हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी

  1. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम
  2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (श्रीशैलम) के बारे में संपूर्ण जानकारी
  3. एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जिसमें शिव और पार्वती दोनों करते हैं वास, दर्शन मात्र से ही कट जाते हैं सारे पाप
  4. मल्लिकार्जुन
  5. श्रीशैलम, श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा देवी के दर्शन – Bharat Yatri
  6. श्रीशैलम, श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा देवी के दर्शन
  7. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन और यात्रा
  8. श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें?


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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग / श्रीशैलम – Mallikarjuna Jyotirlinga / Srisailam आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरे स्थान पर है और देवी पार्वती के 51 शक्ति पीठो में से एक है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं, उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है। मल्लिकार्जुन मंदिर – Mallikarjuna Temple यहाँ भगवान शिव की पूजा मल्लिकार्जुन के रूप में की जाती है और लिंग उनका प्रतिनिधित्व करता है। देवी पार्वती को भ्रमराम्बा की उपाधि दी गयी है। भारत का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों की उपमा दी गयी है। दक्षिण भारत के दूसरे मंदिरों के समान यहाँ भी मूर्ति तक जाने का टिकट कार्यालय से लेना पड़ता है। पूजा का शुल्क टिकट भी पृथक् होता है। यहाँ लिंग मूर्ति का स्पर्श प्राप्त होता है। मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे पार्वती मंदिर है। इन्हें मल्लिका देवी कहते हैं। सभा मंडप में नन्दी की विशाल मूर्ति है। यह भी जरूर पढ़े – • • • मंदिर के पूर्वद्वार से लगभग दो मील पर पातालगंगा है। इसका मार्ग कठिन है। एक मील उतार और फिर 852 सीढ़ियाँ हैं। पर्वत के नीचे कृष्णा नदी है। उसके समीप पूर्व की ओर एक गुफा में भैरवादि मूर्तिय...

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (श्रीशैलम) के बारे में संपूर्ण जानकारी

13 5) भ्रामराम्बा देवी मंदिर: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के आंध्र प्रदेश के कृष्णा के नदी के तट पर श्रीशैलम पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंग में से यह दूसरे स्थान पर आता है। ज्योतिर्लिंग का अर्थ होता है शिव का स्वयं ज्योति के रूप में प्रकट होना। भारत की विभिन्न 12 स्थानों पर 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद है। ऐसा ही 1 ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम में भी है, जिसकी महिमा अनेक धर्म ग्रंथों में बताई गई है। कहते हैं इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की सारी पीड़ा दूर हो जाती है। उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं और उसे अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में हम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में सारी जानकारी विस्तार से देने वाले हैं तो कृपया इसे अंत तक जरूर पढ़ें। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग(श्रीशैलम) कैसे जाए? दोस्तों श्रीशैलम यदि आप ट्रेन के माध्यम से आना चाहते हैं तो मार्कापुर रोड आपका सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। मार्कापुर रोड से श्रीशैलम की दूरी 90 किलोमीटर की रहती है। यह दूरी आप बस या प्राइवेट टैक्सी के द्वारा तय कर सकते हैं। देश के विभिन्न बड़े शहरों दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, देहरादून, चंडीगढ़ से आपको मार्कापुर रोड रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन मिल जाती है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम से का जो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, वह राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैदराबाद है। जो श्री शैलम से कुछ 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देश के कई शहरों से राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध रहती है। एयरपोर्ट से आप बस या टैक्सी करके भी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (श्रीशैलम) पहुंच सकते हैं। देश के विभिन्न बड़े शहरों से आंध्र प्रदेश के लिए बस मिल ...

