हरित क्रांति क्या है pdf?

  1. हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर निबंध
  2. हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या थे? हरित क्रांति पर प्रश्न? What was Green Revolution? What were the positive and negative effects of Green Revolution in Hindi?
  3. हरित क्रांति क्या है? » Harit Kranti Kya Hai
  4. [Solved] हरित क्रांति का क्या अर्थ है?
  5. हरित क्रांति क्या है
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हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर निबंध

विषय सूची हरित क्रांति क्या है हरित क्रांति एक ऐसी क्रांति हैजिसमे अधिक उपज देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरको व नई तकनीक के प्रयोग से कृषि उत्पादकता बधाई उसेहरित क्रांति कहते हैं।‘हरित क्रांति’ शब्द का अर्थ है नए पौधें की किस्मों के विकास द्वारा उत्पादन को कई गुना बढ़ाने के उपाय। उच्च उत्पादन वाली धन व गेहूं की किस्में हरित क्रांति के मुख्य तत्व रहे हैं। हरित क्रांति की अवधारणा शब्द "हरित क्रांति' का उल्लेख कृषि विशेषज्ञों के दल द्वारा 1950 के और 1960 के दशकों के दौरान विकसित नई कृषि प्रौद्योगिकी के लिए किया गया है। इस दल में मैक्सिको में अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूँ सुधार केंद्र और फिलिपीन्स में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के कृषि विशेषज्ञ थे। इन दो केंद्रों में विकसित प्रौद्योगिकी बाद में एशिया और लेटिन अमेरिका के अधिकांश विकासशील देशों द्वारा अपनाई गई। यद्यपि प्रारंभ में नई कृषि रणनीति मुख्यतया गेहूँ और चावल की फसलों तक सीमित थी, बाद में, अन्य फसलों के लिए भी इसका विस्तार किया गया। ये प्रणालियाँ उन परंपरागत कृषि प्रणालियों के स्थान पर प्रारंभ की गई, जो अधिकांशतः किसानों के अपने स्वामित्व और संसाधनों पर आधारित थे (जैसे देशी बीज, खेत में बनी खाद, हाथ से सिंचाई, रहट का प्रयोग)। देशी बीजों की समस्या यह थी कि वे उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रासायनिक उर्वरक की अधिक मात्रा बर्दाश्त नहीं कर पाते थे। जबकि रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई के संयोजन में HYT बीजों ने अधिक वांछित उच्चतर उत्पादकता दी। "हरित क्रांति" शब्द का प्रयोगसबसे पहलेडॉ. विलयिम गौड (USAID के तत्कालिक प्रशासक) ने किया था। उन्होंने 1968 में एशिया और लेटिन अमेरिका के विकासशील देशों में नई कृषि प्रौद्...

हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या थे? हरित क्रांति पर प्रश्न? What was Green Revolution? What were the positive and negative effects of Green Revolution in Hindi?

1.3.5.6 # निष्कर्ष -harit kranti # हरित क्रांति क्या थी? हरित क्रांतिके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या थे?harit kraanti ke sakaaraatmak aur nakaaraatmak prabhaavon ka varnan karen? * हरित क्रांति का अर्थ/vaishvikaran ki paribhasha हरित क्रांतिकृषि से संबंधित है। हरित क्रांतिका मुख्य उद्देश्य गेहूँ की पैदावार में वृद्धि से है। हरित क्रांतिका काल 1960 से दशक को कहा जाता है। पूरे विश्व में हरित क्रांति का श्रय मैक्सिको के नोबल पुरस्कार विजेता एक वैज्ञानिक प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता है। भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई? भारत में हरित क्रांति का श्रय एम. एस. स्वामीनाथन को जाता है। डा० प्रोफेसर नारमन बोरलॉग पुरस्कार पहली बार एम. एस. स्वामीनाथन को दिया गया था। भारत में भी 1960 के दशक में हरित क्रान्ति शुरू हो गई थी एम. एस. स्वामीनाथन द्वारा हरित क्रांतिके चलते भारत पहली बार खाद्यान्नों विशेष कर गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिभर बन गया था। # हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभाव – हरित क्रांति से लाभ 1) परंपरागत कृषि से आधुनिक कृषि: – हरित क्रांतिसे भारतीय परंपरागत कृषि का स्वरूप बदल गया तथा आधुनिक कृषि के रूप विश्व स्तर पर भारतीय कृषि बड़ रही थी। 2) रोजगार:- हरित क्रांतिकर चलते ग्रामीण रोजगार में वृद्धि हो गई थी। भारत 1947 को आजाद हो गया था और भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक समस्या बेरोजगारी थी परंतु हरित क्रांतिने भारत के अंदर बेरोजगारी का स्तर को काम किया था। 3) खाद्यान्न आत्मनिर्भर तथा निर्यात:- जैसा की हम आज कल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में सुनते है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। जब भारत देश में हरित क्रान्ति हुई थी तो भारत जो 1960 के दशक से पहले दूसरे द...

