जाशी की रानी

  1. jhansi ki rani class 6
  2. हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/झाँसी की रानी की समाधि पर
  3. कविता, कहानी, गज़ल, Geet, Ghazal, Kavita, Story, Nazm
  4. कौन है श्री राधा रानी और श्री राधा जी का अवतरण कैसे हुआ ?
  5. NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10
  6. जानकी देवर : 18 साल की उम्र में किया 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट का नेतृत्व!


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jhansi ki rani class 6

• राजवंशों ने = राजा-महाराजाओं ने। • भृकुटी = भौंहें (क्रोध में भर उठे थे)। • गुमी हुई = खोई हुई। • फिरंगी = अंग्रेजों ने। • सन्तान = पुत्र-पुत्री। • गाथाएँ = कहानियाँ। • कृपाण = तलवार। • वैभव = सम्पन्नता। • विरुदावलि– प्रशंसा के गीत। • भवानी = पार्वती जी। • उदित = उदय। • मुदित = प्रसन्न। • उजियाली = चमक,खुशियाँ। • कालगति = मृत्यु की गति। • काली घटा = दु:ख के बादल। • कर हाथ। • विधि=विधाता। • शोक= दुःख। • हर्षाया = प्रसन्न हुआ। • दुर्ग = किला। • लावारिस = जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। • वारिस = उत्तराधिकारी। • वीरानी = परायी। • घात = निशाना लगाना। • विसात – ताकत। • बज-निपात = बिजली टूटना। • गाथा = कथा, कहानी। • द्वन्द्व = दो व्यक्तियों का परस्पर युद्ध। • असमान = बराबर नहीं। • अजब = अनोखा। • निरंतर = लगातार । • तत्काल = तुरन्त, जल्दी ही। • सिधार = मरकर। • रजधानी = राजधानी। • विजय = जीत। • सम्मुख = सामने। • मुँह की खाना = पराजित होना। • सैन्य = सेना। • विषम = भयानक। • सवार = घुड़सवार सैनिक । • वीरगति = युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाना। • सिधार = स्वर्ग सिधार गई। • दिव्य = अलौकिक, दैवीय। • तेज = प्रकाश (आत्मा का प्रकाश परमात्मा के प्रकाश से मिल गया)। • मनुज = मनुष्य। • अवतारी = अवतार लेने वाली देवी। • स्वतन्त्रता नारी= स्वतन्त्रता की देवी। • पथ-रास्ता। • सीख = शिक्षा। प्रथम पद में कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान का वर्णन करते हुए कहा है कि किस तरह उन्होंने गुलाम भारत को आज़ाद करवाने के लिए हर भारतीय के मन में चिंगारी लगा दी थी। रानी लक्ष्मी बाई के साहस से हर भारतवासी जोश से भर उठा और सबके मन में अंग्रेजों को दूर भगाने की भावना पैदा...

हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/झाँसी की रानी की समाधि पर

← झाँसी की रानी की समाधि पर झाँसी की रानी की समाधि पर संदर्भ झांसी की रानी की समाधि कविता प्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित हैं। वह एक स्वच्छंद व्यक्तित्व वाली है। प्रसंग झाँसी की रानी की समाधि पर कविता में सुभद्रा जी ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि का वर्णन करते हुए उनके वीरता का गुणगान करती है। व्याख्या कवियित्री लक्ष्मी बाई की समाधि के विषय पर कहती है यह समाधि एक राख कि ढेरी है। वह जल के अमर हो गई है। उन्होंने स्वतंत्रता की बलीवेदी पर मित कर अपनी चित्ता प्र जलकर सुंदर आरती करी है। रानी टूटी हुई विजयमाला के समान इसी समाधि के आस पास स्वर्ग सिधार गई। उनकी वस्तु यही पर इक्कठा है मानो समाधि उनका स्मृति स्थल है। उस वीरांगना ने अंग्रेज़ो अनेक हमले सहन करे उन्होंने स्वतंत्रता के महायज्ञ में आहुति दी। युद्ध में वीरगति पाने से वीरो का मान सम्मान बढ़ता है। ठीक वैसे ही जैसे स्वर्ण भस्म स्वर्ण से ज्यादा मूल्यवान होता हैं। स्वाधीनता की चमक उनके समाधि में है। रानी लक्ष्मबाई जी की समाधि से भी सुंदर समाधियां संसार में मौजूद है परन्तु उनके किस्से छोटे छोटे जंतुओं तक ही सीमित है। लक्ष्मीबाई की समाधि अमर समाधि है। वीरो की शौर्य गाथाओं का बखान कवि स्नेह के साथ करते है। कवियित्री कहती है हम बुंदेलखंड में रहनेवाले लोगो से रानी की गाथाएं सुनी है। अंग्रेजो के साथ रानी ने अंतिम समय तक डटकर सामना करा। विशेष 1) भाषा सरल है। 2)रानी लक्ष्मबाई जी की समाधि का वर्णन है। 3)मानवीकरण अलंकार है। 4)वीरता का वर्णन है। 5)तत्सम शब्दों का प्रयोग है। 6) माधुर्य गुण है।

