम्भ की है और अपने पिता का जो जीवंत ख़ाका खींचा है वो मनोहर है ! कवि के हाइकु का अच्छा संग्रह पुस्तक में है ! और कई हाइकू जैसे चांदनी रात , अंतस मन , ढलता दिन ,गृहस्थी मित्र , नरम धूप, टीवी खबरे , व्यवसाई नेता व्यापारी, दिए जलाये , आदि काफी प्रासंगिक व भावपूर्ण है ! कविताओं में शीर्षक कविता " कॉफ़ी मग " व चाय एक बहाना उत्कृष्ट है ! ग़ज़लों में हंसी अरमां व अक्सर बड़ी मनभावन रचनाये है ! खूबसूरत मंजर हर युवा जोड़े की शादी पूर्व अनुभूति का सटीक चित्रण है व लेखक से उम्मीद करूँगा की वह शादी पश्चात की व्यथा अपनी किसी आगामी कविता में बया करेंगे ! लेखक ने बड़ी ईमानदारी व खूबसूरती से जिंदगी के अनुभवों, अनुभूतियों को इस पुस्तक में साकार किया है व यह एक मन को छूने वाली हल्की फुल्की कविताओं का मनोरम संग्रह है ! इस पुस्तक को कॉफी मग के अलावा मसाला चाय की चुस्की के साथ भी आनंद ले Vineet Saxena • आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास Bhuta Kumar • पांव तले भविष्य 1 VIJAY KUMAR • कारगिल Priyanshu Singh Chauhan • सोलह संस्कार kapil thapak • सोलह संस्कार kapil thapak • कामसूत्रकालीन समाज एव...

ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड

ज्ञान योग : स्वामी विवेकांनद | Gyan Yog : Swami Vivekanand के बारे में अधिक जानकारी : इस पुस्तक का नाम : ज्ञान योग है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vivekanand, Swami Vivekanand | Vivekanand, Swami Vivekanand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Name of the Book is : Gyan Yog | This Book is written by Vivekanand, Swami Vivekanand | To Read and Download More Books written by Vivekanand, Swami Vivekanand in Hindi, Please Click : पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये | इस उत्थान और पतन के सम्बन्ध में और भी एक विपय जानने का है । वृक्ष से बीज होता है। किन्तु बह उसी समय फिर नृ नहीं हो जाता । उसको कुछ विश्राम अथवा अति सूक्ष्म | अव्यक्त कार्य के समय की आवश्यकता होती है। वीज को कुछ | दिन तक मिट्टी के नीचे रह कर कार्य करना पड़ता है । उसे अपने | आप को खण्ड खण्ड कर देना होता है तया एक प्रकार से अपनी अवनति करनी होती है और इसी अवनति से उसकी फिर उन्नति होती है। अतएव इस समस्त ब्रह्माण्ड को ही कुछ समय अदृश्य अव्यक्त भाव से सूक्ष्म रूप में कार्य करना होता है, जिसे प्रलय अपया सष्टि के पूर्व की अवस्था कहते हैं, उसके बाद फिर सष्टि होती है। जगत के इस प्रवाह के एक बार प्रकाशित होने कोअर्थात् सूक्ष्म रूप में परिणति, कुछ दिन तक उसी अवस्था में स्थिति, फिर आविर्भाव-इसी को कस कहते हैं। समस्त ब्रह्माण्ड इसी प्रकार

Dhyan tatha Isaki paddhatiyan(Hindi) Meditation and its method [Paperback] Swami Vivekananda by Vivekananda

Note - This is Hindi translation of 'Meditation and its Method'. Swami Vivekananda's thoughts on this subject are spread throughout his Complete Works, and these have been brought together in this book. In reading these selections the reader comes in touch with a teacher who taught with authority and not merely as a scholar. The book has been divided into two sections: Meditation according to Yoga and Meditation according to Vedanta. For all the seekers of Truth and practitioners of meditation this book is sure to provide flashes of deep insight helping them to reach their goal through meditation. "This is the first part of the study, the control of the unconscious." "Whatever exists is one. There cannot be many." "The very essence of education is concentration of the mind, not the collecting of facts." "The powers of the mind are like rays of light dissipated; when they are concentrated, they illumine. This is our only means of knowledge." "It is all play. Play!" I did not have many expectations before picking this book except that I wanted to explore what other techniques of meditation are possible other than the one I've practiced for the past 3 years. However, this book is not more about the technique but about the teachings of Swami Vivekananda who was an entirely different class to have lived and spent time on earth. If I had picked this book up say 4 years before and read things like Vivekananda used to see light at his forehead, I would've thrown this calling it a ...

