जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।

  1. Premchand ke fate juthe question answer
  2. क. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है । अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं ।
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  5. NCERT Solutions Class 9 Hindi Kshitiz पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते
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Premchand ke fate juthe question answer

NCERT Solutions (6-12) NCERT Solutions (1-5) Online Tution Blog Videos Type Here All Rights Reserved NCERT Solutions Type Here NCERT Solutions (6-12) NCERT Solutions (1-5) Online Tution Blog Videos HOME NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 – प्रेमचंद के फटे जूते Home Class 9 Hindi Chapter 6 – प्रेमचंद के फटे जूते Page No 65: Question 7: प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए। Answer: महावीर प्रसाद द्विवेदी एक प्रसिद्ध रचनाकार हैं। जीवन भर इन्होंने सरस्वती की उपासना की। इसी कारण लक्ष्मी इनसे रुठी रही। अरे भाई ! अगर थोड़ी सी पूजा लक्ष्मी जी की भी कर देते तो क्या सरस्वती रुष्ट हो जाती। आपके अन्य मित्रों ने तो सफलता की सीढ़ी पार कर ली परन्तु इस दौर में आप थोड़े पीछे रह गए। अगर थोड़ा मन लगाकर चलते तो अकेले नहीं रह जाते। Question 8: आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है? Answer: पहले वेश-भूषा का प्रयोग शरीर ढ़कने के उद्देश्य से किया जाता था। परिवर्तन समाज का नियम है। इसलिए समय के बदलते रूप ने वेश-भूषा की परिभाषा को बदल दिया है। आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग फैशन के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं और समय के परिवर्तन के साथ अगर कोई स्वयं को न बदले तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा नहीं बनती। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए लोग अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर वेश-भूषा का चुनाव करते हैं। आज वेश-भूषा केवल व्यक्ति की ज़रुरत न होकर उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग बन चुका है। Question 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है...

क. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है । अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं ।

नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए क. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है । अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं । ख. तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं । ग. जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अंगुली से इशारा करते हो ? क. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है । अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं । यहाँ जूते का स्थान नीचे पाँव में तथा टोपी का सिर पर (सम्माननीय) है, पर है इसके विपरीत । समाज में जिनके पास रुपया पैसा है उनका महत्त्व अधिक है । ज्ञानवान और गुणी लोगों को अमीरों के सामने कई बार झुकना पड़ता है । तभी लेखक ने कहा है कि एक जूते पर पचीसों टोपिया न्योछावर होती हैं । ख. तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं । वास्तव में परदे के भीतर लोग अपनी कमियों को छिपा सकते हैं । प्रेमचंद आडंबर एवं दिखाये से दूर रहनेवाले व्यक्ति थे । वे जैसे बाहर से थे, वैसे ही भीतर से थे अतः उन्हें परदे की कोई आवश्यकता नहीं थी । दूसरी तरफ समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बाह्य दिखावा करने के लिए परदे पर कुर्बान होते हैं । अर्थात् अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास करते हैं । ग. जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अंगुली से इशारा करते हो ? प्रेमचंद जिस व्यक्ति या सामाजिक बुराई से घृणा करते हैं उसकी तरफ हाथ की अंगुली से इशारा नहीं करते । ऐसा करके वे अपने महत्त्व को कम नहीं करना चाहते । वैसे भी घृणित वस्तु का स्थान पैरों तले ही होता है । इसलिए वे उस ओर अपनी पैर की अंगुली से इशारा करते हैं । Categories • • (31.9k) • (8....

