जोशीमठ का इतिहास

  1. जोशीमठ की पूरी कहानी Joshimath Complete History Hindi
  2. Narsingh Temple Joshimath
  3. Joshimath Sinking: जानें क्यों धंस रहा है जोशीमठ
  4. जोशीमठ
  5. Jyotirmath AKA Joshimath History In Hindi
  6. कत्यूरी राजवंश
  7. जोशीमठ शहर : 150 वर्षों का सफ़र, इतिहास के पन्नों से
  8. जोशीमठ का इतिहास और इसका महत्व
  9. Jyotirmath AKA Joshimath History In Hindi
  10. Joshimath Sinking: जानें क्यों धंस रहा है जोशीमठ


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जोशीमठ की पूरी कहानी Joshimath Complete History Hindi

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Narsingh Temple Joshimath

इन सभी घटनाओं के बाद भी जोशीमठ में एक ऐसा स्थल है जहां हर भक्त घूमना चाहता है। जी हां, इस शहर में मौजूद नरसिंह देवता का मंदिर करोड़ों भक्तों के लिए बेहद ही खास और पवित्र स्थल है। इस लेख में हम आपको नरसिंह देवता मंदिर का इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं। नरसिंह देवता मंदिर का इतिहास The latest casualty in Joshimath town is a temple in the prestigious Shankaracharya Math, established by Adi Jagatguru Shankaracharya, which developed cracks and has sunk down about six inches. The Shivling inside the temple has also developed cracks. 📸: IANS जोशीमठ में मौजूद नरसिंह देवता का मंदिर इतिहास बेहद ही रोचक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है यह लगभग 12 हज़ार साल प्राचीन मंदिर है। इसे लेकर यह भी कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर की स्थापना किसी और ने नहीं बल्कि आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। कहा जाता है कि पौराणिक काल में इस जगह को कार्तिकेयपुर नाम से जाना जाता था। आपको बता दें कि यह मंदिर भगवान नरसिंह/नृसिंह को समर्पित है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार नरसिंह देवता भगवान विष्णु जी के चौथे अवतार थे। जोशीमठ में वासुदेव की आठ फीट ऊंची प्रतिमा भी मौजूद हैं। इसे भी पढ़ें: कश्मीर से लेकर औली में उठा सकेंगे बर्फबारी का मज़ा, इन दिनों हो सकता है Snowfall नरसिंह देवता मंदिर पौराणिक कथा जिस तरह इस मंदिर का इतिहास रोचक है ठीक उसी तरह इस मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद रोचक है। इस मंदिर बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस मंदिर की उत्पत्ति की थी। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार आदिगुरु शंकराचार्य इसी जगह तपस्या किया करते थे। माना जाता है कि जब भगवान ने इस मंदिर ...

Joshimath Sinking: जानें क्यों धंस रहा है जोशीमठ

Joshimath Sinking: उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसी धार्मिक नगरी जोशीमठ बीते कई दिनों से धंस रहा है। इस वजह से यहां के लोग संकट का सामना कर रहे हैं। हालात यह है कि यहां कई सैकड़ों घरों में दरारें पड़ गई हैं। कई लोगों ने डर की वजह से अपना घर छोड़ दिया है और सड़कों पर आ गए हैं। वहीं, पूरे शहर में निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लग गई है। ऐसे में यहां के लोगों के मन में डर बैठ गया कि कहीं पूरा पहाड़ न धंस जाए। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि पहाड़ के धंसने की क्या वजह हो सकती है और इस नगरी का इतना धार्मिक महत्व क्यों हैं। सड़क धंसी और मकानों में आई दरार जोशीमठ में बीते कुछ दिनों से कई सड़कें धंस गई हैं। यही नहीं यहां बने कई सैकड़ों मकानों में दरारें भी आ गई हैं। इस वजह से लोगों ने अपना घर छोड़कर सड़क पर जगह ले ली है। कुछ लोग हाथों में टॉर्च लेकर सड़कों पर सरकार से संकट से निकलने के लिए मदद मांग रहे हैं। हालिया घटना को देखते हुए यहां निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लग गई है। यही नहीं लोगों के आने-जाने के लिए बनाए गए रोप-वे को भी बंद कर दिया गया है। लोगों को डरा रही हैं जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें जोशीमठ में इन दिनों जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें लोगों को डरा रही हैं। मीडिया रिपोर्टे के मुताबिक, लोग अपने घरों में जमीन के नीचे से रूक-रूककर जमीन खिंसकने की आवाजें सुन रहे हैं, जिन्हें सुनकर उन्हें अपने परिवार की चिंता होने लगी है। यही नहीं कुछ मकानों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें भी पड़ गई हैं। हाल ही में यहां के जेपी मारवाड़ी कॉलोनी में चट्टान फटने से निकले पानी की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस वजह से लोग अब सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही...