एक ऐसा ज्योतिर्लिंग जिसमें शिव और पार्वती दोनों करते हैं वास, दर्शन मात्र से ही कट जाते हैं सारे पाप

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर स्थित हैं। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं। शिवपुराण की मानें तो मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और माता पार्वती दोनों निवास करते हैं। मंदिर के निकट ही माता जगदंबा का भी मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता पार्वती ब्रह्मरांबिका के नाम से जानी जाती हैं। कहा जाता है कि यहां माता सती की गर्दन गिरी थी। सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को लेकर पौराणिक कथा शिवपुराण की कथा के अनुसार, गणेश जी और कार्तिकेय जी के विवाह को लेकर बात चल रही थी। तब, यह हुआ कि पहले किसका विवाह करवाया जाए? तो ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती ने कहा कि जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, उसका विवाह पहले कराया जाएगा। कार्तिकेय जी अपनी सवारी लेकर पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े और गणेश जी बड़े ही चतुर दिमाग वाले थे, उन्होंने पृथ्वी के चक्कर ना लगाकर माता पार्वती और भगवान शिव के सात चक्कर लगा लिए। ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती काफी प्रसन्न हुए और उनका विवाह रिद्धि और सिद्धि से करा दिया गया। इसके बाद जब कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा परिक्रमा करने के बाद लौटे तो यह सब देखकर काफी क्रोधित हुए और क्रौंच पर्वत चले गए। पुत्र को मनाने के लिए माता पार्वती वहां पहुंची, तभी भगवान शिव भी दिव्य शिवलिंग के रूप में वहां प्रकट हुए और तभी से यह अर्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात हो गया। इसके अलावा भी कई और कथाएं इस मंदिर को लेकर कही जाती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव अमावस...

मल्लिकार्जुन

आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं, उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है। पौराणिक कथानक शिव पार्वती के पुत्र स्वामी कार्तिकेय और गणेश दोनों भाई विवाह के लिए आपस में कलह करने लगे। कार्तिकेय का कहना था कि वे बड़े हैं, इसलिए उनका विवाह पहले होना चाहिए, किन्तु श्री गणेश अपना विवाह पहले करना चाहते थे। इस झगड़े पर फैसला देने के लिए दोनों अपने माता-पिता भवानी और शंकर के पास पहुँचे। उनके माता-पिता ने कहा कि तुम दोनों में जो कोई इस पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले यहाँ आ जाएगा, उसी का विवाह पहले होगा। शर्त सुनते ही कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए दौड़ पड़े। इधर स्थूलकाय श्री गणेश जी और उनका वाहन भी चूहा, भला इतनी शीघ्रता से वे परिक्रमा कैसे कर सकते थे। गणेश जी के सामने भारी समस्या उपस्थित थी। श्रीगणेश जी शरीर से ज़रूर स्थूल हैं, किन्तु वे बुद्धि के सागर हैं। उन्होंने कुछ सोच-विचार किया और अपनी माता पार्वती तथा पिता देवाधिदेव महेश्वर से एक आसन पर बैठने का आग्रह किया। उन दोनों के आसन पर बैठ जाने के बाद श्रीगणेश ने उनकी सात परिक्रमा की, फिर विधिवत् पूजन किया- पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रकान्तिं च करोति यः। तस्य वै पृथिवीजन्यं फलं भवति निश्चितम्।। इस प्रकार श्रीगणेश माता-पि...

श्रीशैलम, श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा देवी के दर्शन – Bharat Yatri

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में द्वतीय स्थान पर है। यह आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश पर्वत कहा गया है। महाभारत में दिए वर्णन के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने के सामान फल प्राप्त होता है। माता पार्वती का नाम ‘मल्लिका’ है और भगवान शिव को ‘अर्जुन’ कहा जाता है। इस प्रकार सम्मिलित रूप से वे श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से यहाँ निवास करते है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग देवी का महाशक्तिपीठ भी है। यहाँ माता सती की ग्रीवा (गरदन या गला) गिरी थी। श्रीशैलम मंदिर / मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें? मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुचने के लिए हमें पहले हैदराबाद पहुँचना होगा। हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी 213 किमी है। यहाँ से बस टैक्सी या अन्य साधनों से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। हैदराबाद में 3 बस स्टैंड है। श्रीशैलम जाने वाली बसें JBS (Jubilee Bus Station) बस स्टैंड और MGBS (MAHATMA GANDHI BUS STATION) बस स्टैंड से जाती है। आप www.tsrtconline.in वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बस टिकट बुक भी कर सकते है। यदि आप तिरुपति बालाजी भी जा रहे है, तो तिरुपति से मल्लिकार्जुन की दूरी 369 किमी है। तिरुपति से श्रीशैलम जाने के लिए बस आसानी से मिल जाती है। हवाई मार्ग द्वारा श्रीशैलम कैसे पहुंचे? श्री शैलम में एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए आपको श्री शैलम जाने के लिए हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट आना होगा। हैदराबाद में स्थित राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हमारे देश और अंतरराष्ट्रीय स्थलों से जोड़ता है। यहाँ के लिए जे...

