एंटीबॉडी क्या है

  1. आसान तरीके से समझें क्या होती है एंटीबॉडी, क्या होता है इसके कम
  2. एचसीवी एंटीबॉडी टेस्ट क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है
  3. आईजीजी एंटीबॉडीज (IgG antibodies) क्या है?
  4. एंटीजन और एंटीबॉडी क्या है, प्रकार और कार्य
  5. एंटीबॉडी हिंदी में।एंटीबॉडी की संरचना और प्रकार
  6. Chikanguniya Vaccine : इन 2 देशों में जल्द आएगी पहली चिकनगुनिया वैक्सीन!


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आसान तरीके से समझें क्या होती है एंटीबॉडी, क्या होता है इसके कम

कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर के कमजोर होने के संकेत मिलने लगे हैं. हाल ही में कोविड-19 संबंधी एक अध्ययन में पाया गया कि इस बीमारी से निपटने के महीनों बाद भी लोगों में प्रतिरक्षा कोशिकाएं (Immune Cells) कायम रहती हैं जो कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी (Anitibodies) बनाती रहती हैं. वहीं एंटीबॉडी (या एंटीजन) टेस्ट पर वह विश्वसनीयता नहीं है जो आरटीपीसीआर टेस्ट पर है. ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि ये एंटीबॉडी होती क्या हैं और इनके कम ज्यादा होने से क्या और कितना फर्क पड़ता है. प्रतिरक्षा का अहम हिस्सा हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ने के लिए एक खास तरह की प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं. एंटीबॉडी इसी सिस्टम का एक बहुत अहम हिस्सा होती हैं. लाइव साइंस के अनुसार ये खास तरह के वाय अक्षर के आकार के प्रोटीन होते है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं पर हमला करने वालों से जुड़ जाती है. इन हमला करने वालों में वायरस बैक्टीरिया, फफूंद, परजीवी जैसे सभी सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं और इनके बाहरी होने के पहचान के हिस्सों को एंटीजन कहा जाता है जिन पर एंटीबॉडी की खास निगाह होती है. होती हैं एंटीबॉडी एंटीबॉडी हमारे प्रतरिक्षा प्रणाली में एक तरह की खोजी सैन्यदल का काम करती हैं और हमलावर तत्वों के एंटीजन को खोज कर उनकी पहचान करने का काम करती हैं जिससे उन्हें नष्ट किया जा सके. वे कोशिकाओं से निकल शरीर के दूसरे हिस्सों में इनका ‘शिकार’ करने का काम करती हैं. अपने लक्ष्य की पहचान करने के बाद ये उससे जुड़ जाती हैं जिससे हमलावर रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. पांच तरह की एंटीबॉडी एंटीबॉडी एक तरह के अनुकूलक प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होती हैं जो यह सीखती हैं कि क...

एचसीवी एंटीबॉडी टेस्ट क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है

हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) एंटीबॉडी टेस्ट क्या है? यह टेस्ट शरीर में मौजूद उन एंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए किया जाता है जो कि एचसीवी की प्रतिक्रिया के रूप में बनते हैं। एचसीवी के विकसित होने का समय (इन्क्यूबेशन पीरियड) सात से नौ हफ्ते होता है। कुछ समय के बाद एचसीवी का ये वायरस खून चढ़ाने, संक्रमित सुई लगने, इंजेक्शन द्वारा ड्रग्स लेने, शारीरिक संबंध बनाने, माँ द्वारा बच्चे में, टैटू बनवाने या अस्पताल में किसी प्रक्रिया से व्यक्ति के रक्त में जा सकते हैं। एचसीवी संक्रमण के निम्न लक्षणों हो सकते है: • • • • • गहरे रंग का पेशाब आना • • • • • • • एचसीवी एंटीबॉडी टेस्ट किसलिए किया जाता है? एचसीवी एंटीबॉडी टेस्ट उन लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए किया जाता है जिनमें एचसीवी संक्रमण होने का संदेह होता हैं। एचसीवी का जल्दी पता लगने से इलाज जल्दी शुरू करने में मदद मिलती है जिससे दूसरे लोगों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। एचसीवी एंटीबॉडी की जांच निम्न लोगों को करवाने को कहा जाता है: • जिन लोगों ने एचसीवी पॉजिटिव व्यक्ति का रक्त लिया है • जिन लोगों ने रक्त चढ़वाया है • जिन लोगों के लिवर टेस्ट के परिणाम असामान्य आए हैं • • जो लोग इंजेक्शन से ड्रग्स लेते हैं • जो लोग • ऐसे बच्चों को जिनकी माताएं एचसीवी-पॉजिटिव हैं • ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारियों को जो ब्लड और टिशू संबंधी कार्य करते हैं • ऐसे लोग जिनके सेक्सुअल पार्टनर एचसीवी से संक्रमित हैं • जिनका जन्म 1945 से 1965 के बीच हुआ है myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई ल...