जोशीमठ

अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 पौराणिक संदर्भ • 3 लोग व समाज • 4 संगीत एवं नृत्य • 5 भाषाएँ • 6 वास्तुकला • 7 परम्पराएँ • 8 पर्यावरण • 8.1 वनस्पतियां • 8.2 जीव-जंतु • 9 पर्यटन • 9.1 शहर • 9.2 गढ़वाल मंडल विकास निगम रज्जुमार्ग • 9.3 कल्पवृक्ष एवं आदि शंकराचार्य गुफा • 9.4 ट्रोटकाचार्य गुफा एवं ज्योतिर्मठ • 9.5 ज्योतेश्वर महादेव मंदिर • 9.6 श्री विष्णु मंदिर • 9.7 नरसिंह मंदिर • 9.8 वासुदेव एवं नवदूर्गा मंदिर • 9.9 चढ़ाई (ट्रेकिंग) • 10 निकटवर्ती आकर्षण • 10.1 तपोवन • 10.2 सलधर-गर्म झरना • 10.3 नीति घाटी • 10.4 औली • 10.5 वृद्ध-बदरी • 11 आवागमन • 12 इन्हें भी देखें • 13 बाहरी कड़ियाँ • 14 सन्दर्भ इतिहास [ ] मुख्य लेख: पांडुकेश्वर में पाये गये कत्यूरी राजा ललितशूर के तांब्रपत्र के अनुसार जोशीमठ कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी, जिसका उस समय का नाम कार्तिकेयपुर था। लगता है कि एक क्षत्रिय सेनापति कंटुरा वासुदेव ने गढ़वाल की उत्तरी सीमा पर अपना शासन स्थापित किया तथा जोशीमठ में अपनी राजधानी बसायी। वासुदेव कत्यूरी ही कत्यूरी वंश का संस्थापक था। जिसने 7वीं से 11वीं सदी के बीच कुमाऊं एवं गढ़वाल पर शासन किया। फिर भी हिंदुओं के लिये एक धार्मिक स्थल की प्रधानता के रूप में जोशीमठ, आदि शंकराचार्य की संबद्धता के कारण मान्य हुआ। जोशीमठ शब्द ज्योतिर्मठ शब्द का अपभ्रंश रूप है जिसे कभी-कभी ज्योतिषपीठ भी कहते हैं। इसे वर्तमान 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। उन्होंने यहां एक शहतूत के पेड़ के नीचे तप किया और यहीं उन्हें ज्योति या ज्ञान की प्राप्ति हुई। यहीं उन्होंने शंकर भाष्य की रचना की जो सनातन धर्म के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। पौराणिक संदर्भ [ ] मुख्य लेख: जैसा कि अधिकां...

