हिंदी साहित्य के इतिहास के सर्वप्रथम लेखक का नाम क्या है?

  1. हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा
  2. हिंदी साहित्य का इतिहास (पुस्तक)
  3. हिन्दी साहित्य के इतिहास का लेखन/hindi sahity ke etihas ka lekhan
  4. हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स
  5. हिन्दी साहित्य के इतिहास का लेखन
  6. [Solved] 'हिंदी साहित्य का इति�
  7. हिंदी साहित्य : मुख्य तथ्य MCQ Practice Quiz 2
  8. हिन्दी साहित्य : प्रथम महाकाव्य, कवि, नाटक,रचनाए एवं उपन्यास


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हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा • हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की आधार भूमि विभिन्न साहित्यकारों की जीवन वत्ति संबंधित रचनाएं प्रस्तुत करती है। प्रारम्भ में विभिन्न कवियों का व्यक्तित्व और कृतित्व ही प्रस्तुत किया जाता रहा है। ऐसी प्रारम्भिक कृतियों में ' चौरासी वैष्णवों की वार्ता ', ' दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता ', ' भक्तमाल ' आदि प्रमुख हैं। इन संग्रहों में काल-क्रमिक विवेचन न होने के कारण इनको साहित्य इतिहास वर्ग में स्थान नहीं दिया जा सकता। • हिंदी में इतिहास लेखन की परम्परा के विषय में फ्रैंच विद्वान गार्सा - द - तासी का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। इन्होंने ' हिन्दुषी हिन्दुस्तानी साहित्य का इतिहास ' लिखा। जिसमें हिन्दी और उर्दू के विभिन्न 738 कवियों को वर्ण क्रमानुसार स्थान मिला। इनमें 72 हिंदी के कवि सम्मिलित किए गये थे। इस ग्रन्थ का सर्वाधिक महत्त्व है कि यह हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन का प्रथम प्रयास है। इस कृति में हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं के कवियों को सम्मिलित किया गया है। डा० नगेन्द्र ने इसके विषय में कहा है कि- "कवियों को कालक्रम के स्थान पर अंग्रेजी वर्णक्रम में प्रस्तुत करना , काल विभाजन , युगीन प्रवतियों का अभाव और हिन्दी उर्दू कवियों को घुला मिला देना त्रुटिपूर्ण है। अनेक न्यूनताओं के होते हुए भी इतिहास लेखन की परम्परा के प्रवर्त्तक के रूप में गार्सा-द-तासी को गौरव प्राप्त है।" • हिंदी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में शिवसिंह सेंगर का नाम विशिष्टता के साथ लिया जाता हैं। उनका ग्रन्थ ' शिवसिंह सरोज ' 1888 ई० में प्रकाशित हुआ । इस ग्रंथ में 998 कवियों का विवरण दिया गया है। शिवसिंह सेंगर ने प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना के लिए हिन्दी और संस्कृति के अने...

हिंदी साहित्य का इतिहास (पुस्तक)

हिन्दी साहित्य का इतिहास को सबसे प्रामाणिक तथा व्यवस्थित इतिहास-लेखन में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एक ऐसी क्रमिक पद्धति का अनुसरण करते हैं जो अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करती चलती है। विवेचन में तर्क का क्रमबद्ध विकास ऐसे है कि तर्क का एक-एक चरण एक-दूसरे से जुड़ा हुआ, एक-दूसरे में से निकलता दिखता है। लेखक को अपने तर्क पर इतना गहन विश्वास है कि आवेश की उसे अपेक्षा नहीं रह जाती। आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक आचार्य शुक्ल का इतिहास इसी प्रकार तथ्याश्रित और तर्कसम्मत रूप में चलता है। अपनी आरम्भिक उतपत्ति में आचार्य शुक्ल ने बताया है कि साहित्य जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्बित होता है। इन्हीं चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य-परम्परा के साथ उनका सामंजस्य दिखाने में आचार्य शुक्ल का इतिहास और आलोचना-कर्म निहित है। इस इतिहास की एक बड़ी विशेषता है कि आधुनिक काल के सन्दर्भ में पहुँचकर शुक्ल जी ने यूरोपीय साहित्य का एक विस्तृत, यद्यपि कि सांकेतिक ही, परिदृश्य खड़ा किया है। इससे उनके ऐतिहासिक विवेचन में स्रोत, सम्पर्क और प्रभावों की समझ स्पष्टतर होती है हिंदी साहित्य का विभाजन हिंदी साहित्य का आरंभ अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार के साहित्य मिलते हैं – गद्य, पद्य और चम्पू। गद्य और पद्य दोनों के मिश्रण को चंपू कहते है। खड़ी बोली की पहली रचना कौन सी थी इस पर तो विवाद है लेकिन अधिकतर साहित्यकार हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना लाला श्रीनिवासदास द्वारा लिखे उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ को मानते हैं। अनुक्रम • 1 परिचय • 2 संरचना • 3 समालोचना • 4 साहित्य के इतिहास की परम्परा। • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] शुक्ल जी ने इतिहास लेखन का यह कार्...