swami vivekananda स्वामी विवेकानंद books pdf in hindi

Table of Contents • • • • • List of books by swami vivekananda: कर्मयोग, ज्ञानयोग भक्तियोग प्रेम योग हिन्दू धर्म मेरा जीवन तथा ध्येय जाति, संस्कृति और समाजवाद वर्तमान भारत पवहारी बाबा मेरी समर – नीति जाग्रति का सन्देश भारतीय नारी ईशदूत ईसा धर्मतत्त्व शिक्षा| Tags: swami vivekananda books in hindi,swami vivekananda books pdf in hindi,swami vivekananda books pdf,swami vivekananda in hindi pdf,vivekananda books in hindi,swami vivekananda books pdf in hindi download,vivekanand books in hindi pdf,swami vivekananda books in hindi download,books written by swami vivekananda in hindi pdf,swami vivekananda autobiography pdf in hindi, Book Name swami vivekananda books in hindi Author Category Dharmik No. of Pages 130 Size 20MB Language Hindi Quality Very Good Source / Credits Archive.org Download Link Published/Updated 09/06/2022 स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। और मृत्यु 4 जुलाई 1902 बेलूर मठ बंगाल रियासत ब्रिटिश राज में हुई जो कि अब बेलूर (पश्चिम बंगाल) में स्थित है। स्वामी विवेकानंद ka बचपन childhood of swami vivekananda स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। नरेंद्रनाथ दत्त बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और नटखट बालक थे जो अपने साथी बच्चों के साथ शरारत बहुत करते थे और मौका मिलने पर वे अपने गुरुओं के साथ भी शरारत करने से कभी नहीं चूकते थे। बचपन से ही नरेंद्र swami vivekananda books pdf in hindi धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे माता भुवनेश्वरी देवी के साथ पुराण रामायण महाभारत आदि ग्रंथों की कथा सुनने का बहुत शौक रखते थे और उनके घर में कथा वाचक रो...

[PDF] Dhyan tatha Isaki paddhatiyan(Hindi) Meditation and its method

Note - This is Hindi translation of 'Meditation and its Method'. Swami Vivekananda's thoughts on this subject are spread throughout his Complete Works, and these have been brought together in this book. In reading these selections the reader comes in touch with a teacher who taught with authority and not merely as a scholar. The book has been divided into two sections: Meditation according to Yoga and Meditation according to Vedanta. For all the seekers of Truth and practitioners of meditation this book is sure to provide flashes of deep insight helping them to reach their goal through meditation. #Dhyan #tatha #Isaki #paddhatiyanHindi #Meditation #method #pdf free download

स्वामी विवेकानंद राजयोग: ध्यान और समाधि

अब तक हम राजयोग के अंतरंग साधनों को छोड़ शेष सभी अंगों के संक्षिप्त विवरण समाप्त कर चुके हैं। इन अंतरंग साधनों का लक्ष्य एकाग्रता की प्राप्ति है। इस एकाग्रता-शक्ति को प्राप्त करना ही राजयोग का चरम लक्ष्य है। हम, मानव के नाते, देखते हैं कि हमारा समस्त ज्ञान, जिसे विचारजात् ज्ञान कहते हैं, अहं-बोध के अधीन है। मुझे इस मेज़ का बोध हो रहा है, तुम्हारे अस्तित्व का बोध हो रहा है, इसी प्रकार मुझे अन्यान्य वस्तुओं का भी बोध हो रहा है, और इस अहं-बोध के कारण ही मैं जान पा रहा हूँ कि तुम यहाँ हो, टेबुल यहाँ है, तथा और भी जो वस्तुएँ देख रहा हूँ, अनुभव कर रहा हूँ या सुन रहा हूँ, वे सब भी यहीं हैं। यह तो हुई एक ओर की बात। फिर एक दूसरी ओर यह भी देख रहा हूँ कि मेरी सत्ता कहने से जो कुछ बोध होता है, उसका अधिकारी मैं अनुभव नहीं कर सकता। शरीर के भीतर के सारे यंत्र, मस्तिष्क के विभिन्न अंश–इन सबका ज्ञान किसी को भी नहीं। जब हम भोजन करते हैं, तब वह ज्ञानपूर्वक करते हैं, परन्तु जब हम उसका सार भाग भीतर ग्रहण करते हैं, तब हम वह अज्ञात् भाव से करते हैं। जब वह ख़ून के रूप में परिणत होता है, तब भी वह हमारे बिना जाने ही होता है। और जब इस ख़ून से शरीर के भिन्न-भिन्न अंग गठित होते हैं, तो वह भी हमारी जानकारी के बिना ही होता है। किन्तु यह सारा काम हमारे द्वारा ही होता है। इस शरीर के भीतर कोई अन्य दस-बीस लोग तो बैठे नहीं हैं, जो यह काम कर देते हों। पर यह किस तरह हमें मालूम हुआ कि हम इनको कर रहे हैं, दूसरा कोई नहीं? इस संबंध में अनायास ही यह कहा जा सकता है कि आहार करने के साथ ही हमारा सम्पर्क है, खाना पचाना और उससे देह तैयार करना तो हमारे लिए एक दूसरा कोई कर दे रहा है। पर यह हो नहीं सकता, क्योंकि यह प्रमाणित कि...

