गुलजारीलाल नंदा जीवन परिचय

  1. भारत के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री! जिसके पास मकान का किराया चुकाने के नहीं थे पैसे, गुलजारीलाल नंदा की सादगी की कहानी
  2. स्वतंत्र भारताचे दुसरे पंतप्रधान ….. लाल बहादूर शास्त्री
  3. गुलजारीलाल नंदा जीवनी
  4. 15 जनवरी : भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा की पुण्यतिथि
  5. गुलजारीलाल नंदा जीवनी
  6. Raj Thackeray biography in marathi राज ठाकरे यांचे जीवन परिचय, विवाद
  7. Lal Bahadur Shastri Profiles। लाल बहादुर शास्त्री : छोटे कद के महान राजनेता
  8. गुलजारीलाल नंदा की जीवनी Gulzarilal Nanda in Hindi
  9. 15 जनवरी : भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा की पुण्यतिथि
  10. गुलजारीलाल नंदा जीवनी


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भारत के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री! जिसके पास मकान का किराया चुकाने के नहीं थे पैसे, गुलजारीलाल नंदा की सादगी की कहानी

गुलजारीलाल नंदा को दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधान मंत्री के रूप में जाना जाता है। वह एक अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, लेकिन सबसे बढ़कर, सिद्धांतों के व्यक्ति थे। 26 दिनों के लिए प्रधान मंत्री नंदा 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद और फिर दो साल बाद लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद भारत के कार्यवाहक प्रधान मंत्री बने। सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा एक नया प्रधान मंत्री चुने जाने के बाद उनके दोनों कार्यकाल समाप्त हो गए। उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वह प्रत्येक कार्यकाल में तेरह दिनों तक प्रधान मंत्री रहे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नंदा ने 1921 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए अपनी शिक्षण नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कई बार सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया और दो बार जेल गए। नंदा हमेशा से ही श्रम के मुद्दों में रूचि लेते थे। श्रमिकों के अधिकारों के बारे में वह काफी भावुक थे वह उन्हें अधिकार दिलाना चाहते थे। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर श्रम मुद्दों का अध्ययन किया था। वह 1946 से 1950 तक मुंबई के श्रम मंत्री रहे। गुलजारीलाल नंदा का निजी जीवन नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को ब्रिटिश भारत के सियालकोट (पंजाब) में एक पंजाबी हिंदू खत्री परिवार में हुआ था। 1947 में भारत के विभाजन के बाद सियालकोट पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया। नंदा ने अपनी शिक्षा लाहौर, अमृतसर, आगरा और प्रयागराज में प्राप्त की। उन्होंने लक्ष्मी नाम की एक महिला से शादी करके अपना परिवार बसाया था और उनके दो बेटे और एक बेटी थी। आंदोलनकारी और अनुसंधान कार्यकर्ता के रूप में गुलजारीलाल नंदा ...

स्वतंत्र भारताचे दुसरे पंतप्रधान ….. लाल बहादूर शास्त्री

Lal Bahadur Shastri in Marathi ब्रिटीश कालीन भारतात इंग्रज सरकार विरुद्ध मोठ्या मुत्सद्दीने लढा देणारे गांधी वादी नेते व स्वतंत्र भारताचे दुसरे पंतप्रधान लाल बहादूर शास्त्री एक महान नेता, व स्वातंत्र्य सेनानी, होते. त्याचप्रमाणे, पूर्ण देशांत त्यांची प्रतिमा, एक दूरदर्शी, इमानदार आणि निष्ठावंत राजनेत्याच्या स्वरुपात प्रसिद्ध होती. त्यांनी आपल्या पंतप्रधान पदाच्या कार्यकाळात अनेक संकटांना सामोरे जात देशाला प्रगतीच्या मार्गावर नेले. लाल बहादूर शास्त्री त्या स्वातंत्र्य सैनिकांपैकी एक होते ज्यांनी आपल्या देशाला स्वातंत्र्य मिळावे याकरिता आपले जीवन समर्पित केले होते. त्यांनी आपल्या भाषणाच्या माध्यमातून देशांतील लोकांच्या मनात स्वातंत्र्याची भावना जागृत करून इंग्रज सरकारला त्रासून टाकले होते. अश्या प्रकारे त्यांनी देशाच्या अनेक भागात इंग्रज सरकारविरुद्ध भडकावू भाषण करून तेथील लोकांच्या मनात देशाच्या स्वातंत्र्याप्रती आग निर्माण केली. इतकेच नाही तर, देशांत दुध उत्पादनाला चालना देण्यासाठी त्यांनी ‘श्वेत क्रांतीला’ पाठिबा दर्शविला. चला तर जाणून घेवूया महान, स्वतंत्र सेनानी, निष्ठावंत आणि इमानदार राजनेता म्हणून ओळख असलेल्या लाल बहादूर शास्त्री यांचे जीवन चरित्र. स्वतंत्र भारताचे दुसरे पंतप्रधान ….. लाल बहादूर शास्त्री – Lal Bahadur Shastri Information in Marathi Lal Bahadur Shastri Information in Marathi श्री लाल बहादूर शास्त्री यांचा जीवन परिचय – Lal Bahadur Shastri Biography in Marathi नाव लाल बहादूर शारदाप्रसाद श्रीवास्तव जन्म २ ऑक्टोबर १९०४ जन्मस्थान मुगलसराय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश वडील मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव आई राम दुलारी देवी शिक्षा हरिश्चंद्र विद्यालय, कशी विद्यापीठ पत...

