Ews आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

  1. EWS 10% आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में आज तीसरे दिन सुनवाई जारी, वकील ने कहा
  2. Ews Reservation:किसे मिलेगा Ews आरक्षण का फायदा, क्या हैं शर्तें, कहां फंसा था पेच? जानिए सबकुछ
  3. 10 per cent EWS quota Supreme Court reserves verdict on pleas
  4. EWS आरक्षण पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच का औचित्य
  5. Hearing in Supreme Court on EWS Reservation
  6. मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जानें
  7. Supreme Court decision will come today on 10 percent reservation being given to EWS bench of 5 judges is hearing the matter
  8. Supreme Court decision will come today on 10 percent reservation being given to EWS bench of 5 judges is hearing the matter
  9. मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जानें
  10. 10 per cent EWS quota Supreme Court reserves verdict on pleas


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EWS 10% आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में आज तीसरे दिन सुनवाई जारी, वकील ने कहा

नई दिल्ली: सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई आज तीसरे दिन सुनवाई जारी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि सरकारी नीतियों का लाभ लक्षित समूह तक पहुंचाने के लिए आर्थिक उपाय किये जाने को प्रतिबंधित नहीं किया गया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में वकीलों द्वारा ईडब्ल्यूएस को मिल रहे 10 प्रतिशत वाले आरक्षण का विरोध करते हुए कहा गया कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है और संविधान के साथ भी खिलवाड़ है. एडवोकेट पी विल्सन ने अपनी दलीलें रखते हुए साफ कहा है कि इस प्रकार का आरक्षण संविधान की पहचान को भी बर्बाद करने का काम करता है. कोर्ट के सामने उन्होंने कहा कि 103वें संशोधन अधिनियम स्पष्ट रूप से संविधान के सिद्धांतों को नजरअंदाज करता है. इसकी पहचान को खत्म करने का प्रयास करता है. ऐसा होने से समानता वाले अधिकार को खतरा हो जाता है. ऐसे मामलों में हमें किसी ऑर्डर के आने का इंतजार नहीं करना चाहिए कि तब जाकर ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए. वहीं, वरिष्ठ वकील रवि वर्मा कुमार ने भी अपनी दलीलें रखते हुए कहा था कि एक पक्ष को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर दूसरों के साथ अन्याय किया जा रहा है. दूसरे दिन की सुनवाई में क्या हुआ था सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि सरकारी नीतियों का लाभ लक्षित समूह तक पहुंचाने के लिए आर्थिक उपाय किये जाने को प्रतिबंधित नहीं किया गया है. हालांकि, कोर्ट ने यह मौखिक टिप्पणी की थी. कई वकीलों ने चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि कि...

Ews Reservation:किसे मिलेगा Ews आरक्षण का फायदा, क्या हैं शर्तें, कहां फंसा था पेच? जानिए सबकुछ

EWS Reservation: किसे मिलेगा EWS आरक्षण का फायदा, क्या हैं शर्तें, कहां फंसा था पेच? जानिए सबकुछ विस्तार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने पर अपनी मुहर लगा दी है। मामले की सुनवाई करते हुए पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने EWS आरक्षण के पक्ष में 3: 2 के अंतर से अपना फैसला सुनाया। तीन न्यायाधीश ने अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि चीफ जस्टिस और एक न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई। आइए अब जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में ये मामला क्यों पहुंचा था? EWS आरक्षण का फायदा किन्हें मिलेगा? सबसे पहले समझें क्या है EWS, कहां फंसा था पेच? EWS का मतलब है आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण। यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। इस आरक्षण से SC, ST, OBC को बाहर किया गया है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया था। इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया किया था। वैसे कानूनन, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50 फीसदी सीमा के भीतर ही है। मामला यहीं फंस गया था कई लोगों को आपत्ति थी कि सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलने से यह करीब 60 फीसदी के बराबर हो जाएगा जो कि संविधान को घोर उल्लंघन है। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इसके अलावा फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पांच छात्रों ने भी आरक्षण के खिलाफ याचिका द...