NCERT Solutions For Class 9 Kshitiz II Hindi Chapter 6

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Premchand Ke Phate Joote Question Answer

Premchand ke Phate Joote Question Answer | प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न-उत्तर आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग -1 कक्षा-9 पाठ-6 ( NCERT Solution for class 9 kshitij bhag-1 chapter – 6) प्रेमचंद के फटे जूते (Premchand ke Phate Joote) गद्य खंड के प्रश्न-उत्तर के बारे में बताने जा रहे है जो कि हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। प्रेमचंद के फटे जूते | Premchand ke Phate Joote प्रश्न -उत्तर उत्तर : लेखक ने प्रेमचंद का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं – • सादा जीवन – प्रेमचंद आडंबर तथा दिखावापूर्ण जीवन से दूर रहते थे। वे गाँधी जी की तरह सादा जीवन जीते थे। • उच्च विचार –प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे। वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे। वे इन बुराइयों से समझौता नकर सके। • स्वाभिमानी –प्रेमचंद जी दूसरों की वस्तुओं को माँगना उचित नहीं समझते थे। वे अपनी दीन-हीन दशा में संतुष्ट थे। • सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने वाले – प्रेमचंद ने समाज में फैली हुई कुरीतियों के प्रति लोगों को सावधान किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे तथा स्वयं भी बुराइयों से कोसों दूर रहने वाले थे। • अपनी स्थिति से संतुष्ट –प्रेमचंद का जीवन हमेशा अभावों में बीता। उन्होंने अपनी स्थिति दूसरों से छिपाकर रखी।वे जैसे भी थे उसी में खुश रहने वाले व्यक्ति थे। • संघर्षशील – प्रेमचंद जी अपने जीवन में आने वाली मुसीबतों से कभी भी दूर नहीं भागते थे बल्कि वे उनका डटकर सामना करते थे और उसपर विजय पाकर आगे बढ़...

NCERT Solutions Class 9 Hindi Kshitiz पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते

NCERT Solutions Class 9 Hindi पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते have been provided below and is also available in Pdf for free download. The पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते Class 9 Hindi NCERT Solutions Class 9 Hindi students should refer to the following NCERT questions with answers for पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते in Class 9. These NCERT Solutions with answers for Class 9 Hindi will come in exams and help you to score good marks पाठ 6 प्रेमचंद के फटे जूते NCERT Solutions Class 9 Hindi (ग)जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो ? उत्तर (क) यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज़्जत का महत्व सम्पत्ति से अधिक है। परन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है। (ख) यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है। (ग) प्रेमचंद गलत वस्तु या व्यक्ति को इस लायक नहीं समझते थे कि उनके लिए अपने हाथ का प्रयोग करके हाथ के महत्व को कम करें बल्कि ऐसे गलत व्यक्ति या वस्तु को पैर से सम्बोधित करना ही उसके महत्व के अनुसार उचित है। Question4.पाठ में एक जगह लेखक सोचता है कि 'फोटो खिंचाने कि अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी ?' लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि 'नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी,।' आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं ? ...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 – प्रेमचंद के फटे जूते

पहले वेश-भूषा का प्रयोग शरीर ढ़कने के उद्देश्य से किया जाता था। परिवर्तन समाज का नियम है। इसलिए समय के बदलते रूप ने वेश-भूषा की परिभाषा को बदल दिया है। आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग फैशन के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं और समय के परिवर्तन के साथ अगर कोई स्वयं को न बदले तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा नहीं बनती। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए लोग अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर वेश-भूषा का चुनाव करते हैं। आज वेश-भूषा केवल व्यक्ति की ज़रुरत न होकर उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग बन चुका है। पहले लेखक प्रेमचंद के साधारण व्यक्तित्व को परिभाषित करना चाहते हैं कि ख़ास समय में ये इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर बाद में लेखक को ऐसा लगता है कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिल्कुल अलग है क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं। लेखक एक स्पष्ट वक्ता है। यहाँ बात को व्यंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं को व्यक्त करने के लिए जिन उदाहरणों का प्रयोग किया गया है, वे व्यंग को ओर भी आकर्षक बनाते हैं। कड़वी से कड़वी बातों को अत्यंत सरलता से व्यक्त किया है। यहाँ अप्रत्यक्ष रुप से समाज के दोषों पर व्यंग किया गया है। About STUDYGUIDE360 STUDYGUIDE360 is a student centric educational web portal which provides quality test papers and study materials for the students preparing for CBSE or targeting various entrance exams. During past few years, a number of surveys on students were made to better understand their problems regarding their studies and their basic requirement.