झांसी की रानी का जन्म कब हुआ था

  1. झांसी की रानी कविता
  2. [Solved] झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती हर वर्ष प�
  3. झाँसी की रानी (कविता)
  4. झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास


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झांसी की रानी कविता

CBSE Class 6 Hindi Chapter 10 Jhansi Ki Rani Poem Solution सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय: प्रस्तुत कविता हिंदी भाषा और साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई है। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था। इन्हें बचपन से ही कविता लिखने का शौक़ था तथा इनकी अधिकतर रचनाएं देश-प्रेम से ओत-प्रोत रहती थीं। वह एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम में सेनानी भी थीं। उन्होने गाँधीजी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया तथा दो बार जेल भी गईं। इसीलिए उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता की झलक देखने को मिलती है। झांसी की रानी कविता का सार- Jhansi Ki Rani Poem Summary: प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा दिखाए गए अदम्य शौर्य का उल्लेख किया है। उस युद्ध में लक्ष्मीबाई ने अपनी अद्भुत युद्ध कौशल और साहस का परिचय देकर बड़े-बड़े वीर योद्धाओं को भी हैरान कर दिया था। उनकी वीरता और पराक्रम से उनके दुश्मन भी प्रभावित थे। उन्हें बचपन से ही तलवारबाज़ी, घुड़सवारी, तीरंदाजी और निशानेबाज़ी का शौक था। वह बहुत छोटी उम्र में ही युद्ध-विद्या में पारंगत हो गई थीं। अपने पति की असमय मृत्यु के बाद उन्होंने एक कुशल शासक की तरह झांसी का राजपाट संभाला तथा अपनी अंतिम सांस तक अपने राज्य को बचाने के लिए अंग्रेजों से अत्यंत वीरता से लड़ती रहीं। उनके पराक्रम की प्रशंसा उनके शत्रु भी करते थे। Ncert Solution for Class 6 Hindi Vasant All Chapters Chapter 01. Chapter 04. Chapter 10. Chapter 13. Chapter 16. झांसी की रानी कविता अर्थ सहित- Jhansi Ki Rani Poem in Hindi Summary सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ...

[Solved] झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती हर वर्ष प�

सही उत्तर 19 नवंबर है। Key Points • झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती हर वर्ष 19 नवंबर को पूरे देश में मनाई जाती है। • 2021 में, देश ने झांसी की रानी की 193वीं जयंती मनाई। • रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को काशी के असीघाट वाराणसी के एक मराठी करहड़े ब्राह्मण परिवार में हुआ था। • 18जून 1858 को उन्हें शहादत मिली। • 1857 के विद्रोह में खोए लोगों के सम्मान के लिए उनकी जयंती को झांसी में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। Important Points • उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी बाई था। • रानी लक्ष्मीबाई का नाम बचपन में मणिकर्णिका रखा गया था। • 1842 में, लक्ष्मीबाई ने झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से शादी की और रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्राप्त किया।

झाँसी की रानी (कविता)

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 झांसी की रानी कविता • 3 सन्दर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] कविता का हर अंतरे का अंत इस कथन से होता है कि लेखिका ने रानी लक्ष्मीबाई की कथा बुंदेलों से सुनी है। कैसे वो राजवंश में जन्मीं और बाल्यकाल से ही अत्यंत वीरांगना थीं। वे झांसी की रानी कविता [ ] सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़। महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में, सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में। चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी ...

झाँसी की रानी स्टोरी और इतिहास

3.7/5 - (70 votes) रानी लक्ष्मी बाई जिन्हें हम ‘झाँसी की रानी’ के नाम से जानते हैं, जो भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम (1857) के समय की सबसे बहादुर वीरांगना थी। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई एक ऐसी योधा थी जिन्होंने अंगेजो की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और आखिरी दम तक उनसे लड़ती रही। हमारे देश में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वीरता की कहानियां सुनाई जाती हैं। रानी लक्ष्मी बाई इतनी बहादुर थी कि वो मरने के बाद भी अंग्रेजो के हाथ नहीं आई थी। झांसी की रानी की 29 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से लड़ते हुए रणभूमि में उनकी मौत हुई थी। इस आर्टिकल में हम आपको झाँसी की रानी की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमे आप जानेंगे रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी, झाँसी की रानी स्टोरी, झांसी की रानी का इतिहास, झांसी की रानी की मौत कैसे हुई जैसी मुख बातों को। • • • • • • • • • • • • 1. रानी लक्ष्मी बाई के बारे में जानकारी – Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai Ke Baare Mein Jankari • जन्म मणिकर्णिका ताम्बे (मनु)19 नवंबर 1828 वाराणसी, भारत • निधन 18 जून 1858 (आयु 29 वर्ष) • ग्वालियर, ग्वालियर राज्य, भारत के पास कोताह की सराय • पिता मोरोपंत शिव तांबे माँ भागीरथी सप्रे • शासनकाल 1853-1857 • पति झांसी नरेश महाराज गंगाधर राव नयालकर • बच्चे दामोदर राव, आनंद राव (गोद लिया हुआ)। 2. झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन – Jhansi Ki Rani Story In Hindi लक्ष्मी बाई बहादुरी, देशभक्ति और सम्मान का प्रतीक हैं उनका जन्म 19 नवंबर 1828 में वाराणसी में एक मराठी परिवार में हुआ था। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का असली नाम मणिकर्णिका था लेकिन उन्हें प्यार से मनु भी कहा जाता था। रानी लक्ष्मी बाई के पिता मोरोपंत ताम्...