Dirgh swar sandhi

  1. स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit
  2. GUN SANDHI (गुण संधि)
  3. संधि (व्याकरण)
  4. GUN SANDHI (गुण संधि)
  5. स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit
  6. संधि (व्याकरण)
  7. संधि (व्याकरण)
  8. स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit
  9. GUN SANDHI (गुण संधि)
  10. स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit


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स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • इसलेखमेंहम स्वरसंधिकीपरिभाषा जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। • पर्यावरण : परी + आवरण ऊपरदिएगएउदाहरणमेंजैसाकिआपनेदेखादोस्वरोंकोमिलायागयाएवंउससेवाक्यमेंपरिवर्तनआया।ईएवंआकोमिलानेसेयाबनगया। • मुनींद्र : मुनि + इंद्र ऊपरदिएगएउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैं इएवंइदोस्वरोंकोमिलायागया।जबदोइमिलींतोएकईबनगयी।यहपरिवर्तनहुआ। स्वरसंधिकेप्रकार स्वरसंधिकेमुख्यतःपांचभेदहोतेहैं: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादीसंधि 1. दीर्घसंधि : संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै।इससंधिकोह्रस्वसंधिभीकहाजाताहै। उदाहरण: • विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ) • परम + अर्थ : परमार्थ (अ + अ = आ) • कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई) • गिरि + ईश : गिरीश (इ + ई = ई) • वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ) 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अर‘बनताहैतोयहगुणसंधिकहलातीहै। उदाहरण: • महा + उत्सव :महोत्सव (आ + उ = ओ) • आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ) • धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ) • सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए) • महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर) 3. वृद्धिसंधि जबसंधिकरतेसमयजब अ , आकेसाथ ए , ऐहोतो ‘ऐ‘बनताहैऔरजब अ , आकेसाथ ओ , औहोतो ‘औ‘बनताहै।उसेवृधिसंधिकहते...

GUN SANDHI (गुण संधि)

Gun Sandhi Rules (अ + इ = ए) नर + इंद्र = नरेंद्र । (अ + ई = ए) नर + ईश = नरेश । (आ + इ = ए) महा + इंद्र = महेंद्र । (आ + ई = ए) महा + ईश = महेश । (अ + ई = ओ) ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश । (आ + उ = ओ) महा + उत्सव = महोत्सव । (अ + ऊ = ओ) जल + ऊर्मि = जलोर्मि । (आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि । (अ + ऋ = अर्) देव + ऋषि = देवर्षि । (आ + ऋ = अर्) महा + ऋषि = महर्षि ।

संधि (व्याकरण)

"संधि" यहाँ पुनर्प्रेषित होता है। इसके शब्द के अधिक अर्थ जानने के लिए, सन्धि (सम् + धा + कि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। सन्धि के नियम केवल भारतीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि सन्धि के भेद सन्धि तीन प्रकार की होती हैं - • स्वर सन्धि (या अच् सन्धि) • व्यञ्जन सन्धि • विसर्ग सन्धि अनुक्रम • 1 स्वर संधि • 1.1 दीर्घ संधि • 1.2 गुण संधि • 1.3 वृद्धि संधि • 1.4 यण संधि • 1.5 अयादि संधि • 2 व्यंजन संधि • 3 विसर्ग-संधि • 4 संधि की सारणी • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ स्वर संधि दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर-संधि पाँच प्रकार की होती हैं - • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घः अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे - (क) अ/आ + अ/आ = आ अ + अ = आ --> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ / अ + आ = आ --> हिम + आलय = हिमालय / अ + आ =आ--> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय आ + अ = आ --> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी / आ + आ = आ --> विद्या + आलय = विद्यालय (ख) इ और ई की संधि इ + इ = ई --> रवि + इंद्र = रवींद्र; मुनि + इंद्र = मुनींद्र इ + ई = ई --> गिरि + ईश = गिरीश; मुनि + ईश = मुनीश ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र; नारी + इंदु = नारींदु ई + ई = ई- नदी + ईश = नदीश; मही + ईश = महीश . (ग) उ और ऊ की संधि उ + उ = ऊ- भानु + उदय = ...

