जूझ पाठ का सारांश

  1. साखी पाठ सारांश
  2. shri lakshmi narayan hridaya stotra
  3. जूझ पाठ की प्रश्नोत्तरी (वितान भाग
  4. NCERT Class 6 Hindi Chapter 15 नौकर
  5. जूझ Class 12th Hindi Chapter 2nd
  6. Chapter 2 जूझ
  7. जूझ प्रश्नोत्तर


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साखी पाठ सारांश

NCERT Solution:- Sakhi Class 10th Chapter 1 of Hindi Sparsh Book Has Been Developed For Hindi Course. Here we are providing Explanation and Summary and pdf. Our Aim To Help All Students For Getting More Marks In Exams. पुस्तक: स्पर्श भाग दो कक्षा: 10 पाठ: 1 शीर्षक: साखी लेखक: कबीर दास Explanation For Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 Sakhi पहली साखी ऐसी बाँणी बोलिए, मन का आपा खोइ । अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ ।। भावार्थ:- प्रस्तुत साखी में संत कबीरदास अहंकार और कटु वचन त्यागने का संदेश देते हुए कहते हैं कि लोगों को अपने मन का अहंकार त्यागकर ऐसे मीठे वचन बोलने चाहिए, जिससे उनका अपना शरीर शीतल अर्थात् शांत और प्रसन्न हो जाए और साथ ही सुनने वालों को भी उससे सुख मिले। अतः हमें आपस में मीठे बोल बोलकर मधुर व्यवहार करना चाहिए । काव्य सौंदर्य (i) इस साखी में मधुर वचन के महत्त्व को दर्शाया गया है। (ii) ‘बाणी बोलिए’ में अनुप्रास अलंकार है। (iii) सधुक्कड़ी भाषा अर्थात् उपदेश देने वाली साधुओं की खिचड़ी भाषा का प्रयोग हुआ है। (iv) प्रस्तुत साखी में सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग हुआ है और भाषा भावों की अभिव्यक्ति करने में पूर्णत: सक्षम है। दूसरी साखी कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि । ऐसैं घटि-घटि राँम हैं, दुनियाँ देखै नाँहि ।। भावार्थ:- कबीरदास कहते हैं कि जिस प्रकार कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ हिरण की अपनी नाभि में ही होता है, किंतु वह उसकी सुगंध महसूस करके उसे पाने के लिए वन-वन में परेशान होकर भटकता रहता है, ठीक उसी प्रकार ईश्वर (राम) भी सृष्टि के कण-कण में तथा सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं, किंतु संसार में रहने वाले लोग अज्ञानतावश उसे देख नहीं पाते और परेशान होकर इ...

shri lakshmi narayan hridaya stotra

Shri Lakshmi Narayan Hridaya Stotra: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। मान्यता है जो व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करता है, उसको जीवन में धन और समृद्धि की कमी नहीं रहती है। साथ ही उस पर मां लक्ष्मी हमेशा कृपा बनी रहती है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं, श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र के बारे में, जिसका पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है। साथ ही जीवन में धन- समृद्धि बनी रहती है। वहीं इसांन पर मां लक्ष्मी का हमेशा आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं व्यक्ति को कैसे करना चाहिए श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ… इस विधि से करें पाठ शास्त्रों में श्रीलक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्रं का पाठ करने का विधान रात्रि में बताया गया है। इसलिए इस स्त्रोत का पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक चौकी पर या पीला या लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी या भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। फिर जल का कलश ईशान कोण में स्थापित करें। साथ ही धूप और असरबत्ती जलाएं। इसके बाद श्रीलक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्रं का पाठ प्रारंभ करें। पाठ का समापन होने के बाद दोनों की आरती करें. उसके बाद कलश के जल को पूरे घर में छिड़क दें। साथ ही मां लक्ष्मी से अपनी मनोकामना बोल दें। करन्यास ॐ नारायणः परम् ज्योतिरित्यन्गुष्ठाभ्यनमः ॐ नारायणःपरम् ब्रह्मेति तर्जनीभ्यानमः ॐ नारायणः परो देव इति मध्य्माभ्यान्मः ॐ नारायणःपरम् धामेति अनामिकाभ्यान्मः ॐ नारायणः परो धर्म इति कनिष्टिकाभ्यान्मः ॐ विश्वं नारायणःइति करतल पृष्ठाभ्यानमः एवं हृदयविन्यासः ध्यान उद्ददादित्यसङ्गाक्षं पीतवाससमुच्यतं। शङ्ख चक्र गदापाणिं ध्यायेलक्ष्मीपतिं हरिं।। ‘ॐ नम...