Jyotirmath AKA Joshimath History In Hindi

Joshimath History: पिछले कई दिनों से उत्तराखंड का मशहूर तीर्थ स्थल जोशीमठ सुर्खियों में है. कारण है यहां होने वाले भू-धसाव, जिसके चलते कई घरों और होटलों में दरार आ गई है. ज़मीन दरकने से यहां के हज़ारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. लोग पीठ पर अपने घर का सामान, आंखों में आंसू और भारी दिल के साथ घरों को छोड़ रहे हैं. इस विकट परिस्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार भी युद्धस्तर पर काम करने में जुटी है. उम्मीद है कि यहां की परिस्थितियां बदले और लोग अपने घरों को लौटें. ये तो रही वर्तमान की बात. मगर जोशीमठ का इतिहास सदियों पुराना है, आज आपको इसी से रू-ब-रू करवाने वाले हैं. ये भी पढ़ें: हज़ारों साल पुराना है जोशीमठ का इतिहास जोशीमठ गुरु आदि शंकराचार्य के चार मठों में से एक है. इसका इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है. मान्यता है कि 8वीं सदी में सनातन धर्म का पुनरुद्धार करने आदि शंकराचार्य उत्तराखंड आए थे. उन्हें जोशीमठ में ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ज्ञान प्राप्त करने के बाद शंकराचार्य ने एक शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर राज- राजेश्वरी को अपनी इष्ट देवी मानकर पूजा की. पूजा के बाद वो ज्योति के रूप में प्रकट हुईं और तभी से ही इस मठ ये ज्योति निर्बाध प्रज्वलित हो रही है. ये भी पढ़ें: जोशीमठ का असली नाम जोशीमठ का असली नाम ज्योतिर्मठ था. ऐसी भी मान्यता है कि शंकराचार्य ने यहीं एक कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शिव की आराधना की थी. इस मंदिर का नाम ज्योतेश्वर महादेव मंदिर है. इसके गर्भगृह में में एक दीपक जल रहा है. इसलिए इस मठ का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा. इसी का अपभ्रंश है जोशीमठ, जिसके नाम से लोग अब इसे पुकारने लगे हैं. राम भक्त हनुमान से भी है नाता हनुमान जी से भी जुड...

कत्यूरी राजवंश

कार्त्तिकेयपुर (कत्युर) राज्य डोटी-कुर्मांचल स्वतंत्र राज्य ← ← 700 ई–1050 ई → → → राजधानी भाषाएँ धार्मिक समूह शासन राजा - 700–849 ई - 850–870 ई बसन्तन देव ( - 870–880 ई खर्पर देव - 955–970 ई भुव देव - 1050 ई तक बीर देव इतिहास - स्थापित 700 ई - राजधानी को कार्त्तिकेयपुर, 850 ई - अंत 1050 ई आज इन देशों का हिस्सा है: Warning: Value not specified for " कत्यूरी राजवंश कत्यूरी राजा भी उन्होंने अपने राज्य को 'कूर्माञ्चल' कहा, अर्थात ' अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 उत्पत्ति • 1.2 साम्राज्य • 1.3 पतन • 2 शासक • 3 शिलालेख • 3.1 कुमायूँ का ताम्रपत्र • 3.2 बागेश्वर का शिलालेख • 3.3 पांडुकेश्वर के शिलालेख • 4 वास्तुकला • 5 सन्दर्भ • 5.1 उद्धरण • 5.2 ग्रन्थ सूची • 6 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] उत्पत्ति [ ] कत्यूरी वंश की उत्पत्ति के कई अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं। कुछ इतिहासकार उन्हें यह तथ्य, हालांकि, साम्राज्य [ ] पतन [ ] डोटी बोगटान के कत्युरी वंशज के रजवार व उनका देवाताके इतिहास मे ए मान्यता है कि कार्तिकेय देवताका आसन सुनका चादर ,सुनका श्रीपेच, सुनका चम्मर ,सुनका लट्ठी सुनका जनै ,सुनका बाला सुनका मुन्द्रा सुनका थालि था । ये कत्युरी राजा गुप्तराजा बिक्रमदित्यका वंशज है । उज्जैन- पाटालीपुत्र से कुमाऊ गडवाल आए है । यी राजाके पास सोना चांदी बहुत था यहि सोना चांदी लुट्नेके लिए । क्रचाल्ल ने शाके ११४५ मे कत्युर घाँटी का रणचुला कोट मे आक्रमण किया था । डोटी जिल्ला साना गाउँ मे बि.स १९९९ साल मे ७ धार्नी (३५ के जी ) सोना मिट्टीका अन्दर वर्तनमे रखा हुआ मिला था । शासक [ ] • बसन्तदेव • खर्परदेव • कल्याणराजदेव • त्रिभुवनराजदेव • निम्बरदेव • ईष्टगणदेव • ललितशूरदेव • भूदेव • सलोड़ादित्या • इच्छरदेव • द...

