गिलोटिन से आप क्या समझते हैं

  1. भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य, आवश्यकता, स्वरूप
  2. UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings – UP Board Solutions
  3. NCERT Solutions for Chapter 4 मनुष्यता
  4. दलित से आप क्या समझते हैं?
  5. NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 4 (Hindi Medium)
  6. जानिए गिलोटिन क्या है, जो लोकसभा में बना सरकार का ब्रह्मास्त्र
  7. छंद


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भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य, आवश्यकता, स्वरूप

भूमि सुधार एक विस्तृत धारणा है जिसमें सामाजिक न्याय की दृष्टि से जोतों के स्वामित्व का पुनर्वितरण तथा भूमि के इष्टतम प्रयोग की दृष्टि से खेती किए जाने वाले जोतों का पुनगर्ठन सम्मिलित है। नोबल पुरस्कार प्राप्त महान अर्थशास्त्री प्रो0 गुन्नार मिर्डल के अनुसार-’’भूमि सुधार व्यक्ति और भूमि के सम्बन्धों में नियोजन तथा संस्थागत पुनर्गठन है।’’ स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय देश के अधिकांश कृषि क्षेत्र में वास्तविक काश्तकार तथा भूमि के स्वामी के बीच मध्यस्थों की एक बड़ी सेना विद्यमान थी। इनके कारण जहाँ एक ओर काश्तकार को भूमि की उपज का बड़ा भाग मध्यस्थों को देना पड़ता था, वही दूसरी ओर वह इन पर पूरी तरह आश्रित था। भू-धारण की उसे कोईगांरटी नही दी जाती थी और लगान की दरों में भी निश्चितता नहीं थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ‘‘जोतने वाले को भूमि’’ के नारे को वास्तविकता में बदलने के लिए भूमि-सुधार किए गयें। सबसे पहले उत्तर प्रदेश लिए कानून बनाया गया। भूमि सुधार के उद्देश्य भूमि व्यवस्था सम्बन्धी सुधार हेतु स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद सरकार द्वारा निर्णय लिया गया जिससे मूलत: निम्न उद्वेश्यों की पूर्ति की आशा थी। • कृषि क्षेत्र में विद्यमान संस्थागत विसंगतियों को दूर करना तथा इसे तर्क संगत और आधुनिक बनाना। जैसे- जोत का आकार, भूमि स्वामित्व, भूमि उत्तराधिकार ,काश्तकार की सुरक्षा, आधुनिक संस्थागत सहायता और आधुनिकीकरण आदि पर ध्यान दिया जाना था। • आर्थिक असमानता को समाप्त करना था, जिससे सामाजिक समानता को प्राप्त कर लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हो सके। • कृषि उत्पादन में वृद्धि कर आत्म निर्भरता प्राप्त करना। • गरीबी उन्मूलन एंव लोगो में सामान्य मान्यताएँ प्रदान करना। भूमि सुधार की आवश्यकता भारत म...

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings (हमारे आस-पास के पदार्थ) पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-4) प्रश्न 1. निम्न में से पदार्थ छाँटो-कुर्सी, वायु, स्नेह, गन्ध, घृणा, बादाम, विचार, शीत, शीतल पेय, इत्र की सुगन्ध। उत्तर- पदार्थ निम्न हैं-कुर्सी, वायु, बादाम तथा शीतल पेय पदार्थ, यह सभी स्थान घेरते हैं तथा इन सभी का द्रव्यमान होता है। प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताइए : गरमा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है, लेकिन ठंडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है। उत्तर- किसी पदार्थ की गंध या महक हमें तब अनुभव होती है जब गंध के कण वायु में मिश्रित होकर हमारी नाक तक पहुँचते हैं। यह भी जानते हैं कि कणों का विसरण किसी माध्यम में (UPBoardSolutions.com) उच्च ताप पर अधिक तथा निम्न ताप पर कम होता है। इसलिए गरमा-गरम खाने की गंध तेजी के साथ कई मीटर दूर तक पहुँच जाती है। लेकिन ठंडे खाने की गंध लेने के लिए हमें उसके पास जाना पड़ता है। प्रश्न 3. स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षण होता है? उत्तर- स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। क्योंकि जल के कणों के मध्य आकर्षण बल होता है जो कणों को साथ-साथ रखता है। प्रश्न 4. पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं? उत्तर- पदार्थ के कणों की विशेषताएँ • पदार्थ के कणों के मध्य एक आकर्षण बल उपस्थित होता है। • पदार्थ के कणों के मध्य (UPBoardSolutions.com) पर्याप्त रिक्त स्थान होता है। • पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते रहते हैं। • पदार्थ के तीन रूप ठोस, द्रव और गैस हैं। पदार्थ की ये अवस्थाएँ उसके कणों की ...