हिन्दी साहित्य के इतिहास का लेखन/hindi sahity ke etihas ka lekhan

इतिहास विधा कि हमारे देश में विकसित परंपरा नहीं रही है और आज भी हम इस दिशा में विशेष उन्नति नहीं कर पाए हैं। परिणाम यह है कि सौ से ऊपर इतिहास ग्रंथों के प्रकाशन के बाद भी हिंदी में सर्वाधिक प्रामाणिक इतिहास आचार्य शुक्ल का ही है, जिसकी रचना सन 1929 में हुई थी। यह स्थिति हिंदी के गौरव के अनुकूल नहीं है विशेषत: तब, जबकि हिंदी का आलोचना साहित्य इतना समृद्ध हो चुका है। नागरी प्रचारिणी सभा ने वृहद् इतिहास की योजना द्वारा एक महान अनुष्ठान का उपक्रम किया है। इस प्रकार के सार्वजनिक कार्य की अपनी सीमाएं होती हैं फिर भी इस महत्प्रयास के फलस्वरूप साहित्य सामग्री की एक विशाल राशि भावी इतिहासकार के लिए एकत्र हो गई है और हमारा विश्वास है कि शीघ्र ही साहित्य के कुछ प्रामाणिक इतिहास हमें हिंदी में उपलब्ध हो सकेंगे। साहित्य इतिहास लेखन के प्रमुख पद्धति- 1-वर्णानुक्रमी पद्धति-(गार्सा-द-तासी, शिव सिंह सेंगर) 2- कालानुक्रमी पद्धति-( जॉर्ज ग्रियर्सन, मिश्र बंधु) 4- विधेयवादी पद्धति-( आचार्य रामचंद्र शुक्ल) 5- समाजशास्त्रीय पद्धति-( रामविलास शर्मा) 6-वैज्ञानिक पद्यति -(गणपतिचन्द्र शुक्ल, रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’) प्रमुख साहित्य इतिहास लेखक और उनकी रचनाएं- 1-गार्सा-द-तासी- *रचना- इस्तवार-द-ला लितरेत्युर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी(भाषा-फ्रेन्च) *हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की प्रथम पुस्तक। *यह पुस्तक दो भागों में प्रकाशित हुई प्रथम भाग का प्रकाशन 1839 में और द्वितीय भाग का प्रकाशन 1847 में हुआ। *इसमें लगभग 738 कवियों का वर्णन अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम के आधार पर किया गया है। *738 कवियों में हिंदी कवियों की कुल संख्या 72 है। *वर्णानुक्रमी पद्धति पर लिखा गया यह हिंदी साहित्य इतिहास की प्रथम पुस्तक है। *इस पुस्तक...

हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम Hindi Sahitya Ka Itihas टॉपिक का एक विस्तृत अध्ययन करेंगे , आज के इस लेख में हम हिंदी साहित्य का इतिहास , हिन्दी साहित्य का नामकरण , हिंदी साहित्य का काल विभाजन , आदिकाल , भक्ति काल , रीति काल , आधुनिक काल , हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख समस्याएं , हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि,लेखक और उनकी रचनाएँ , आदि काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , भक्तिकाल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , रीति काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , आधुनिक काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ के बारे में पढ़ेंगे एवं अंत में हिंदी साहित्य का इतिहास Questions and Answers पर भी एक नजर डालेंगे 1.5 हिंदी साहित्य का इतिहास Questions and Answers | hindisahitya ka itihas Questions and Answers हिन्दी साहित्य का इतिहास विभिन्न लेखकों द्वारा वर्गीकृत किया गया जिनमें डॉ. नागेन्द्र ,आचार्य रामचंद्र शुक्ल,रामकुमार वर्मा एवं बाबू श्याम सुन्दर दास का नाम प्रमुखता से लिया जाता है | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित, हिन्दी साहित्य का इतिहास सर्वाधिक प्रामाणिक माना जाता हैं दोस्तों लेख़ के अंत में आप हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स PDF DOWNLOAD कर सकते हैं तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं हिंदी साहित्य का इतिहास हिंदी साहित्य का इतिहास लिखने की सर्वप्रथम कोशिश एक फ्रेंच विद्वान् ने की जिनका नाम गार्सा द तासी था ,इनके फ्रेंच भाषा में लिखे ‘ इसवार द ला सितरेत्युर रहुई ए हिन्दुस्तानी‘ नामक ग्रन्थ में हिंदी तथा उर्दु भाषा के कवियों का वर्णन है, परन्तु इस प्रयास में काल विभाजन एवं उनका नामकरण नहीं किया गया है ,काल विभाजन एवं नामकरण के बारे में प्रयास करने का श्रेय जॉर्ज ग्ति...