हरित क्रांति क्या है? » Harit Kranti Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हरित क्रांति का मतलब है किस क्षेत्र में अपनी उपज को बढ़ाना जब हमारे देश में खाद्य संकट पैदा हो गया था 70 के दशक और उस समय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस कारण टी की शुरुआत की थी और सभी किसानों से अपील की थी जो अच्छे बीज और खाद का प्रयोग करते हुए अधिक से अधिक उत्पादन को बढ़ाएं ताकि देशद्रोहियों का अध्ययन संकट से बच सकें harit kranti ka matlab hai kis kshetra mein apni upaj ko badhana jab hamare desh mein khadya sankat paida ho gaya tha 70 ke dashak aur us samay pradhanmantri laal bahadur shastri ne is karan T ki shuruat ki thi aur sabhi kisano se appeal ki thi jo acche beej aur khad ka prayog karte hue adhik se adhik utpadan ko badhaye taki deshadrohiyon ka adhyayan sankat se bach sakein हरित क्रांति का मतलब है किस क्षेत्र में अपनी उपज को बढ़ाना जब हमारे देश में खाद्य संकट पैद जवाब दें Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join t...

[Solved] हरित क्रांति का क्या अर्थ है?

अवधारणा- • भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है। • कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 33 प्रतिशत है और लगभग 62 प्रतिशत आबादी को रोजगार प्रदान करती है। • भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश के सामने मुख्य चुनौतियों में से एक बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन करना था। • चूँकि केवल सीमित भूमि ही खेती के लिए उपयुक्त है, भारत को मौजूदा कृषि भूमि से प्रति इकाई क्षेत्र में पैदावार बढ़ाने का प्रयास करना होगा। • व्याख्या- • 1960 के दशक के मध्य में विभिन्न पादपप्रजनन तकनीकों के परिणामस्वरूप गेहूँ और चावल की कई उच्च उपज देने वाली किस्मों के विकास से हमारे देश में खाद्य उत्पादन में आकस्मिक वृद्धि हुई। • इस चरण को प्रायः हरित क्रांति के रूप में जाना जाता है। • हरित क्रांति काफी हद तक गेहूँ, चावल, मक्का आदि में अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी किस्मों के विकास के लिए पादनप्रजनन तकनीकों पर निर्भर थी। • हरित क्रांति हमारे देश के लिए न केवल खाद्य उत्पादन में राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जिम्मेदार थी बल्कि हमें इसे निर्यात करने में भी मदद करती थी। इस प्रकार हरित क्रांति का अर्थ है उच्च उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी पादपकिस्मों का विकास है। Additional Information गेहूँ और चावल • 1960 से 2000 की अवधि के दौरान, गेहूँ का उत्पादन 11 मिलियन टन से बढ़कर 75 मिलियन टन हो गया, जबकि चावल का उत्पादन 35 मिलियन टन से बढ़कर 89.5 मिलियन टन हो गया। • यह गेहूँ और चावल की अर्ध-बौनी किस्मों के विकास के कारण था। गन्ना • सैकरम बरबेरी मूल रूप से उत्तर भारत में उगाया जाता था, लेकिन इसमें चीनी की मात्रा और उपज कम होती थी। • दक्षिण भारत में उगाई जाने वाली ट्रॉपिकल बेंत सैकरम ऑफ़िसिन...

हरित क्रांति क्या है

प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन में आपका स्वागत है। आज हम इस लेख में हरित क्रांति क्या है? हरित क्रांति के जनक कौन थे? इन प्रश्नों पर चर्चा करने वाले हैं। इस लेख में क्या-क्या पढ़ेंगे! हरित क्रांति क्या है? हरित क्रांति के जनक कौन थे? भारत में हरित क्रांति के चरण हरित क्रांति के लाभ हरित क्रांति के हानि/नुकसान हरित क्रांति की विशेषताएं क्या है? दूसरी हरित क्रांति की मुख्य बिंदु हरित क्रांति (Green Revolution) क्या है? आज के समय में भारत की सवा सौ करोड़ जनसंख्या का भोजन भारतीय कृषि पर निर्भर है। देश आजादी के बाद लगातार बढ़ती आबादी को को भोजन उपलब्ध कराना देश के लिए एक बड़ी समस्या थी। इस समस्या को हल करने के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने कम भूमि में उच्च पैदावार वाले उन्नत किस्म के फसलों का विकास किया। हरित क्रांति मुख्य रूप से गेहूं की फसल से संबंधित है। इस तरह देखते-देखते भारत में कृषि की अन्य फसलों की पैदावार में लगातार बढ़ोतरी हुई। जिसे हरित क्रांति का नाम दिया गया। हरित क्रांति उच्च गुणवत्ता वाले बीज रसायनिक उर्वरक व गहरी सिंचाई आधारित कृषि उत्पादन की एक नवीन प्रक्रिया थी। इस क्रांति को ' अधिक उपज देने वाली किस्मों का कार्यक्रम' (High Yielding Varieties Programme - HYVP) के नाम से भी जाना जाता है। हरित क्रांति का दूसरा नाम 'सदाबहार क्रांति' भी है। हरित क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिका के डॉक्टर विलियम गॉड ने किया था हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत रॉकफेलर एवं फोर्ड फाउंडेशन के तत्वधान में बोने फसल वाली गेहूं की एक ऐसी किस्म का विकास किया गया, जो - • पारंपरिक किस्मत से अधिक उपज वाली थी; • मौसम परिवर्तन से कम प्रभावित होती थी; • शीघ्र तैयार हो जाती थी; • उर्वर...