10 per cent EWS quota Supreme Court reserves verdict on pleas

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा में ईडब्लूएस को 10 फीसदी आरक्षण के मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है। यह सुनवाई शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हो रही थी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनीं। इसके बाद इस कानूनी प्रश्न पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि ईडब्ल्यूएस कोटा ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है, या नहीं। शीर्ष अदालत में इस संबंध में साढ़े छह दिन तक सुनवाई हुई। इससे पहले 13 सितंबर को हुई सुनवाई में एकेडेमिशियन मोहन गोपाल ने ईडब्लूएस कोटा का विरोध किया था। वहीं अंतिम दिन याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने केंद्र सरकार की दलीलों का जवाब दिया। रिज्वाइंडर तर्क की शुरुआत सीनियर एडवोकेट प्रो. रवि वर्मा कुमार ने की। उन्होंने पहाड़ों, गहरी घाटियों और आधुनिक सभ्यता से दूर क्षेत्रों में रहने वाली विभिन्न अनुसूचित जनजातियों की दुर्दशा के बारे में बताया। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक आरक्षण और गरीबी के बीच गठजोड़ प्रदान नहीं किया है। उसने यह भी नहीं समझाया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण के बजाय अन्य लाभ क्यों नहीं दिए जा सकते हैं।

EWS आरक्षण पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच का औचित्य

अगर पिछड़े लोगों को भी EWS आरक्षण के दायरे में लाने की मांग स्वीकार हो जाती है तो फिर EWS की पूरी मंशा ही विफल हो सकती है. जिन शैक्षणिक संस्थानों को सरकारी मदद नहीं मिल रही उन्हें आर्थिक या अन्य आरक्षण के दायरे में रखने के बारे में उठे संवैधानिक विवादों का समाधान वर्तमान सुनवाई से होना मुश्किल है. ऐसे में 9 जज या उससे बड़ी बेंच में सुनवाई की मांग हो सकती है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS ) को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी तक आरक्षण देने के लिए 2019 में 103वें संविधान संशोधन हुआ था. इसको संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के साथ सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के आधार पर असंवैधानिक घोषित करवाने के लिए पूर्व जज समेत कई लोगों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. पांच दशक पहले केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों ने कहा था कि संसद को कानून बनाने का पूरा अधिकार है बशर्ते उससे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन ना हो. उसके बाद 1992 में इंदिरा साहनी मामले में 9 जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षण की लिमिट 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पांच जजों की संविधान पीठ 5 दिन की सुनवाई के बाद फैसला करेगी कि EWS आरक्षण से संविधान के मूल ढाँचे का उल्लंघन होता है या नहीं? लेकिन इस जटिल मामले में कई अन्य संवैधानिक मसले जुड़े होने की वजह से आगे चलकर मुकदमेबाजी के कई राउंड हो सकते हैं. क्रीमीलेयर के अनुसार 8 लाख रुपये की लिमिट पर विवाद बना रहेगा सरकार ने 8 लाख रुपए से सालाना आमदनी से कम आय वाले लोगों को इस कैटेगरी में आरक्षण की सुविधा के लिए जनवरी 2019 में अधिसूचना जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हुई 2021 की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार भारत में 93.7 फीस...