NCERT Solutions for Chapter 4 मनुष्यता

Chapter Name NCERT Solutions for Chapter 4मैथिलीशरण गुप्त -मनुष्यता (Manushyata- Maithilisharan Gupt) Author Name मैथिलीशरण गुप्त (Maithilisharan Gupt) 1886-1964 Related Study • Summary of मैथिलीशरण गुप्त -मनुष्यताClass 10 Hindi • Important Questions for मैथिलीशरण गुप्त -मनुष्यताClass 10 Hindi • MCQ for मैथिलीशरण गुप्त -मनुष्यताClass 10 Hindi Topics Covered (क) प्रश्नोत्तर (ख) भाव स्पष्ट NCERT Solutions for Chapter 4मैथिलीशरण गुप्त -मनुष्यता Class 10 Hindi प्रश्नोत्तर क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 1. कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है? उत्तर मनुष्य जीवन नश्वर है और प्रत्येक मनुष्य की मृत्यु निश्चित है; लेकिन जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में परोपकार और भलाई वाले कार्य करता है, उसे मरणोपरांत भी याद किया जाता है। जो मनुष्य अपना जीवन दूसरों की भलाई मे लगा देता है, उस व्यक्ति को इतिहास के पन्नों में जगह मिलती है और प्रस्तुत कविता में कवि ने ऐसी मृत्यु को ही सुमृत्यु कहा है। ऐसे व्यक्तियों का गुणगान हर तरफ होता है और स्वयं धरती भी उनकी कृतज्ञ होती है। 2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है? उत्तरउदार व्यक्ति दूसरों की भलाई करता है और अपना जीवन दूसरों के हित व पुण्य में ही लगा देता है। उदार व्यक्ति सबके प्रति करुणा, उपकार, प्रेम व सहानुभूति की भावना रखता है और उसका मन-मस्तिष्क हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहता है। एक उदार व्यक्ति दूसरों के भले के लिए अपने निजी स्वार्थ को भी त्याग देता है। ऐसे लोगों को मृत्यु के बाद भी याद किया जाता है और इतिहास के पन्नों पर इनको एक अलग स्थान दिया जाता है। स्वयं धरती भी ऐसे मनुष्य की कीर्ति का गुणगान गाती है और उनकी आभारी होती है। 3. ...

दलित से आप क्या समझते हैं?