गुलजारीलाल नंदा जीवनी

प्रारंभिक जीवन : श्री गुलजारीलाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को पंजाब के सियालकोट में हुआ था। उन्होंने लाहौर, आगरा एवं इलाहाबाद में अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1920-1921) में श्रम संबंधी समस्याओं पर एक शोध अध्येता के रूप में कार्य किया एवं 1921 में नेशनल कॉलेज (मुंबई) में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बने। इसी वर्ष वे असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। 1922 में वे अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन के सचिव बने जिसमें उन्होंने 1946 तक काम किया। उन्हें 1932 में सत्याग्रह के लिए जेल जाना पड़ा एवं फिर 1942 से 1944 तक भी वे जेल में रहे। श्री नंदा 1937 में बम्बई विधान सभा के लिए चुने गए एवं 1937 से 1939 तक वे बंबई सरकार के संसदीय सचिव (श्रम एवं उत्पाद शुल्क) रहे। बाद में, बंबई सरकार के श्रम मंत्री (1946 से 1950 तक) के रूप में उन्होंने राज्य विधानसभा में सफलतापूर्वक श्रम विवाद विधेयक पेश किया। उन्होंने कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट में न्यासी के रूप में, हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ में सचिव के रूप में एवं बाम्बे आवास बोर्ड में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे राष्ट्रीय योजना समिति के सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के आयोजन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में इसके अध्यक्ष भी बने थे। गुलज़ारी लाल नंदा एक राष्ट्रभक्त व्यक्ति थे। इस कारण भारत के स्वाधीनता संग्राम में इनका काफ़ी योगदान रहा। नंदाजी का जीवन आरम्भ से ही राष्ट्र के प्रति समर्पित था। 1921 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। नंदाजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने मुम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। अहमदाबाद की टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री म...

15 जनवरी : भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा की पुण्यतिथि

भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट (अब पाकिस्तानी पंजाब) में 4 जुलाई 1898 को हुआ था। इनके पिता का नाम बुलाकीराम नंदा तथा माता का नाम ईश्वरदेवी नंदा था। नंदा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मजदूर समस्या पर रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया। 1921 में वे नेशनल कॉलेज मुंबई में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे। 1921 में गुलजारीलालजी नंदा ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। सत्याग्रह आंदोलन के दौरान 1932 में और भारत छोड़ो आंदोलन के समय 1942-1944 में इन्होंने जेल यात्रा भी की थी। वे मुंबई की कांग्रेस की ओर से विधानसभा में 1937 से 1939 तक और 1947 से 1950 तक विधायक रहे। 1947 में इंटक की स्थापना हुई और इसका श्रेय नंदाजी को जाता है। भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर भी ये 1950-1951, 1952-1953 और 1960-1963 में रहे। वे केंद्र में गृहमंत्री और श्रम व रोजगार मंत्री भी रहे। नेहरूजी के निधन के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में इनका प्रथम कार्यकाल 27 मई 1964 से 9 जून 1964 व लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद दूसरा कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा। ये अत्यंत ही अल्प समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। कांग्रेस नेता गुलजारीलाल नंदा ऐसे एकमात्र व्यक्ति थे, जो दो बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन दोनों ही बार कार्यवाहक। देश के दूसरे प्रधानमंत्री नंदा सादगीपसंद, सत्यनिष्ठ, ईमानदार व गांधीवादी नेता थे। वे गांधीवादी विचारधारा के पोषक रहे और लोकतांत्रिक मूल्यों में उनकी गहरी आस्था थी। वे धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी समाज की कल्पना करते थे। आप आजीवन गरीबों की सहायता के लिए मौजूद रहे। उन्होंने कुछ किताबों का लेखन भी किया था 'जिसमें सम ऑस्पेक्ट्स ऑफ खादी, अप्रोच टू द स...

