गांधी सागर बांध

  1. बाँध
  2. गांधीसागर बांध
  3. गांधीसागर बांध
  4. गांधीसागर बाँध
  5. Rana Pratap Sagar Dam
  6. गांधी सागर परियोजना
  7. गांधीसागर बाँध
  8. बाँध
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बाँध

अनुक्रम • 1 राजस्थान के प्रमुख बांध • 1.1 जवाई बांध • 1.2 बरेठा बांध • 1.3 गांधी सागर बांध • 1.4 राणा प्रताप सागर बांध • 1.5 जवाहर सागर बांध • 1.6 कोटा बैराज • 1.7 टोरड़ी सागर बांध • 1.8 जाखम बांध • 1.9 बीसलपुर परियोजना • 1.10 मेजा बांध • 1.11 पांचना बांध • 1.12 औराई सिंचाई परियोजना • 1.13 सोम कमला अंबा परियोजना • 1.14 बांकली बांध • 1.15 भीम सागर परियोजना • 1.16 अडवाण बांध • 1.17 नारायण सागर बांध • 1.18 चाकन सिंचाई परियोजना • 1.19 हरसोर बांध • 1.20 अजान बांध • 1.21 मोतीझील बांध • 1.22 नंदसमंद बांध • 1.23 सीकरी बांध • 2 इन्हें भी देखें • 3 सन्दर्भ राजस्थान के प्रमुख बांध [ ] • जैसलमेर जिले की खडीन अधिक प्रसिद्ध है। • खडीन के अंतर्गत दीवार बनाकर वर्षा का जल रोका जाता है। • • बून्द बून्द सिंचाई पद्धति इजराइल की है। • राजस्थान का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10.41% है जबकि राज्य में सही जल उपलब्धता 1.16% है। • राजस्थान में सर्वाधिक फ्लोराइड नागौर जिले के गांव में पाया जाता है इसलिए नागौर में कूबड़ पट्टी पाई जाती है क्योंकि नागौर जिले की गांव में लोग इसके कारण कुबडे हो जाते हैं। • सुजलाम परियोजना का राजस्थान में शुभारम्भ अब्दुल कलाम जी ने बाड़मेर में किया था। • राज्य सरकार ने 19 सितंबर 1999 को राज्य की जल नीति घोषणा की। जवाई बांध [ ] • जवाई बाँध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है। • जवाई बाँध की नींव 13 मई 1946 को जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा रखी गई है। • जवाई बाँध लूनी की सहायक नदी जवाई पर पाली जिले में स्थित है। • जवाई बाँध का निर्माण इंजीनियर ऐडगर की देखरेख में हुआ। • जवाई बाँध पाली एवं जोधपुर जिले में जलापूर्ति का मुख्य स्त्रोत है। • राजस्थान के गठन के प...

गांधीसागर बांध

मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी में बना गांधीसागर बांध आजाद भारत के शुरुआती बड़े बांधों में से एक था। भाखड़ा-नांगल और हीराकुड के साथ गांधी सागर बांध उन बांधों में से एक था, जिन्हें प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। श्री नेहरू ने गांधी सागर का उद्घाटन 19 नवंबर 1960 में किया था। यह महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय चंबल नदी घाटी योजना का पहला व प्रमुख बांध है, जो पानी के मुख्य संचय का काम करता है। बाद में इसके नीचे चंबल नदी पर तीन बांध और बनेμ राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और फिर कोटा बैराज। पहले तीन बांधों से बिजली बनती है और कोटा बैराज से नहरों में पानी छोड़ा जाता है। ये नहरें राजस्थान (कोटा, बांरा और बूंदी जिलों) और मध्यप्रदेश (मुरैना, भिंड और शिवपुर जिलों) में सिंचाई करती हैं। राणा प्रताप सागर जलाशय के किनारे ही राजस्थान अणु बिजली परियोजना की चार इकाइयां हैं तथा अब दो और बन रही हैं। कोटा में कोयले से बिजली बनाने का कारखाना है। उसे भी यही पानी मिलता है। लगभग 60 हजार हैक्टेयर क्षेत्रा में फैले विशाल गांधी सागर में 59 गांव पूरी तरह, 169 आंशिक यानी कुल 228 गांव और बहुत बड़ी मात्राा में खेत तथा जंगल डूब में आए थे। डूब में आए लोगों को नाममात्रा का मुआवजा दिया गया था। पुनर्वास पर नहीं के बराबर खर्च किया गया। आंशिक डूब में आए गांव तो साल में कई महीने टापू बनकर रह जाते हैं। उन्हें नगर या अपने खेतों तक पहुंचने में भी काफी दिक्कत होती है। पानी में टूटी-फूटी नाव से आवागमन करने में गांधीसागर जलाशय में अनेक छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। जरूरत से बड़ा बांध और जलाशय बनाने से अनावश्यक डूब का आकार भी बहुत है। रामपुरा नगर को डूब में आने से एक दीवार बना...