आदिकाल से आज तक समाज में मुख्यतः दो वर्ग विशेष रूप से पाए जाते रहे हैं। यहाँ तक कि स्वर्ग लोक में भी दो वर्ग पाए जाते रहे हैं - देवता और दानव। प्रत्येक समाज में भी उच्चता और निम्नता की भावना सदैव व्याप्त रहती है और इसी भावना के परिणामस्वरूप वर्ग विभाजन हुआ है। जो सम्पन्न लोग थे वे उच्च वर्ग में सम्मिलित किए गए, उन्हें अभिजात वर्ग कहा गया और जो विपन्न थे उन्हें निर्धन वर्ग, श्रमिक वर्ग, कमजोर वर्ग, पिछड़े वर्ग और दलित वर्ग आदि के नाम से सम्बोधित किया जाता है। दलित वर्ग ऐसे लोगों का वर्ग रहा है जो सदियों से विभिन्न प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक निर्योग्यताओं के शिकार रहे हैं। दलित से आप क्या समझते हैं यह दलित वर्ग सदैव शोषित और उपेक्षित रहा है। किन्तु आज राजनीतिक दृष्टि से यह वर्ग निरन्तर सशक्त और प्रभुतासम्पन्न होता जा रहा है क्योंकि भारतीय समाज में आज पैरेटो के अभिजात वर्ग के परिभ्रमण के सिद्धान्त की प्रक्रिया क्रियान्वित है। सवाल यह है कि दलित कौन है ? और किन कारणों से इन्हें दलित माना जाता है ? यदि हम ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विचार करें तो स्पष्ट होता है कि आर्यों ने अपने में केवल तीन वर्णों का विभाजन किया था जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य का उल्लेख मिलता है। वैदिक काल में ऋग्वेद के अन्तिम चरण में शूद्र वर्ण की रचना की गई जो वास्तव में अनार्य थे। इस प्रकार वर्ण-व्यवस्था के अन्तर्गत शूद्रों को दलित वर्ग के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। इसके पश्चात् ब्राह्मण ग्रन्थों में शूद्रों को दास कहा गया है और इन्हें बहुत निम्न समझा जाता था। इनको तीन वर्णों की सेवा करनी पड़ती थी तथा निन्दनीय और घृणित कार्य करते थे। शूद्रों अर्थात् दासों को धार्मिक कार्यों और प्रथा...

NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 4 (Hindi Medium)

• NCERT Solutions for Social Science • Class 10 Social Science in Hindi Medium • Class 9 Social Science in Hindi Medium • Class 8 Social Science in Hindi Medium • Class 7 Social Science in Hindi Medium • Class 6 Social Science in Hindi Medium • NCERT Solutions for Class 10 • NCERT Solutions for Class 9 • NCERT Solutions for Class 11 (i) नीचे दिए गए स्थानों में किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है? (क) सिलचर (ख) चेरापूंजी (ग) मासिनराम (घ) गुवाहटी (ii) ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैदानों में बहने वाली पवन को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है? (क) काल वैशाखी (ख) व्यापारिक पवनें (ग) लू (घ) इनमें से कोई नहीं। (iii) निम्नलिखित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में शीत ऋतु में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है? (क) चक्रवातीय अवदाब (ख) पश्चिमी विक्षोभ (ग) मानसून की वापसी (घ) दक्षिण-पश्चिम मानसून (iv) भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब होता है? (क) मई के प्रारंभ में (ख) जून के प्रारंभ में (ग) जुलाई के प्रांरभ में (घ) अगस्त के प्रारंभ में (v) निम्नलिखित में से कौन-सी भारत में शीत ऋतु की विशेषता है? (क) गर्म दिन एवं गर्म रातें (ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें (ग) ठंडा दिन एवं रातें (घ) ठंडा दिन एवं गर्म रातें उत्तरः (i) (ख) (ii) (ख) (iii) (ग) (iv) (ग) (v) (ख) प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए। • भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? • भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है? • भारत के किस भाग में दैनिक तापामान अधिक होता है एवं क्यों? • किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा हाती है? • जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार...

