ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी लेखक list

  1. Gyanpeeth Award List
  2. ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त केलेल्या लेखकांची सूची
  3. बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023 उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' को; लेखक, अनुवादक को मिले 21 लाख और 15 लाख रुपए
  4. कुबेर नाथ राय
  5. ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची (1965
  6. [मराठी] लेखक पुरस्कार MCQ [Free Marathi PDF]
  7. JNANPITH PURASKAR in Hindi : ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी लेखक List
  8. ज्ञानपीठ पुरस्कार


Download: ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी लेखक list
Size: 24.63 MB

Gyanpeeth Award List

विषय सूची • • • • • • • Gyanpeeth Award list 2023 57th gyanpeeth award- 57वां ज्ञानपीठ पुरस्कार गोवा के लघु कथा लेखक, उपन्यासकार, आलोचक और कोंकणी में पटकथा लेखक दामोदर मौजो को भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 2008 में रवींद्र केलेकर के बाद मौजो पुरस्कार प्राप्त करने वाले गोवा के दूसरे नागरिक हैं। मौज़ो की 25 पुस्तकें कोंकणी में और एक अंग्रेजी में प्रकाशित हुई हैं। उनकी कई पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। मौजो के प्रसिद्ध उपन्यास ‘करमेलिन’ को 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। गोवा की राजधानी पणजी के पास राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान प्रसिद्ध कवि गुलजार मौजूद थे। 57th gyanpeeth award- दामोदर मौज़ो के बारे में मौज़ो का जन्म 1944 में गोवा के अल्डोना गाँव में हुआ था। उन्होंने 1960 के दशक की शुरुआत में लघु कथाएँ लिखना शुरू किया, और उनके काम का अंग्रेजी, फ्रेंच, पुर्तगाली और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है। मौज़ो का काम अक्सर गोवा में आम लोगों के जीवन से संबंधित होता है, और वह सामाजिक और आर्थिक मुद्दों के यथार्थवादी चित्रण के लिए जाना जाता है। उनकी कहानियों को उनकी अंतर्दृष्टि और करुणा के लिए सराहा गया है। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, जहां उन्होंने अंग्रेजी में कला स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक होने के बाद, उन्होंने पूर्णकालिक लेखक बनने से पहले कुछ वर्षों तक एक पत्रकार के रूप में काम किया। मौज़ो की पहली लघु कहानी, “द एंड ऑफ द नाइट”, 1965 में प्रकाशित हुई थी। तब से, उन्होंने उपन्यास, लघु कथा संग्रह और निबंध सहित 25 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उनके काम का अंग्रेजी, फ्रें...

ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त केलेल्या लेखकांची सूची

दरवर्षी विविध प्रकारचे पुरस्कार भारतीय किंवा गैर-भारतीय व्यक्तींना भारत सरकार किंवा संस्थेद्वारे दिले जातात, त्यापैकी एक ज्ञानपीठ पुरस्कार आहे. भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्टतर्फे भारतीय साहित्य क्षेत्रातील असाधारण कार्यासाठी हा पुरस्कार दिला जातो. आज या लेखाच्या माध्यमातून आपण जाणून घेणार आहोत की ज्ञानपीठ पुरस्कार म्हणजे काय, ज्ञानपीठ पुरस्कार कोणाला दिला जातो आणि आतापर्यंत भारतात हा सन्मान कोणाला मिळाला आहे. यासोबतच तुम्हाला ज्ञानपीठ पुरस्काराशी संबंधित इतर रंजक गोष्टींची माहितीही उपलब्ध करून दिली जाईल, ज्याद्वारे तुम्ही कोणत्याही स्पर्धा परीक्षेतील ज्ञानपीठ पुरस्काराशी संबंधित प्रश्न सोडवू शकाल. हा पुरस्कार देणाऱ्या संस्थेची स्थापना उद्योगपती आणि समाजसेवी साहू शांती प्रसाद जैन यांनी १९४४ मध्ये केली होती. ज्ञानपीठ पुरस्कार हा भारतीय ज्ञानपीठ या सांस्कृतिक संस्थेने प्रायोजित केला आहे. हा पुरस्कार देणाऱ्या संस्थेची स्थापना उद्योगपती आणि समाज सेवी साहू शांती प्रसाद जैन यांनी १९४४ मध्ये केली होती. ज्ञानपीठ पुरस्कार म्हणजे काय? भारतीय ज्ञानपीठाचे संस्थापक श्री साहू शांती प्रसाद जैन यांच्या पन्नासाव्या वाढदिवसानिमित्त १९६१ मध्ये सुरू झालेल्या भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्टतर्फे भारतीय साहित्याच्या विस्तृत क्षेत्रात केलेल्या अद्भुत कार्यासाठी हा सन्मान दिला जातो. पहिला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 मध्ये जी. शंकर कुरूप (मल्याळम) यांना देण्यात आला. ज्ञानपीठ पुरस्कार कोणाला दिला जातो? भारतीय राज्यघटनेच्या आठव्या अनुसूचीमधील २२ भाषांपैकी कोणत्याही भाषेत दर्जेदार आणि प्रभावी कार्य करणाऱ्या व्यक्तीला ज्ञानपीठ पुरस्कार दिला जातो. बक्षीस म्हणून, विजेत्याला प्रशस्तीपत्र, रु. 5 लाख आणि वाग्देवीची कांस्य प्रत ...

बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023 उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' को; लेखक, अनुवादक को मिले 21 लाख और 15 लाख रुपए

नई दिल्लीः प्रथम 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' में उर्दू भाषा और उससे अनूदित उपन्यासों की धूम रही. देश में राशि के मामले में अपनी तरह के इस सबसे बड़े सम्मान का प्रथम स्थान जहां उर्दू में लिखित उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' अर्जित किया, वहीं विजेता के रूप में चुनी गई अंतिम कुल छः कृतियों में 3 कृतियां उर्दू भाषा की रहीं. विजेता उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' के लेखक मोहसिन खान हैं, और इसका हिंदी अनुवाद सईद अहमद ने किया है. राजधानी में आयोजित एक भव्य समारोह में इन पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही 'अल्लाह मियां का कारखाना' उपन्यास के विजेता लेखक मोहसिन खान और हिंदी अनुवादक सईद अहमद को 'बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' के रूप में क्रमशः रुपए 21 लाख और रुपए 15 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई. प्रथम पुरस्कार विजेता उर्दू उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' के अलावा जिन पांच उपन्यासों को उप विजेता पुरस्कार मिला है, उनमें ओड़िआ का 'अभिप्रेत काल', उर्दू का 'चीनी कोठी', बांग्ला का 'घर पालनो छेले', उर्दू का 'नदीष्ट' और उर्दू का ही 'नेमत खाना' शामिल हैं. इस अवसर पर अन्य पांच उप विजेता लेखकों और संबंधित हिंदी अनुवादकों में से प्रत्येक को क्रमशः रुपए 3 लाख और रुपए 2 लाख की सम्मान राशि से सम्मानित किया गया. यह आश्चर्य की बात है कि देश की आठवीं अनूसूची में शामिल कुल 22 भाषाओं में से 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023' के लिए आखिरी चरण में केवल ओड़िआ, उर्दू, बांग्ला और मराठी की कृतियां ही पहुंच सकीं. इस सम्मान का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में बहानापे को बढ़ावा देने के साथ ही राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने की दिशा के रूप में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है. इससे न के...

कुबेर नाथ राय

2019 के भारतीय डाक टिकट प राय जनम ( 1933-03-26)26 मार्च 1933 मत्सा गाँव, निधन 5 जून 1996 ( 1996-06-05) (उमिर63) पेशा निबंधकार राष्ट्रियता भारतीय प्रमुख रचना गंध मादन, प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, विषाद योग प्रमुख सम्मान कुबेर नाथ राय (26 मार्च 1933 – 5 जून 1996), जिनके कुबेरनाथ राय के नाँव से भी लिखल जाला, शुरुआती जिनगी [ ] कुबेर नाथ राय के जनम भारत के उत्तर प्रदेश के कैरियर [ ] अध्यापन के कैरियर [ ] 1958 से 1986 तक नलबारी कॉलेज, लेखन के कैरियर [ ] कुबेर नाथ राय आपन लेखन पूरा तरह से निबंध के रूप में समर्पित कइलन। उनकर निबंध संग्रह गांधमादन, प्रिया नील-कांति, रस आखेटक, विषाद योग, निषाद बांसुरी, प्राण मुकुट निबंध के रूप के बेहद समृद्ध कइले बा। मुख्य रचना [ ] • अंधकार में अग्निशिखा, प्रभात प्रकाशन, 1999 • प्रिया नीलकंठी, भारतीय ज्ञानपीठ, 1969 • रास आखेटक, भारतीय ज्ञानपीठ, 1971 • गंधमादन, भारतीय ज्ञानपीठ, 1972 • निषाद बांसुरी, 1973 • विषाद योग, नेशनल पब्लिशिंग हाउस (दिल्ली), 1974 • प्राण मुकुट, लोक भारती प्रकाशन (इलाहाबाद), 1978 • महाकवि की तरजनी, राष्ट्रीय प्रकाशन हाउस (दिल्ली), 1979 • पत्र:मणिपुतुल के नाम, विश्वविद्यालय प्रकाशन (वाराणसी), (1980) पुनर्मुद्रण 2004 • मनपवन की नौका, प्रभात प्रकाशन (दिल्ली), 1983 • किरात नदी में चंद्रमधु, विश्वविद्यालय प्रकाशन (वाराणसी), 1983 • दृष्टि अभिसार, राष्ट्रीय प्रकाशन हाउस (नई दिल्ली), 1984 • त्रेता का वृहत्साम, राष्ट्रीय प्रकाशन हाउस (नई दिल्ली), 1986। • कामधेनु, राजपाल & संस (दिल्ली), 1990 • मराल, भारतीय ज्ञानपीठ, 1993 • आगम की नव • वाणी का क्षीरसागर • • कंठमणि (काव्य संग्रह), विश्वविद्यालय प्रकाशन, (वाराणसी), 1998 • उत्तरकुरु, 1993 • सिन...

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची (1965

ज्ञानपीठपुरस्कारविजेताओंकीसूची (1965-2019) Gyanpith Award Winners List in Hindi –आजसभीकॉम्पीटिशनएग्जाममेंसमान्यज्ञानकेसेक्शनमेंपुरस्कारसेसबंधितबहुतसेप्रश्नपूछेजातेहैक्योकिपुरस्कारसमान्यज्ञानकाएकपार्टहै. इसलिएयदिकोईउमीदवारकिसीकॉम्पीटिशनएग्जामकीतेयारीकररहेहैतोउसेपुरस्कारसबंधितसमान्यज्ञानहोनाचाहिएइसलिएआजहमयंहाज्ञानपीठसम्मानविजेताओंकेबारेमेंबतायेंगे.यदिआपविभिन्नप्रतियोगीपरीक्षाओंकीतैयारीकररहेहैं, तोआपकोज्ञानपीठसम्मानसेसम्मानितव्यक्तियोंसेसबंधितजानकारीहोनीचाहिएइनमेसेप्रश्नअक्सरएग्जाममेंपूछेजातेहै. हमारीवेबसाइटपरसभीपुरस्कारकेबारेमेंबतायागयाहै .जहाँसेआपअपनीतैयारीकरसकतेहै . ज्ञानपीठपुरस्कारकिसेकहतेहै? ज्ञानपीठपुरस्कारसेसम्मानितसाहित्यकारोकीसूची (वर्ष 1965 से 2019 तक)–ज्ञानपीठपुरस्कारएकभारतीयसाहित्यिकपुरस्कारहैजोभारतीयज्ञानपीठद्वाराकिसीलेखककोउनके“साहित्यकेप्रतिउत्कृष्टयोगदान”केलिएदियाजाताहै। 1961 मेंस्थापित, इसपुरस्कारकोभारतीयभाषाओंमेंलिखनेवालेभारतीयलेखकोंकोहीदियाजाताहै, जिसमेंभारतऔरअंग्रेजीकेसंविधानकीआठवींअनुसूचीमेंशामिलहैं, भारतीयज्ञानपीठपुरस्कारकीस्थापनासाल 1965 मेंकीगयीथी।देशकाकोईभीव्यक्तिजोभारतीयसंविधानकी 8वींअनुसूचीमेंबताईगई 22 भाषाओंमेंसेकिसीभीभाषामेंलिखताहोइसपुरस्कारकेयोग्यहै।अबतकहिन्दीतथाकन्नड़भाषाकेलेखकसबसेअधिक 7 बारइससम्मानकोप्राप्तकरचुकेहैं।साल 1965 मेंमलयालमलेखकजीशंकरकुरुपकोप्रथमज्ञानपीठपुरस्कारसेसम्मानितकियागयाथा। ज्ञानपीठपुरस्कारकेबारेंमेंसंक्षिप्तजानकारी (Gyanpith Award Winners Details in Hindi) पुरस्कारकावर्ग साहित्य स्थापनावर्ष 1965 पुरस्कारराशि 11 लाखरुपये प्रथमविजेता जीशंकरकुरुप(मलयालम) भारतकीप्रथममहिलाविजेता आशापूर्णादेवी (बांग्ला) आखिरीविजेता अक्कीतमअच्युतननंब...

[मराठी] लेखक पुरस्कार MCQ [Free Marathi PDF]

योग्य उत्तर बोलवार महंमद कुन्हीआहे. Key Points • बोलवार महंमद कुन्ही हे लघुकथा, कादंबरी, नाटके आणि हस्तलेखाचे भारतीय लेखक आहेत. • लिहिताना ते कन्नड भाषेचा वापर करतो. • त्यांच्याद्वारे मूळ कन्नड गद्यात प्रथमच मुस्लिम आचार आणि संस्कृतीचा समावेश करण्यात आला आहे. • सर्जनशील गद्यासाठी दोनदा केंद्रीय साहित्य अकादमी मिळवणारे भारतातील एकमेव लेखक आहेत. • केंद्रीय साहित्य अकादमीकडून बाल साहित्य पुरस्कार प्राप्त करणारे ते कन्नडमधील पहिले लेखक आहेत. • स्वातंत्र्यदा ओटा, त्यांचे 1,110 पानांचे मॅग्नम ओपस, 18 मार्च 2012 रोजी पंडित राजीव तारानाथ यांनी रवींद्र कलाक्षेत्र येथे प्रकाशित केले. • त्यांच्या ‘स्वातंत्र्यदा ओटा’ या पुस्तकासाठी त्यांना साहित्य अकादमी पुरस्काराने सन्मानित करण्यात आले. Additional Information • गिरीश कर्नाड: • गिरीश कर्नाड हे भारतीय अभिनेता, दिग्दर्शक, नाटककार आणि ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्ता होते. • त्यांनी कन्नडमध्येही लेखन केले. • वैदेही: • भारतीय लेखिका वैदेही समकालीन कन्नड साहित्यातील कामासाठी प्रसिद्ध आहे. योग्य उत्तर 4 लाख रुपये आहे. Key Points • सुप्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉ असगर वजाहत यांना 25 ऑगस्ट 2022 रोजी 31 व्या व्यास सन्मानाने सन्मानित करण्यात आले. • मुघल सम्राट अकबर आणि कवी तुलसीदास यांच्यावर प्रकाश टाकणाऱ्या 'महाबली' या नाटकासाठी त्यांची प्रतिष्ठेच्या पुरस्कारासाठी निवड करण्यात आली आहे. • व्यास सन्मान हा भारतातील एक हिंदी साहित्यिक पुरस्कार आहे, जो 1991 मध्ये प्रथम देण्यात आला. • केके बिर्ला फाऊंडेशनतर्फे दरवर्षी हा पुरस्कार दिला जातो आणि 4 लाख रुपयांचा पुरस्कार दिला जातो. Additional Information • व्यास सन्मानाच्या शेवटच्या पाच विजेत्यांचे तपशील: • 2020...