जोशीमठ शहर : 150 वर्षों का सफ़र, इतिहास के पन्नों से

वर्ष 1872 में जब हिंदुस्तान में पहली बार जनगणना हुई तो जोशीमठ शहर की आबादी मात्र 455 थी। चुकी उस दौर में यह शहर उत्तराखंडियों और तिब्बती व्यापारियों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र हुआ करता था इसलिए जनसंख्या का लिंग-अनुपात काफ़ी कम था। आज भी इस शहर का लिंग-अनुपात मात्र 673 है। अर्थात् जोशीमठ में रहने वाले प्रत्येक 1000 मर्द पर मात्र 673 महिलाएँ निवास करती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जोशीमठ शहर की कुल आबादी 16,709 है। जनगणना और जोशीमठ जोशीमठ की आबादी का 455 से 16,709 तक का सफ़र अपने आप में इस शहर की एक बेहतरीन कहानी सुनाने के लिए काफ़ी है। 1828 के जोशीमठ शहर की जनसंख्या का यह अविश्वसनीय उतार-चढ़ाव इसलिए देखा जाता रहा है क्यूँकि भारत में जनगणना सितम्बर और जनवरी महीने के बीच कभी भी हो सकता है जबकि अक्तूबर-नवम्बर में सर्दियाँ व हिमपात प्रारम्भ होने के बाद बद्रीनाथ में रहने वाली एक बड़ी आबादी जोशीमठ चली आती है और फिर एप्रिल-मई के दौरान वापस बद्रीनाथ चली जाती है। इसके अलावा जोशीमठ शहर की प्रवृति और पहचान भी समय समय पर बदलते रही है जिसके कारण वहाँ की जनसंख्या पर असर पड़ा है। शहर की बदलती तासीर: वर्ष 1828 में जोशीमठ शहर एक व्यापारिक केंद्र अधिक और धार्मिक स्थल कम था। इस शहर के ‘बोडिया बाज़ार’ की तुलना तिब्बत के प्रसिद्ध ‘गणनिम बाज़ार’ से किया जाता था। 19वीं सदी के ख़त्म होते होते इस शहर की तासीर व्यापारिक कम और धार्मिक अधिक होने लगी। 19वीं सदी के अंतिम वर्षों के दौरान व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग जोशीमठ से नंदप्रयाग पलायन कर गया। वर्ष 1828 से लेकर अगले एक सौ से अधिक समय तक इस शहर में स्थानीय से अधिक बाहर से आए लोगों की आबादी होती थी जिसमें व्यापारी, भारवाहक (डोटियाल), साधु-...

जोशीमठ का इतिहास और इसका महत्व

Joshimath History in Hindi: भारत का उत्तरी राज्य उत्तराखंड देव भूमि के रूप में जाना जाता है। यहां पर भारत के चारों धाम स्थित है। इसके अलावा यहां पर अन्य कई छोटे-बड़े देवी देवताओं के मंदिर है, जो काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और प्रत्येक मंदिरों से जुड़ी कुछ ना कुछ पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। ऐसा ही एक विशेष मंदिर जोशीमठ है, जो आजकल खबरों में काफी ज्यादा छाया हुआ है। क्योंकि कुछ दिन पहले यहां पर भयानक दरार पड़ी है, जिसके कारण यहां लोग काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यहां तक कि जोशीमठ में भूमि दादर आने से राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार भी आपदा से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले कुछ दिनों से आपदा अधिकारी मौजूदा हाल का जायजा ले रहे हैं। तकनीकी समिति की जांच करने के बाद यहां के प्रशासन की तरफ से भी आपदा प्रभावित इलाकों में मौजूद जर्जर मकान और होटलों को तोड़ने का फैसला लिया गया है। यदि इन जर्जर इलाकों में स्थित मकानों एवं होटलों को ना तोड़ा गया तो जानमाल का काफी ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। जिस कारण प्रशासन ने अब तक 600 से भी ज्यादा घरों एवं दो होटलों को तोड़ने के लिए उसे चिह्नित कर दिया है। हालांकि ऐसी घटना होने के बाद भी जोशीमठ एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां पर हर कोई घूमने जाना चाहता है। यह जगह ना केवल सामाजिक महत्व रखता है बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण है। जोशीमठ के बिना बद्रीनाथ समेत कई धार्मिक स्थल का दर्शन करना संभव नहीं माना जाता है। माना जाता है कि जब तक इस शहर में मौजूद नरसिंह देवता के मंदिर का दर्शन ना कर लिया जाए तब तक बद्री धाम के दर्शन का लाभ प्राप्त नहीं होता। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जोशीमठ के महत्व एवं यहां मौजूद नरसिंह देवता के मंदिर...

