दुर्गा सप्तश्लोकी

  1. Sri Durga Saptashloki
  2. दुर्गा सप्तशती सप्तश्लोकी दुर्गा
  3. Durga Saptashloki in Hindi
  4. Durga Saptashloki
  5. सप्तश्लोकी दुर्गा
  6. श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक
  7. श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम्
  8. दुर्गा सप्तशती ( श्री सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र )


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Sri Durga Saptashloki

शिव उवाच । देवी त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनि । कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥ देव्युवाच । शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, श्री दुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः । ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥ १ ॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्यदुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥ २ ॥ सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥ शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥ रोगानशेषानपहंसि तुष्टा- रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥ ६ ॥ सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥ ७ ॥ इति श्री दुर्गा सप्तश्लोकी । इतर श्री दुर्गा स्तोत्राणि पश्यतु । Namaste !! Please take a moment to spread this valuable treasure of our Sanatana Dharma among your relatives and friends. We are preparing this website as a big library of Stotras, Veda Suktas and Puja Vidhis without any print mistakes. If you find stotranidhi.com valuable, please use this in your daily puja, group chanting and devotional events. Encourage othe...

दुर्गा सप्तशती सप्तश्लोकी दुर्गा

॥ अथ सप्तश्‍लोकी दुर्गा ॥ ॥ शिव उवाच ॥ देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी। कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥ ॥ देव्युवाच ॥ श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्। मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥ ॥ विनियोगः ॥ ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्‍लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप्‌ छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्‍लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।

Durga Saptashloki in Hindi

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Durga Saptashloki

ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ भावार्थ : वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं । दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥ भावार्थ : माँ दुर्गे ! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्धारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं । दुःख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवी ! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो । सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥ भावार्थ : नारायणी ! आप सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हैं, आप ही कल्याणदायिनी शिवा हैं । आप सब पुरुषार्थ्रो को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली गौरी हैं । आपको नमस्कार है । शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥4॥ भावार्थ : शरणागतों, दिनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न रहनेवाली तथा सबकी पीड़ा दूर करनेवाली नारायणी देवी ! आपको नमस्कार है । सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥5॥ भावार्थ : सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवी ! सब भयों से हमारी रक्षा कीजिये ; आपको नमस्कार है । रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥ भावार्थ : देवी ! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर...

सप्तश्लोकी दुर्गा

Saptashloki Durga Stotra – Hindi Meaning कलियुगमें भक्तोंके कामनाओंकी सिद्धि के लिए उपाय अथ सप्तश्लोकी दुर्गा शिव उवाच – देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी। कलौ हि कार्यसिद्ध‍यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥ शिवजी बोले – हे देवि! तुम भक्तोंके लिये सुलभ हो और समस्त कर्मोंका विधान करनेवाली हो। कलियुगमें कामनाओंकी सिद्धि-हेतु यदि कोई उपाय हो, तो उसे अपनी वाणीद्वारा सम्यक्-रूपसे व्यक्त करो। माँ दुर्गा, शिवजी को, अम्बास्तुति के बारे में बताती है देव्युवाच – शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्। मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥ देवीने कहा – हे देव! आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है। कलियुगमें समस्त कामनाओंको सिद्ध करनेवाला जो साधन है, वह बतलाऊँगी, सुनो! उसका नाम है – अम्बास्तुति। सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ का विनियोग ॐ अस्य श्रीदुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः। ॐ इस दुर्गासप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्रके, नारायण ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं, श्रीदुर्गाकी प्रसन्नताके लिये, सप्तश्लोकी दुर्गापाठमें इसका विनियोग किया जाता है। माँ भगवती का महामाया स्वरुप ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥१॥ वे भगवती महामाया देवी, ज्ञानियोंके भी चित्तको बलपूर्वक खींचकर मोहमें डाल देती हैं॥१॥ माँ दुर्गा – दुःख और भय हरनेवाली दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र‍य दुःखभय हारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥२॥ माँ दुर्गे! आप स्मरण करनेपर, सब...