जानिए गिलोटिन क्या है, जो लोकसभा में बना सरकार का ब्रह्मास्त्र

New Delhi/Alive News : यूं तो विपक्ष संसद को अवरोध करना अपना हक मानता है, ऐसा कई बार हुआ है की पूरे पूरे सेशन निकल गये हों और कोई भी बिल ना पास हो पाया हो विपक्ष के हल्ले गुल्ले में। लेकिन 14 मार्च 2018, जब उत्तर प्रदेश व बिहार उपचुनाव के नतीजे घोषित हो रहे थे, जनता मीडिया द्वारा अखिलेश-माया-मोदी नाम के पकौड़े तलके खा रही थी, संसद में वो हो रहा था जिसकी शायद किसी को कल्पना ना हो। पिछले आठ दिन में जब विपक्ष ने नीरव मोदी स्कैम, आन्ध्र प्रदेश को खास राज्य का दर्जा, और स्टैचू राजनीति पर बवाल मचा रखी थी। एक भी बिल पास नहीं हो पाया था, आखिरी दिन ऐसा क्या घटित हुआ जो लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आधे घंटे के भीतर 99 मंत्रालयों और विभागों की वित्त मांगें, 2 बिल और 218 संशोधन पास कर दिए वो भी बिना किसी चर्चा या बहस के। वो दैवीय शक्ति जिससे बिना चर्चा के हो जाता है बिल/संशोधन पास: गिलोटिन दरअसल लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने जिस संसदीय प्रक्रिया का इस्तेमाल किया उसका नाम है गिलोटिन(नाम से यह किसी एलोपैथिक दवाई का नाम लगता है) जो संसद में बिना बहस के अनुदान देने की ताकत देता है। लेकिन जो मांगें सरकार ने पारित की हैं उन्हें सुनकर आपको शक ज़रूर होगा कि ऐसा उन्होंने क्यूं किया, वो मांगें हैं: – राजनीतिक दलों को मिल रहे विदेशी चंदे को किसी भी कानूनी जांच से बाहर करना एवं न्यायायिक संरक्षण प्रदान करना और वो भी 42 वर्षों के पूर्वव्यापी प्रभाव से। यानी कि 1976 के बाद किसी भी पार्टी को मिले विदेशी चंदे की जांच अब नहीं हो पाएगी। (जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा बीजेपी और कोंग्रेस को दोषी पाए जाने के फैसले को रद्द करना भी शामिल है)। – सांसदों, राष्ट्रपति और राज्य गवर्नरों की सैलरी बढ़ोत्तरी ...

छंद

छन्द शब्द का प्रयोग किया गया है। छ्न्द कहते हैं जिनसे काव्य में लय और रंजकता आती है। छोटी-बड़ी ध्वनियां, लघु-गुरु उच्चारणों के क्रमों में, मात्रा बताती हैं और जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता है और लघु-गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की यह व्यवस्था एक विशिष्ट नाम वाला छन्द कहलाने लगती है, जैसे छन्दों की रचना और गुण-अवगुण के अध्ययन को छन्दशास्त्र कहते हैं। चूँकि, आचार्य अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 शब्दार्थ • 3 छंद के अंग • 4 छंद के प्रकार • 5 काव्य में छंद का महत्त्व • 6 छंद का उदाहरण • 7 छंदों के कुछ प्रकार • 7.1 दोहा • 7.2 दोही • 7.3 रोला • 7.4 सोरठा • 7.5 चौपाई • 7.6 कुण्डलिया • 7.7 गीतिका (छंद) • 7.8 हरिगीतिका • 7.9 बरवै • 7.10 छप्पय • 7.11 उल्लाला • 7.12 सवैया • 7.13 कवित्त • 7.14 मधुमालती (छंद) • 7.15 विजात • 7.16 मनोरम • 7.17 पुष्पिताग्रा • 7.18 शक्ति (छंद) • 7.19 पीयूष वर्ष • 7.20 सुमेरु • 7.21 सगुण (छंद) • 7.22 शास्त्र (छंद) • 7.23 सिन्धु (छंद) • 7.24 बिहारी (छंद) • 7.25 दिगपाल (छंद) • 7.26 सारस (छंद) • 7.27 गीता (छंद) • 7.28 शुद्ध गीता • 7.29 विधाता (छंद) • 7.30 हाकलि • 7.31 चौपई • 7.32 पदपादाकुलक • 7.33 श्रृंगार (छंद) • 7.34 राधिका (छंद) • 7.35 कुण्डल/उड़ियाना (छंद) • 7.36 रूपमाला • 7.37 मुक्तामणि • 7.38 गगनांगना छंद • 7.39 विष्णुपद • 7.40 शंकर (छंद) • 7.41 सरसी • 7.42 रास (छंद) • 7.43 निश्चल (छंद) • 7.44 सार (छंद) • 7.45 लावणी (छंद) • 7.46 वीर (छंद) • 7.47 त्रिभंगी • 7.48 कुण्डलिनी (छंद) • 7.49 वियोगिनी • 7.50 प्रमाणिका • 7.51 वंशस्थ • 7.52 शिखरिणी • 7.53 शार्दूल विक्रीडित • 7.54 उपजाति (छंद) •...