गुलजारीलाल नंदा जीवनी

गुलजारीलाल नंदा भारत के दूसरे यह वह समय था, जब गुलजारी लाल नंदा महात्मा गांधी द्वारा बहुत प्रभावित हुए। सन् 1921 में गुलजारी लालनंदा ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया, इसके बाद गांधी जी के सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में गुलजारी लाल नंदा को जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के लिए सरकारी प्रतिनिधि के रूप में चुना गया। मार्च 1950 में गुलजारी लाल नंदा योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने। गुलजारी लाल नंदा ने बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र के श्रम मंत्री के रूप में भी कार्य किया। गुलजारी लाल नंदा तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। 1952 में गुलजारी लाल नंदा ने अपने पहले कार्यकाल में, योजना, सिंचाई और विद्युत मंत्री के रूप में सेवा की। 1957 में, गुलजारी लाल नंदा को अपने दूसरे कार्यकाल में श्रम, रोजगार और योजना मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। गुलजारी लाल नंदा जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद पहली बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। गुलजारी लाल नंदा ने एक महीने से भी कम समय तक सेवा की, जब तक कि सत्तारूढ़ कांग्रेस दल ने अगला प्रधानमंत्री नहीं चुन लिया। दूसरी बार गुलजारी लाल नंदा लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद, सन् 1966 में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। इस बार भी गुलजारी लाल नंदा बहुत कम समय के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने, जब तक कि अगला प्रधानमंत्री निर्वाचित नहीं हुआ। हालांकि, गुलजारी लाल नंदा ने प्रधानमंत्री के पद पर बहुत ही कम समय तक कार्य किया, लेकिन उन्हें श्रम मंत्री के रूप में उत्कृष्ट काम करने के लिए याद किया जाता है। गुलजारी लाल नंदा गांधी के सिद्धांतों के एक प्रबल अनुयायी थे, उन्हें भारत देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न और दूसरा सर्वश्रेष्ठ नाग...

Raj Thackeray biography in marathi राज ठाकरे यांचे जीवन परिचय, विवाद

राज ठाकरे यांचा जन्म 14 जून 1968 रोजी एका मराठी कायस्थ कुटुंबात वडील श्रीकांत केशव ठाकरे आणि आई कुंदा ठाकरे यांच्या पोटी झाला आणि त्यांचे नाव स्वराज ठाकरे होते. श्रीकांत ठाकरे हे शिवसेनाप्रमुख बाळासाहेब ठाकरे यांचे धाकटे बंधू आणि राज यांच्या आई कुंदा ठाकरे या बाळासाहेब ठाकरे यांच्या पत्नी मीना ठाकरे यांच्या धाकट्या बहिणी आहेत. राज ठाकरे यांचे वडील श्रीकांत हे संगीतकार, व्यंगचित्रकार आणि उर्दू शायरीचे जाणकार होते. त्यांनी काही मराठी चित्रपटही केले. राज यांची पत्नी शर्मिला ही प्रसिद्ध मराठी रंगभूमी/चित्रपट अभिनेते, निर्माता आणि दिग्दर्शक मोहन वाघ यांची मुलगी आहे. त्यांना एक मुलगा अमित ठाकरे आणि मुलगी उर्वशी ठाकरे आहे. भारतीय राजकारणी आणि बाळ ठाकरे यांचे पुतणे राज ठाकरे हे नेहमीच त्यांच्या वक्तव्यांमुळे चर्चेत असतात. त्यांची ही खासियत लोकांना खूप आवडते. अलीकडे ते लाऊडस्पीकरवरून बरेच वादात सापडले आहेत. त्यामुळे त्यांच्या वक्तव्यावर महाराष्ट्र सरकारमध्ये खळबळ उडाली होती. प्रकरण इतके वाढले की त्यांच्या वक्तव्याविरोधात एफआयआरही नोंदवण्यात आला. पण यावेळी आपण त्याच्या वादांबद्दल नाही तर त्याच्या आयुष्याबद्दल बोलणार आहोत. राजकारणात पाऊल कसे टाकले? कौटुंबिक जीवनाविषयी इतरही अनेक गोष्टी आहेत, ज्याबद्दल आपण आज जाणून घेणार आहोत. राज ठाकरे आणि महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हे दोघेही नात्यात चुलत भाऊ आहेत. पण त्यांची अनेक मते जुळताना दिसत नाहीत. एकीकडे राज ठाकरे हिंदुत्वाविषयी बोलताना दिसतात, तर उद्धव ठाकरे महाराष्ट्राच्या हिताबद्दल बोलताना दिसतात. नुकतेच हे दोघेही लाऊडस्पीकरवरून समोरासमोर आले होते. शिवसेनेने राज ठाकरेंना विरोध करत त्यांच्यावर पोलिस गुन्हाही दाखल केला. पण राज ठाकर...