हिन्दी साहित्य के इतिहास का लेखन

अनुक्रम • 1 आरंभिक काल • 2 नया युग • 3 आधुनिक काल • 4 हिन्दी साहित्य के इतिहासकार और उनके ग्रन्थ • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ आरंभिक काल [ ] आरंभिक काल में मात्र कवियों के सूची संग्रह को इतिहास रूप में प्रस्तुत कर दिया गया। तासी ने अपने ग्रन्थ को 'हिन्दुई और हिन्दुस्तानी साहित्य का इतिहास' कहा है, पर यह इतिहास नहीं हैं, क्योंकि इसमें न तो कवियों का विवरण काल क्रमानुसार दिया गया है, न काल विभाग किया गया है और अब काल विभाग ही नहीं है तो प्रवृत्ति निरूपण की आशा ही कैसे की जा सकती है। वैसे तासी और सरोज को द माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान पाश्चात्य और प्राच्य विद्वानों ने काल विभाजन की दृष्टि से भी मिश्रबंधु विनोद प्रगति की दिशा में बढ़ता दिखाई देता है। नया युग [ ] आधुनिक काल [ ] वर्तमान युग में आचार्य द्विवेदी के अतिरिक्त साहित्येतिहास लेखन में अन्य प्रयास भी हुए परंतु इस दिशा में विकास को अपेक्षित गति नहीं मिल पाई। वैसे डॉ॰ गणपति चंद्र गुप्त, डॉ॰ रामखेलावन पांडेय के अतिरिक्त डॉ॰ लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय, डॉ॰ कृष्णलाल, भोलानाथ तथा डॉ॰ शिवकुमार की कृतियों के अतिरिक्त काशी नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी द्वारा प्रकाशित हिन्दी साहित्य के इतिहासकार और उनके ग्रन्थ [ ] हिन्दी साहित्य के मुख्य इतिहासकार और उनके ग्रन्थ निम्नानुसार हैं - 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. विस्तृत सूची नीचे दी गयी है- क्रमांक लेखक इतिहास ग्रन्थ एवं प्रकाशक प्रकाशन वर्ष 1 गार्सा-द-तासी इस्त्वार द ला लितरेत्यूर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी दो भागों में; 1839 ई० व 1847 ई० 2 मौलवी करीमुद्दीन तबका तश्शुअहा में तजकिरान्ई जुअहा- ई हिंदी 3 शिवसिंह सरोज १८७८ ई 4 जार्ज ग्रियर्सन द माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिन्...

[Solved] 'हिंदी साहित्य का इति�

सही उत्तर ' गार्सा द तॉसी 'है। Key Points • 'हिंदी साहित्य का इतिहास' लिखने वाले प्रथम लेखक 'गार्सा द तॉसी' हैं। • इन्होंने फ्रेंच भाषा में 'इत्स्वार द ला लिटरेत्युरऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी' में हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ लिखा। • यह ग्रंथ वर्ष 1839 में प्रकाशित हुआ था। Additional Information • आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखे गए हिन्दी साहित्य के इतिहास ग्रंथ का नाम 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' है जिसका प्रकाशन वर्ष 1929 है। • शिवसिंह सेंगर द्वारा लिखा गया हिन्दी साहित्य का नाम 'शिवसिंह सरोज' है जिसका प्रकाशन वर्ष 1883 है। • जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा लिखे गए ग्रंथ का नाम 'द माडर्न वर्नेक्यूलर लिटरेचर आँफ हिन्दुस्तान' है जिसका प्रकाशन वर्ष 1888 है। UPSC IES Mains Admit Card​ Out! The Mains exam will be held on 25th June 2023.The Union Public Service Commission (UPSC) released the UPSC IES Result for Prelims on 3rd March 2023. The exam was conducted on 19th February 2023 for both Paper I and Paper II.Atotalof 327 vacancies were released. The Mains examination will be held on 25th June 2023. The candidates appliedbetween 14th September 2022 to 4th October 2022. The candidates must meet the