गांधीसागर बांध

गांधीसागर बांध जिला मुख्यालय से 168 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डैम का निर्माण चंबल नदी पर किया गया है। जिले में गांधी सागर बांध / पावर स्टेशन के निर्माण का आधारशिला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 7 मार्च, 1954 को रखी गई थी। बिजली स्टेशन में 1957 में काम शुरू किया गया था, जबकि बिजली उत्पादन और इसका वितरण नवंबर, 1960. गांधी सागर बांध और पावर स्टेशन के निर्माण पर कुल खर्च लगभग रु 18 करोड़ 40 लाख। गांधी सागर पावर स्टेशन 65 मीटर लंबा और 56 फीट चौड़ा है। पावर स्टेशन में 23 मेगा वाट क्षमता की पांच टरबाइन हैं, इस प्रकार कुल स्थापित क्षमता 115 मेगा वाट है। गांधी सागर पावर स्टेशन अब पूरे जिले में बिजली की आपूर्ति करता है। जिले में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के अलावा, इस बिजली घर से बिजली मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य में दूर दूर तक सप्लाई की जाती है।

गांधीसागर बाँध

100 किलोमीटर की दूरी पर गांधी सागर के नाम का एक बड़ा बांध है। यह स्थान बहुत लोकप्रिय हैं एवं पूरे साल कई लोग इस स्थान पर आते हैं । आप बांध का आनंद ले सकते हैं, आप कुछ क्षेत्रों में तैर सकते हैं और आसपास के हरे-भरे दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं। यदि आप टरबाइन के बारे में जानना पसंद करते हैं तो यह बांध क्षेत्र आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। हालांकि, बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले पहले अनुमति लें।

Rana Pratap Sagar Dam

There is no photography allowed on the dam. However, visiting this dam is a delight, and occasionally, when the dam brims with water as a result of heavy rainfall, its gates are opened to enable surplus water to pour out, creating a heart-stopping spectacle of water overflow (called Chaadar Chalna in local lingo). The Rana Pratap Sagar Dam is a 53.8 m (177 ft) high gravity masonry dam in India. It is part of an integrated river development program that includes four projects: the Gandhi Sagar Dam (48 km upstream), the Jawahar Sagar Dam (28 km downstream), and the Kota Barrage (28 km downstream) for irrigation. The dam generates 172 MW (four units of 43 MW each) of hydropower at the dam toe powerhouse adjacent to the spillway, using discharges from the Gandhi Sagar Dam and extra storage generated at the dam by the captured catchment area. Since commissioning, the anticipated generating capacity of 473.0 GWh has been surpassed in most years. The reservoir’s water stretches from the dam to the Gandhi Sagar Dam. You can see the huge statue of the great Maharana Pratap in his favorite house called Chetak on a hillock. It is made of alloy metal. How to Reach Rana Pratap Sagar Dam You will need to reach Kota Junction station by train. From here you will need to take a taxi. The Dam is around 55 Km from Kota Railway station and will take about an hour by taxi to reach the location. राणा प्रताप सागर दामो राणा प्रताप सागर बांध रावतभाटा का मुख्य आकर्षण है। भारत की तत्कालीन प्रधान मंत...