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः । यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥ कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्‌ । तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्‌ ॥3.14-15॥ – श्रीमद्भगवद्गीता Shrimad Bhagvadgita Shlok with hindi meaning सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। कर्मसमुदाय को तू वेद से उत्पन्न और वेद को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान। इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है । श्रीमद भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित shrimad bhagavad gita, shrimad bhagavad gita gujarati pdf, shrimad bhagavad gita pdf, shrimad bhagavad gita in gujarati, shrimad bhagavad gita best shlok, shrimad bhagavad gita pdf in hindi, shrimad bhagavad gita adhyay, shrimad bhagavad gita shloka in sanskrit, shrimad bhagavad gita as it is, shrimad bhagavad gita as it is pdf, shrimad bhagwad geeta shlok, srimad bhagavad gita shloka, shrimad bhagwat geeta shlok arth sahit, shrimad bhagwat geeta all shlok, shrimad bhagwat geeta adhyay shlok, shrimad bhagavad gita best shlok, श्रीमद भगवत गीता के श्लोक, श्रीमद भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित, श्रीमद भगवद गीता इन हिंदी, श्रीमद भगवत गीता किसने लिखी, श्रीमद भगवत गीता बुक, श्रीमद भगवद गीता श्लोक, श्रीमद भगवत गीता सार, श्रीमद भगवत गीता का ज्ञान, श्रीमद भगवत गीता का सार, श्रीमद भगवद गीता book, श्रीमद भगवत गीता के रचयिता कौन है, श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन, श्रीमद भगवत गीता के श्लोक, श्रीमद ...

श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम्

nous utilisons les cookies afin de personnaliser le contenu et les publicités, de fournir des fonctionnalités pour les réseaux sociaux et analyser notre traffic. Nous partageons également des informations sur votre usage de notre site avec nos réseaux sociaux, publicitaires et partenaires d'analyse J'ai compris Saptashloki Durga Stotram – इस श्लोक से सम्बंधित पुराणों में कथित है की यदि प्रसन्नचित और शुद्ध मन से माँ दुर्गा जी का सप्तश्लोकी स्तोत्रम नित्य पढ़ने से सभी विपदा-आपदाओं से मनुष्य से दूर होती है और साथ ही आरोग्यता को प्राप्त करके मां की विशेष कृपा का पात्र बनता है ऐसी महिमा है सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् की, तो आइसे स्मरण करें … देव्युवाच: शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥ विनियोग: ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः । – प्रारंभ – ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥ सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥ शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥ रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌ । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्र...

दुर्गा सप्तशती ( श्री सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र )

श्री दुर्गादेवी या लेखात आपण दुर्गा सप्तशती (श्री सप्तश्लोकी दुर्गा) या स्तोत्राविषयी जाणून घेऊया. मार्कंडेय महापुराणातील ‘सप्तशती’ म्हणजेच ‘देवीमहात्म्य’. ‘श्री सप्तश्लोकी दुर्गा’ हे ‘देवीचे महात्म्य’ सांगणारे स्तोत्र असून याची रचना अनुष्टुप छंदात केलेली आहे. हे स्तोत्र नारायण ऋषींनी रचले आहे. तर ऐकूया, ‘श्री सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र’……. ।। श्री सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र ।। ॐ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा (सप्तशती) शिव उवाच – देवी त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं त्रूहि यत्नतः ।। देव्युवाच – श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ।। ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्रस्य नारायण ऋषि: अनुष्टुप् छ्न्द: श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवता: श्री दुर्गा प्रीत्यर्थे सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोग: । ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।१।। दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेष जन्तो: स्वस्थै: स्मृता मति मतीव शुभां ददासि दारिद्र्य दु:ख भय हारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चित्ता ।।२।। सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।३।। शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ।।४।। सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ।।५।। रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलान भीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन् नराणां त्वामाश्रिता ह्या श्रयतां प्रयान्ति ।।६।। सर्वा बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि एकमेव त्वया कार्यमस्मद् वैरि विनाशनं ।।७।। इति सप...