GUN SANDHI (गुण संधि)

Gun Sandhi Rules (अ + इ = ए) नर + इंद्र = नरेंद्र । (अ + ई = ए) नर + ईश = नरेश । (आ + इ = ए) महा + इंद्र = महेंद्र । (आ + ई = ए) महा + ईश = महेश । (अ + ई = ओ) ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश । (आ + उ = ओ) महा + उत्सव = महोत्सव । (अ + ऊ = ओ) जल + ऊर्मि = जलोर्मि । (आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि । (अ + ऋ = अर्) देव + ऋषि = देवर्षि । (आ + ऋ = अर्) महा + ऋषि = महर्षि ।

स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • इसलेखमेंहम स्वरसंधिकीपरिभाषा जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। • पर्यावरण : परी + आवरण ऊपरदिएगएउदाहरणमेंजैसाकिआपनेदेखादोस्वरोंकोमिलायागयाएवंउससेवाक्यमेंपरिवर्तनआया।ईएवंआकोमिलानेसेयाबनगया। • मुनींद्र : मुनि + इंद्र ऊपरदिएगएउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैं इएवंइदोस्वरोंकोमिलायागया।जबदोइमिलींतोएकईबनगयी।यहपरिवर्तनहुआ। स्वरसंधिकेप्रकार स्वरसंधिकेमुख्यतःपांचभेदहोतेहैं: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादीसंधि 1. दीर्घसंधि : संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै।इससंधिकोह्रस्वसंधिभीकहाजाताहै। उदाहरण: • विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ) • परम + अर्थ : परमार्थ (अ + अ = आ) • कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई) • गिरि + ईश : गिरीश (इ + ई = ई) • वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ) 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अर‘बनताहैतोयहगुणसंधिकहलातीहै। उदाहरण: • महा + उत्सव :महोत्सव (आ + उ = ओ) • आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ) • धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ) • सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए) • महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर) 3. वृद्धिसंधि जबसंधिकरतेसमयजब अ , आकेसाथ ए , ऐहोतो ‘ऐ‘बनताहैऔरजब अ , आकेसाथ ओ , औहोतो ‘औ‘बनताहै।उसेवृधिसंधिकहते...

संधि (व्याकरण)

"संधि" यहाँ पुनर्प्रेषित होता है। इसके शब्द के अधिक अर्थ जानने के लिए, सन्धि (सम् + धा + कि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। सन्धि के नियम केवल भारतीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि सन्धि के भेद सन्धि तीन प्रकार की होती हैं - • स्वर सन्धि (या अच् सन्धि) • व्यञ्जन सन्धि • विसर्ग सन्धि अनुक्रम • 1 स्वर संधि • 1.1 दीर्घ संधि • 1.2 गुण संधि • 1.3 वृद्धि संधि • 1.4 यण संधि • 1.5 अयादि संधि • 2 व्यंजन संधि • 3 विसर्ग-संधि • 4 संधि की सारणी • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ स्वर संधि दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर-संधि पाँच प्रकार की होती हैं - • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घः अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे - (क) अ/आ + अ/आ = आ अ + अ = आ --> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ / अ + आ = आ --> हिम + आलय = हिमालय / अ + आ =आ--> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय आ + अ = आ --> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी / आ + आ = आ --> विद्या + आलय = विद्यालय (ख) इ और ई की संधि इ + इ = ई --> रवि + इंद्र = रवींद्र; मुनि + इंद्र = मुनींद्र इ + ई = ई --> गिरि + ईश = गिरीश; मुनि + ईश = मुनीश ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र; नारी + इंदु = नारींदु ई + ई = ई- नदी + ईश = नदीश; मही + ईश = महीश . (ग) उ और ऊ की संधि उ + उ = ऊ- भानु + उदय = ...

संधि (व्याकरण)

"संधि" यहाँ पुनर्प्रेषित होता है। इसके शब्द के अधिक अर्थ जानने के लिए, सन्धि (सम् + धा + कि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। सन्धि के नियम केवल भारतीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि सन्धि के भेद सन्धि तीन प्रकार की होती हैं - • स्वर सन्धि (या अच् सन्धि) • व्यञ्जन सन्धि • विसर्ग सन्धि अनुक्रम • 1 स्वर संधि • 1.1 दीर्घ संधि • 1.2 गुण संधि • 1.3 वृद्धि संधि • 1.4 यण संधि • 1.5 अयादि संधि • 2 व्यंजन संधि • 3 विसर्ग-संधि • 4 संधि की सारणी • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ स्वर संधि दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर-संधि पाँच प्रकार की होती हैं - • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि सूत्र- अक: सवर्णे दीर्घः अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे - (क) अ/आ + अ/आ = आ अ + अ = आ --> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ / अ + आ = आ --> हिम + आलय = हिमालय / अ + आ =आ--> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय आ + अ = आ --> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी / आ + आ = आ --> विद्या + आलय = विद्यालय (ख) इ और ई की संधि इ + इ = ई --> रवि + इंद्र = रवींद्र; मुनि + इंद्र = मुनींद्र इ + ई = ई --> गिरि + ईश = गिरीश; मुनि + ईश = मुनीश ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र; नारी + इंदु = नारींदु ई + ई = ई- नदी + ईश = नदीश; मही + ईश = महीश . (ग) उ और ऊ की संधि उ + उ = ऊ- भानु + उदय = ...