जूझ पाठ की प्रश्नोत्तरी (वितान भाग

वितान भाग-2 जूझ पाठ की प्रश्नोत्तरी हिंदी केंद्रिक (कोड सं· -302) कक्षा- 12 निर्धारित समय : 32 मिनिट पूर्णांक : 16 प्रश्न:1 ‘जूझ’ पाठ से पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सही उत्तर दीजिए-‌ 1. जूझ उपन्यास के लेखक हैं- क. मनोहर श्याम जोशी ख.आनन्द यादव ग.ओम थानवी घ. शेखर जोशी 2. ‘यह खेती हमें गड्ढे में धकेल रही है।‘ यह विचार था ? क.विठोबा अन्ना का ख.दादा का ग.आनन्दा का घ.दत्ताजी राव का 3. ईखजल्दी पेरने के विषय में दादा का क्या विचार था ? क.कोल्हू जरा जल्दी शुरू किया तो ईद की अच्छी कीमत मिलती है। ख.चारों ओर कोल्हू चलने से गुड़ की बहुतायत हो जाती है। ग.गुड़ की बहुतायत होने से उसके भाव उतर आते हैं। घ. उपरोक्त सभी 4. दत्ता जी राव ने पढ़ाई के संबंध में आनंदा को क्या सलाह दी ? क. मास्टर की पूरी फीस भरने के लिए कहा ख.मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए कहा ग. सुबह शाम काम करके पाठशाला जाते रहने के लिए कहा घ. उपरोक्त सभी 5. पाठशाला भेजने से पहले दादा ने आनंदा से क्या वचन लिया ? क.दिन निकलते ही खेत पर हाजिर होने का वचन लिया ख.छुट्टी होते ही सीधे खेत पर आकर डोर चलाने का वचन लिया ग. ज्यादा काम होने पर पाठशाला से गैरहाजिर होने का वचन लिया घ. उपरोक्त सभी 6. पाठशाला में जाकर भी लेखक का मन खट्टा क्यों हो गया ? क.उसके साथ के सभी लड़के आगे की कक्षा में चले गए थे। ख.उसे कम उम्र में कम अक्ल के लड़कों के साथ बैठना पड़ रहा था। ग. कक्षा में केवल दो ही लड़के लेखक की पहचान के थे। घ. उपरोक्त सभी 7. लड़कों के मन में किस मास्टर की दहशत बैठी हुई थी ? क.रणनवरे मास्टर की ख.मंत्री मास्टर की ग.सौंदलगेरकर मास्टर की घ. वसंत पाटिल मास्टर की 8. कौन से मास्टर कविताएं लय ताल के साथ गाकर सुनाते थे ? क.रणनवरे...