आईजीजी एंटीबॉडीज (IgG antibodies) क्या है?

कोविड-19 के समय से आप लोगों ने एंटीबॉडीज का नाम सुना ही होगा। एंटीबॉडी या सीरोलॉजी टेस्ट (serology test) पुराने वायरल इंफेक्शन और इसके प्रति शरीर की इम्यून रेस्पॉन्स का पता लगाने के लिए किया जाता है। ये कई तरह के होते हैं, उनमें से ही एक है आईजीजी एंटीबॉडीज (IgG antibodies)। जो आपके ब्लड में इम्युनोग्लोबुलिन के लेवल को मापने के लिए एक इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट किया जाता है, जिसे एंटीबॉडी भी कहा जाता है। एंटीबॉडी बैक्टीरिया, वायरस (virus), फंगस, एनिमल डांडेर (animal dander), या कैंसर सेल्स के रेस्पॉन्स में बॉडी की इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए गए सब्स्टांसेस हैं। एंटीबॉडी फॉरेन सब्स्टांसेस से अटैच हो जाते हैं इसलिए इम्यून सिस्टम उन्हें डिस्ट्रॉय कर सकती है। लेकिन, अगर इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी के लो लेवल बनाती है, तो आपको बार-बार इंफेक्शन होने की अधिक संभावना हो सकती है। इस आर्टिकल के जरिए आपको आईजीजी एंटीबॉडीज के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी, जो आपके लिए बेनेफिशियल साबित होगी। इससे आप समझ सकते हैं कि आईजीजी एंटीबॉडीज के लो लेवल या हाई लेवल से आपका शरीर कैसे प्रभावित होता है । और पढ़ें: आईजीजी एंटीबॉडीज (I gGantibodies) क्या हैं? एंटीबॉडी हैं जो और पढ़ें: इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट (Immunoglobulin Test) क्या है? इस टेस्ट के जरिए शरीर में मौजूद इम्युनोग्लोबुलिन नामक कुछ एंटीबॉडी की मात्रा की जांच की जाती है। एंटीबॉडीज प्रोटीन हैं जो आपकी इम्यून सेल्स बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक इन्वेडर्स से लड़ने के लिए बनाती हैं। इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट से पता चलता है कि शरीर बहुत अधिक या बहुत कम इम्युनोग्लोबुलिन बनाता है। ब्लड में बहुत कम इम्युनोग्लोबुलिन होने से इंफेक्शन होने की अधिक संभावना ह...

एंटीजन और एंटीबॉडी क्या है, प्रकार और कार्य

बाहर के दूषित वातावरण और कई अन्य कारणों के चलते व्यक्ति को हमेशा ही रोगों का खतरा बना रहता है। लेकिन मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र के द्वारा आप कई तरह के रोगों से बिना इलाज के ही सुरक्षित रहते हैं और आपके प्रतिरक्षा तंत्र में एंटीबॉडी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रोगाणुओं के दुष्प्रभाव को कम व नष्ट करने का कार्य इन्हीं एंटीबॉडीज के द्वारा किया जाता है। शरीर में एंटीजन के प्रवेश करने के बाद एंटीबॉडी का बनना शुरू हो जाता है। (और पढ़ें - इस लेख में आपको एंटीबॉडी के बारे में बताया गया है। साथ ही आपको एंटीबॉडी के प्रकार, एंटीबॉडी के कार्य और एंटीबॉडी की खोज आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। (और पढ़ें - • • • • • • • • • • • एंटीबॉडी को इम्युनोग्लोबुलिन भी कहा जाता है। यह शरीर द्वारा उत्पन्न प्रोटीन है, जो एंटीजन नामक बाहरी हानिकारक तत्वों से लड़ने में मदद करता है। शरीर में एंटीजन प्रवेश करने के बाद प्रतिरक्षा तंत्र को एंटीबॉडीज बनाने के लिए उत्तेजित करते हैं। एंटीबॉडीज एंटीजन के साथ जुड़कर या एंटीजन को बांध देते हैं। इसके साथ ही एंटीबॉडीज एंटीजन को निष्क्रिय भी करते हैं। एक स्वस्थ व्यस्क के शरीर में हजारों की संख्या में एंटीबॉडी होते हैं। (और पढ़ें - एंटीबॉडीज विशेष तरह की सफेद रक्त कोशिकाओं से स्त्रावित होने वाले Y आकार केप्रोटीन होते हैं। इनमें (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। एंटीबॉडी के विभिन्न प्...

एंटीबॉडी हिंदी में।एंटीबॉडी की संरचना और प्रकार

Table of Contents • • • • • • • • • • एंटीबॉडी क्या है? हिंदी में एंटीबॉडी रासायनिक रूप से प्रोटीन मॉलिक्यूल होते हैं जो प्रतिरक्षी प्रोटीन की तरह से काम करते हैं। और शरीर में इंफेक्शन पैदा करने वाले जर्म्स या माइक्रोब्स और प्रतिजन(एंटीजन ) को इनएक्टिव करते हैं। इसलिए इनको आर्मी ऑफ प्रोटीन भी कहते हैं जो ब्लड के प्लाज्मा में और लिम्फ में मौजूद होते हैं। एंटीबॉडी की संरचना एक सामान्य मोनोमेरिक एंटीबॉडी, चार पॉलिपेप्टाइड चैन (four polypeptide chains) से मिलकर बना होता है । जिसमें से दो हेवी चेन और दो लाइट चेन (two heavy and two light chains) होती है। इन चारों चेन को H2L2 से दिखाया जाता है यह चारों चेन आपस में डाईसल्फाइड बॉन्ड (Disulphide bonds) द्वारा जुड़ी होती है । जिससे अंग्रेजी की कैपिटल वाई (Y) या गामा जैसी रचना बनाती है, इसीलिए इसे गामा ग्लोबुलिन (Gamma Globulin) भी कहते हैं। चुकीं एंटीबॉडी की आकार ग्लोबुलर होता है, और क्योंकि यहां इम्यून रिस्पांस (immune response) में भाग लेते हैं। इसलिए इनको इम्यूनोग्लोबुलीन (Immunoglobulin-Ig) भी कहा जाता है । एक मोनोमेरिक एंटीबॉडी में कुल मिलाकर चार पॉलिपेप्टाइड चेन दिखती हैं , वही डाइमेरिक एंटीबॉडी में आठ पॉलिपेप्टाइड चेन्स होती है। जबकि पेंटामेरिक एंटीबॉडी में 20 पॉलिपेप्टाइड चेन्स होती है। उदाहरण के तौर पर- एंटीबॉडी जी में दो हेवी चेन और दो लाइट चेन होती है। इसी तरह से एंटीबॉडी ए और डी में और एंटीबॉडी में भी दो हेवी चेन्स और दो लाइट चेन्स से होती है। एंटीबॉडी ए में मोनोमेरिक और डाइमेरिक दोनों कंडीशन होती है। डाइमेरिक में चार हैवी चेन्स और चार लाइट चेन्स होती है । एंटीबॉडी एम में 10 हैवी चेन और 10 लाइट चेन होती है । एंटीबॉडी का न...

Chikanguniya Vaccine : इन 2 देशों में जल्द आएगी पहली चिकनगुनिया वैक्सीन!

Written by |Published : June 14, 2023 2:26 PM IST • • • • • Chikanguniya Vaccine : चिकनगुनिया मौजूदा वक्त में मच्छर के काटने से होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर उपचार न किया जाए तो ये जानलेवा साबित हो सकता है। इस बीमारी का फिलहाल कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन एक नए ट्रायल में कुछ उम्मीद जगी है कि जल्द ही इसकी वैक्सीन हमारे बीच होगी। फ्रेंच-ऑस्ट्रियन ड्रगमेकर वैलनेवा नाम की कंपनी ने चिकनगुनिया के खिलाफ वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की है, जिसके नतीजे काफी आशाजनक दिखाई दे रहे हैं। ये ट्रायल अमेरिका में किए गए थे, जिसके नतीजे काफी अच्छे सामने आए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये वायरस अमेरिका में काफी दुर्लभ है और इसपर और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है। क्या होता है इसमें गौरतलब हो कि चिकनगुनिया वायरसके लिए फिलहाल कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी में बुखार और कभी-कभार जोड़ों में तेज दर्द होता है, जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है। इन दो देशों में सबसे पहले कंपनी का कहना है कि ये वैक्सीन, जिसका नाम VLA1553 है, सबसे पहले अमेरिका और कनाडा में अप्रूवल कर चुकी है, जिसके बाद स्वास्थ्य निकायों ने इसकी समीक्षा की है। ये पहली वैक्सीन है, जिसे चिकनगुनिया के इस्तेमाल में यूज किया जाना चाहिए। कैसे हुई ये स्टडी इस नए ट्रायल यानि तीसरे चरण में प्लेसेबो कंट्रोल किया गया था, जिसमें वायरस से कमजोर हुए इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के माध्यम से बूस्ट करना था। 266 लोगों के एक समूह को वैक्सीन लगाई गई, जिसमें से 263 यानि की 99 फीसदी लोगों में चिकनगुनिया वायरसको खत्म करने वाली एंटीबॉडी बनी। द लांसेट जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के मुताबिक, अभी तक हुए इस ट्रायल में ...