कानून के समक्ष समानता किस देश से लिया गया है

  1. नौकरशाही और दिल्ली की आप सरकार के बीच बढ़ रही तनातनी
  2. मौलिक अधिकार: Fundamental Rights in Hindi
  3. [Solved] निम्नलिखित में से किसे भारत में शिशुओं और नाब�
  4. देश की खबरें
  5. भारत में विधि के शासन की प्रथा
  6. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में लिखा हुआ ‘कानून के समक्ष समानता’ किस देश के संविधान से लिया गया है?
  7. कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण


Download: कानून के समक्ष समानता किस देश से लिया गया है
Size: 51.63 MB

नौकरशाही और दिल्ली की आप सरकार के बीच बढ़ रही तनातनी

-दिल्ली सरकार ने मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आईएएस आशीष मोरे को दिल्ली विधानसभा समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं हाेने में उनकी मदद करने का लगाया आरोप नई दिल्ली। नौकरशाहों और दिल्ली की आप सरकार के बीच टकराव और बढ़ती जा रही है। सरकार में चल रहे तमाम विवादों के बीच दिल्ली सरकार ने अपने मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आईएएस आशीष मोरे को दिल्ली विधानसभा समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं हाेने में उनकी मदद करने का आराेप लगाया है। सरकार ने कहा है कि मुख्य सचिव के मोरे किस तरह चहेते हैैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार ने जब माेरे को सेवा विभाग के सचिव के पद से हटाया तो मुख्य सचिव ने उन्हें अपना स्टाफ ऑफिसर बना लिया है। वहीं, अब मंडलायुक्त का यह मामला राजस्व के तहत न आकर भूमि विभाग के तहत आने की बात कहना सवाल खड़ा करता है। जबकि मंडलायुक्त की ओर से ही पूव में दो माह पहले याचिका समिति के समक्ष बयान देकर मामले से संबंधित दस्तावेज जमा किए थे। सरकार के अनुसार भ्रष्टाचार के एक गंभीर आरोप के मामले में विधानसभा की समिति जांच कर रही है। मोरे काे 2013 के कथित भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में गवाही देने के लिए दिल्ली विधानसभा की इस याचिका समिति द्वारा इन आईएएस को तलब किया गया है। यह उस समय का मामला है जब मोरे उत्तरी जिला के डीएम थे। आशीष मोरे पर 50 करोड़ रुपए मूल्य की अहस्तांतरणीय निष्क्रांत संपत्तियों को निजी व्यक्तियों को हस्तांतरित करने का आरोप है। आशीष मोरे को तलब करने का समिति का निर्णय उसे मिली एक शिकायत के आधार पर है।जिसमें झंगोला ग्राम राजस्व एस्टेट में 50 करोड़ रुपए मूल्य की 54 बीघा भूमि को निजी लोगों को हस्तांतरित करने का विवरण है। इस मामले को विशेष रूप से परेशान करने वाली बात यह है...

मौलिक अधिकार: Fundamental Rights in Hindi

तृतीय भाग में नागरिकों के मौलिक अधिकारों (fundamental rights) की विस्तृत व्याख्या की गयी है. यह अमेरिका के संविधान से ली गयी है. मौलिक अधिकार व्यक्ति के नैतिक, भौतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यधिक आवश्यक है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए जल आवश्यक है, उसी प्रकार व्यक्तित्व के विकास के लिए मौलिक अधिकार. मौलिक अधिकारों (fundamental rights) को 6 भागों में विभाजित किया गया है – मौलिक अधिकार प्रकार (Types of Fundamental Rights) 1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) 2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) 3. (अनुच्छेद 23-24) 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) 5. संस्कृति और शिक्षा से सम्बद्ध अधिकार (अनुच्छेद 29-30) 6. सांवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32-35) मौलिक अधिकार के अंतर्गत यह बताया गया है कि वे सब कानून, जो संविधान के शुरू होने से ठीक पहले भारत में लागू थे, उनके वे अंश लागू रह जायेंगे जो संविधान के अनुकूल हों अर्थात् उससे मेल खाते हों. यह भी कहा गया कि राज्य कोई भी ऐसा कानून नहीं बना सकता, जिससे मौलिक अधिकारों पर आघात होता है. “राज्य” शब्द से तात्पर्य है –– संघ सरकार, राज्य सरकार दोनों. अब हम ऊपर दिए गए 6 मौलिक अधिकारों (fundamental rights) का बारी-बारी से संक्षेप में वर्णन करेंगे – 1. समानता का अधिकार (Right to Equality) इसके अनुसार राज्य की तरफ से धर्म, जाति, वर्ण और लिंग के नाम पर नागरिकों में कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा. राज्य की दृष्टि से सभी नागरिकों को सामान माना गया है. लेकिन, राज्य के स्त्रियों, बच्चों तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए विशेष सुविधा के नियम बनाने का अधिकार दिया गया है. • कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)– यह ब्रिटिश विधि से ल...