गांधी सागर परियोजना

मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी में बना गांधीसागर बांध आजाद भारत के शुरुआती बड़े बांधों में से एक था। भाखड़ा-नांगल और हीराकुड के साथ गांधी सागर बांध उन बांधों में से एक था, जिन्हें प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। श्री नेहरू ने गांधी सागर का उद्घाटन 19 नवंबर 1960 में किया था। यह महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय चंबल नदी घाटी योजना का पहला व प्रमुख बांध है, जो पानी के मुख्य संचय का काम करता है। बाद में इसके नीचे चंबल नदी पर तीन बांध और बनेμ राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और फिर कोटा बैराज। पहले तीन बांधों से बिजली बनती है और कोटा बैराज से नहरों में पानी छोड़ा जाता है। ये नहरें राजस्थान (कोटा, बांरा और बूंदी जिलों) और मध्यप्रदेश (मुरैना, भिंड और शिवपुर जिलों) में सिंचाई करती हैं। राणा प्रताप सागर जलाशय के किनारे ही राजस्थान अणु बिजली परियोजना की चार इकाइयां हैं तथा अब दो और बन रही हैं। कोटा में कोयले से बिजली बनाने का कारखाना है। उसे भी यही पानी मिलता है। लगभग 60 हजार हैक्टेयर क्षेत्रा में फैले विशाल गांधी सागर में 59 गांव पूरी तरह, 169 आंशिक यानी कुल 228 गांव और बहुत बड़ी मात्राा में खेत तथा जंगल डूब में आए थे। डूब में आए लोगों को नाममात्रा का मुआवजा दिया गया था। पुनर्वास पर नहीं के बराबर खर्च किया गया। आंशिक डूब में आए गांव तो साल में कई महीने टापू बनकर रह जाते हैं। उन्हें नगर या अपने खेतों तक पहुंचने में भी काफी दिक्कत होती है। पानी में टूटी-फूटी नाव से आवागमन करने में गांधीसागर जलाशय में अनेक छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। जरूरत से बड़ा बांध और जलाशय बनाने से अनावश्यक डूब का आकार भी बहुत है। रामपुरा नगर को डूब में आने से एक दीवार बना...

गांधीसागर बाँध

100 किलोमीटर की दूरी पर गांधी सागर के नाम का एक बड़ा बांध है। यह स्थान बहुत लोकप्रिय हैं एवं पूरे साल कई लोग इस स्थान पर आते हैं । आप बांध का आनंद ले सकते हैं, आप कुछ क्षेत्रों में तैर सकते हैं और आसपास के हरे-भरे दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं। यदि आप टरबाइन के बारे में जानना पसंद करते हैं तो यह बांध क्षेत्र आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। हालांकि, बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले पहले अनुमति लें।

बाँध

अनुक्रम • 1 राजस्थान के प्रमुख बांध • 1.1 जवाई बांध • 1.2 बरेठा बांध • 1.3 गांधी सागर बांध • 1.4 राणा प्रताप सागर बांध • 1.5 जवाहर सागर बांध • 1.6 कोटा बैराज • 1.7 टोरड़ी सागर बांध • 1.8 जाखम बांध • 1.9 बीसलपुर परियोजना • 1.10 मेजा बांध • 1.11 पांचना बांध • 1.12 औराई सिंचाई परियोजना • 1.13 सोम कमला अंबा परियोजना • 1.14 बांकली बांध • 1.15 भीम सागर परियोजना • 1.16 अडवाण बांध • 1.17 नारायण सागर बांध • 1.18 चाकन सिंचाई परियोजना • 1.19 हरसोर बांध • 1.20 अजान बांध • 1.21 मोतीझील बांध • 1.22 नंदसमंद बांध • 1.23 सीकरी बांध • 2 इन्हें भी देखें • 3 सन्दर्भ राजस्थान के प्रमुख बांध [ ] • जैसलमेर जिले की खडीन अधिक प्रसिद्ध है। • खडीन के अंतर्गत दीवार बनाकर वर्षा का जल रोका जाता है। • • बून्द बून्द सिंचाई पद्धति इजराइल की है। • राजस्थान का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10.41% है जबकि राज्य में सही जल उपलब्धता 1.16% है। • राजस्थान में सर्वाधिक फ्लोराइड नागौर जिले के गांव में पाया जाता है इसलिए नागौर में कूबड़ पट्टी पाई जाती है क्योंकि नागौर जिले की गांव में लोग इसके कारण कुबडे हो जाते हैं। • सुजलाम परियोजना का राजस्थान में शुभारम्भ अब्दुल कलाम जी ने बाड़मेर में किया था। • राज्य सरकार ने 19 सितंबर 1999 को राज्य की जल नीति घोषणा की। जवाई बांध [ ] • जवाई बाँध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है। • जवाई बाँध की नींव 13 मई 1946 को जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा रखी गई है। • जवाई बाँध लूनी की सहायक नदी जवाई पर पाली जिले में स्थित है। • जवाई बाँध का निर्माण इंजीनियर ऐडगर की देखरेख में हुआ। • जवाई बाँध पाली एवं जोधपुर जिले में जलापूर्ति का मुख्य स्त्रोत है। • राजस्थान के गठन के प...