NCERT Class 6 Hindi Chapter 15 नौकर

नौकर पाठ अनु बंदोपाध्याय नौकर पाठ का सारांश नौकर पाठ के प्रश्न उत्तर Class 6th hindi Naukar naukar class 6 summary नौकर पाठ का सारांश Class 6 Hindi With Question And Answers class 6 hindi chapter 15 question answer ncert class 6 hindi chapter 15 answers cbse class 6 hindi chapter 15 question answer class 6 hindi chapter 15 question answer in hindi Naukar नौकर CBSE Class 6th Hindi naukar class 6 solutions नौकर पाठ ,अनु बंदोपाध्याय जी द्वारा लिखा गया है। नौकर पाठ का सारांश नौकर पाठ का सारांश नौकर पाठ के प्रश्न उत्तर Class 6th hindi Naukar naukar class 6 summary नौकर पाठ का सारांश Class 6 Hindi With Question And Answers class 6 hindi chapter 15 question answer ncert class 6 hindi chapter 15 answers cbse class 6 hindi chapter 15 question answer class 6 hindi chapter 15 question answer in hindi Naukar नौकर CBSE Class 6th Hindi naukar class 6 solutions नौकर पाठ ,अनु बंदोपाध्याय जी द्वारा लिखा गया है। प्रस्तुत पाठ में गाँधी जी के बारे में बताया गया है। गाँधी जी शारीरिक परिश्रम से जी नहीं चुराते थे। वे अपना काम स्वयं करना पसंद करते थे। वे स्वयं बैरिस्टर थे ,लेकिन सुबह वे हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे। साबरमती आश्रम पर भी वे पिसाई का काम करते थे। एक बार आश्रम के कार्यकर्ता ने बताया कि आटा कम पड़ गया है तो वे स्वयं आटा पीसने के काम में जुट गए। एक बार कुछ छात्र ,उनसे मिलने आये थे ,जिन्हें अपने अंग्रेजी ज्ञान पर घमंड था ,तो गाँधी जी उन्हें गेंहू बीनने का काम सौंप दिया ,जिससे वे बड़ी मुश्किल में पड़ गए। कुछ समय बाद वे आश्रम के भण्डार को सँभालने में मदद करते थे। वे प्रार्थना के बाद रसोईघर म...

जूझ Class 12th Hindi Chapter 2nd

Contents • 1 जूझ – आनंद यादव • 1.1 पाठ का सारांश–( Class 12 Vitan Chapter 2जूझ) • 1.2 Also Read– Class 12 Hindi Aroh Book • 1.3 बहुविकल्पी प्रश्न– • 1.4 उत्तर- • 1.5 Conclusion –( Class 12 Hindi Vitan Chapter 2) जूझ – आनंद यादव पाठ का सारांश–( Class 12 Vitan Chapter 2जूझ) यह पाठ लेखक के बहुचर्चित आत्मकथात्मक उपन्यास अंश का है। यह एक किशोर के देखे और हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की मजेदार और विश्वसनीय जीवंत भोगे गाथा है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास में निम्न मध्य वर्गीय मराठी कृषक जीवन की अनूठी झाँकी प्रस्तुत हुई है। इस अंश में हर स्थिति में पढ़ने की लालसा लिए धीरे-धीरे साहित्य, संगीत और अन्य विषयों की ओर बढ़ते किशोर के कदमों की आकुल आहट सुनी जा सकती है। लेखक के पिता ने उसे पाठशाला जाने से रोक दिया तथा खेती के काम में लगा दिया। उसका मन पाठशाला जाने के लिए तड़पता था परंतु वह पिता से कुछ कहने की हिम्मत नहीं रखता था। उसे पिटाई का डर था। उसे विश्वास था कि खेती से कुछ नहीं मिलने वाला क्योंकि क्रमश: इससे मिलनेवाला लाभ घट रहा है। पढ़ने के बाद नौकरी लगने पर उसके पास कुछ पैसे आ जाएँगे। दीवाली के बाद ईख पेरने के लिए कोल्हू चलाया जाता था क्योंकि उसके पिता को सबसे पहले गुड़ बेचना होता था ताकि अधिक कीमत मिल सके। हालाँकि पहले ईख काटने से उसमें रस कम निकलता था। इस वर्ष भी लेखक के पिता ने जल्दी कार्य शुरू किया। अतः ईख पेरने का काम सबसे पहले संपन्न हो गया। एक दिन लेखक धूप में कंडे थाप रही थी और वह बाल्टी में पानी भर-भरकर उसे दे रहा था। अच्छा मौका देखकर लेखक ने माँ से पढ़ाई की बात की माँ ने अपनी लाचारी प्रकट करते हुए कहा कि तेरी पढ़ाई-लिखाई की बात करने पर वह बरहेला सुअर क...