Lal Bahadur Shastri Profiles। लाल बहादुर शास्त्री : छोटे कद के महान राजनेता

'जय जवान, जय किसान' का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री किसानों को जहां देश का अन्नदाता मानते थे, वहीं देश के जवानों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था। वे एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता, महान स्वतंत्रता सेनानी और जवाहरलाल नेहरू और गुलजारीलाल नंदा (कार्यवाहक प्रधानमंत्री) के बाद भारत के तीसरे प्रधानमंत्री थे। उन्होंने देश को न सिर्फ सैन्य गौरव का तोहफा दिया बल्कि हरित क्रांति और औद्योगीकरण की राह पर भी उसे आगे ले गए। वे बेहद ही सादगीपसंद व ईमानदार राजनेता थे। वे अत्यंत ही निर्धन परिवार के थे। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे गंगा नदी पार कर दूसरी ओर बसे स्कूल पढ़ने जाते थे। इन्होंने बाद में काशी विद्यापीठ स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की थी। प्रारंभिक जीवन : लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिताजी का नाम शारदा प्रसाद और माताजी का नाम रामदुलारी देवी था। इनकी पत्नी का नाम ललिता देवी था। इनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। इन्हें जब काशी विद्यापीठ से 'शास्त्री' की उपाधि मिली तो इन्होंने अपना जातिसूचक शब्द 'श्रीवास्तव' हटाकर अपने नाम के आगे 'शास्त्री' लगा लिया और कालांतर में 'शास्त्री' शब्द 'लालबहादुर' के नाम का पर्याय ही बन गया। राजनीतिक जीवन : गांधीजी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के दौरान लाल बहादुर थोड़े समय के लिए 1921 में जेल गए थे। गांधीजी के अनुयायी के रूप में वे फिर राजनीति में लौटे व कई बार जेल गए। बाद में उप्र कांग्रेस पार्टी में प्रभावशाली पद ग्रहण किए। प्रांत की विधायिका में 1937 और 1946 में शास्त्रीजी निर्वाचित हुए। 1929 में इनकी नेहरूजी से मुलाकात के बाद इनकी नजदीकी नेहरूजी से भी बढ़ी। नेहरू मंत्रि...

गुलजारीलाल नंदा की जीवनी Gulzarilal Nanda in Hindi

गुलजारीलाल नंदा की जीवनी गुलजारीलाल नंदा भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे | प्रधानमंत्रियों में नेहरूजी के बाद इनका स्थान दूसरा था हालाँकि ये नेहरूजी के अचानक मृत्यु होने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गए थे नए प्रधानमंत्री के न्युक्ति होने तक | गुलजारी लाल नंदा भारत के एक मात्र ऐसे कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने इस जिम्मेदारी को दो बार निभाया। वे प्रथम बार गुलजारीलाल नंदा का प्रारंभिक जीवन गुलज़ारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट (अब पश्चिमी पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बुलाकी राम नंदा तथा माता श्रीमती ईश्वर देवी नंदा थीं। प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ग्रहण करने के बाद नंदा ने लाहौर के ‘फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज’ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने आगरा और अमृतसर में भी अध्ययन किया। उन्होंने कला वर्ग में स्नातकोत्तर किया और क़ानून की स्नातक (एल.एल.बी) उपाधि प्राप्त की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्होंने ‘श्रमिक समस्याओं’ पर शोध किया और सन 1921 में बॉम्बे के नेशनल कॉलेज में अर्थशाष्त्र का प्रोफेसर नियुक्त हो गए। इनका विवाह सन 1916 में लक्ष्मी देवी के साथ करा दिया गया। यह बहुत ही सरल स्वभाव के निष्ठावान व्यक्ति थे | यह गुलजारीलाल नंदा का राजनितिक जीवन भारत की आजादी में इन्होने असीम योगदान दिया,यह देश के लिए सदैव समर्पित रहे | 1921 में इन्होने गाँधी जी के नेतृत्व में ‘असहयोग-आन्दोलन’ में भाग लिया | यह बम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे | अध्यापक के रूप में इन्हें छात्रो का बहुत स्नेह प्राप्त हुआ | 1922-1946 तक इन्होने अहमदाबाद की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में लेबर एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यभा...

