दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण

  1. दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India
  2. दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा और उदाहरण
  3. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं
  4. Sandhi in Hindi
  5. गुण संधि के उदाहरण व परिभाषा Gun Sandhi Examples In Hindi
  6. दीर्घ संधि


Download: दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण
Size: 49.39 MB

दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India

आज के इस लेख में आप दीर्घ स्वर सन्धि के बारे में पढ़ने वाले हैं। दीर्घ स्वर सन्धि, स्वर संधि का एक महत्वपूर्ण भाग है तथा यह आपकी परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा जिन संधि में दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ का प्रयोग करने के बाद दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वरो का प्रयोग किया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप इन दोनों से मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और ऋ का निर्माण होता है तो वह दीर्घ स्वर सन्धि कहलाती है। दीर्घ स्वर सन्धि के अंतर्गत छोटे स्वर बड़े स्वर अथवा दीर्घ स्वर में परिवर्तित हो जाते हैं। दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण (अ + अ = आ ) के उदाहरण • मत + अनुसार = मतानुसार • सत्य + अर्थ = सत्यार्थ • देव + अर्चन = देवार्चन • अन्न + अभाव = अन्नाभाव • मत + अनुसार = मतानुसार • धर्म + अधर्म = धर्माधर्म • वेद + अंत = वेदांत • परम + अर्थ = परमार्थ (अ + आ = आ) के उदाहरण • रत्न + आकर = रत्नाकर • देव + आगमन = देवागमन • धर्म + आत्मा = धर्मात्मा • नव + आगत = नवागत • परम + आनंद = परमानंद • सत्य + आग्रह = सत्याग्रह • शिव + आलय = शिवालय • गज + आनन = गजानन • हिम + आलय = हिमालय (आ + आ = आ) के उदाहरण • विद्या + आलय = विद्यालय • दया + आनंद = दयानन्द • महा + आनंद = महानंद • श्रद्धा + आनद = श्रद्धानन्द • महा + आत्मा = महात्मा • दया + आनंद = दयानन्द • वार्ता + आलाप = वार्तालाप • कारा + आवास = कारावास (आ + अ = आ ) के उदाहरण • सेवा + अर्थ = सेवार्थ • रेखा + अंश = रेखांश • रेखा + अंकित = रेखांकित • परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी • यथा + अर्थ = यथार्थ • दिशा + अंतर = दिशांतर • शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी • दीक्षा + अंत = दीक्षांत • विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (...

दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा और उदाहरण

इस पेज पर आप दीर्घ स्वर सन्धि की जानकारी पढ़ेंगे और समझेंगे। पिछले पेज पर संधि विच्छेद की जानकारी पढ़ चुके है आप उसे भी जरुर पढ़े। चलिए आज हम दीर्घ स्वर सन्धि को पढ़ते और समझते है। दीर्घ स्वर सन्धि की परिभाषा दीर्घ संधिस्वरसंधिका एक भेद अथवा प्रकार है। जब दो शब्दों कीसंधिकरते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ’ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ई’ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ऊ’ बनता है। इससंधिको हम ह्रस्वसंधिभी कह सकतेहैं। दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वर आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और ऋ हो जाते हैं। इस मेल से बनने वाली संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। दीर्घ संधि स्वर संधि का एक प्रकार है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है। इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है। दीर्घ स्वर संधि के उदाहरण दीर्घ संधि में (अ + अ = आ ) के उदाहरण :- धर्म + अर्थ धर्मार्थ स्व + अर्थी स्वार्थी मत + अनुसार मतानुसार देव + अर्चन देवार्चन मत + अनुसार मतानुसार वेद + अंत वेदांत परम + अर्थ परमार्थ धर्म + अधर्म धर्माधर्म अन्न + अभाव अन्नाभाव सत्य + अर्थ सत्यार्थ दीर्घ संधि में (अ + आ = आ) के उदाहरण :- देव + आलय देवालय देव + आगमन देवागमन नव + आगत नवागत सत्य + आग्रह सत्याग्रह गज + आनन गजानन हिम + आलय हिमालय शिव + आलय शिवालय परम + आनंद परमानंद धर्म + आत्मा धर्मात्मा रत्न + आकर रत्नाकर दीर्घ संधि में ( आ + अ = आ ) के उदाहरण :- सीमा + अंत सीमांत रेखा + अंश रेखांश परीक्षा + अर्थी परीक्षार्थी दिशा + अंतर दिशांतर शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी विद्या + अर्थी विद्यार्थी दीक्षा + अंत दीक्षांत यथा +...