[PDF] हरित क्रांति

हरित क्रांति PDF स्वतंत्रता के बाद कृषि विकास और खाद्य सुरक्षा भारत की मुख्य समस्याएँ रही है। परंतु उन पर बल विविधतापूर्ण रहा है परिणाम यह हुआ कि कृषि सेक्टर के विकास ने सविरामी रूप से शिखर और गतं देखें पहली पंचवर्षीय योजना ने अपने मुख्य फोकस के रूप में कृषि के विकास को अपने मुख्य केंद्र पर रखा। इसके बावजूद दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत ने गंभीर खाद्य कमी का सामना किया है। इस समस्या से निपटने के लिए 1958 में भारत में खाद्यान्न कमी के कारणों की जाँच करने और उपचारी उपाय सुझाने के लिए (संयुक्त राज्य के कृषि विभाग के डॉ. एस. एफ. जानसन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों का दल आमंत्रित किया। दल ने (“India”s Food Problem and Steps to meet ‘ (1959)” नाम से अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि भारत को उन क्षेत्रों पर अधिक फोकस करना चाहिए जहाँ कृषि उत्पादकता बढ़ाने की संभावना अधिक है। इसके परिणामस्वरूप पहले से ही विकसित हुए क्षेत्रों को अधिक खाद्यान्न पैदा करने के सघन खेती के लिए चुना गया। बाद में 1980 के दशक में दो मुख्य कार्यक्रम अर्थात् सघन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (LAAP 1961) और सघन कृषि जिला कार्यक्रम (IADP 1964) प्रारंभ किए गए। इन दोनों कार्यक्रमों ने सिंचाई, उर्वरक कृषि अनुसंधान और विकास, शिक्षा और विस्तार सेवाओं पर भारी निवेश किया, जिसने मिलकर परिणामतः भारतीय कृषि में उत्पादकता और उत्पादन में उच्च वृद्धि को संभव बनाया। आमतौर पर इसका हरित क्रांति (GR) के रूप में उल्लेख किया गया। यद्यपि इसकी सफलता व्यापक रूप से स्वीकार की गई परंतु वास्तविकता यह है कि इसे केवल पहले से ही कृषि की दृष्टि से विकसित भौगोलिक क्षेत्रों में फोकस किया गया था और उन्हीं क्षेत्रों में सघन निवेश द्वारा बढ़ाया गया थ...

हरित क्रांति

1950-1960 के दशक में कृषि विकास हरित क्रांति, जिसे तीसरी कृषि क्रांति के रूप में भी जाना जाता है, हरित क्रांति का पारिभाषिक शब्द के रूप में सर्वप्रथम प्रयोग १९६८ ई. में पूर्व संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) के निदेशक विलियम गौड द्वारा किया गया जिन्होंने इस नई तकनीक के प्रभाव को चिन्हित किया। अनुक्रम • 1 हरित क्रांति अपनाने के कारण • 2 हरित क्रांति के लाभ:- • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ हरित क्रांति अपनाने के कारण [ ] स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय भारतीय कृषि के लिए स्थितियां बहुत विषम थी| इसमें सुधार के लिए 1. औपनिवेशिक कारण:- ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत भारतीय कृषि का विकास के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया| इससे कृषि की स्थिति दयनीय हो गई, जिसे सुधारने के लिए क्रांतिकारी प्रयास की आवश्यकता थी| 2. संरचनात्मक सुविधाओं का अभाव:- स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय भारतीय कृषि; सिंचाई, सड़क, बिजली जैसी आवश्यक सुविधाओं से वंचित थी, जिसके लिए प्रयास करना अनिवार्य था| 3. परंपरागत कृषि पद्धति:- स्वतंत्रता के समय भारतीय कृषक लकड़ी के हल, निम्न उत्पादकता वाले बीज तथा मानसून आधारित सिंचाई पर निर्भर थे इससे कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों निम्न थी तथा जिस में सुधार की आवश्यकता थी| 4. मशीनीकरण का अभाव:- हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, पंपिंग सेट जैसी आवश्यक मशीनों का नहीं के बराबर उपयोग होता था| इससे कृषि पिछड़ी हुई अवस्था में बनी हुई थी, जिसे सुधारने की आवश्यकता थी| 5. संस्थागत सुविधाओं की अनुपलब्धता:- हरित क्रांति के अपनाए जाने से पूर्व बैंकिंग, बीमा तथा अन्य वित्तीय सुविधाओं तथा भूमि सुधार, चकबंदी आदि जैसी सुविधाएं पर्याप्त ढंग से उपलब्ध नहीं थी| इस प्रकार के अभाव का प्रभाव भारतीय कृषि ...