15 जनवरी : भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा की पुण्यतिथि

भारतीय राजनीतिज्ञ गुलजारीलाल नंदा का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट (अब पाकिस्तानी पंजाब) में 4 जुलाई 1898 को हुआ था। इनके पिता का नाम बुलाकीराम नंदा तथा माता का नाम ईश्वरदेवी नंदा था। नंदा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मजदूर समस्या पर रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया। 1921 में वे नेशनल कॉलेज मुंबई में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे। 1921 में गुलजारीलालजी नंदा ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। सत्याग्रह आंदोलन के दौरान 1932 में और भारत छोड़ो आंदोलन के समय 1942-1944 में इन्होंने जेल यात्रा भी की थी। वे मुंबई की कांग्रेस की ओर से विधानसभा में 1937 से 1939 तक और 1947 से 1950 तक विधायक रहे। 1947 में इंटक की स्थापना हुई और इसका श्रेय नंदाजी को जाता है। भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर भी ये 1950-1951, 1952-1953 और 1960-1963 में रहे। वे केंद्र में गृहमंत्री और श्रम व रोजगार मंत्री भी रहे। नेहरूजी के निधन के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में इनका प्रथम कार्यकाल 27 मई 1964 से 9 जून 1964 व लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद दूसरा कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा। ये अत्यंत ही अल्प समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। कांग्रेस नेता गुलजारीलाल नंदा ऐसे एकमात्र व्यक्ति थे, जो दो बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन दोनों ही बार कार्यवाहक। देश के दूसरे प्रधानमंत्री नंदा सादगीपसंद, सत्यनिष्ठ, ईमानदार व गांधीवादी नेता थे। वे गांधीवादी विचारधारा के पोषक रहे और लोकतांत्रिक मूल्यों में उनकी गहरी आस्था थी। वे धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी समाज की कल्पना करते थे। आप आजीवन गरीबों की सहायता के लिए मौजूद रहे। उन्होंने कुछ किताबों का लेखन भी किया था 'जिसमें सम ऑस्पेक्ट्स ऑफ खादी, अप्रोच टू द स...

गुलजारीलाल नंदा जीवनी

प्रारंभिक जीवन : श्री गुलजारीलाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को पंजाब के सियालकोट में हुआ था। उन्होंने लाहौर, आगरा एवं इलाहाबाद में अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1920-1921) में श्रम संबंधी समस्याओं पर एक शोध अध्येता के रूप में कार्य किया एवं 1921 में नेशनल कॉलेज (मुंबई) में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बने। इसी वर्ष वे असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। 1922 में वे अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन के सचिव बने जिसमें उन्होंने 1946 तक काम किया। उन्हें 1932 में सत्याग्रह के लिए जेल जाना पड़ा एवं फिर 1942 से 1944 तक भी वे जेल में रहे। श्री नंदा 1937 में बम्बई विधान सभा के लिए चुने गए एवं 1937 से 1939 तक वे बंबई सरकार के संसदीय सचिव (श्रम एवं उत्पाद शुल्क) रहे। बाद में, बंबई सरकार के श्रम मंत्री (1946 से 1950 तक) के रूप में उन्होंने राज्य विधानसभा में सफलतापूर्वक श्रम विवाद विधेयक पेश किया। उन्होंने कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट में न्यासी के रूप में, हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ में सचिव के रूप में एवं बाम्बे आवास बोर्ड में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे राष्ट्रीय योजना समिति के सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के आयोजन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में इसके अध्यक्ष भी बने थे। गुलज़ारी लाल नंदा एक राष्ट्रभक्त व्यक्ति थे। इस कारण भारत के स्वाधीनता संग्राम में इनका काफ़ी योगदान रहा। नंदाजी का जीवन आरम्भ से ही राष्ट्र के प्रति समर्पित था। 1921 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। नंदाजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने मुम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। अहमदाबाद की टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री म...