Hemoglobin kam hone ke lakshan

  1. HB कम होने से क्या होता है, बढ़ाने के घरेलु उपाय, फुल फॉर्म, Test, लक्षण
  2. पीलिया के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  3. दिमाग की कमजोरी के लक्षण और इलाज़
  4. शरीर में खून (हीमोग्‍लोबिन) कैसे बढ़ाएं
  5. हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण क्या हैं और उसका इलाज कैसे करें? » Hemoglobin Ki Kami Ke Lakshan Kya Hain Aur Uska Ilaj Kaise Karen
  6. खून की कमी (एनीमिया) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार
  7. टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, निदान, इलाज और घरेलू उपचार
  8. हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर कम होने) के लक्षण, कारण, उपचार, दवा, इलाज


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HB कम होने से क्या होता है, बढ़ाने के घरेलु उपाय, फुल फॉर्म, Test, लक्षण

12-19-22 | 1 Minute Read HB कम होने से क्या होता है, बढ़ाने के घरेलु उपाय, फुल फॉर्म, Test, लक्षण आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की HB कम होने से क्या होता है और HB बढ़ाने के घरेलु उपाय साथ ही जानेंगे कि HB क्या होता है और एचबी कितना होना चाहिए. साथ ही पोस्ट में जानेंगे एचबी (हिमोग्लोबिन) कम होने के लक्षण और एचबी बढ़ाने के लिए क्या खाएं. इन सब के बारे में इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे. खून की कमी की वजह से हमें कमजोरी महसूस होने लगती है व अन्य कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है. खून की कमी से एनीमिया भी हो सकता है और एनीमिया एक जानलेवा बीमारी भी हो सकती है. HB कम होने का खतरा गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में अधिक होता है. HB Badhane Ke Gharelu Upay हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए आप अपने खाने में कुछ जरूरी चीजें जोड़ सकते हैं जो आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में हिमोग्लोबिन देते है और बढ़ाने में मददगार होते हैं: • हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक मेथी आदि का सेवन कर हिमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है. • अनार, गाजर, संतरा, अंगूर, सेब, केला आदि फलों का सेवन करने से भी शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है. • शुगर की बजाय गुड़ • चाय या गुड़ का सेवन करके भी इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है. • मीट चिकन अंडा और फिश के सेवन से भी हिमोग्लोबिन को बढाया जा सकता है. • ड्राई फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम, किशमिश आदि का सेवन करने से भी हिमोग्लोबिन बढ़ता है. • बादाम वाला दूध भी इसमें फायदेमंद होता है. HB Kya Hota Hai HB लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन होता है जो जो हमारे शरीर के अन्य अंगों को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को अंगों से फेफड़ो में पहुंचाने क...

पीलिया के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

जॉन्डिस या पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के कारण ऊतकों और खून में होता है। यह लिवर की बीमारी है। इससे ग्रसित मरीज की स्किन और आंखों का रंग पीला हो जाता है। लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बने बिलीरुबिन (गाढ़ा पीला पदार्थ) को लिवर फिलटर कर शरीर से बाहर निकालता है। कई बार हमारे शरीर में बिलीरुबिन का निर्माण अधिक मात्रा में होने लगता है जिसे लिवर फिलटर नहीं कर पाता। इसी अतिरिक्त बिलीरुबिन के कारण पीलिया होता है। पीलिया का समय पर इलाज न कराने पर सेप्सिस हो सकता है। इससे लिवर फेल होने का खतरा बढ़ सकता है। लिवर, बिलीरुबिन को रक्त से अपशिष्ट पदार्थ के रूप में लेता है और इसकी रासायनिक संरचना को बदलकर इसके अधिकांश भाग को पित्त के माध्यम से मल के रूप में निकाल देता है। बिलीरुबिन, एक पीला-नारंगी पदार्थ है जो लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मर जाती हैं या टूट जाती हैं तो इनसे निकलने वाले बिलीरुबिन को लिवर एकत्रित कर फिल्टर करता है। जब लिवर यह काम ठीक से नहीं कर पाता तो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है। इसी अतिरिक्त बिलीरुबिन के कारण पीलिया होता है। बिलीरुबिन के कारण ही पीलिया से ग्रसित मरीज की त्वचा और आंखों का रंग पीला दिखता है। जन्म के समय से ही कई बच्चों में पीलिया होता है। हालांकि इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती। यह कुछ दिनों बाद अपने आप ठीक हो जाता है। बच्चों में पीलिया के कई लक्षण दिखाई देतें हैं जैसे उल्टी और दस्त होना, 100 डिग्री से ज्यादा बुखार रहना, पेशाब का रंग गहरा पीला होना, चेहरे और आंखों का रंग पीला पड़ना आदि। बच्चों में पीलिया अधिकतर उनके लिवर के ...