Jyotirmath AKA Joshimath History In Hindi

Joshimath History: पिछले कई दिनों से उत्तराखंड का मशहूर तीर्थ स्थल जोशीमठ सुर्खियों में है. कारण है यहां होने वाले भू-धसाव, जिसके चलते कई घरों और होटलों में दरार आ गई है. ज़मीन दरकने से यहां के हज़ारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. लोग पीठ पर अपने घर का सामान, आंखों में आंसू और भारी दिल के साथ घरों को छोड़ रहे हैं. इस विकट परिस्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार भी युद्धस्तर पर काम करने में जुटी है. उम्मीद है कि यहां की परिस्थितियां बदले और लोग अपने घरों को लौटें. ये तो रही वर्तमान की बात. मगर जोशीमठ का इतिहास सदियों पुराना है, आज आपको इसी से रू-ब-रू करवाने वाले हैं. ये भी पढ़ें: हज़ारों साल पुराना है जोशीमठ का इतिहास जोशीमठ गुरु आदि शंकराचार्य के चार मठों में से एक है. इसका इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है. मान्यता है कि 8वीं सदी में सनातन धर्म का पुनरुद्धार करने आदि शंकराचार्य उत्तराखंड आए थे. उन्हें जोशीमठ में ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ज्ञान प्राप्त करने के बाद शंकराचार्य ने एक शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर राज- राजेश्वरी को अपनी इष्ट देवी मानकर पूजा की. पूजा के बाद वो ज्योति के रूप में प्रकट हुईं और तभी से ही इस मठ ये ज्योति निर्बाध प्रज्वलित हो रही है. ये भी पढ़ें: जोशीमठ का असली नाम जोशीमठ का असली नाम ज्योतिर्मठ था. ऐसी भी मान्यता है कि शंकराचार्य ने यहीं एक कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शिव की आराधना की थी. इस मंदिर का नाम ज्योतेश्वर महादेव मंदिर है. इसके गर्भगृह में में एक दीपक जल रहा है. इसलिए इस मठ का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा. इसी का अपभ्रंश है जोशीमठ, जिसके नाम से लोग अब इसे पुकारने लगे हैं. राम भक्त हनुमान से भी है नाता हनुमान जी से भी जुड...

Joshimath Sinking: जानें क्यों धंस रहा है जोशीमठ

Joshimath Sinking: उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसी धार्मिक नगरी जोशीमठ बीते कई दिनों से धंस रहा है। इस वजह से यहां के लोग संकट का सामना कर रहे हैं। हालात यह है कि यहां कई सैकड़ों घरों में दरारें पड़ गई हैं। कई लोगों ने डर की वजह से अपना घर छोड़ दिया है और सड़कों पर आ गए हैं। वहीं, पूरे शहर में निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लग गई है। ऐसे में यहां के लोगों के मन में डर बैठ गया कि कहीं पूरा पहाड़ न धंस जाए। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि पहाड़ के धंसने की क्या वजह हो सकती है और इस नगरी का इतना धार्मिक महत्व क्यों हैं। सड़क धंसी और मकानों में आई दरार जोशीमठ में बीते कुछ दिनों से कई सड़कें धंस गई हैं। यही नहीं यहां बने कई सैकड़ों मकानों में दरारें भी आ गई हैं। इस वजह से लोगों ने अपना घर छोड़कर सड़क पर जगह ले ली है। कुछ लोग हाथों में टॉर्च लेकर सड़कों पर सरकार से संकट से निकलने के लिए मदद मांग रहे हैं। हालिया घटना को देखते हुए यहां निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लग गई है। यही नहीं लोगों के आने-जाने के लिए बनाए गए रोप-वे को भी बंद कर दिया गया है। लोगों को डरा रही हैं जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें जोशीमठ में इन दिनों जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें लोगों को डरा रही हैं। मीडिया रिपोर्टे के मुताबिक, लोग अपने घरों में जमीन के नीचे से रूक-रूककर जमीन खिंसकने की आवाजें सुन रहे हैं, जिन्हें सुनकर उन्हें अपने परिवार की चिंता होने लगी है। यही नहीं कुछ मकानों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें भी पड़ गई हैं। हाल ही में यहां के जेपी मारवाड़ी कॉलोनी में चट्टान फटने से निकले पानी की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस वजह से लोग अब सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही...