जन्माष्टमी कब की है

  1. श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है क्यों मनाई जाती है पौराणिक महत्व
  2. Janmashtmi 2023: कब है श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि व मुहूर्त 2023
  3. Janmashtami 2022 : कब है जन्माष्टमी, जानें तिथि, समय, इतिहास और महत्व
  4. Krishna Janmashtami 2022: जन्माष्टमी कब है, क्या है पूजा तिथि और मुहूर्त, कब रखा जाएगा व्रत और क्या है इसकी कथा
  5. krishna Janmashtami 2022 Date Time Shubh muhurat and significance
  6. Janmashtami 2022:जन्माष्टमी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि
  7. जन्माष्टमी 2022 : कब मनाना है सही, क्या कहते हैं विद्वान, क्यों हुआ है भ्रम?
  8. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022: जानिए कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
  9. Krishna Janmashtami 2022: कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


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श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है क्यों मनाई जाती है पौराणिक महत्व

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है पौराणिक महत्व आइये जाने इससे जुड़ी पौराणिक कहानी एवं व्रत का महत्व, मुहूर्त हिंदू धर्म की मान्यताओं में देवी देवताओं से जुड़ा हुआ हर एक दिन बहुत विशेष होता है। आए दिनों हिंदू धर्म के लोग अलग-अलग उत्सव मनाते रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के बाद अब भारत में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। Advertisements भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हिंदुओं के इष्ट देवता भगवान श्री नारायण ने कृष्णा अवतार में पृथ्वी पर जन्म लिया था। जन्माष्टमी का त्योहार हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन दहीहंडी समेत बहुत सारी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और उपवास भी रखा जाता है। यह त्यौहार मध्य रात्रि में मनाया जाता है तथा भगवान को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद् भागवत गीता में कहते हैं यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। अर्थात जब जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म का प्रकोप बढ़ता है तब तब मैं इस पृथ्वी पर अवतरित होता हूं और धर्म की रक्षा करता हूं। अपने इसी कथन के अनुसार भगवान श्री नारायण ने द्वापर युग में जन्म लेकर कंस का संहार किया था और कौरवों जैसे अधर्मीयों का विनाश करवा कर धर्म की रक्षा की थी। तो दोस्तों आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी हुई सारी बातें बताते हैं। कब मनाई जाती है श्री कृष्ण जन्माष्टमी? हिंदू पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस वर्ष साल 2022 में श्री कृ...

Janmashtmi 2023: कब है श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि व मुहूर्त 2023

जन्माष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म के सबसे लोकप्रिय एवं प्रमुख भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है जो समूचे विश्व में अपने नटखट और चंचल स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी (Janmashtami) को हर साल देशभर में मनाया जाता है और समस्त कृष्ण भक्तों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) को प्रतिवर्ष भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में दुष्ट राजा कंस के कारागृह में देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। कृष्ण जी का जन्म अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी 2023 की तिथि एवं मुहूर्त जन्माष्टमी व्रत की पूजा विधि • जन्माष्टमी के दिन अष्टमी के व्रत से पूजा और नवमी के पारणा से व्रत की समाप्ति होती है। • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करने वाले भक्त को व्रत से एक दिन पूर्व अर्थात सप्तमी तिथि पर हल्का एवं सात्विक भोजन करना चाहिए। रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करें, साथ ही मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखें। • जन्माष्टमी व्रत वाले दिन प्रातःकाल स्नानादि कार्यों से निवृत होकर समस्त देवी-देवताओं को नमस्कार करने के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाना चाहिए। • अब हाथ में जल, फल और फूल लेकर संकल्प करें और मध्यान्ह काल में काले तिल के जल से स्नान या अपने ऊपर छिड़काव करने के बाद कर देवकी जी के लिए "प्रसूतिगृह" का निर्माण करें। • अब इस सूतिका गृह में सुन्दर और कोमल बिछौना बिछाएं तथा उस पर शुभ कलश की स्थापना करें। • इसके पश्चात भगवान श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती माँ देवकी की प्रतिमा य...

Janmashtami 2022 : कब है जन्माष्टमी, जानें तिथि, समय, इतिहास और महत्व

जन्माष्टमी एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और उन्होंने अपना बचपन मथुरा और वृंदावन दोनों में बिताया. इस शुभ दिन पर भक्त उपवास भी करते हैं. कब है 2022 में जन्माष्टमी : दिनांक कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. कृष्ण भक्त एक दिन का उपवास रखने और अगले दिन इसे तोड़ने का संकल्प लेते हैं. कोई जन्माष्टमी के दिन दिन में एक बार भोजन करता है और कोई पूरे दिन केवल फल खाता है. 2022 में कब है जन्माष्टमी : समय अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 को रात 09:20 बजे से शुरू हो रही है. अष्टमी तिथि 19 अगस्त 2022 को रात 10:59 बजे समाप्त हो रही है. जन्माष्टमी का इतिहास जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, मथुरा पर उनके चाचा कंस का शासन था. कंस अपनी बहन के बच्चों को मारना चाहता था क्योंकि भविष्यवाणी में कहा गया था कि दंपति का आठवां बेटा कंस के पतन का कारण बनेगा. भविष्यवाणी को सुनने के बाद, कंस ने देवकी और वासुदेव को कैद कर लिया और उनके जन्म के तुरंत बाद उनके पहले छह बच्चों को मार डाला. देवकी के सातवें बच्चे को देवकी के गर्भ से राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में डाल दिया गया था. जब उनके आठवें बच्चे, भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो पूरा महल नींद में चला गया और वासुदेव ने वृंदावन में नंद बाबा और यशोदा के घर में बच्चे को बचाया. इसके बाद वह एक बच्ची के साथ महल में लौट आए और उसे कंस को सौंप दिया. जब दुष्ट राजा ने उसे मारने की कोशिश की, तो ...

Krishna Janmashtami 2022: जन्माष्टमी कब है, क्या है पूजा तिथि और मुहूर्त, कब रखा जाएगा व्रत और क्या है इसकी कथा

Krishna Janmashtami 2022: जन्माष्टमी कब है, क्या है पूजा तिथि और मुहूर्त, कब रखा जाएगा व्रत और क्या है इसकी कथा Krishna Janmashtami Kab hai Vrat Katha: कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि पर हुआ था और वह 18 को ही पड़ रही है, ऐसे में उसी दिन पूजा होगी और उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा.आइए जानते हैं इसस व्रत में क्या कथा सुनें, जिससे सारे कष्ट कट जाएं. डीएनए हिंदी : Janmashtami Kab hai-Lord Krishna का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की अष्टमी तिथि में हुआ था. इस बार कृष्ण जन्माष्टमी ( Krishna Janmashtami Date 2022) को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है कि जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी या फिर 19 अगस्त (18th and 19th August) को, इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त रात 9 बजकर 20 मिनट से लेकर 19 अगस्त रात 11 बजे तक रहेगी, ऐसे में 18 अगस्त को ही चंद्रोदय व्यापिनी तिथि अष्टमी है और कान्हा का जन्म भी इसी तिथि पर हुआ था, कायदे से 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाना उचित होगा. इसी दिन व्रत ( Janmashtami Katha)होता है और कान्हा का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है यह भी पढे़ं- क्या है जन्माष्टमी व्रत की कथा (Janmashtami Vrat Katha) स्कंद पुराण के अनुसार यह द्वापर युग की बात है, तब मथुरा में उग्रसेन नाम के एक प्रतापी राजा हुआ करते थे लेकिन स्‍वभाव से वह सीधे-साधे थे. यही वजह थी कि उनके पुत्र कंस ने ही उनका राज्‍य हड़प लिया और स्‍वयं मथुरा का राजा बन बैठा था. कंस (Kans) की एक बहन थी, जिनका नाम देवकी (Devaki) था. कंस उनसे बहुत प्रेम करता था, उन्होंने वसुदेव (Marriage with Vasudev) से उनकी शादी करा दी. पुराण के अनुसार जब कंस बहन को छोड़ने के लिए जा रहा था तभी एक आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को वह इतने प्...

krishna Janmashtami 2022 Date Time Shubh muhurat and significance

नई दिल्ली. Janmashtami 2022 Date कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को हिंदू धर्म में सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस बार रक्षाबंधन की तरह ही कृष्ण जन्माष्टमी भी दो दिन 18 और 19 अगस्त, 2022 पड़ रही है. जिसको लेकर लोगों के बीच कन्फ्यूजन बनी हुई है. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी. कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी? ज्योतिषविदों के अनुसार, अष्टमी तिथि इस साल 18 अगस्त से शुरू हो रही है और यह 19 अगस्त, 2022 को समाप्त होगी. अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 09 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. गुरुवार के दिन जन्माष्टमी पर अभिजीत मुहूर्त बन रहा है. क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? निशीत पूजा का समय 18 अगस्त की रात 11 बजकर 18 मिनट से 12 बजकर 03 मिनट तक है. ऐसे में इस साल 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा आधी रात के आसपास की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. जन्माष्टमी पर पूजा की विधि - जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की आराधना करें. - रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का दूध, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें. - लड्डू गोपाल को माखन, मिश्री और पंजीरी का भोग लगाएं. - वस्त्र, तुलसी दल और फल-फूल अर्पित करें. - भगवान लड्डू गोपाल को पालने में झुलाएं. कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व हिंदू शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं. उनका जन्म रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी तिथि को वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र के रूप में हुआ था. उन्होंने अपने बचपन ...

Janmashtami 2022:जन्माष्टमी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि

Janmashtami 2022: जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। निसंतान स्त्रियां संतान की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त, गुरुवार के दिन पड़ रही है। श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि योग बन रहा है, इसे बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं इस बार जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के बारे में। जन्माष्टमी पूजन विधि • जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। • इस दिन भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है और साथ ही नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। • इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजंयती माला, तुलसी दल आदि से सजाया जाता है। • इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें। • फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं। • आखिर में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांटे। • साथ ही, पूजन के दौरान हुई भूल चूक की क्षमा मांगें।

जन्माष्टमी 2022 : कब मनाना है सही, क्या कहते हैं विद्वान, क्यों हुआ है भ्रम?

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाना चाहिए? 18 अगस्त को या कि 19 अगस्त को? किस दिन जन्माष्‍टमी की पूजा करना उचित रहेगा या कि श्रीकृष्‍ण को जन्मोत्सव मनाना उचित रहेगा? इस संबंध में पंचांग और विद्वान क्या कहते हैं? आखिर यह भ्रम क्यों है? इन्हीं सभी सवालों का जवाब जानिए। उल्लेखनीय है कि इस बार श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कब हुआ था श्रीकृष्‍ण का जन्म : श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को आठवें मुहूर्त में रात्रि के शून्यकाल में रोहणी नक्षत्र में वृषभ लग्न के संयोग में हुआ था। यानी अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में रोहणी नक्षत्र में ही जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए।परंतु वर्तमान में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही है। 20 तारीख को रोहिणी नक्षत्र रहेगा। 18 अगस्त को क्यों मना रहे हैं लोग जन्माष्टमी : रात्रि 09:20 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के शून्य काल यानी रात्रि करीब 12 बजे हुआ था। दूसरे दिन 19 अगस्त को रात्रि 12 बजे के पहले ही अष्टमी तिथि समाप्त हो रही है तो ऐसे में 18 अगस्त को ही अष्टमी मनाई जाना चाहिए। यदि आप शून्य काल के अनुसार श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाना चाहते हैं, तो 18 अगस्त को रात्रि 12 बजे मनाएं। विद्वानों का कहना है कि इसके बाद 19 तारीख को भी दिन में या किसी भी समय भजन कीर्तन शोभायात्रा इत्यादि कार्य किए जा सकते हैं। 19 अगस्त को क्यों मना रहे हैं लोग जन्माष्टमी : कुछ लोग उदयातिथि को मानते हैं। यानी यदि तिथि का प्रारंभ रात्रि में हो रहा है तो फिर सूर्योदय के बाद ही उत्सव मनाना चाहिए। दूसरा तर्क यह है कि श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में जन्म हुआ था। यह आठवां मुहूर्त 19 अगस्त की शाम को रहेगा। इसलिए 19 अगस्त क...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022: जानिए कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

• • Faith Hindi • Krishna Janmashtami 2022: जानिए कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Krishna Janmashtami 2022: जानिए कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Krishna Janmashtami 2022: हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन श्री​कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. Krishna Janmashtami 2022: सावन के बाद भाद्रपद का महीना आता है और मान्यता है कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के ( Krishna Janmashtami 2022 Date) गोपाल स्वरुप का पूजन होता है और व्रत-उपवास किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और पूजन विधि. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बड़ी धूमधाम से कृष्ण जी के गोपाल स्वरुप का पूजन किया जाता है. इस दिन पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं और कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त में पूजन करने से मनवांछित फल मिलता है. इस दिन दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. वहीं इस रात को 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 8 बजकर 59 मिनट तक धुव्र योग बन रहा है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्त हुआ था और इसलिए इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन व्रत-उपवास भी किया जाता है और भगवान कृष्ण का पूजन कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण के गोपाल स्वरुप का पूजन होता है, इसलिए अगर आपके घर में...

Krishna Janmashtami 2022: कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Krishna Janmashtami 2022; History, Significance and Dahi Handi Celebration: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है. इसे भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है. हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं. कृ्ष्ण के जन्म को लेकर सबसे अधिक उत्साह वृंदावन और मथुरा में देखने को मिलता है क्योंकि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक मथुरा में कृष्ण का जन्म हुआ और वृंदावन में उनका बचपन बीता. इस त्यौहार के साथ गोकुलअष्टमी भी मनाई जाती है. इस साल कब है Janmashtami? जन्माष्टमी हर साल अलग-अलग दिन मनाई जाती है क्योंकि इसका दिन ग्रेगोरेयिन कैलेंडर के हिसाब से नहीं तय होता है. जन्माष्टमी भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2022 में अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 09:20 से शुरू होगा और 19 अगस्त को 10:59 पर समाप्त होगा. जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है? भगवान कृ्ष्ण के भक्तों के लिए कृष्ण जन्माष्टमी सबसे महत्वपूर्ण दिन है. वे इस दिन व्रत रहते हैं और बुरे लोगों से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं. इस मौके पर भक्त अपने घरों को सजाते हैं और भगवान कृष्ण की बालरूप में मूर्ति रखते हैं. भक्त भगवान कृष्ण की जिंदगी की विभिन्न घटनाओं और राधा के प्रति उनके अमर प्यार को दिखाने के लिए अभिनय करते हैं. बालरूप में भगवान कृष्ण की एक मूर्ति को एक झूले में रखा जाता है और परिवार के हर सदस्य उन्हें मक्खन-चीनी देते हैं. भगवान कृष्ण को मक्खन बहुत प्रिय था. भगवान कृष्ण को सभी पकवान ऑफर करने करने के बाद भक्त अपना व्रत खोलते हैं. महाराष्ट्र में होता है दही-हांडी का आयोजन देश भर के भिन्न-भिन्न इलाकों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में भक्त दही-हांडी का आयो...