स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • इसलेखमेंहम स्वरसंधिकीपरिभाषा जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। • पर्यावरण : परी + आवरण ऊपरदिएगएउदाहरणमेंजैसाकिआपनेदेखादोस्वरोंकोमिलायागयाएवंउससेवाक्यमेंपरिवर्तनआया।ईएवंआकोमिलानेसेयाबनगया। • मुनींद्र : मुनि + इंद्र ऊपरदिएगएउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैं इएवंइदोस्वरोंकोमिलायागया।जबदोइमिलींतोएकईबनगयी।यहपरिवर्तनहुआ। स्वरसंधिकेप्रकार स्वरसंधिकेमुख्यतःपांचभेदहोतेहैं: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादीसंधि 1. दीर्घसंधि : संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै।इससंधिकोह्रस्वसंधिभीकहाजाताहै। उदाहरण: • विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ) • परम + अर्थ : परमार्थ (अ + अ = आ) • कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई) • गिरि + ईश : गिरीश (इ + ई = ई) • वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ) 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अर‘बनताहैतोयहगुणसंधिकहलातीहै। उदाहरण: • महा + उत्सव :महोत्सव (आ + उ = ओ) • आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ) • धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ) • सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए) • महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर) 3. वृद्धिसंधि जबसंधिकरतेसमयजब अ , आकेसाथ ए , ऐहोतो ‘ऐ‘बनताहैऔरजब अ , आकेसाथ ओ , औहोतो ‘औ‘बनताहै।उसेवृधिसंधिकहते...

GUN SANDHI (गुण संधि)

Gun Sandhi Rules (अ + इ = ए) नर + इंद्र = नरेंद्र । (अ + ई = ए) नर + ईश = नरेश । (आ + इ = ए) महा + इंद्र = महेंद्र । (आ + ई = ए) महा + ईश = महेश । (अ + ई = ओ) ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश । (आ + उ = ओ) महा + उत्सव = महोत्सव । (अ + ऊ = ओ) जल + ऊर्मि = जलोर्मि । (आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि । (अ + ऋ = अर्) देव + ऋषि = देवर्षि । (आ + ऋ = अर्) महा + ऋषि = महर्षि ।

स्वर संधि किसे कहते हैं? स्वर संधि के उदाहरण, प्रश्न, प्रकार, भेद, अपवाद, संस्कृत में swar sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • इसलेखमेंहम स्वरसंधिकीपरिभाषा जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। • पर्यावरण : परी + आवरण ऊपरदिएगएउदाहरणमेंजैसाकिआपनेदेखादोस्वरोंकोमिलायागयाएवंउससेवाक्यमेंपरिवर्तनआया।ईएवंआकोमिलानेसेयाबनगया। • मुनींद्र : मुनि + इंद्र ऊपरदिएगएउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैं इएवंइदोस्वरोंकोमिलायागया।जबदोइमिलींतोएकईबनगयी।यहपरिवर्तनहुआ। स्वरसंधिकेप्रकार स्वरसंधिकेमुख्यतःपांचभेदहोतेहैं: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादीसंधि 1. दीर्घसंधि : संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै।इससंधिकोह्रस्वसंधिभीकहाजाताहै। उदाहरण: • विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ) • परम + अर्थ : परमार्थ (अ + अ = आ) • कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई) • गिरि + ईश : गिरीश (इ + ई = ई) • वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ) 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अर‘बनताहैतोयहगुणसंधिकहलातीहै। उदाहरण: • महा + उत्सव :महोत्सव (आ + उ = ओ) • आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ) • धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ) • सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए) • महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर) 3. वृद्धिसंधि जबसंधिकरतेसमयजब अ , आकेसाथ ए , ऐहोतो ‘ऐ‘बनताहैऔरजब अ , आकेसाथ ओ , औहोतो ‘औ‘बनताहै।उसेवृधिसंधिकहते...