Hearing in Supreme Court on EWS Reservation

Hearing in Supreme Court on EWS Reservation | ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में रखा अपना पक्ष, कहा- इससे दूसरे आरक्षित वर्गों की सीट की संख्या पर नहीं पड़ेगा असर | Hindi News, EWS Reservation: ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में रखा अपना पक्ष, कहा- इससे दूसरे आरक्षित वर्गों की सीट की संख्या पर नहीं पड़ेगा असर Supreme Court Hearing on EWS Reservation: केंद्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन का बचाव करते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि नामांकनों में आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्गों के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से सामान्य और आरक्षित श्रेणियों के लिए सीट की उपलब्धता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. चीफ जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने प्रवेश और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ को सूचित किया कि सरकार ने सीट बढ़ाने की मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा तैयार करने के वास्ते केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों को 4,315 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं. स्कॉलरशिप का डेटा भी मांगा सुनवाई के अंत में, पीठ ने विधि अधिकारी से कहा कि वह व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वालों के लिए उपलब्ध छात्रवृत्ति की संख्या के बारे में डेटा प्रदान करें. सातवें दिन की सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने वाले विधि अधिकारी ने कहा कि संसद को कार्रवाई करने के लिए ऐसे आंकड़ों की आवश्यकता होगी और ये मुद्दे संशोधन की संवैधानिकता को प्रभावित नहीं करेंगे. संविधान पीठ में कौन-कौन है शामिल दूसरी ओर, शिक्षाव...

मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जानें

मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें- क्या हैं मामले सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर दो अहम मामलों में आज सुनवाई है। भारत में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सालों से राजनीतिक होती आ रही है। इडब्लूएस कोटा और मुस्लिम (एसइबीसी) आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई करेगी। नई दिल्ली, आनलाइन डेस्‍क। क्‍या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और मुस्लिम (एसइबीसी) को आरक्षण मिलना चाहिए? भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) कोटा और मुस्लिम (एसइबीसी) आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर 13 सितंबर यानि आज से सुनवाई करेगी। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण...! बता दें कि मुस्लिम एसईबीसी आरक्षण से संबंधित मामला 2005 की दीवानी अपील है, जो यह मुद्दा उठाता है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित किया जा सकता है? दूसरा मामला संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता से संबंधित है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 55/2019) के लिए आरक्षण का प्रावधान पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट को यह जांचना है कि क्‍या ये आरक्षण संविधान के दायरे में आता है या नहीं? 6 सितंबर को सुनवाई की रूपरेखा तय होगी भारत में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सालों से राजनीतिक होती आ रही है। कई राजनीतिक दल आरक्षण को एक लालच के रूप के इस्‍तेमाल करते हैं। कई बार कोर्ट सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को असंवैधानिक भी करार दे चुकी है। अब देखना यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और मुस्लिम (एसइबीसी) को ...

Supreme Court decision will come today on 10 percent reservation being given to EWS bench of 5 judges is hearing the matter

भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट : भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अगुवाई में शीर्ष अदालत की पांच-जजों की संविधानिक पीठ इस मामले में पर अपना फैसला सुनाया। 5 में से 4 जजों ने EWS कोटा के तहत मिल रहे 10% आरक्षण को सवैंधानिक करार दिया। सुबह से ही इस बात को लेकर चारों ओर चर्चा का माहौल था कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय किस दिशा में होगा। लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की 4 ने इसेसंवैधानिक करार देते हुए अपना अंतिम निर्णय जारी किया। भारत का सर्वोच्च अदालत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को नौकरी और शिक्षा में मिल रहे 10% आरक्षण की संवैधानिक वैधता पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि आरक्षण सविंधान का उल्लंघन नहीं करता।भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अगुवाई में शीर्ष अदालत की पांच जजोंकी संविधानिक पीठ इस मामले पर अपना फैसला जारी कियाहै। 5 जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में 103 वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद कोटा की वैधता पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जिसने भारत में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया। मैराथन सुनवाई साढ़े छह दिन तक चली थी। EWS आरक्षण3 प्रमुख मुद्दे- EWS आरक्षण के मुद्दे पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुख्यमुद्दे तय किए थे: 1. क्या ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के लिए 103वां संविधान संशोधन अधिनियम राज्य को आर्थिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है। 2. क्या यह संशोधन राज्य को निजी गैर-सहायता प्राप्...