JNANPITH PURASKAR in Hindi : ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिंदी लेखक List

अभी तक हिंदी भाषा में 10 साहित्यकारों को JNANPITH PURASKAR in Hindi Language दिया गया है। हिन्दी भाषा मेंनिम्नलिखित साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Puraskar) मिला है : नाम - कृति -वर्ष 1. Sumitranandan Pant - सुमित्रानंदन पंत - चिदंबरा - Chidambara - 1968 2. Ramdhari Singh Dinkar - रामधारी सिंह ‘दिनकर’ - उर्वशी - Urvashi - 1972 3. Agyeya - अज्ञेय - कितनी नावों में कितनी बार - Kitni Navon Men Kitni Bar - 1978 4. Mahadevi Verma - महादेवी वर्मा - यामा - Yama - 1982 5. Naresh Mehta - नरेश मेहता - साहित्यिक सेवाओं के लिए - 1992 6. Nirmal Verma - निर्मल वर्मा - 'रात का रिपोर्टर', 'एक चिथड़ा सुख', 'लाल टीन की छत' और 'वे दिन' उनके बहुचर्चित उपन्यास हैं - 1999 7. Kunwar Narayan - कुँवर नारायण - साहित्यिक सेवाओं के लिए - 2005 8. Amarkant & Shrilal Shukla - अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त रूप से ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया - 2009 9. Kedarnath Singh - केदारनाथ सिंह - साहित्यिक सेवाओं के लिए - 2013 10. Krishna Sobti - कृष्णा सोबती - साहित्यिक सेवाओं के लिए - 2017 FAQ; १. ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम हिन्दी लेखक कौन थे? उत्तर : चिदंबरा काव्य रचना के लिए 1968 में सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हिंदी में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम लेखक सुमित्रानंदन पंत है। २. महादेवी वर्मा को कौनसी कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला और कब.? उत्तर : महादेवी वर्मा को 27 अप्रैल, 1982 में काव्य कृति "यामा" के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। ३. रामधारी सिंह ‘दिनकर' को किस कार्य के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला? उत्तर : उर्वशी के लिए रामधारी...

ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कारात मिळणारी वाग्देवीची प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार हा भारतीय साहित्यजगतात सुरुवात [ ] हा पुरस्कार सुरू करण्यामागे रमा जैन यांची प्रेरणा होती. रमा जैन आणि त्यांचे पती साहू शांतिप्रसाद जैन यांनी भारतीय साहित्यिकांच्या गौरवार्थ हा उपक्रम करण्याचे ठरवले. ज्ञानपीठ पुरस्कार देण्याची घोषणा केली. त्यानुसार भारतीय ज्ञानपीठाच्या संस्थापक अध्यक्षा श्रीमती रमा जैन यांनी ओडोक्वुघल (बासरी) या काव्यकृतीला मिळाला. पुरस्कारयोगय व्यक्तीच्या निवडीचे निकष व प्रक्रिया [ ] भारताचा कोणताही नागरिक भारतीय संविधानाच्या आठव्या अनुसूचीत नमूद केलेल्या बावीस भाषांपैकी कोणत्याही भाषेत लेखन करणाऱ्या एका नागरिकाला दरवर्षी हा पुरस्कार देण्यात येतो. प्रकाशित होऊन कमीतकमी पाच वर्षे झालेल्या पुस्तकांचाच पुरस्कारासाठी विचार होतो. ज्या भाषेसाठी हा पुरस्कार दिला गेला असेल, त्याच्या पुढील तीन वर्षे त्या भाषेचा पुरस्कारासाठी विचार केला जात नाही. सुरुवातीला एक लाख, नंतर दीड लाख, नंतर पाच लाख त्यानंतर आता सात लाख रुपये एवढी रक्कम पुरस्कार विजेत्याला दिली जाते. काहीवेळा एका ऐवजी दोन साहित्यिकांची पुरस्कारासाठी निवड होते त्यावेळी ही रक्कम विभागून दिली जाते. भारतातील विद्यापीठे, त्यांचे भाषाप्रमुख, अन्य शिक्षणसंस्थांचे प्रमुख, विख्यात साहित्यिक, समीक्षक, भाषाशास्त्रज्ञ अशा सर्वांना आपापल्या मातृभाषेतील साहित्यकृतीची शिफारस करण्याची विनंती करण्यात येते. ज्ञानपीठ पुरस्काराच्या पहिल्या निवडसमितीवर सातपेक्षा कमी व अकरापेक्षा जास्त मान्यवर असू नयेत असे धोरण ठरविण्यात आलेले आहे. ज्ञानपीठ पुरस्कारासाठी नावाची छाननी करण्यासाठी प्रत्येक भाषेची तीन सदस्यांची एक समिती असते. तिला एल.ए.सी. म्हणजेच लोकल अ‍ॅडव्हायझरी कमिटी म्हणत...