श्रीशैलम, श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा देवी के दर्शन

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 प श्रीशैलम मंदिर / मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें? मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुचने के लिए हमें पहले हैदराबाद पहुँचना होगा। हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी 213 किमी है। यहाँ से बस टैक्सी या अन्य साधनों से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। हैदराबाद में 3 बस स्टैंड है। श्रीशैलम जाने वाली बसें JBS (Jubilee Bus Station) बस स्टैंड और MGBS (MAHATMA GANDHI BUS STATION) बस स्टैंड से जाती है। आप www.tsrtconline.in वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बस टिकट बुक भी कर सकते है। यदि आप तिरुपति बालाजी भी जा रहे है, तो तिरुपति से मल्लिकार्जुन की दूरी 369 किमी है। तिरुपति से श्रीशैलम जाने के लिए बस आसानी से मिल जाती है। हवाई मार्ग द्वारा श्रीशैलम कैसे पहुंचे? श्री शैलम में एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए आपको श्री शैलम जाने के लिए हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट आना होगा। हैदराबाद में स्थित राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हमारे देश और अंतरराष्ट्रीय स्थलों से जोड़ता है। यहाँ के लिए जेट एयरवेज, एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी प्रमुख एयरलाइंस देश के सभी प्रमुख शहरों से उड़ान भरने के लिए संचालित हैं। शहर से लगभग 30 किमी दूरी पर स्थित इस एयरपोर्ट से श्रीशैलम जाने के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध है। श्रीशैलम मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन कंबम है, जो श्री शैलम से 60 किमी दूर है। यहाँ बहुत कम ट्रेन रूकती है। दूसरा निकट रेलवे स्टेशन मार्कापुर श्रीशैलम से 90 किलोमीटर की दूर है। यहाँ दक्षिण भारत के शहरों से कई ट्रेन चलती है। हिंदीभाषी राज्यों के लिए सबसे सुविधा जनक तीसरा रेलवे स्टेशन हैदराबाद है। हैदराबाद में तीन मु...

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन और यात्रा

Mallikarjuna Jyotirlinga Mandir Yatra, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में श्रीशैलम पर्वत पर कृष्णा नदी के तट पर स्थित हैं . आन्ध्र प्रदेश के इस दर्शनीय मंदिर को “ कैलाश ” के नाम से भी जाना जाता है और यह भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है . मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रमुख देवता माता पार्वती और भगवान शिव हैं . यह स्थान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं . श्रीशैलम मल्लिकार्जुन दर्शन के लिए दूर - दूर से पर्यटक यहां आते हैं और मंदिर के आराध्य देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य समझते हैं . यह मंदिर हिन्दू धर्मं और संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं . शिवपुराण के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी भगवान भोलेनाथ के परिवार से जुडी हुई हैं . माना जाता हैं की भोलेनाथ भगवान के छोटे पुत्र गणेशजी कार्तिकेय से पहले शादी करना चाहते थे . इसी बात पर भोलेनाथ और माता पार्वती ने इस समस्या को सुलझाने के लिए दोनों के समक्ष यह शर्त रखी की जो भी पहले पृथ्वी की परिकृमा करके लोटेगा उसका विवाह पहले होगा . यह सुनकर कार्तिकेय ने परिकृमा शुरू कर दी लेकिन गणेश जी बुद्धि से तेज थे उन्होंने माता पार्वती और भगवान शिव की परिकृमा करके उन्हें पृथ्वी के सामान बताया . जब यह समाचार कार्तिकेय को पता चला तो वह रूस्ट होकर क्रंच पर्वत पर चले गए . उन्हें मनाने के सारे प्रयास जब असफल हुए तो देवी पर्वती उन्हें लेने गई लेकिन वह उन्हें देखकर वहा से पलायन कर गए . इस बात से हतास होकर पार्वती जी वही बैठ गई और भगवान भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रगत हुए . यह स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में दर्शनीय हुआ . शक्ति पीठ का आशय उन स्थानों से हैं जहां देवी ...

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें?

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