कृष्ण भगवान की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?

  1. श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां कौन थीं, जानिए विस्तार से...
  2. कृष्ण भगवान की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी? Archives
  3. भगवान श्रीकृष्ण की 8 रानियां कौन थीं? क्या है 16 हजार पत्नियों की असल कहानी
  4. रुक्मिणी
  5. Lord Krishna's Wife
  6. भगवान कृष्ण ने 16 हजार रानियों से क्यों की थी शादी?
  7. कृष्ण भगवान की जन्म कथा


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श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां कौन थीं, जानिए विस्तार से...

शोधकर्ताओं ने खगोलीय घटनाओं, पुरातात्विक तथ्यों आदि के आधार पर कृष्ण जन्म और महाभारत युद्ध के समय का सटीक वर्णन किया है। ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी खोज के लिए टेनेसी के मेम्फिन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ. नरहरि अचर द्वारा 2004-05 में किए गए शोध का हवाला भी दिया। पुराणों के अनुसार 8वें अवतार के रूप में विष्णु ने यह अवतार 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से 8वें पुत्र के रूप में मथुरा के कारागार में जन्म लिया था। उनका जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकलने के बाद 8वें मुहूर्त में हुआ। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि थी जिसके संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5125 वर्ष पूर्व) को जन्म हुआ। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। भीष्मक और रुक्मिणी के पास जो भी लोग आते-जाते थे, वे सभी श्रीकृष्ण की प्रशंसा किया करते थे। श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुक्मिणी ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर अन्य किसी को भी पति रूप में स्वीकार नहीं करेगी। उधर, श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था कि रुक्मिणी परम रूपवती होने के साथ-साथ सुलक्षणा भी है। किंतु रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था। रुक्मणि के भाई रुक्म का वह परम मित्र था। रुक्म अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से...

कृष्ण भगवान की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी? Archives

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भगवान श्रीकृष्ण की 8 रानियां कौन थीं? क्या है 16 हजार पत्नियों की असल कहानी

भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां थीं, जिनमें देवी रुक्मणि पहली पत्नी थीं. रीछराज जाम्बवन्त की बेटी जाम्बवन्ती ने भी श्रीकृष्ण से विवाह किया था. सभी पत्नियों को श्रीकृष्ण से 10-10 पुत्र हुए और एक-एक पुत्री उत्पन्न हुईं. श्रीकृष्ण की 16 हजार से ज्‍यादा पत्नियां थीं, यह बात लोग अक्सर किसी चर्चा के दौरान बोल देते हैं. इसकी कथाएं पुराणों में मिलती भी हैं. हालांकि, जो लोग इस बारे में नहीं जानते या जिन्‍हें आधा सच पता है, उनके लिए जरूरी है कि वे धर्मग्रंथों का अध्‍ययन करें. महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित 18 पुराणों में से 10 में कृष्ण (Lord Krishna) का भरपूर वर्णन है, तो वहीं 11 जैन अंग सूत्रों में से 5 में तथा उत्तराध्ययन सूत्र में भी उनके जीवन पर खासा विश्लेषण हुआ है. श्रीकृष्ण के जीवन पर रचे गए काव्‍य ‘प्रेम सागर’ में बताया गया है कि श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां थीं, जिनसे उन्‍होंने स्‍वयं विवाह किया. उनमें सबसे पहली थीं- रुक्मणि. रुक्मणी जी देवी लक्ष्‍मी का अवतार मानी गई हैं. वह विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं. श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी हरण कर प्रेम विवाह किया. प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू रुक्मिणी के ही पुत्र थे. रुक्मिणी के अलावा जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा भी श्रीकृष्ण की पत्‍नियां थीं. इन सभी स्त्रियों के 10-10 पुत्र और एक-एक पुत्री उत्पन्न हुईं. यह भी पढ़ें: सपनों का घर खरीदना हो रहा है मुश्किल, इन 5 उपायों से पूरी हो सकती है इच्छा यह भी पढ़ें: पति-पत्नी में प्रेम बढ़ाता है रजनीगंधा का पौधा, लेकिन दिशा का रखें ख्याल यह है 16 हजार रानियों वाली असल कहानी श्रीकृष्ण की 8 पटरान...