दिमाग की कमजोरी के लक्षण और इलाज़

कई कारणों से दिन-प्रतिदिन हमारी जीवनशैली में लगातार बदलाव का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ा है. पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों में दिमागी कमजोरी की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं. हमारी जीवन शैली में में आने वाले बदलावों के कारण हमारे सोचने और काम करने की प्रक्रिया में भी परिवर्तन आया है. आजकल हम देखते हैं कि आधुनिक समाज में हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से किसी भी कीमत पर आगे निकलना चाहता है. आप अपने चारों तरफ देखेंगे तो पता चलेगा कि हर तरफ आगे बढ़ने की होड़ लगी है. इन्हीं सब कारणों से हमारे मस्तिष्क पर अतिरिक्त भार पड़ता है. अब हालत ये है कि कम उम्र के लोग भी आइए इस लेख के माध्यम से दिमागी कमजोरी को विस्तारपूर्वक समझें. क्या है दिमागी कमजोरी - Dimag Ki Kamzori Kya Hoti Hai दिमाग को सही ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन चाहिए होता है. यदि दिमाग की दिमागी कमजोरी के हाथों-पैरों या चेहरे में अचानक झुनझुनाहट महसूस होना या कमजोरी आना. शरीर के एक तरफा हिस्से में लकवा भी आ सकता है. समझने या बोलने में एकाएक रुकावट आना. एक या फिर दोनों आंखों से दिखने में दिक्कत आना. चक्कर आना, चलने में परेशानी होना. शरीर को संतुलित रखने में परेशानी आना. गंभीर मरीज का बेहोशी में जाना. बिना किसी वजह के सिर में तेज दिमागी कमजोरी के कारण -Dimag Ki Kamzori Ke Karan यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है. लेकिन यह ऐसे लोगों में अधिक होती है, जिन्हें दिमागी कमजोरी से बचाव -Dimag Ki Kamzori Se Bachav Aur Ilaj इस बिमारी को दूर करने के लिए मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव को कम करके गतिहीनता को दूर किया जाता है. रोज़ाना एक्सरसाइज़ से भी फायदा पहुंचता है. लेकिन यह उपाय मरीज को पूरी तरह ठीक नहीं कर पाते. इसलिए डाक्टर ...