Chapter 2 जूझ

• जूझ Summary Notes Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 जूझ पाठ का सारांश ‘जूझ’ मराठी के सुविख्यात कथाकार डॉ. आनंद यादव का बहुचर्चित एवं उल्लेखनीय आत्मकथात्मक उपन्यास है। इस पाठ में उपन्यास के कुछ अंश मात्र ही उद्धृत किए गए हैं। यह उपन्यास साहित्य अकादमी पुरस्कार (1990) से सम्मानित किया जा चुका है। ‘जूझ’ एक किशोर द्वारा भोगे हुए गवई (ग्रामीण) जीवन के खुरदरे यथार्थ और आंचलिक परिवेश की जीवंत गाथा है। अपने बचपन को याद करते हुए लेखक कहता है कि मेरा मन पाठशाला जाने के लिए बेचैन रहता था। परंतु मेरे पिता मुझे पाठशाला नहीं भेजना चाहते थे। वे स्वयं कोई काम न करके खेत का सारा काम मुझसे करवाते थे। इसलिए उन्हें मेरा पाठशाला जाना बिलकुल भी पसंद नहीं था। एक दिन जब लेखक साथ कंडे थापने में अपनी माँ की सहायता कर रहा था तो वह अपनी माँ से पाठशाला जाने की इच्छा व्यक्त करता है। परंतु माँ भी आनंदा (लेखक) के पिता से बहुत डरती थी इसलिए वह अपने बेटे का खुला समर्थन नहीं कर सकी। लेखक स्वयं अपनी माँ से कहता है कि खेत के लगभग वे सभी काम खत्म हो गए जो मैं कर सकता था इसलिए तू मेरे पढ़ने की बात दत्ता जी राव सरकार से क्यों नहीं करती। चूंकि लेखक के पिता दत्ता जी राव के सामने नतमस्तक हो जाते थे और उनकी कोई भी बात मानने के लिए। बाध्य थे इसलिए लेखक को लगता है कि दत्ता जी राव ही मेरे पाठशाला का रास्ता खोल सकते हैं। रात के समय माँ-बेटा दोनों दत्ता जी राव के घर अपनी फ़रियाद लेकर जाते हैं। माँ दत्ता जी राव को सब कुछ बता देती है कि वह (पिता) सारा दिन बाजार में रखमाबाई के पास गुजार देता है, और खेतों में काम आनंदा को करना पड़ता है। यह बात सुनकर दत्ता जी राव चिढ़ गए और उन्होंने लेखक के पिता को समझाने का आश्वासन देकर दोनों...

जूझ प्रश्नोत्तर

जूझ प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: ‘ जूझ ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथानायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता हैं। उत्तर – जूझ शब्द का अर्थ - संघर्ष। कथानायक हमेशा अपने अधिकारों के लिए संघर्षशील रहता है- • विद्यालय में पुनः जाने के लिए। • कक्षा में उचित स्थान प्राप्त करने के लिए। • काव्य रचना के लिए प्रयास। प्रश्न 2:स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैस पैदा हुआ? उत्तर – • मराठी भाषा के अध्यापक न.वा. सौंदलगेकर कक्षा में लय, गति-यति, आरोह-अवरोह के साथ कविता-पाठ करते थे। • वे स्वयं भी कवि थे और अन्य कवियों के बारे में भी बताते थे। इस प्रकार आनंद को विश्वास हुआ कि कवि भी उसी की तरह हाड़-मांस के बने लोग ही होते हैं। • जब सौंदलगेकर ने अपने घर की मालती लता पर कविता लिखी, तब उसे लगा कि वह भी अपने आस-पास के दृश्यों पर कविता बना सकता है। प्रश्न 3: श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई। उत्तर – • वे मराठी के अध्यापक थे। कक्षा में कविता को लय, गति-यति, आरोह-अवरोह के साथ पढ़ाते थे। कविता सुनाते समय रम जाते थे। • समांतर कविताओं को भी उदाहरण के रूप में सुनाया करते थे। • बहुत से प्रसिद्ध रचनाकारों के संस्मरण भी सुनाया करते थे। • स्वयं कविता करते थे। • उन्होने आसपास के वस्तुओं पर भी कविता की। • आनंद को प्रत्येक अवसर पर समय देते और प्रोत्साहित भी करते थे। प्रश्न 4: कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया? उत्तर – Ø पहले तो ढोर(पशु) चराते हुए, पानी लगाते हुए या अन्य काम करते हुए आनंद चाहता था कि कोई-न-कोई सा...