रुक्मिणी

रुक्मिणी भगवान रुक्मिणी (या रुक्मणी) भगवान कृष्ण की इकलौती पत्नी और रानी हैं । द्वारका के राजकुमार कृष्ण ने उनके अनुरोध पर एक अवांछित विवाह को रोकने के लिए उनका हरण किया एवं अपने साथ ले गए तदन्तर उन्हें दुष्ट शिशुपाल ( कौरवों के बीच एक नायक, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने राजा भीष्मक की पुत्री, वैर्दभी रुक्मिणी से विवाह किया, जो कि भाग्य की देवी [श्रीओ मयत्रम] का प्रत्यक्ष अवतार था। (भागवत पुराण १०.५२.१६) द्वारका के नागरिक कृष्ण को देखने के लिए आतुर थे जो कि भाग्य की देवी रुक्मिणी के साथ थे । (श्रीमद्भागवत १०.५४.६०) लक्ष्मी जी ने अपने भाग में धरती पर भीष्मक के परिवार में रुक्मिणी के रूप में जन्म लिया । (महाभारत आदिपर्व ६७.६५६) रुक्मिणीदेवी, कृष्ण की रानी शक्ति स्वरूपा (मूलप्रकृति) हैं, जो कृष्ण (कृष्णमिका) की आदशक्ति हैं और वह दिव्य विश्व (जगत्कारी), द्वारका/वैकुंठ की रानी/माता हैं । उनका जन्म हरिद्वार में वैदिक यादव [आर्य] जाति के एक शक्तिशाली शासक भीष्मक की पुत्री के रूप में हुआ । श्रुतियां जो भगवान श्रीकृष्ण के साथ बृज की गोपियों के अतीत के आख्यानों से संबद्ध हैं, ने इस सत्य (गोपाल-तपानि नानीसाद ५७) की घोषणा की है, उन्हें विलग नहीं किया जा सकता । जैसे लक्ष्मी विष्णु की शक्ति हैं वैसे ही रुक्मिणी भी श्री कृष्ण की शक्ति है । रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं । भीष्मक मगध के राजा जरासंध के जागीरदार थे । रुक्मिणी को श्रीकृष्ण से प्रेम हो गया और वह उनसे विवाह करने को तत्पर हो गईं । जिनका गुण, चरित्र, आकर्षण और महानता जग विख्यात थी । रुक्मिणी का ज्येष्ठ भ्राता रुक्मी दुष्ट राजा रुक्मिणी के माता-पिता रुक्मिणी का विवाह कृष्ण से ही करना चाहते थे लेकिन रुक्मी ने इसका कड़ा वि...

Lord Krishna's Wife

महाभारत अनुसार कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह किया था। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान कृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। रुक्मणि के पांच भाई थे- रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली। रुक्मणि सर्वगुण संपन्न तथा अति सुन्दरी थी। उसके माता-पिता उसका विवाह कृष्ण के साथ करना चाहते थे किंतु रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। यह कारण था कि कृष्ण को रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा। फिर वे एक दिन उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजित के सात बैलों को एकसाथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से पाणिग्रहण किया। तत्पश्चात उनका कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। यह एक झूठ है कि श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियां थीं : कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ सुखपूर्वक द्वारिका में रह रहे थे। एक दिन स्वर्गलोक के राजा देवराज इंद्र ने आकर उनसे प्रार्थना की, 'हे कृष्ण! प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। क्रूर भौमासुर ने वरुण का छत्र, अदिति के कुण्डल और देवताओं की मणि छीन ली है और वह त्रिलोक विजयी हो गया है। इस प्रकार भौमासुर को मारकर श्रीकृष्ण ने उसके पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर उसे प्रागज्योतिष का राजा बनाया। भौमासुर के द्वारा हरण कर लाई गईं 16,100कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर दिया। ये सभी अपहृत नारियां थीं या फिर भय के कारण उपहार में दी गई थीं और किसी और माध्यम से उस कारागार में लाई ग...

भगवान कृष्ण ने 16 हजार रानियों से क्यों की थी शादी?

भगवान श्रीकृष्ण और राधा का अलौकिक प्रेम जगजाहिर है, लोग उनके पवित्र प्रेम की मिसाल देते हैं। लेकिन यह भी सच है कि श्रीकृष्ण को सिर्फ राधा ही नहीं बल्कि हर वो इंसान प्रिय है जो उन्हें पुकारता है चाहे वो मीरा हो, द्रोपदी हो या फिर कोई गोपी। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण की तमाम लीलाओं का वर्णन है जिनमें से उनकी एक लीला यह भी है जिसमें उन्होंने एक साथ 16 हजार कन्याओं के साथ विवाह किया था। यहां हम आपको इसी लीला के पीछे की एक दिलचस्प कहानी बता रहे हैं। दरअसल, ये वो कन्याएं थीं जिन्हें एक राक्षस ने कैद कर रखा था। इस राक्षस ने इन कन्याओं के साथ बहुत अत्याचार किया था। बताया जाता है कि नरकासुर नाम के राक्षस ने अमरत्व पाने के लिए 16 हजार कन्याओं की बलि देने के लिए कैद किया था। जब भगवान को इस बात की भनक लगी तो वह राक्षस की नगरी जा पहुंचे और सभी कन्याओं को छुड़ाकर उनसे विवाह रचाया। अब सवाल ये है कि आखिर प्रेमिका राधा और 8 पटरानियां होते हुए भी भगवान ने क्यों इन कन्याओं से विवाह रचाया था। भागवत गीता के अनुसार प्रागज्योतिषपुर नगर के राजा नरकासुर नामक दैत्य ने अपनी मायाशक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर रखा था। वह संतों को भी त्रास देने लगा था। उसने राज्यों की राजकुमारियों और संतों की स्त्रियों को भी बंदी बना लिया था। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता व ऋषि मुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान तो दे दिया लेकिन इस राक्षस को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था। इसीलिए श्रीकृष्ण राक्षस का संहार करने के लिए अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाकर ले गए और उसका वध कर सभी कैद कन्याओं को मुक्त कराया। तभी ये...

कृष्ण भगवान की जन्म कथा

• कृष्ण जन्माष्टमी कब है 2023 में? 06 september 2023 • कृष्णा जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? भाई कंस के अत्याचार सहते हुए कारागार में बंद माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था इसलिए हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है • जन्माष्टमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए? जन्माष्टमी के दिन चावल और जौ से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए इस दिन भूलकर भी गाय पर अत्याचार ना करें