गांधीसागर बांध

मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी में बना गांधीसागर बांध आजाद भारत के शुरुआती बड़े बांधों में से एक था। भाखड़ा-नांगल और हीराकुड के साथ गांधी सागर बांध उन बांधों में से एक था, जिन्हें प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। श्री नेहरू ने गांधी सागर का उद्घाटन 19 नवंबर 1960 में किया था। यह महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय चंबल नदी घाटी योजना का पहला व प्रमुख बांध है, जो पानी के मुख्य संचय का काम करता है। बाद में इसके नीचे चंबल नदी पर तीन बांध और बनेμ राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और फिर कोटा बैराज। पहले तीन बांधों से बिजली बनती है और कोटा बैराज से नहरों में पानी छोड़ा जाता है। ये नहरें राजस्थान (कोटा, बांरा और बूंदी जिलों) और मध्यप्रदेश (मुरैना, भिंड और शिवपुर जिलों) में सिंचाई करती हैं। राणा प्रताप सागर जलाशय के किनारे ही राजस्थान अणु बिजली परियोजना की चार इकाइयां हैं तथा अब दो और बन रही हैं। कोटा में कोयले से बिजली बनाने का कारखाना है। उसे भी यही पानी मिलता है। लगभग 60 हजार हैक्टेयर क्षेत्रा में फैले विशाल गांधी सागर में 59 गांव पूरी तरह, 169 आंशिक यानी कुल 228 गांव और बहुत बड़ी मात्राा में खेत तथा जंगल डूब में आए थे। डूब में आए लोगों को नाममात्रा का मुआवजा दिया गया था। पुनर्वास पर नहीं के बराबर खर्च किया गया। आंशिक डूब में आए गांव तो साल में कई महीने टापू बनकर रह जाते हैं। उन्हें नगर या अपने खेतों तक पहुंचने में भी काफी दिक्कत होती है। पानी में टूटी-फूटी नाव से आवागमन करने में गांधीसागर जलाशय में अनेक छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। जरूरत से बड़ा बांध और जलाशय बनाने से अनावश्यक डूब का आकार भी बहुत है। रामपुरा नगर को डूब में आने से एक दीवार बना...

गांधीसागर बांध

गांधीसागर बांध जिला मुख्यालय से 168 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डैम का निर्माण चंबल नदी पर किया गया है। जिले में गांधी सागर बांध / पावर स्टेशन के निर्माण का आधारशिला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 7 मार्च, 1954 को रखी गई थी। बिजली स्टेशन में 1957 में काम शुरू किया गया था, जबकि बिजली उत्पादन और इसका वितरण नवंबर, 1960. गांधी सागर बांध और पावर स्टेशन के निर्माण पर कुल खर्च लगभग रु 18 करोड़ 40 लाख। गांधी सागर पावर स्टेशन 65 मीटर लंबा और 56 फीट चौड़ा है। पावर स्टेशन में 23 मेगा वाट क्षमता की पांच टरबाइन हैं, इस प्रकार कुल स्थापित क्षमता 115 मेगा वाट है। गांधी सागर पावर स्टेशन अब पूरे जिले में बिजली की आपूर्ति करता है। जिले में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के अलावा, इस बिजली घर से बिजली मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य में दूर दूर तक सप्लाई की जाती है।