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार होते हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain –हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तथा हिंदी भाषा को शुध्द रूप से लिखने और बोलने के लिए हिंदी व्याकरण में विभिन्न नियम दीए गए हैं. जिसका प्रयोग कर के कोई भी व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से सिख सकता हैं. इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण पाठ स्वर संधि और स्वर संधि के भेद या प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं | स्वर संधि के कितने प्रकार की होती हैं | swar sandhi ke kitne bhed hote hain स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं. इन पांच प्रकारों के नाम निम्न अनुसार हैं: • दीर्घ स्वर संधि • गुण स्वर संधि • वृध्दि स्वर संधि • यण स्वर संधि • अयादी स्वर संधि दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं जब एक ही स्वर के ह्रस्व और दीर्घ रूपों को संधि में मिलाया जाता हैं. तो दीर्घ स्वर बन जाता हैं. इस प्रकार की संधि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता हैं. जैसे अ स्वर का ह्रस्व रूप अ और दीर्घ रूप आ को मिलाया जाता हैं. तो आ बन जाएगा. • युग + अंतर = युगांतर • दिव्य + अस्त्र = दिव्यास्त्र • हस्त + अंतरण = हस्तांतरण • ध्वंस + अवशेष = ध्वंसावशेष • आग्नेय + अस्त्र = आग्नेयास्त्र • दिवस + अंत = दिवसांत • राष्ट्र + अध्यक्ष = राष्ट्राध्यक्ष • लोहित + अंग = लोहितांग (मंगल ग्रह) • नयन + अभिराम = नयनाभिराम • उदय + अचल = उदयाचल • अस्त + अचल = अस्ताचल • उप + अध्याय (अधि + आय) = उपाध्याय वचन बदलो क्या हैं? चिड़िया का बहुवचन (chidiya ka bahuvachan) इ / ई + इ / ई = ई • प्राप्ति + इच्छा = प्राप्तीच्छा • अति + इंद्रिय = अतींद्रिय • कवि + इ...

Sandhi in Hindi

Inside Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • संधि की परिभाषा | Sandhi Ki Paribhasha जब दो वर्णों या शब्दों के परस्पर मेल से विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है तो उसे ही संधि कहते हैं. दो शब्दों के आपस में मिलने पर प्रथम शब्द की अंतिम ध्वनि और अंतिम शब्द की प्रथम ध्वनि से मिलकर जो परिवर्तित धवनी पैदा होती है वह संधि कहलाती है. संधि का शाब्दिक अर्थ होता है ‘मेल’, संधि शब्द (सम् + धि) से मिलकर बना है. संधि स्वरुप बने शब्दों को अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है. उदहारण के लिए विद्यालय (विद्या + आलय), धर्मार्थ (धर्म + अर्थ), रामावतार (राम + अवतार), इत्यादि. उदाहरण – • नरेश = नर + ईश (अ+ई = ए में संधि) • संग्रहालय = संग्रह + आलय (अ+आ = आ में संधि) • विद्यालय = विद्या + आलय (आ+आ = आ में संधि) उदाहरण से यह स्पष्ट हो रहा है कि ध्वनियों के मेल से परिवर्तन होकर वर्णों की ‘संधि’ हो रही है। अतः दो वर्णों के परस्पर मेल होने पर मूल रूप में होने वाले परिवर्तन को ‘संधि’ कहते हैं। Sandhi in Hindi संधि विच्छेद क्या होता है?Sandhi Vichchhed जिस तरह से दो वर्णों का मेल होने पर संधि होती है उसी प्रकार संयुक्त शब्दों को अलग करने की प्रक्रिया संधि विच्छेद कहलाती है. वर्णों के बीच संधि कई प्रकार से होती है जैसे स्वर और स्वर के बीच, स्वर और व्यंजन के बीच, विसर्ग(:) और स्वर के बीच या विसर्ग और व्यंजन के बीच. जब इन प्रयुक्त वर्णों का विच्छेद किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं. उदाहरण – • गणेश = गण + ईश • पुस्तकालय = पुस्तक + आलय • विद्यार्थी = विद्या + अर्थी • अत्यधिक = अति + अधिक संधि के कितने प्रकार होते हैं? Sandhi Ke Bhed संधि करने पर जिन वर्णों का मेल होता है वह मे...