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स्वामी विवेकानन्द

इस लेख को तटस्थता जाँच हेतु नामित किया गया है। इसके बारे में चर्चा (नवम्बर 2019) स्वामी विवेकानन्द जन्म नरेन्द्रनाथ दत्त 12 जनवरी 1863 (अब मृत्यु 4 जुलाई 1902 ( 1902-07-04) (उम्र39) (अब बेलूर, गुरु/शिक्षक साहित्यिक कार्य राज योग (पुस्तक) कथन "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" हस्ताक्षर धर्म हिन्दू दर्शन राष्ट्रीयता भारतीय अनुक्रम • 1 कहानियाँ • 1.1 लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना • 1.2 नारी का सम्मान • 2 प्रारम्भिक जीवन (1863-88) • 2.1 जन्म एवं बचपन • 3 शिक्षा • 3.1 आध्यात्मिक शिक्षुता - ब्रह्म समाज का प्रभाव • 4 निष्ठा • 5 सम्मेलन भाषण • 6 यात्राएँ • 7 विवेकानन्द का योगदान तथा महत्व • 7.1 मृत्यु • 8 विवेकानन्द का शिक्षा-दर्शन • 8.1 स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त • 9 स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन • 10 कृतियाँ • 11 महत्त्वपूर्ण तिथियाँ • 12 चित्र दीर्घा • 13 सन्दर्भ • 14 इन्हें भी देखें • 15 बाहरी कड़ियाँ कहानियाँ [ ] लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना [ ] एक बार स्वामी विवेकानन्द अपने आश्रम में सो रहे थे। कि तभी एक व्यक्ति उनके पास आया जो कि बहुत दुखी था और आते ही स्वामी विवेकानन्द के चरणों में गिर पड़ा और बोला महाराज मैं अपने जीवन में खूब मेहनत करता हूँ हर काम खूब मन लगाकर भी करता हूँ फिर भी आज तक मैं कभी सफल व्यक्ति नहीं बन पाया। उस व्यक्ति कि बाते सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा ठीक है। आप मेरे इस पालतू कुत्ते को थोड़ी देर तक घुमाकर लाये तब तक आपके समस्या का समाधान ढूँढ़ता हूँ। इतना कहने के बाद वह व्यक्ति कुत्ते को घुमाने के लिए चला गया। और फिर कुछ समय बीतने के बाद वह व्यक्ति वापस आया। तो स्वामी विवेकानन्द ने उस व्यक्ति से पूछा...

स्वामी विवेकानन्द

इस लेख को तटस्थता जाँच हेतु नामित किया गया है। इसके बारे में चर्चा (नवम्बर 2019) स्वामी विवेकानन्द जन्म नरेन्द्रनाथ दत्त 12 जनवरी 1863 (अब मृत्यु 4 जुलाई 1902 ( 1902-07-04) (उम्र39) (अब बेलूर, गुरु/शिक्षक साहित्यिक कार्य राज योग (पुस्तक) कथन "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" हस्ताक्षर धर्म हिन्दू दर्शन राष्ट्रीयता भारतीय अनुक्रम • 1 कहानियाँ • 1.1 लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना • 1.2 नारी का सम्मान • 2 प्रारम्भिक जीवन (1863-88) • 2.1 जन्म एवं बचपन • 3 शिक्षा • 3.1 आध्यात्मिक शिक्षुता - ब्रह्म समाज का प्रभाव • 4 निष्ठा • 5 सम्मेलन भाषण • 6 यात्राएँ • 7 विवेकानन्द का योगदान तथा महत्व • 7.1 मृत्यु • 8 विवेकानन्द का शिक्षा-दर्शन • 8.1 स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त • 9 स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन • 10 कृतियाँ • 11 महत्त्वपूर्ण तिथियाँ • 12 चित्र दीर्घा • 13 सन्दर्भ • 14 इन्हें भी देखें • 15 बाहरी कड़ियाँ कहानियाँ [ ] लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना [ ] एक बार स्वामी विवेकानन्द अपने आश्रम में सो रहे थे। कि तभी एक व्यक्ति उनके पास आया जो कि बहुत दुखी था और आते ही स्वामी विवेकानन्द के चरणों में गिर पड़ा और बोला महाराज मैं अपने जीवन में खूब मेहनत करता हूँ हर काम खूब मन लगाकर भी करता हूँ फिर भी आज तक मैं कभी सफल व्यक्ति नहीं बन पाया। उस व्यक्ति कि बाते सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा ठीक है। आप मेरे इस पालतू कुत्ते को थोड़ी देर तक घुमाकर लाये तब तक आपके समस्या का समाधान ढूँढ़ता हूँ। इतना कहने के बाद वह व्यक्ति कुत्ते को घुमाने के लिए चला गया। और फिर कुछ समय बीतने के बाद वह व्यक्ति वापस आया। तो स्वामी विवेकानन्द ने उस व्यक्ति से पूछा...

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