शरीर में खून (हीमोग्‍लोबिन) कैसे बढ़ाएं

How to increase hemoglobin in Hindi हीमोग्लोबिन बढ़ाने के घरेलू उपाय: हीमोग्‍लोबिन लाल रक्‍त कोशिकाओं में मौजूद लौह समृद्ध प्रोटीन है जो पूरे शरीर में आक्‍सीजन पहुंचाने का काम करता है। वयस्‍क पुरुषों के शरीर में 14 से 18 ग्राम / डीएल और वयस्‍क महिलाओं के लिए 12 से 16 ग्राम / डीएल तक हीमोग्‍लोबिन को बनाए रखने की आवश्‍यकता होती है। आपके मन में सवाल जरूर उठ रहा होगा कि शरीर में हीमोग्‍लाबिन कैसे बढाएं। आज का आर्टिकल आपकी इसी समस्‍या को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है, और बताया गया है कि आप किस प्रकार हीमोग्‍लोबिन के स्‍तर को बढ़ा सकते हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय – Hemoglobin Increase Food In Hindi हमारे खून में हीमोग्‍लोबिन प्रमुख भूमिका निभाता है यदि शरीर में हीमोग्‍लोबिन की कमी होती है तो यह हमारे लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि आपके शरीर में हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने के कुछ घरेलू उपाय (home remedies) भी हैं जिनकी मदद से आप अपने शरीर में हीमोग्‍लोबिन को बढ़ा सकते हैं। आइए जाने किस प्रकार हम हीमोग्‍लोबिन को बढ़ा सकते हैं। शरीर में हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने का उपाय है सेब – Hemoglobin Badhane Ka Upay Apple in Hindi प्रतिदिन यदि एक सेव का सेवन किया जाता है तो यह आपके शरीर में हीमोग्‍लोबिन की उचित मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है। शरीर में हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने के लिए आयरन की आवश्‍यकता होती है जो कि (और पढ़े – हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने के घरेलू उपाय है चुकंदर – Hemoglobin Badhane Ke Upay Hai Chukandar in Hindi चुकंदर भी एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसमें आयरन की भरपूर मात्रा होती है साथ ही इसमें फोलिक एसिड के साथ (और पढ़े – प्रेगनेंसी में खून ब...

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण क्या हैं और उसका इलाज कैसे करें? » Hemoglobin Ki Kami Ke Lakshan Kya Hain Aur Uska Ilaj Kaise Karen

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खून की कमी (एनीमिया) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार

• • • यौन स्वास्थ्य • • • • • • • महिला स्वास्थ्य • • • • • • • त्वचा की समस्या • • • • बालों की समस्या • • • • • पुरानी बीमारी • • • • • • • • • • • • • • बीमारी • यौन स्वास्थ्य • पॉडकास्ट • अस्पताल खोजें • डॉक्टर खोजें • हेल्थ टी.वी. • वेब स्टोरीज • • इलाज • • • • • • • • • • योग और फिटनेस • • • • • • महिला • • • • • • अन्य विषय • • • • • • • • • एनीमिया के सात प्रकार होते हैं - • आयरन की कमी के कारण एनीमिया - • एप्लास्टिक एनीमिया -एप्लास्टिक एनीमिया रक्त का एक विकार है जिस कारण शरीर कीहड्डियों की मज्जापर्याप्त रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है। इस कारण स्वास्थ्य सम्बंधित कई समस्याएं जैसे • हीमोलिटिक एनीमिया -हेमोलिटिक एनीमिया तब होता है जब सामान्य जीवन काल के समाप्त होने से पहले ही लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं या रक्तधारा में नहीं होती हैं। कई बिमारियों, स्तिथियों और कारकों के कारण शरीर लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। हीमोलिटिक एनीमिया से कई गंभीर स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं जैसे थकान, दर्द, एरिथमिया, हृदय के आकार में वृद्धि, दिल की विफलता हो सकती हैं। • थैलेसीमिया - • सिकल सेल एनीमिया - सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर दरांती के आकृति जैसी लाल रक्त कोशिकाएं बनाता है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं की आकृति डिस्क जैसी होती है जिस कारण वह रक्त वाहिकाओं के ज़रिये आसानी से उत्तीर्ण होता है। • परनिशियस एनीमिया -परनिशियस एनीमिया में शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता है क्योंकि शरीर में पर्याप्त • फेंकोनाइ एनीमिया (एफ.ए.) -एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिस कारण हड्डियों की मज्जा की विफलता हो सकती है। एफ.ए. एप्लास्टिक एनीमिया का एक प्रकार है जो हड्ड...