गुण संधि के उदाहरण व परिभाषा Gun Sandhi Examples In Hindi

गुण संधि के उदाहरण व परिभाषा Gun Sandhi Examples Definition In Hindi: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं हिंदी व संस्कृत में स्वर संधि के एक भेद गुण संधि के बारे में परीक्षाओं में कई बार सवाल आते हैं. जैसे गुण संधि क्या है किसे कहते है अर्थ परिभाषा उदाहरण अपवाद आदि को लेकर हम इस आर्टिकल में चर्चा करेगे और विस्तार से इस संधि के बारे में पढ़ेगे. Gun Sandhi Examples Definition In Hindi अर्थात अ और आ स्वरों के बाद ह्रस्व और दीर्घ इ, उ, ऋ स्वर आए तो संधि करते समय इनके स्थान पर क्रमश ऐ, ओ, अर का आदेश हो जाता हैं. यह गुण संधि कहलाती हैं. गुण संधि के कुछ उदाहरण अ + इ = ए अंत्य + इष्टि = अंत्येष्टि उप + इंद्र = उपेन्द्र इतर + इतर = इतरेतर गज + इंद्र = गजेन्द्र देव + इंद्र = देवेन्द्र न + इष्ट = नेष्ट न + इति = नेति नर + इंद्र = नरेंद्र नृप + इंद्र = नृपेंद्र भारत + इंदु = भारतेंदु उक्त उदाहरणों की मदद से बड़ी सरलता से अ और लघु इ के संधि युक्त शब्दों की प्रकृति को समझा जा सकता हैं. संधि के बाद अ का ए हो जाता हैं. Telegram Group ये परिवर्तन गुण संधि की पहचान का परिचायक हैं जिसमें पहले पद में आपकों अ की ध्वनि तथा दुसरे पद में इ की ध्वनि को पहचाना जा सकता है जो संधि युक्त पद में ए बन जाता हैं. अ + ई = ऐ अप + ईक्षा = अपेक्षा उप + ईक्षा = उपेक्षा अंकन + ईक्षण = अंकेक्षण गण + ईश = गणेश गोप + ईश = गोपेश जीव + ईश = जीवेश ज्ञान + ईश = ज्ञानेश नर + ईश = नरेश धन + ईश = धनेश परम + ईश्वर = परमेश्वर प्र + ईक्षा = प्रेक्षा प्राण + ईश्वरी = प्राणेश्वरी अ + ई = ए के सूत्र से गुण संधि में अ और दीर्घ ई की संधि से तीसरा स्वर ए उत्पन्न होता हैं. इन उदाहरण की मदद से आसानी से गुण संधि के इन परिवर्तनों को समझा ...

दीर्घ संधि

सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घ: अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, ऋ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, ऋ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ, ॠ हो जाते हैं। जैसे – नियम 1. अ/आ + अ/आ = आ • अ + अ = आ –> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ • अ + आ = आ –> हिम + आलय = हिमालय • अ + आ =आ–> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय • आ + अ = आ –> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी • आ + आ = आ –> विद्या + आलय = विद्यालय नियम 2. इ और ई की संधि • इ + इ = ई –> रवि + इंद्र = रवींद्र ; मुनि + इंद्र = मुनींद्र • इ + ई = ई –> गिरि + ईश = गिरीश ; मुनि + ईश = मुनीश • ई + इ = ई –> मही + इंद्र = महींद्र ; नारी + इंदु = नारींदु • ई + ई = ई –> नदी + ईश = नदीश ; मही + ईश = महीश . नियम 3. उ और ऊ की संधि • उ + उ = ऊ –> भानु + उदय = भानूदय ; विधु + उदय = विधूदय • उ + ऊ = ऊ –> लघु + ऊर्मि = लघूर्मि ; सिधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि • ऊ + उ = ऊ –> वधू + उत्सव = वधूत्सव ; वधू + उल्लेख = वधूल्लेख • ऊ + ऊ = ऊ –> भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व ; वधू + ऊर्जा = वधूर्जा नियम 4. ऋ और ॠ की संधि • ऋ + ऋ = ॠ –> पितृ + ऋणम् = पित्रणम्