Supreme Court decision will come today on 10 percent reservation being given to EWS bench of 5 judges is hearing the matter

भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट : भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अगुवाई में शीर्ष अदालत की पांच-जजों की संविधानिक पीठ इस मामले में पर अपना फैसला सुनाया। 5 में से 4 जजों ने EWS कोटा के तहत मिल रहे 10% आरक्षण को सवैंधानिक करार दिया। सुबह से ही इस बात को लेकर चारों ओर चर्चा का माहौल था कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय किस दिशा में होगा। लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की 4 ने इसेसंवैधानिक करार देते हुए अपना अंतिम निर्णय जारी किया। भारत का सर्वोच्च अदालत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को नौकरी और शिक्षा में मिल रहे 10% आरक्षण की संवैधानिक वैधता पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि आरक्षण सविंधान का उल्लंघन नहीं करता।भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अगुवाई में शीर्ष अदालत की पांच जजोंकी संविधानिक पीठ इस मामले पर अपना फैसला जारी कियाहै। 5 जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में 103 वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद कोटा की वैधता पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जिसने भारत में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया। मैराथन सुनवाई साढ़े छह दिन तक चली थी। EWS आरक्षण3 प्रमुख मुद्दे- EWS आरक्षण के मुद्दे पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुख्यमुद्दे तय किए थे: 1. क्या ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने के लिए 103वां संविधान संशोधन अधिनियम राज्य को आर्थिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है। 2. क्या यह संशोधन राज्य को निजी गैर-सहायता प्राप्...

मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जानें

मुस्लिम SEBC और EWS कोटा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें- क्या हैं मामले सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर दो अहम मामलों में आज सुनवाई है। भारत में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सालों से राजनीतिक होती आ रही है। इडब्लूएस कोटा और मुस्लिम (एसइबीसी) आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई करेगी। नई दिल्ली, आनलाइन डेस्‍क। क्‍या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और मुस्लिम (एसइबीसी) को आरक्षण मिलना चाहिए? भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) कोटा और मुस्लिम (एसइबीसी) आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर 13 सितंबर यानि आज से सुनवाई करेगी। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण...! बता दें कि मुस्लिम एसईबीसी आरक्षण से संबंधित मामला 2005 की दीवानी अपील है, जो यह मुद्दा उठाता है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित किया जा सकता है? दूसरा मामला संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता से संबंधित है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 55/2019) के लिए आरक्षण का प्रावधान पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट को यह जांचना है कि क्‍या ये आरक्षण संविधान के दायरे में आता है या नहीं? 6 सितंबर को सुनवाई की रूपरेखा तय होगी भारत में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सालों से राजनीतिक होती आ रही है। कई राजनीतिक दल आरक्षण को एक लालच के रूप के इस्‍तेमाल करते हैं। कई बार कोर्ट सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को असंवैधानिक भी करार दे चुकी है। अब देखना यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और मुस्लिम (एसइबीसी) को ...

10 per cent EWS quota Supreme Court reserves verdict on pleas

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा में ईडब्लूएस को 10 फीसदी आरक्षण के मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है। यह सुनवाई शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हो रही थी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अन्य वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनीं। इसके बाद इस कानूनी प्रश्न पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि ईडब्ल्यूएस कोटा ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है, या नहीं। शीर्ष अदालत में इस संबंध में साढ़े छह दिन तक सुनवाई हुई। इससे पहले 13 सितंबर को हुई सुनवाई में एकेडेमिशियन मोहन गोपाल ने ईडब्लूएस कोटा का विरोध किया था। वहीं अंतिम दिन याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने केंद्र सरकार की दलीलों का जवाब दिया। रिज्वाइंडर तर्क की शुरुआत सीनियर एडवोकेट प्रो. रवि वर्मा कुमार ने की। उन्होंने पहाड़ों, गहरी घाटियों और आधुनिक सभ्यता से दूर क्षेत्रों में रहने वाली विभिन्न अनुसूचित जनजातियों की दुर्दशा के बारे में बताया। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक आरक्षण और गरीबी के बीच गठजोड़ प्रदान नहीं किया है। उसने यह भी नहीं समझाया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण के बजाय अन्य लाभ क्यों नहीं दिए जा सकते हैं।