टाइफाइड बुखार के लक्षण, कारण, निदान, इलाज और घरेलू उपचार

टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever), बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। इसे आंतों का बुखार भी कहते हैं। यह साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया खाने और पीने की चीजों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें बीमार बना देता है। कुछ देशों में यह महामारी बनकर टूटा है। WHO के अनुसार, टाइफाइड का सबसे हालिया प्रकोप 2015 में युगांडा में हुआ था। • टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) से संक्रमित मरीज के मल के संपर्क में आना। • दूषित पानी व भोजन का सेवन करना। • गंदगी के बीच रहना। • गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करना। • बिना हाथ साफ किए भोजन करना। • लोगों के मल से फर्टिलाइज़्ड कच्ची सब्जियों का सेवन करना। • दूषित दूग्ध उत्पादों का सेवन करना। • साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के साथ ओरल या एनल सेक्स करना। टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) पेट से संबंधित बीमारी है। यह मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफिम्यूरियम बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के मल के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा यह दूषित जल या भोजन के सेवन से भी होता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया आसानी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। इसका सही इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। टाइफाइड बुखार (Typhoid fever) का बैक्टीरिया जब एक बार शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह आंत में लगभग 1-3 सप्ताह तक रहता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे खून में रास्ता बनाते हुए अन्य टिश्यू और अंगों तक फैल जाता है। टाइफाइड रैश में छोटे गुलाबी स्पॉट्स होते हैं जिन्हें 'रोज स्पॉट्स' कहा जाता है। टाइफाइड (Typhoid) के बैक्टीरिया का शरीर में रहना इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह आपके शरीर में कैसे पहुंच...

हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर कम होने) के लक्षण, कारण, उपचार, दवा, इलाज

हाइपोग्लाइसीमिया क्या है? जब खून में शर्करा (शुगर) का स्तर गिर जाता है, तो उस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। बता दें कि शुगर शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होता है। हाइपोग्लाइसीमिया का आम तौर पर सीधा संबंधडायबिटीज ( हाइपोग्लाइसीमिया के तत्काल उपचार में खून में शुगर का स्तर वापस सामान्य स्तर पर लाने के लिए शीघ्र कदम उठाना जरुरी होता है। इसका स्तर लगभग 70 से 110 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या मिग्रा / डेली (प्रति लीटर 3.9 से 6.1 मिलीमोल्स) होता है। खून में कम शुगर के स्तर को सामान्य अवस्था में लाने के लिए उच्च शुगर वाले खाद्य पदार्थ या दवाओं का उपयोग किया जाता है। हाइपोग्लाइसीमिया के मुख्य कारणों की पहचान और उनका उपचार करने के लिए दीर्घकालिक (लंबे समय तक) उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। (और पढ़ें - हाइपोग्लाइसीमिया के क्या लक्षण होते हैं? जिस तरह से एक कार को चलने के लिए ईंधन की जरूरत होती है, वैसे ही शरीर और मस्तिष्क को ठीक से काम करने के लिए शुगर (ग्लूकोज) की लगातार आपूर्ति की आवश्यकता होती है। यदि ग्लूकोज का स्तर बेहद कमहो जाता है, जैसा कि ब्लड शुगर कम होने में होता है, तो इसके निम्न लक्षण व संकेत हो सकते हैं - • दिल में घबराहट महसूस होना • • त्वचा पीली पड़ना • कांपना • • पसीना आना (और पढ़ें - • भूख लगना (और पढ़ें - • चिड़चिड़ापन • मुंह के चारों ओर झुनझुनी और सनसनी महसूस होना • नींद के दौरान रोना (और पढ़ें - हाइपोग्लासीमिया की स्थिति और बदतर होने पर निम्न संकेत व लक्षण शामिल हो सकते हैं - • व्यवहार में असामान्यता या भ्रामकता या फिर दोनों। जैसेकि रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने में असमर्थता • देखने में परेशानी, जैसे धुंधला दिखाई देना • दौरा (Seizures) • चेतना मे...