[Solved] निम्नलिखित में से किसे भारत में शिशुओं और नाब�

सही उत्तर केंद्र और राज्य सरकार दोनों हैं। • • केंद्र और राज्य सरकार दोनों को भारत में शिशुओं और नाबालिगों के अलावा आर्थिक और सामाजिक नियोजन के लिए कानून बनाने का अधिकार है। • आर्थिक और सामाजिक नियोजन समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। • भारतीय संविधान की 7 वीं अनुसूची केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। Additional Information • संघ और राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन सातवीं अनुसूची में उल्लिखित तीन प्रकार की सूची के माध्यम से अधिसूचित किया गया है। • संघ सूची: • महत्वपूर्ण विषय: भारत की रक्षा, विदेशी मामले, युद्ध और शांति, विदेशी क्षेत्राधिकार, नागरिकता, रेलवे, डाकघर बचत बैंक, आरबीआई आदि। • राज्य सूची: • महत्वपूर्ण विषय:सार्वजनिक व्यवस्था, जेल, सुधारक, बोरस्टल संस्थाएं, स्थानीय सरकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, अंत्येष्टि और अंत्येष्टि स्थल, मछली पालन आदि। • समवर्ती सूची: • ​आपराधिक कानून, विवाह और तलाक, दिवालियापन और अशोधन क्षमता, ट्रस्ट और ट्रस्टी, पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम, आर्थिक और सामाजिक नियोजन, बिजली आदि।

देश की खबरें

देश की खबरें | प. बंगाल निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ा सकता है Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय को बताया कि वह पश्चिम बंगाल में आठ जुलाई को प्रस्तावित पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि एक दिन बढ़ाकर 16 जून कर सकता है। कोलकाता, 12 जून पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय को बताया कि वह पश्चिम बंगाल में आठ जुलाई को प्रस्तावित पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि एक दिन बढ़ाकर 16 जून कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने प्रस्तावित पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने और केंद्रीय बलों की तैनाती की तारीख बढ़ाने को लेकर विपक्षी नेताओं की जनहित याचिकाओं पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पर फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए उचित दिशानिर्देश जारी करेगी कि नामांकन उचित तरीके से दाखिल किये जा सकें। विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता उनके (विपक्षियों के) उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं और हिंसा पर उतारू हैं। राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने आठ जून को घोषणा की थी कि मतदान आठ जुलाई को होगा और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 जून होगी। अदालत ने नौ जून को कहा था कि त्रि-स्तरीय ग्रामीण चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के वास्ते दिया गया समय प्रथम दृष्टया अपर्याप्त है। एसईसी की ओर से पे...

भारत में विधि के शासन की प्रथा

भारतमेंविधिकेशासनकीप्रथा - यूपीएससी, आईएएस, सिविलसेवाऔरराज्यपीसीएसपरीक्षाओंकेलिएसमसामयिकीलेख चर्चाकाकारण • हालहीमेंएकस्वतंत्रसंगठन ‘वर्ल्डजस्टिसप्रोजेक्ट’ द्वारातैयारकीगयीकानूनकाशासन (Rule of Law) सूचकांक-2020 मेंभारतको 69वींरैंकिंगप्राप्तहुईहै।इससूचकांकमेंदुनियाके 128 देशोंकोशामिलकियागयाहै। परिचय • ‘वर्ल्डजस्टिसप्रोजेक्ट’ इसतथ्यकाविश्लेषणप्रस्तुतकरताहैकिविभिन्नदेशोंमें, कानूनकेशासनकेसिद्धांतपालनव्यवहारमेंकहाँतककियाजारहाहै।इसकेआयामनिम्नलििखतहैं- • शासकीयखुलापन (open government) • सरकारकीशत्तिफ़योंपरअंकुश (Constraints on government power) • मौलिकअधिकार (fundamental rights) • दीवानीऔरफौजदारीन्यायव्यवस्था (civil and criminal justice) • भ्रष्टाचारपरअंकुश (absence of corruption) • सार्वजनिकव्यवस्थाऔरसुरक्षा (public order and security) • नियामकप्रवर्तन (regulatory enforcement) • ‘वर्ल्डजस्टिसप्रोजेक्ट’ सूचकांक 130,000 सेअधिकघरोंऔर 4,000 कानूनीचिकित्सकोंऔरविशेषज्ञोंकेएकसर्वेक्षणकेपरिणामोंपरआधारितहै, जोयहमापताहैकिदुनियाभरमेंकानूनकेनियमकोकैसेमानाजाताहैऔरअनुभवकियाजाताहै।कवरकिएगएदेशोंमेंविभिन्नराजनीतिकऔरन्यायिकप्रणालियां, आर्थिकस्थिति, जातीय-सामाजिकविशेषताएं, ऐतिहासिकपृष्ठभूमि, जनसंख्याजटिलताऔरघरेलूऔरअंतरराष्ट्रीयसमस्याएंहैं। विधिकेशासनसेतात्पर्यहै? एवीडॉयसीने 1885 मेंअपनीपुस्तक Law and the Constitution मेंकानूनकेशासनकीव्याख्याकीथी, उसमेंउन्होनेशासनकेतीनअर्थबताएहैं- • विधिकेशासनकाअभिप्रायदेशमेंकानूनीसमानताकाहोनाहै। • विधिकेशासनकेअनुसारकिसीव्यक्तिकोकानूनकेउल्लंघनकेलिएदंडितकियाजासकताहैअन्यकिसीबातकेलिएनहीं। • विधिकेशासनकीतीसरीशर्तयहहैकिसंविधानकिव्याख्याअथवाअन्यकिसीभीकानूनीविषयपरन्यायाधी...

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में लिखा हुआ ‘कानून के समक्ष समानता’ किस देश के संविधान से लिया गया है?

(A) फ्रांस (B) ब्रिटेन (C) यू० एस० ए० (D) उपर्युक्त में से कोई नहीं Answer: B भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 स्पष्ट रूप से कहता है कि, राज्य, भारत के राज्य में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। ‘ विधि के समक्ष समता’ (Equality before Law): इसके प्रावधान ब्रिटेन के संविधान से लिए गये हैं. इसमें शामिल है; • I. न्यायालय के समक्ष सभी व्यक्तियों के लिए समान व्यवहार. अर्थात कानून अंधा होगा,वह नहीं देखेगा कि उसके सामने कटघरे में कौन खड़ा है? अमीर या गरीब। • II. किसी व्यक्ति विशेष के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं होगा. अर्थात सभी को समान अपराध के लिए समान सजा मिलेगी। • III. कोई भी व्यक्ति (चाहे वो अमीर/गरीब हो, गोरा हो काला हो, मंत्री हो) कानून से ऊपर नहीं होगा। अर्थात कानून, मंत्री और संत्री दोनों के लिए समान होगा। NOTE: विधियोंका समान संरक्षण (Equal protection of laws): इसके प्रावधान अमेरिका के संविधान से लिए गये हैं।

कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण

Image Source- https://rb.gy/tbmkqi यह लेख तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज की छात्रा Adhila Muhammed Arif ने लिखा है। यह लेख “कानून के समक्ष समानता” और “कानून के समान संरक्षण (प्रोटेक्शन)” और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, जो इन अभिव्यक्तियों को वहन करता है, के दायरे के बारे में चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • परिचय न्यायपालिका की एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण व्यवस्था हर आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य की विशेषता है। ऐसी स्थिति में, देश के कानून को इस तरह से लागू किया जाना चाहिए कि सभी नागरिकों को एक ही स्थान पर रखा जाए। यदि कानून किसी भी अनुचित आधार जैसे वर्ग, स्थिति, लिंग, आदि पर किसी नागरिक का पक्ष लेता है, तो कानून अनुचित है और न्याय को बनाए रखने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहता है। एक राज्य के प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समान माना जाना चाहिए और किसी भी नागरिक को लिंग, जाति, वर्ग, धर्म आदि जैसे अनुचित आधार पर कुछ विशेष महत्त्व के साथ नहीं मानना चाहिए। इस अवधारणा को “कानून के समक्ष समानता” और “कानून के समान संरक्षण” वाक्यांशों के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। यह विचार ए.वी. डाइसी के अनुसार कानून के शासन (रूल ऑफ़ लॉ) की अवधारणा का एक मुख्य हिस्सा है। ‘कानून के समक्ष समानता’ और ‘कानून के समान संरक्षण’ के वाक्यांश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत पाए जा सकते हैं, जो प्रत्येक नागरिक के लिए यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी अनुचित आधार पर, किसी भी कानून के प्रवर्तन (एनफोर्समेंट) या लागू होने से उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। यह मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूनिवर्सल...