कविता, कहानी, गज़ल, Geet, Ghazal, Kavita, Story, Nazm

Hindi Kavita: ”बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” कविता देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है. भले ही किसी को पूरी कविता याद न हो, लेकिन ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ तो करीब-करीब हर किसी को याद ही है. इस कविता के साथ ही हमें इस कविता की लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम भी जहन में आता है. सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra kumari Chauhan) की यह रचना इतनी प्रसिद्ध है कि कवि का नाम आते ही उनके साथ ‘झांसी की रानी’ (Jhansi ki rani) का नाम खुद-ब-खुद जुड़ जाता है. लेखन की विलक्षण प्रतिभा सुभद्रा कुमारी चौहान के रक्त में ही थी. महज नौ साल की आयु में उन्होंने अपनी पहली कविता ‘नीम’ की रचना की. उन्होंने ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहण नहीं की. वे केवल नौवीं कक्षा तक की ही पढ़ाई पूरी कर पाईं. 16 अगस्त, 1904 में इलाहाबाद में जन्मी सुभद्रा को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था. उन्होंने लेखन के साथ-साथ आज़ादी के लड़ाई में भी सक्रिय भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गईं. वे अपनी लेखनी के माध्यम से भी लोगों में आज़ादी की अलख जगाने का काम करती थीं. उनकी रचनाओं में आजादी का उन्‍माद और वीर रस का सान्‍निध्‍य मिलता है. सुभद्रा कुमारी चौहान के दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए. उनके कविता संग्रह ‘मुकुल’ और ‘त्रिधारा’ हैं. वैसे तो उनकी तमाम रचनाएं प्रसिद्ध हैं, लेकिन ‘झांसी की रानी’ कविता ने उन्हें जन-जन का कवि बना दिया. यह भी पढ़ें- ‘झांसी की रानी’ कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके द्वारा अंग्रेजों के साथ लड़ा गया युद्ध है. यह कविता तत्कालीन बुंदेली लोकगीत को आधार ...

कौन है श्री राधा रानी और श्री राधा जी का अवतरण कैसे हुआ ?

कौन गा सकता है उस कृपा मई श्री जी( राधा रानी (radha rani) के चरणों की धुल के कण जितनी बातें। राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया। उन्होंने श्रीराधा(shri radha) की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो। • सुदामा काँप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूँ। • इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। • सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी। • सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है। • इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ। एक अन्य कथा है:- नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने द्वादश वर्षो तक तप करके श्रीब्रह्मा से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा। फलस्वरूप द्वापर में वे राजा वृषभानु और रानी कीर्तिदा के रूप में जन्मे। दोनों पति-पत्नि बने। धीरे-धीरे श्रीराधा(shri radha) के अवतरण का समय आ गया। Radha Rani राधा बिना तो कृष्ण हैं ...

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 झाँसी की रानी are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for झाँसी की रानी are extremely popular among Class 6 students for Hindi झाँसी की रानी Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 6 Hindi Chapter 10 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 6 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate. Answer: ( क) इस पंक्ति में लेखिका ने झाँसी के राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु के कारण रानी के विधवा होने की ओर संकेत किया है। ( ख) इस पंक्ति में लेखिका ने रानी के सुख पर दुःख की छाया को दर्शाया है। राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु से उनके जीवन में दुःखों का पहाड़ टूट गया था। एक तो उनके सुहाग को काल ने अपना ग्रास बना लिया दूसरा राजा के मरते ही झाँसी लावारिस हो गई। निसंतान राजा की मृत्यु ने अंग्रेज़ों को झाँसी पर कब्ज़ा करने का सुअवसर दे दिया। जिससे रानी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। Page No 77: Answer: लेखिका के अनुसार उस समय भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उसकी दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। अंग्रेज़ धीरे- धीरे पूरे भारत को अपना गुलाम बनाने पर लगे हुए थे। परन्तु उस गुलामी को स्वीकार न करने वाली और आज़ादी का बिगुल बजाने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। उनकी इसी वीरता ने सब के मन में एक नया उत्साह भर दिया था कि एक स्त्री अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए तैया...

जानकी देवर : 18 साल की उम्र में किया 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट का नेतृत्व!

सुभाष चन्द्र बोस और उनकी आज़ाद हिन्द फ़ौज (जिसे भारतीय राष्ट्रीय सेना या आईएनए के नाम से भी जाना जाता है) से जुड़ी बहुत-सी कहानियाँ मशहूर हैं। फिर भी बहुत कम लोग आईएनए के अभिन्न अंग ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट के बारे में जानते हैं। और शायद ही किसी को उन साधारण महिलाओं के बारे में पता होगा, जिन्होंने मिल कर इस असाधारण महिला रेजिमेंट को बनाया। उन बहुत से अनसुने नामों में एक नाम है- जानकी देवर, जिन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 18 साल की उम्र में जानकी ने बर्मा में कप्तान लक्ष्मी सहगल के बाद ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट की कमान संभाली। आज द बेटर इंडिया के साथ जानिए, भारत की इस बेटी की अनसुनी कहानी! तत्कालीन ब्रिटिश मलय में रहने वाले एक संपन्न तमिल परिवार में जानकी का जन्म हुआ था। जुलाई 1943 में सुभाष चन्द्र बोस, आईएनए के लिए चंदा इकट्ठा करने और सेना में स्वयंसेवकों की भर्ती करने के लक्ष्य से सिंगापुर पहुँचे। उस समय जानकी सिर्फ़ 16 साल की थीं। यहाँ पर लगभग 60, 000 भारतीयों (जिसमें जानकी भी शामिल थी) की एक सभा को, नेता जी ने जोश भरे भाषण के साथ संबोधित किया और हर किसी को ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया। नेताजी के प्रेरक शब्दों ने ही किशोरी जानकी के मन में भी उस देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने की अलख जगा दी, जिसे वे सिर्फ़ अपनी मातृभूमि के रूप में जानती थीं; पर कभी भी उस सर-ज़मीं को देखा नहीं था। यह भी पढ़ें: इस संघर्ष की तरफ़ जानकी का पहला कदम था, अपने सभी कीमती सोने के गहनों को भारतीय राष्ट्रीय सेना के लिए दान कर देना और दूसरा कदम था ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट में शामिल होने का फ़ैसला, जिसके लिए उन्हें अपने परिवार, ख़ासकर कि अपने पिता से विरोध का स...