हिंदी साहित्य : मुख्य तथ्य MCQ Practice Quiz 2

हिंदी साहित्य : मुख्य तथ्य is very important topic of सामान्य हिंदी व्याकरण in the exam point of view. We are going to share the set of 20 Multiple Choice Questions in this post. Complete the all practice set of this topic that are provided by Super Pathshala. GK questions of this post "हिंदी साहित्य : मुख्य तथ्य MCQ Practice Quiz 2" are very helpful for various government exams e.g. UPSC, SSC, Railway, Banking, State PSC, CDS, NDA, SSC CGL, SSC CHSL, Patwari, Samvida, Police, MP SI, CTET, TET, Army, MAT, CLAT, NIFT, IBPS PO, IBPS Clerk, CET, Vyapam etc. General Knowledge or Samanya Gyan is very important section to crack any exam. In this section we are providing GK in Hindiand GK Questions in Englishin another section. These Online Quizcontain the previous year asked questions in various govt exams, so practice these Online GK Test in Hindiat least one set of each subject daily. Get also all other subjects GK Questions and Answers in MCQ format from Super Pathshala. Complete Chapter wise/Topic wise Objective GK in Hindi [

हिन्दी साहित्य : प्रथम महाकाव्य, कवि, नाटक,रचनाए एवं उपन्यास

नमस्कार इस पोस्ट में हम हिंदी में प्रथम जैसे कि हिंदी का प्रथम महाकाव्य ( hindi ka pratham mahakavya ), हिंदी का प्रथम नाटक ( hindi ka pratham natak ), हिंदी साहित्य का प्रथम कवि ( hindi sahitya ka pratham kavi ) एवं हिंदी का प्रथम उपन्यास ( hindi ka pratham upanyas ) इसी तरह के प्रश्नों के उत्तर जानेंगे जो कि एग्जाम में बार-बार पूछे जाते हैं | तो शुरु करते हैं हिंदी में प्रथम महाकाव्य, कवि, नाटक, रचनाए एवं उपन्यास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नो को- प्रथम महाकाव्य, कवि, नाटक, रचनाए एवं उपन्यास Q1.अपभ्रंश के प्रथम महाकवि कौन थे ? उत्तर रामकुमार वर्मा ने स्वयंभू को अपभ्रंश का प्रथम महाकवि कहां है Q2. हिंदी का प्रथम महाकाव्य ( hindi ka pratham mahakavya ) माना जाता है- उत्तर पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है पृथ्वीराज रासो के रचनाकार चंदबरदाई है जो कि पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि थे Q3. हिंदी साहित्य के इतिहास का प्रथम लेखक कौन है उत्तर गार्सा द तार्सा हिंदी साहित्य के इतिहास के प्रथम लेखक हैं Q4. हिंदी का प्रथम बड़ा महाकाव्य कौन सा है ? उत्तर पद्मावत हिंदी का प्रथम बड़ा महाकाव्य है जोकि जायसी जी की रचना है Q5. हिंदी का प्रथम नाटक कौन सा है ? उत्तर नहुष (गोपाल चंद) हिंदी का प्रथम नाटक है प्रथम महाकाव्य, कवि, नाटक, रचनाए एवं उपन्यास Q6. हिंदी के प्रथम कवि कौन है ? उत्तर सराहपाद (नौवीं शताब्दी) हिंदी के प्रथम कवि हैं Q7. हिंदी का प्रथम उपन्यास कौन सा है उत्तर परीक्षा गुरु (श्रीनिवास दास) हिंदी का प्रथम उपन्यास है Q8. कृष्ण भक्ति का प्रथम व प्रधान ग्रंथ है कौन सा है उत्तर गीता कृष्ण भक्ति का प्रथम व प्रधान ग्रंथ है Q9. खड़ी बोली के प्रथम कवि माने जाते हैं उत्...